नवोदय विद्यालय सेलेक्शन वाले कक्षा 6 के परिणाम हुए घोषित

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar28 Sep 2021 11:41 AM
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नई दिल्ली: नवोदय विद्यालय समिति (NVS) द्वारा देश भर में स्थित जवाहर नवोदय विद्यालयों (JNV) में शैक्षणिक वर्ष 2021-22 के दौरान कक्षा में दाखिले के लिए सेलेक्शन टेस्ट-2021 (जेएनवीएसटी 2021) वाले नतीजे की घोषणा हुई है। जेएनवीएसटी (JNVST) 2021 में शामिल होने वाले वार्ड के नतीजे एनवीएस की आधिकारिक वेबसाइट, navodaya.gov.in पर दिये गये लिंक से चेक कर सकते हैं। जेएनवीएसटी कक्षा 6 के रिजल्ट 2021 को चेक करने के लिए रोल नंबर एवं छात्र की जन्म-तारीख के विवरण रिजल्ट पेज पर भरने की आवश्यकता है। जानकारी के मुताबिक कक्षा 6 के लिए जेएनवीएसटी 2021 प्रवेश परीक्षा का आयोजन 11 अगस्त 2021 को हुआ था।

चयनित हुए छात्रों की लिस्ट भी हुई जारी

नवोदय विद्यालय समिति (NVS) ने कक्षा 11 में दाखिले के लिए अनौपचारिक रूप से चयनित किये गये स्टूडेंट्स की लिस्ट भी जारी की गई है। छात्रों (STUDENTS)को ध्यान देने की जरुरत है कि कक्षा 11 के लिए अंतिम चयन सूची लैटरल इंट्री या ऐडमिशन के लिए दिए गए हैं। एनवीएस द्वारा दिए गए नियमों के मुताबिक, कक्षा 11 में प्रवेश की सूची कक्षा 10 में छात्र के प्रदर्शन के आधार पर तैयार हुई है।

स्टूडेंट्स, पैरेंट्स एवं अभिभावकों को ध्यान के लिए बताया है कि कक्षा 6 और कक्षा 11 के लिए जेएनवी रिजल्ट (JNV RESULT) 2021 लिंक को 27 सितंबर, 2021 को उपलब्ध कर दिया गया है। दोनो ही रिजल्ट के लिए कोई भी आधिकारिक सूचना जारी नहीं हुई है। परिणाम आधिकारिक रूप से जारी होने के बाद एनवीएस विभिन्न श्रेणियों के लिए कट-ऑफ (CUT OFF) की एक सूची भी जारी होगी।

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Corona Update : आईसीएमआर की सिफारिश पहले खोले जाएं प्राथमिक स्कूल

Primary School
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 07:53 AM
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राष्ट्रीय ब्यूरो। देश में कोरोना के मामले लगातार घट रहे हैं। केरल को छोड़कर तकरीबन हर राज्य में हालात नियंत्रण में हैं। चरणबद्ध ढंग से स्कूल-कालेज भी खोले जा रहे हैं। छोटे उम्र के बच्चों के बजाय बड़ी उम्र के बच्चों के शिक्षा संस्थान को पहले खोलने की प्राथमिकता है। जबकि इसके उलट भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद(आइईसीएमआर) ने कहा हैकि छोटे बच्चों में कोरोना संक्रमण का खतरा सबसे कम पाया गया है। लिहाजा पहले छोटे बच्चों के प्राथमिक विद्यालयों को खोला जाना चाहिए।

आईसीएमआर के महानिदेशक व मुख्य संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ.बलराम भार्गव व डॉ. तनु आनंद की खास निगरानी के किए गए चिकित्सकीय अध्ययन के बाद कहा गया है कि 12 साल या उससे अधिक उम्र के बच्चों में कोरोना संक्रमण का जोखिम ज्यादा है और इनके लिए अभी वैक्सीन भी उपलब्ध नहीं है। ऐसे में कोविड के दिशा-निर्देशों का पालन  करते हुए सबसे पहले प्राथामिक स्कूलों को खोला जाना चाहिए। जिनमें अपेक्षाकृत संक्रमण का खतरा न्यूनतम है। इसके बाद ही माध्यमिक स्कूलों का नम्बर आना चाहिए। वैज्ञानिकों ने ब्रिटेन का उदाहरण देते हुए कहा है कि वहां माध्यमिक स्तर के स्कूलों को पहले खोला गया,जिसके बाद संक्रमण के दर में वृद्धि हो गई।

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अमेरिका और आस्ट्रेलिया को क्यों पड़ी भारत की जरूरत

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 04:57 PM
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क्या आप जानते हैं कि यूरोप और अफ्रीका को अमेरिका से अलग करने वाले महासागर का नाम क्या है? अगर हां, तो आप यह भी जानते होंगे कि अमेरिका और एशिया को कौन सा महासागर अलग करता है।

अमेरिकी महाद्वीप को यूरोप और अफ्रीका से अलग करने वाले महासागर को अटलांटिक महासागर कहते हैं और प्रशांत महासागर, अमेरिकी महाद्वीप को एशिया से अलग करता है।

