2008 की बोली से 10 टीमों तक: IPL कैसे बना क्रिकेट का सबसे बड़ा ब्रांड?
नतीजा यह रहा कि नीलामी से कुल 723.59 मिलियन डॉलर जुटे, जो आठ फ्रेंचाइज़ियों के लिए तय किए गए 400 मिलियन डॉलर के सामूहिक बेस प्राइस से करीब दोगुना था। इस शुरुआती दौड़ में भी सबसे बड़ा दांव मुंबई फ्रेंचाइज़ी पर लगा जिसकी बोली 111.9 मिलियन डॉलर तक पहुंची।

History of IPL : आईपीएल (IPL) भारत की प्रोफेशनल टी20 लीग है, लेकिन 2008 में शुरू होते ही इसने क्रिकेट को सिर्फ “खेल” नहीं रहने दिया इसे एक हाई-वोल्टेज शो में बदल दिया। यहां हर गेंद के साथ कहानी बनती है, हर ओवर में दबाव का नया ट्विस्ट आता है और हर मैच स्टारडम, रणनीति और रिकॉर्ड्स की नई पटकथा लिखता है। बीसीसीआई के मंच से निकला यह टूर्नामेंट कुछ ही वर्षों में भारत का सबसे बड़ा “लाइव एंटरटेनमेंट फेस्टिवल” बन गया जहां स्टेडियम की चीखें, टीवी-स्क्रीन की धड़कनें और डिजिटल दुनिया की ट्रेंडिंग लहरें एक साथ दौड़ती हैं। IPL ने क्रिकेट को तेज, रोमांचक और दर्शक-केंद्रित बनाया; और उसी के साथ ब्रांड वैल्यू, ग्लोबल स्पॉन्सरशिप और खिलाड़ियों की मार्केट पावर को भी नई ऊंचाई दी। आज नई पीढ़ी के लिए आईपीएल सिर्फ चौके-छक्कों का खेल नहीं, एक पूरा अनुभव है जहां बल्ला-गेंद के साथ पैसा, पॉप कल्चर और परफॉर्मेंस भी बराबरी से मैदान में उतरते हैं।
2008: शुरुआत और उसी दिन से ‘बड़ी बोली’ का दौर
जनवरी 2008 में मुंबई में हुई पहली फ्रेंचाइज़ी नीलामी ने उसी दिन साफ कर दिया था कि आईपीएल सिर्फ क्रिकेट टूर्नामेंट नहीं, एक नया “बिज़नेस-तमाशा” बनने जा रहा है। मैदान के बाहर की इस बोली में कॉरपोरेट दिग्गज, बॉलीवुड के चमकते चेहरे और मीडिया समूह सब टीमों के मालिकाना हक के लिए आमने-सामने थे। नतीजा यह रहा कि नीलामी से कुल 723.59 मिलियन डॉलर जुटे, जो आठ फ्रेंचाइज़ियों के लिए तय किए गए 400 मिलियन डॉलर के सामूहिक बेस प्राइस से करीब दोगुना था। इस शुरुआती दौड़ में भी सबसे बड़ा दांव मुंबई फ्रेंचाइज़ी पर लगा जिसकी बोली 111.9 मिलियन डॉलर तक पहुंची। यही वो पल था, जब आईपीएल ने बता दिया कि यहां रन सिर्फ पिच पर नहीं, बोर्डरूम में भी बनेंगे।
शुरुआती 8 टीमें और नाम बदलने की कहानी
आईपीएल ने आठ संस्थापक फ्रेंचाइज़ियों के साथ उड़ान भरी मुंबई इंडियंस, चेन्नई सुपर किंग्स, रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (बाद में 2024 में “रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु”), डेक्कन चार्जर्स, दिल्ली डेयरडेविल्स (2019 से “दिल्ली कैपिटल्स”), किंग्स XI पंजाब (2021 से “पंजाब किंग्स”), कोलकाता नाइट राइडर्स और राजस्थान रॉयल्स। लीग की पहचान समय के साथ बदलती रही कहीं ब्रांडिंग बदली, कहीं टीम संरचना; और कहीं विवादों ने पूरी कहानी को मोड़ दिया।
