यूपी में कुत्तों के हमले में घायल छात्रा को मिला नया सहारा, इस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने लिया गोद

यूपी में कुत्तों के हमले में घायल छात्रा को मिला नया सहारा, इस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने लिया गोद
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 05:10 AM
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UP News : यूपी के कानपुर जिला के श्यामनगर में बीते दिनों बीबीए की छात्रा वैष्णवी साहू पर आवारा कुत्तों के हमले ने पूरे शहर को झकझोर दिया था। यूपी के इस जिले में हुए इस हादसे में छात्रा के चेहरे और शरीर पर गहरे घाव आ गए थे। परिवार सदमे में था कि तभी यूपी का जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज आगे आया और छात्रा का इलाज अपने जिम्मे ले लिया। यूपी के इस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने बाकायदा वैष्णवी को गोद लेकर अपनी बेटी बना लिया।

डॉक्टर काला ने कहा-"अब वैष्णवी, वैष्णवी काला है"

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. संजय काला ने छात्रा को गोद लेते हुए घोषणा की कि अब वैष्णवी साहू, वैष्णवी काला है। वह हमारी बेटी है और हम उसके इलाज से लेकर भविष्य तक हर जिम्मेदारी निभाएंगे। उन्होंने यह भरोसा दिलाया कि छात्रा के इलाज में किसी भी तरह की कमी नहीं छोड़ी जाएगी।

मुफ्त में होगी प्लास्टिक सर्जरी

हैलट अस्पताल में भर्ती वैष्णवी के चेहरे पर आए गंभीर घावों को देखते हुए डॉक्टरों की एक विशेषज्ञ टीम लगातार उसकी स्थिति पर नजर रखे हुए है। मेडिकल कॉलेज ने प्लास्टिक सर्जरी की पूरी जिम्मेदारी उठाई है और यह इलाज पूरी तरह नि:शुल्क किया जाएगा। हादसे के बाद छात्रा का परिवार बेहद टूट चुका था। उन्हें चिंता थी कि चेहरा और करियर दोनों बर्बाद हो सकते हैं। मगर मेडिकल कॉलेज की पहल से परिजनों को नई उम्मीद मिली है। डॉक्टरों का कहना है कि समय पर किए जा रहे विशेषज्ञ इलाज से वैष्णवी जल्द ही सामान्य जीवन जी सकेगी।

शहर में उठे सवाल

इस घटना ने एक बार फिर शहर में आवारा कुत्तों की समस्या को उजागर कर दिया है। सवाल यह है कि आखिर कब तक मासूम और निर्दोष लोग इस खतरे से जूझते रहेंगे? फिलहाल, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की संवेदनशील पहल ने वैष्णवी और उसके परिवार को जिंदगी की नई राह जरूर दिखा दी है। UP News
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यूपी के इस जिले में 1.77 लाख लोगों के मुफ्त राशन पर संकट, हो सकता है राशनकार्ड निरस्त

यूपी के इस जिले में 1.77 लाख लोगों के मुफ्त राशन पर संकट, हो सकता है राशनकार्ड निरस्त
locationभारत
userचेतना मंच
calendar28 Aug 2025 01:19 PM
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यूपी में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) को पारदर्शी बनाने की कवायद में फर्रुखाबाद प्रशासन ने सख्ती बढ़ा दी है। अब यूपी के इस जिले में बिना ई-केवाईसी वाले कार्डधारकों को मुफ्त राशन नहीं मिलेगा। यूपी के इस जिले की प्रशासन ने चेतावनी दी है कि अगर तीन महीने में ई-केवाईसी नहीं कराई गई तो राशनकार्ड निरस्त कर दिया जाएगा। यूपी के इस जिले में इस आदेश का असर लगभग 1.77 लाख वयस्क उपभोक्ताओं पर पड़ने वाला है। UP News :

कितने कार्डधारकों की हुई ई-केवाईसी

जुलाई 2024 में शुरू हुए ई-केवाईसी सत्यापन अभियान में अब तक जिले में कुल राशन कार्डों का 86 प्रतिशत ही अपडेट हो पाया है। प्रशासन के नवीन आदेश के अनुसार, 18 वर्ष से अधिक आयु वाले सभी कार्डधारक जिनकी ई-केवाईसी नहीं हुई है, उन्हें तीन महीने तक राशन वितरण में निलंबन झेलना पड़ेगा।

तीन महीने के बाद क्या होगा?