अमेरिका की दुनिया के किसी भी देश से दोस्ती इस बात पर निर्भर करती है कि वह इन दो महासागरों के किस किनारे पर बसा है।

अफगनिस्तान से अमेरिका के हटने की ये है असल वजह इसे ऐसे समझ सकते हैं कि जब अमेरिका और सोवियत संघ दुनिया की दो महाशक्तियां थीं, उस वक्त अमेरिका के लिए यूरोप और अफगानिस्तान का महत्व दुनिया के किसी भी देश से ज्यादा था। क्योंकि, यूरोप और अफगानिस्तान की सीमाएं तत्कालीन सोवियत संघ से लगती थीं। सोवियत संघ को घेरने के लिए अमेरिका को इन देशों की जरूरत थी।

अब अमेरिका को है इस देश से खतरा दुनिया अब बदल चुकी है। अमेरिका अभी भी दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश है, लेकिन सोवियत संघ की जगह अब चीन ने ले ली है।

चीन जिस तेजी से विकास कर रहा है उससे सबसे ज्यादा डर अमेरिका को है। चीन की बढ़ती सैन्य और आर्थिक ताकत अमेरिका से उसकी नंबर वन की पोजीशन को कभी भी छीन सकता है।

चीन के निशाने पर हैं ये तीन देश ऐसे में उसे एशिया में ऐसे सहयोगी की जरूरत है जो चीन से मुकाबला करने की हिम्मत रखता हो। एशिया के किसी भी देश में चीन का विरोध करने की हिम्मत नहीं है। केवल भारत ही है जो चीन की आंख में आंख डालकर बात करने की हिम्मत दिखा चुका है।

चीन धीरे-धीरे ताईवान, लद्दाख पर कब्जा करने की फिराक में है। ताईवान पर कब्जा कर वह जापान और आस्ट्रेलिया को अपने निशाने पर लेना चाहता है। जबकि, लद्दाख पर कब्जा कर भारत को सबक सिखाना चाहता है।

क्यों जापान, आस्ट्रेलिया और भारत पर है चीन की नजर जापान और आस्ट्रेलिया लंबे समय से अमेरिका के सामरिक और रणनीतिक साझेदार हैं। शीत युद्ध के दौरान भारत का झुकाव सोवियत संघ की ओर था। हालांकि, सोवियत संघ के विघटन और चीन की बढ़ती ताकत के बाद भारत और अमेरिका दोनों को ही एक दूसरे की जरूरत है।

प्रशांत महासागर का राजनीति से क्या कनेक्शन है अब समझते हैं कि आखिर इसमें प्रशांत महासागर की क्या भूमिका है। प्रशांत सागर के उत्तरी हिस्से में जापान, मध्य में भारत और दक्षिण में आस्ट्रेलिया है। प्रशांत सागर के दूसरे हिस्से पर खुद अमेरिका बैठा हुआ है।

साफ है कि अगर अमेरिका, जापान, आस्ट्रेलिया और भारत आपस में मिल जाएं, तो प्रशांत महासागर के हर छोर पर अमेरिका के दोस्त होंगे। इससे चीन को समुद्र और जमीन दोनों ओर से घेरने की अमेरिकी रणनीति सफल हो जाएगी।

क्या क्वाड का मकसद सिर्फ चीन को घेरना है? अमेरिका और भारत की दोस्ती का जितना सामरिक महत्व है उससे कहीं ज्यादा यह व्यापारिक रूप से महत्वपूर्ण है। चीन और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में चीन लगातार मजबूत होता जा रहा है। व्यापारि रिश्ते में चीन के बढ़ते प्रभाव का नतीजा चीन अमेरिका ट्रेड वार था। अमेरिका और यूरोप के देश चीन पर अपनी आर्थिक निर्भरता को कम करना चाहते हैं। इसमें भारत उनके लिए सबसे बड़ा मददगार साबित हो सकता है।

इन देशों पर है विस्तारवाद का खतरा ताईवान से लेकर लद्दाख और चीन सागर से लेकर जिबूती तक चीन अपनी सीमाओं का विस्तार करने की फिराक में है। भारत, अमेरिका सहित दुनिया के अन्य लोकतांत्रिक देश चीन की इस विस्तारवादी नीति को खतरे को भांप चुके हैं। चीन को रोकने के लिए लोकतांत्रिक देशों को साथ आना स्वाभाविक है।

इन दो मूल्यों पर मंडरा रहा है खतरा! जापान सहित पश्चिती देश लोकतंत्र और उदारवादी मूल्यों के समर्थक हैं। भारत हमेशा से लोकतांत्रिक और उदारवादी देश रहा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पदों पर अल्पसंख्यक समुदाय के लोग काबिज रहे हैं।

लोकतंत्र और उदारवादी मूल्यों में विश्वास करने वाले सभी देश चीन को एक खतरे के रूप में देखते हैं। वे नहीं चाहते कि चीन अपनी ताकत और पैसे के बल दुनिया के कमजोर देशों पर अपना प्रभाव कायम कर वहां भी लोकतंत्र का गला घोंट दे।

-संजीव श्रीवास्तव