विस्तार और उतार-चढ़ाव: कौन आया, कौन गया
आईपीएल की कहानी सिर्फ नई टीमों के जुड़ने तक सीमित नहीं रही—यह लीग कई बार विवादों, कॉन्ट्रैक्ट टूटने और वित्तीय खींचतान के बीच अपनी शक्ल बदलती रही। 2011 में पुणे वॉरियर्स इंडिया और कोच्चि टस्कर्स केरल की एंट्री ने विस्तार का संकेत दिया, लेकिन कोच्चि की टीम एक ही सीजन में “आकर-गायब” हो गई और अनुबंध खत्म होते ही बाहर हो गई। इसके बाद डेक्कन चार्जर्स का अध्याय 2012 में बंद हुआ और 2013 से सनराइजर्स हैदराबाद ने उसकी जगह लेकर नई पहचान बनाई, जबकि पुणे टीम भी आर्थिक विवादों के चलते 2013 में लीग से हट गई। 2015 में स्पॉट-फिक्सिंग और सट्टेबाजी प्रकरण ने आईपीएल को सबसे बड़ा झटका दिया चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स दो सीजन के लिए निलंबित हुए और 2016-17 में उनकी जगह राइजिंग पुणे सुपरजायंट व गुजरात लायंस को मैदान में उतारा गया। 2018 में जब सीएसके और राजस्थान की वापसी हुई तो ये दोनों अस्थायी फ्रेंचाइज़ियां इतिहास बन गईं। फिर 2022 में गुजरात टाइटन्स और लखनऊ सुपर जायंट्स की एंट्री के साथ आईपीएल दोबारा 10 टीमों की लीग बन गया और एक बार फिर साबित हुआ कि आईपीएल में बदलाव सिर्फ क्रिकेटिंग नहीं, कॉर्पोरेट और प्रशासनिक फैसलों से भी तय होते हैं।
अंक तालिका और प्लेऑफ की जंग
आईपीएल का लीग स्टेज असल में एक लंबी “पॉइंट्स की रेस” है, जहां हर टीम को 14 मुकाबलों में खुद को बार-बार साबित करना होता है। जीत पर 2 अंक मिलते हैं, टाई या नो-रिजल्ट की स्थिति में 1 अंक, जबकि हार सीधे शून्य पर ले जाती है। जब अंक बराबर हो जाएं तो असली जंग नेट रन रेट (NRR) पर आ टिकती है यही वह पैमाना है जो मामूली अंतर में भी प्लेऑफ की तस्वीर पलट देता है। ग्रुप चरण के बाद टॉप-4 टीमें प्लेऑफ में पहुंचती हैं, जहां फॉर्मेट टीमों को “दूसरा मौका” भी देता है और दबाव की परीक्षा भी लेता है। टॉप-2 टीमें क्वालिफायर-1 खेलती हैं जीतने वाली सीधे फाइनल में, और हारने वाली के पास एक और रास्ता बचा रहता है। वहीं तीसरी-चौथी टीम एलिमिनेटर में भिड़ती हैं, जहां हार का मतलब टूर्नामेंट से सीधा बाहर। एलिमिनेटर की विजेता क्वालिफायर-2 में क्वालिफायर-1 की हारी टीम से टकराती है और यहां से जो जीतता है, वही फाइनल का दूसरा दावेदार बनता है। कुल मिलाकर, आईपीएल का प्लेऑफ सिस्टम ऐसा है कि “टॉप पर रहने का फायदा” भी मिलता है और “एक गलती की कीमत” भी तुरंत चुकानी पड़ती है। पहला आईपीएल 44 दिनों तक चला और खिताब राजस्थान रॉयल्स ने जीता एक ऐसी फ्रेंचाइज़ी जिसे उस समय “छोटा बाजार” माना जाता था। कप्तानी शेन वॉर्न के हाथ में थी और वहीं से आईपीएल ने बता दिया कि यहां सिर्फ नाम नहीं, रणनीति और मंच का दबाव जीत तय करता है।