* अगर इस अवधि में कार्डधारक ई-केवाईसी करवा लेते हैं, तो राशन वितरण फिर से शुरू हो जाएगा। * लेकिन तीन महीने बाद भी ई-केवाईसी पूरी न होने पर राशनकार्ड निरस्त कर दिया जाएगा। * 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के राशन पर इस दौरान कोई असर नहीं पड़ेगा।

जिले की स्थिति

फरुखार्बाद में कुल 3,52,815 राशन कार्ड हैं, जिनमें: * पात्र गृहस्थी कार्ड 3,14,638 * अंत्योदय कार्ड: 38,177 कुल उपभोक्ता: 14,26,449, जिनमें से बिना ई-केवाईसी वाले: 1,87,162 * बच्चों की संख्या: 10,027 (अभी राहत) * वयस्क उपभोक्ता: 1,77,135 (राशन पर संकट)

क्षेत्रीय राशन अधिकारी का बयान

क्षेत्रीय राशन अधिकारी अनिल यादव ने बताया कि समस्या मुख्य रूप से प्रवासी मजदूरों और नौकरीपेशा लोगों की है, जो बाहर रहते हैं। इसके अलावा बुजुर्ग और बच्चों का बायोमीट्रिक आधार से मेल न खाना भी बड़ी बाधा है। उन्होंने चेतावनी दी कि उपभोक्ताओं के पास तीन माह का समय बचा है, जिसमें ई-केवाईसी करानी होगी। UP News
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वाह ताज, हुजुर आप, वाला उत्तर प्रदेश अपने में समेटे है अनेकों रंग

वाह ताज, हुजुर आप, वाला उत्तर प्रदेश अपने में समेटे है अनेकों रंग
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userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 05:12 AM
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उत्तर प्रदेश को समझना, मानो पूरे भारत को पढ़ना है। भारत की धड़कन कहा जाने वाला उत्तर प्रदेश, अपने भीतर इतिहास की गहराइयाँ, संस्कृति की रंगीनियाँ और आस्था की अनंत धाराएँ समेटे हुए है। यह वही धरती है जहाँ ताजमहल की शाश्वत मोहब्बत चमकती है, काशी की आरतियाँ गंगा किनारे गूँजती हैं, अयोध्या में राम जन्मभूमि की आस्था बसी है और मथुरा की गलियों में कृष्ण की बाँसुरी की तान आज भी महसूस होती है।  लगभग 25 करोड़ से अधिक लोगों का यह प्रदेश न सिर्फ़ भारत का सबसे बड़ा राज्य है, बल्कि अपनी जनसंख्या, धरोहरों, स्वाद और त्योहारों की विविधता के कारण पूरे देश का ‘लघु भारत’ भी कहलाता है।  UP News

विशालता में ‘अद्वितीय’

उत्तर प्रदेश केवल भारत का सबसे बड़ा राज्य नहीं, बल्कि एक ऐसा भूभाग है जो पूरी दुनिया के नक्शे पर अपनी विशालता और विविधता के लिए अद्वितीय पहचान रखता है। 25.7 करोड़ से अधिक आबादी के साथ यह प्रदेश यदि अलग राष्ट्र होता, तो जनसंख्या के लिहाज़ से दुनिया का पाँचवाँ सबसे बड़ा देश कहलाता। 2,43,290 वर्ग किलोमीटर में फैला यह राज्य आकार में लगभग यूनाइटेड किंगडम के बराबर है और इसकी सीमाएँ न सिर्फ नौ भारतीय राज्यों से जुड़ी हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सरहद नेपाल से भी मिलती हैं। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश भारतीय राजनीति, संस्कृति और भूगोल का धड़कता हुआ केंद्र माना जाता है। ताजमहल की अद्भुत मोहब्बत से लेकर वाराणसी की सनातन आध्यात्मिकता तक, और लखनऊ की तहज़ीब से लेकर प्रयागराज के संगम तक - उत्तर प्रदेश हर मायने में ‘भारत का हृदय’ है।