फ्रेंचाइज़ी की कीमत कैसे उछली
आईपीएल का सबसे बड़ा ‘गेम-चेंजर’ यही रहा कि उसने क्रिकेट को मैदान से निकालकर निवेश, ब्रांड और मीडिया इकोनॉमी के केंद्र में ला खड़ा किया। जहां 2009 के आसपास 8 टीमों के दौर में एक फ्रेंचाइज़ी की औसत कीमत करीब 67 मिलियन डॉलर बताई जाती थी, वहीं 2022 तक 10 टीमों के साथ यही औसत मूल्यांकन 1.04 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की चर्चा हुई यानी कुछ ही वर्षों में लीग ने वैल्यूएशन की परिभाषा ही बदल दी। इस उछाल के पीछे सबसे बड़ा इंजन रहा ‘मीडिया राइट्स’ का बूम। 2023 से शुरू होने वाले पांच वर्षीय चक्र (2023–27) के लिए स्ट्रीमिंग और टीवी अधिकार लगभग 6 अरब डॉलर में बिकने का उल्लेख है जिसने यह साफ कर दिया कि आईपीएल अब सिर्फ क्रिकेट टूर्नामेंट नहीं, भारत का सबसे बड़ा लाइव कंटेंट प्लेटफॉर्म बन चुका है, जहां हर ओवर के साथ ब्रांड वैल्यू भी रन बनाती है।
आईपीएल का असर
आईपीएल की कामयाबी सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रही इसने क्रिकेट की पूरी “लीग-इकोनॉमी” का नक्शा बदल दिया। इसी असर का नतीजा था कि बीसीसीआई ने महिला क्रिकेट को भी उसी बड़े मंच पर लाने का फैसला किया और महिला प्रीमियर लीग (WPL) की शुरुआत की, जिसका पहला सीजन मार्च 2023 में खेला गया। आईपीएल मॉडल ने बाकी क्रिकेट देशों को भी संदेश दे दिया कि टी20 अब सिर्फ फॉर्मेट नहीं, एक इंडस्ट्री है यही वजह है कि दुनिया भर में घरेलू टी20 लीगों की प्रतिस्पर्धा तेज होती चली गई। अमेरिका की मेजर लीग क्रिकेट (MLC) भी इसी वैश्विक लहर का हिस्सा है, जहां कुछ टीमों में आईपीएल फ्रेंचाइज़ियों के मालिकों के निवेश की बात सामने आती है और कई जाने-पहचाने आईपीएल खिलाड़ी वहां मैदान में उतरते दिखते हैं। कुल मिलाकर, आईपीएल ने क्रिकेट को ‘लोकल टूर्नामेंट’ से उठाकर ‘ग्लोबल लीग कल्चर’ में बदल दिया जहां खेल, पैसा और ब्रांडिंग एक ही पिच पर साथ खेलते हैं।
विवादों से भी रहा है गहरा नाता
आईपीएल की कहानी जितनी रोशनी और रिकॉर्ड्स से भरी है, उतनी ही विवादों की परतें भी इसके साथ चलती रही हैं। लीग के शुरुआती वर्षों में ही 2010 के दौरान राजस्थान रॉयल्स और किंग्स XI पंजाब पर स्वामित्व/शेयरहोल्डिंग नियम तोड़ने के आरोप लगे, जिन्हें बाद में कानूनी लड़ाई के बाद 2011 से बहाल किया गया। उसी दौर में कोच्चि फ्रेंचाइज़ी को लेकर हितों के टकराव, कथित अनुचित लाभ और राजनीतिक खींचतान ने आईपीएल को सुर्खियों में ला दिया। फिर ललित मोदी पर वित्तीय अनियमितताओं और कदाचार के आरोपों की जांच हुई और उनके खिलाफ आजीवन प्रतिबंध तक की चर्चा सामने आई। 2013 में मैच से जुड़ी अनियमितताओं और सट्टेबाजी के आरोपों ने लीग की साख को बड़ा झटका दिया, जिसके बाद खिलाड़ियों और फ्रेंचाइज़ी अधिकारियों पर कड़े प्रतिबंध/निलंबन की कार्रवाइयां हुईं। 2015 में लोढ़ा समिति की सिफारिशों के बाद चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स का दो साल का निलंबन आईपीएल के इतिहास का सबसे कठोर कदम माना गया। आगे चलकर 2021 में कोविड मामलों के चलते टूर्नामेंट बीच में रोकना पड़ा और शेष मुकाबले यूएई में कराने पड़े। वहीं 2025 में भारत–पाक सीमा पर तनाव के बाद लीग का अस्थायी स्थगन और फिर दोबारा शुरू होकर सीजन पूरा होना बताता है कि आईपीएल सिर्फ खेल नहीं यह देश की परिस्थितियों, सुरक्षा और प्रशासनिक फैसलों से भी सीधे प्रभावित रहने वाली एक बड़ी इंडस्ट्री बन चुका है।
चैंपियंस की सूची
- 2008: राजस्थान रॉयल्स
- 2009: डेक्कन चार्जर्स
- 2010: चेन्नई सुपर किंग्स
- 2011: चेन्नई सुपर किंग्स
- 2012: कोलकाता नाइट राइडर्स
- 2013: मुंबई इंडियंस
- 2014: कोलकाता नाइट राइडर्स
- 2015: मुंबई इंडियंस
- 2016: सनराइजर्स हैदराबाद
- 2017: मुंबई इंडियंस
- 2018: चेन्नई सुपर किंग्स
- 2019: मुंबई इंडियंस
- 2020: मुंबई इंडियंस
- 2021: चेन्नई सुपर किंग्स
- 2022: गुजरात टाइटन्स
- 2023: चेन्नई सुपर किंग्स
- 2024: कोलकाता नाइट राइडर्स
- 2025: रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु History of IPL
History of IPL : आईपीएल (IPL) भारत की प्रोफेशनल टी20 लीग है, लेकिन 2008 में शुरू होते ही इसने क्रिकेट को सिर्फ “खेल” नहीं रहने दिया इसे एक हाई-वोल्टेज शो में बदल दिया। यहां हर गेंद के साथ कहानी बनती है, हर ओवर में दबाव का नया ट्विस्ट आता है और हर मैच स्टारडम, रणनीति और रिकॉर्ड्स की नई पटकथा लिखता है। बीसीसीआई के मंच से निकला यह टूर्नामेंट कुछ ही वर्षों में भारत का सबसे बड़ा “लाइव एंटरटेनमेंट फेस्टिवल” बन गया जहां स्टेडियम की चीखें, टीवी-स्क्रीन की धड़कनें और डिजिटल दुनिया की ट्रेंडिंग लहरें एक साथ दौड़ती हैं। IPL ने क्रिकेट को तेज, रोमांचक और दर्शक-केंद्रित बनाया; और उसी के साथ ब्रांड वैल्यू, ग्लोबल स्पॉन्सरशिप और खिलाड़ियों की मार्केट पावर को भी नई ऊंचाई दी। आज नई पीढ़ी के लिए आईपीएल सिर्फ चौके-छक्कों का खेल नहीं, एक पूरा अनुभव है जहां बल्ला-गेंद के साथ पैसा, पॉप कल्चर और परफॉर्मेंस भी बराबरी से मैदान में उतरते हैं।
2008: शुरुआत और उसी दिन से ‘बड़ी बोली’ का दौर