इतिहास की गहराइयों में उतरें तो

उत्तर प्रदेश का इतिहास उतना ही भव्य और विराट है जितना इसका वर्तमान स्वरूप। इस भूमि पर मानव बसाव की कहानियाँ 70–80 हज़ार वर्ष पुरानी मानी जाती हैं। यहीं से कोसल साम्राज्य ने अपनी चमक बिखेरी, अयोध्या और मथुरा जैसे पौराणिक नगरों ने सभ्यता को आध्यात्मिक गहराई दी और यही धरती मौर्य, गुप्त और मुग़ल साम्राज्यों की सत्ता का केंद्र बनी। यह प्रदेश सिर्फ़ राजधानियों का गढ़ नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, धर्म और राजनीति का ध्रुवतारा रहा है। ब्रिटिश हुकूमत के दौर में इसे ‘यूनाइटेड प्रोविंसेस’ कहा गया और स्वतंत्रता संग्राम की आँधियों को झेलने के बाद 24 जनवरी 1950 को इसका नया नाम उत्तर प्रदेश पड़ा। इतिहास के पन्नों से लेकर आज की राजनीति तक यह प्रदेश हमेशा से भारत की आत्मा को दिशा देता आया है।  UP News

भाषा और संस्कृति का संगम

उत्तर प्रदेश की पहचान सिर्फ़ इसकी विशाल जनसंख्या या ऐतिहासिक धरोहरों से नहीं बनती, बल्कि इसकी असंख्य बोलियों और सांस्कृतिक रंगों से भी है। हिंदी भले ही यहाँ की आधिकारिक भाषा हो, लेकिन अवधी की मिठास, भोजपुरी की लोकधुनें, बुंदेली का वीर रस, ब्रज की रसभरी लय और कन्नौजी की सहजता इस राज्य को असली स्वरूप देती हैं। हर बोली अपने साथ साहित्य की गहराई, लोकगीतों की धड़कन लेकर चलती है। यही वजह है कि उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों की यात्रा करना मानो हर बार एक नई संस्कृति, एक नए जीवन और एक नई परंपरा से रूबरू होना है।  UP News

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स्वाद का सफर

उत्तर प्रदेश की पहचान उसके इतिहास और संस्कृति जितनी ही उसके व्यंजनों से भी जुड़ी हुई है। लखनऊ के टुंडे कबाब की महक हो या वाराणसी की चाट और मलइयो का मिठास भरा जादू, आगरा का पेठा हो या गाँव-गाँव में लोकप्रिय टिहरी—हर पकवान अपने भीतर सैकड़ों साल की परंपरा और किस्से समेटे हुए है। यहाँ का खाना सिर्फ़ भूख मिटाने का जरिया नहीं, बल्कि स्वाद के जरिए इतिहास और संस्कृति को जीने का अनुभव भी है।  UP News

धरोहर और आस्था का गढ़

उत्तर प्रदेश एक ऐसा प्रदेश है, जहाँ इतिहास और आस्था कदम-कदम पर अपनी झलक दिखाते हैं। ताजमहल, आगरा किला और फतेहपुर सीकरी जैसे तीन यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल इस धरती की शान हैं, जिनमें ताजमहल तो पूरी दुनिया की पहचान बन चुका है। यही नहीं, वाराणसी के घाट, सारनाथ की बौद्ध विरासत और बनारस की बुनाई भी वैश्विक धरोहर बनने की दहलीज पर खड़े हैं। धार्मिक दृष्टि से देखें तो अयोध्या और मथुरा जैसे नगर सनातन आस्था की आत्मा हैं, सारनाथ बौद्ध धर्म का उज्ज्वल केंद्र है और लखनऊ का बड़ा इमामबाड़ा मुस्लिम समुदाय के लिए आस्था का प्रतीक हैं। यूँ कहें तो उत्तर प्रदेश एक ऐसा कैनवास है, जहाँ विरासत, संस्कृति और धर्म की रंगीन परतें मिलकर अद्वितीय चित्र रचती हैं।  UP News