जनवरी 2008 में मुंबई में हुई पहली फ्रेंचाइज़ी नीलामी ने उसी दिन साफ कर दिया था कि आईपीएल सिर्फ क्रिकेट टूर्नामेंट नहीं, एक नया “बिज़नेस-तमाशा” बनने जा रहा है। मैदान के बाहर की इस बोली में कॉरपोरेट दिग्गज, बॉलीवुड के चमकते चेहरे और मीडिया समूह सब टीमों के मालिकाना हक के लिए आमने-सामने थे। नतीजा यह रहा कि नीलामी से कुल 723.59 मिलियन डॉलर जुटे, जो आठ फ्रेंचाइज़ियों के लिए तय किए गए 400 मिलियन डॉलर के सामूहिक बेस प्राइस से करीब दोगुना था। इस शुरुआती दौड़ में भी सबसे बड़ा दांव मुंबई फ्रेंचाइज़ी पर लगा जिसकी बोली 111.9 मिलियन डॉलर तक पहुंची। यही वो पल था, जब आईपीएल ने बता दिया कि यहां रन सिर्फ पिच पर नहीं, बोर्डरूम में भी बनेंगे।
शुरुआती 8 टीमें और नाम बदलने की कहानी
आईपीएल ने आठ संस्थापक फ्रेंचाइज़ियों के साथ उड़ान भरी मुंबई इंडियंस, चेन्नई सुपर किंग्स, रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (बाद में 2024 में “रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु”), डेक्कन चार्जर्स, दिल्ली डेयरडेविल्स (2019 से “दिल्ली कैपिटल्स”), किंग्स XI पंजाब (2021 से “पंजाब किंग्स”), कोलकाता नाइट राइडर्स और राजस्थान रॉयल्स। लीग की पहचान समय के साथ बदलती रही कहीं ब्रांडिंग बदली, कहीं टीम संरचना; और कहीं विवादों ने पूरी कहानी को मोड़ दिया।
विस्तार और उतार-चढ़ाव: कौन आया, कौन गया
आईपीएल की कहानी सिर्फ नई टीमों के जुड़ने तक सीमित नहीं रही—यह लीग कई बार विवादों, कॉन्ट्रैक्ट टूटने और वित्तीय खींचतान के बीच अपनी शक्ल बदलती रही। 2011 में पुणे वॉरियर्स इंडिया और कोच्चि टस्कर्स केरल की एंट्री ने विस्तार का संकेत दिया, लेकिन कोच्चि की टीम एक ही सीजन में “आकर-गायब” हो गई और अनुबंध खत्म होते ही बाहर हो गई। इसके बाद डेक्कन चार्जर्स का अध्याय 2012 में बंद हुआ और 2013 से सनराइजर्स हैदराबाद ने उसकी जगह लेकर नई पहचान बनाई, जबकि पुणे टीम भी आर्थिक विवादों के चलते 2013 में लीग से हट गई। 2015 में स्पॉट-फिक्सिंग और सट्टेबाजी प्रकरण ने आईपीएल को सबसे बड़ा झटका दिया चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स दो सीजन के लिए निलंबित हुए और 2016-17 में उनकी जगह राइजिंग पुणे सुपरजायंट व गुजरात लायंस को मैदान में उतारा गया। 2018 में जब सीएसके और राजस्थान की वापसी हुई तो ये दोनों अस्थायी फ्रेंचाइज़ियां इतिहास बन गईं। फिर 2022 में गुजरात टाइटन्स और लखनऊ सुपर जायंट्स की एंट्री के साथ आईपीएल दोबारा 10 टीमों की लीग बन गया और एक बार फिर साबित हुआ कि आईपीएल में बदलाव सिर्फ क्रिकेटिंग नहीं, कॉर्पोरेट और प्रशासनिक फैसलों से भी तय होते हैं।
अंक तालिका और प्लेऑफ की जंग
आईपीएल का लीग स्टेज असल में एक लंबी “पॉइंट्स की रेस” है, जहां हर टीम को 14 मुकाबलों में खुद को बार-बार साबित करना होता है। जीत पर 2 अंक मिलते हैं, टाई या नो-रिजल्ट की स्थिति में 1 अंक, जबकि हार सीधे शून्य पर ले जाती है। जब अंक बराबर हो जाएं तो असली जंग नेट रन रेट (NRR) पर आ टिकती है यही वह पैमाना है जो मामूली अंतर में भी प्लेऑफ की तस्वीर पलट देता है। ग्रुप चरण के बाद टॉप-4 टीमें प्लेऑफ में पहुंचती हैं, जहां फॉर्मेट टीमों को “दूसरा मौका” भी देता है और दबाव की परीक्षा भी लेता है। टॉप-2 टीमें क्वालिफायर-1 खेलती हैं जीतने वाली सीधे फाइनल में, और हारने वाली के पास एक और रास्ता बचा रहता है। वहीं तीसरी-चौथी टीम एलिमिनेटर में भिड़ती हैं, जहां हार का मतलब टूर्नामेंट से सीधा बाहर। एलिमिनेटर की विजेता क्वालिफायर-2 में क्वालिफायर-1 की हारी टीम से टकराती है और यहां से जो जीतता है, वही फाइनल का दूसरा दावेदार बनता है। कुल मिलाकर, आईपीएल का प्लेऑफ सिस्टम ऐसा है कि “टॉप पर रहने का फायदा” भी मिलता है और “एक गलती की कीमत” भी तुरंत चुकानी पड़ती है। पहला आईपीएल 44 दिनों तक चला और खिताब राजस्थान रॉयल्स ने जीता एक ऐसी फ्रेंचाइज़ी जिसे उस समय “छोटा बाजार” माना जाता था। कप्तानी शेन वॉर्न के हाथ में थी और वहीं से आईपीएल ने बता दिया कि यहां सिर्फ नाम नहीं, रणनीति और मंच का दबाव जीत तय करता है।
फ्रेंचाइज़ी की कीमत कैसे उछली
आईपीएल का सबसे बड़ा ‘गेम-चेंजर’ यही रहा कि उसने क्रिकेट को मैदान से निकालकर निवेश, ब्रांड और मीडिया इकोनॉमी के केंद्र में ला खड़ा किया। जहां 2009 के आसपास 8 टीमों के दौर में एक फ्रेंचाइज़ी की औसत कीमत करीब 67 मिलियन डॉलर बताई जाती थी, वहीं 2022 तक 10 टीमों के साथ यही औसत मूल्यांकन 1.04 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की चर्चा हुई यानी कुछ ही वर्षों में लीग ने वैल्यूएशन की परिभाषा ही बदल दी। इस उछाल के पीछे सबसे बड़ा इंजन रहा ‘मीडिया राइट्स’ का बूम। 2023 से शुरू होने वाले पांच वर्षीय चक्र (2023–27) के लिए स्ट्रीमिंग और टीवी अधिकार लगभग 6 अरब डॉलर में बिकने का उल्लेख है जिसने यह साफ कर दिया कि आईपीएल अब सिर्फ क्रिकेट टूर्नामेंट नहीं, भारत का सबसे बड़ा लाइव कंटेंट प्लेटफॉर्म बन चुका है, जहां हर ओवर के साथ ब्रांड वैल्यू भी रन बनाती है।
आईपीएल का असर
आईपीएल की कामयाबी सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रही इसने क्रिकेट की पूरी “लीग-इकोनॉमी” का नक्शा बदल दिया। इसी असर का नतीजा था कि बीसीसीआई ने महिला क्रिकेट को भी उसी बड़े मंच पर लाने का फैसला किया और महिला प्रीमियर लीग (WPL) की शुरुआत की, जिसका पहला सीजन मार्च 2023 में खेला गया। आईपीएल मॉडल ने बाकी क्रिकेट देशों को भी संदेश दे दिया कि टी20 अब सिर्फ फॉर्मेट नहीं, एक इंडस्ट्री है यही वजह है कि दुनिया भर में घरेलू टी20 लीगों की प्रतिस्पर्धा तेज होती चली गई। अमेरिका की मेजर लीग क्रिकेट (MLC) भी इसी वैश्विक लहर का हिस्सा है, जहां कुछ टीमों में आईपीएल फ्रेंचाइज़ियों के मालिकों के निवेश की बात सामने आती है और कई जाने-पहचाने आईपीएल खिलाड़ी वहां मैदान में उतरते दिखते हैं। कुल मिलाकर, आईपीएल ने क्रिकेट को ‘लोकल टूर्नामेंट’ से उठाकर ‘ग्लोबल लीग कल्चर’ में बदल दिया जहां खेल, पैसा और ब्रांडिंग एक ही पिच पर साथ खेलते हैं।
विवादों से भी रहा है गहरा नाता
आईपीएल की कहानी जितनी रोशनी और रिकॉर्ड्स से भरी है, उतनी ही विवादों की परतें भी इसके साथ चलती रही हैं। लीग के शुरुआती वर्षों में ही 2010 के दौरान राजस्थान रॉयल्स और किंग्स XI पंजाब पर स्वामित्व/शेयरहोल्डिंग नियम तोड़ने के आरोप लगे, जिन्हें बाद में कानूनी लड़ाई के बाद 2011 से बहाल किया गया। उसी दौर में कोच्चि फ्रेंचाइज़ी को लेकर हितों के टकराव, कथित अनुचित लाभ और राजनीतिक खींचतान ने आईपीएल को सुर्खियों में ला दिया। फिर ललित मोदी पर वित्तीय अनियमितताओं और कदाचार के आरोपों की जांच हुई और उनके खिलाफ आजीवन प्रतिबंध तक की चर्चा सामने आई। 2013 में मैच से जुड़ी अनियमितताओं और सट्टेबाजी के आरोपों ने लीग की साख को बड़ा झटका दिया, जिसके बाद खिलाड़ियों और फ्रेंचाइज़ी अधिकारियों पर कड़े प्रतिबंध/निलंबन की कार्रवाइयां हुईं। 2015 में लोढ़ा समिति की सिफारिशों के बाद चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स का दो साल का निलंबन आईपीएल के इतिहास का सबसे कठोर कदम माना गया। आगे चलकर 2021 में कोविड मामलों के चलते टूर्नामेंट बीच में रोकना पड़ा और शेष मुकाबले यूएई में कराने पड़े। वहीं 2025 में भारत–पाक सीमा पर तनाव के बाद लीग का अस्थायी स्थगन और फिर दोबारा शुरू होकर सीजन पूरा होना बताता है कि आईपीएल सिर्फ खेल नहीं यह देश की परिस्थितियों, सुरक्षा और प्रशासनिक फैसलों से भी सीधे प्रभावित रहने वाली एक बड़ी इंडस्ट्री बन चुका है।
चैंपियंस की सूची
- 2008: राजस्थान रॉयल्स
- 2009: डेक्कन चार्जर्स
- 2010: चेन्नई सुपर किंग्स
- 2011: चेन्नई सुपर किंग्स
- 2012: कोलकाता नाइट राइडर्स
- 2013: मुंबई इंडियंस
- 2014: कोलकाता नाइट राइडर्स
- 2015: मुंबई इंडियंस
- 2016: सनराइजर्स हैदराबाद
- 2017: मुंबई इंडियंस
- 2018: चेन्नई सुपर किंग्स
- 2019: मुंबई इंडियंस
- 2020: मुंबई इंडियंस
- 2021: चेन्नई सुपर किंग्स
- 2022: गुजरात टाइटन्स
- 2023: चेन्नई सुपर किंग्स
- 2024: कोलकाता नाइट राइडर्स
- 2025: रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु History of IPL












