फीफा की ‘प्राइसिंग’ ने बढ़ाई चिंता, टिकटों पर फैन ग्रुप का अल्टीमेटम
समर्थक संगठनों का कहना है कि यह व्यवस्था यात्रा करके टीम के पीछे जाने वाले फैंस की भूमिका को कमजोर करती है जबकि विश्व कप का असली रंग और माहौल वही बनाते हैं।

FIFA World Cup 2026 : फीफा वर्ल्ड कप 2026 की उलटी गिनती शुरू होने से पहले ही टिकटों की कीमतों ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। यूरोप के बड़े समर्थक संगठन फुटबॉल सपोर्टर्स यूरोप (FSE) ने फीफा पर आरोप लगाया है कि उसने टिकटों के दाम असामान्य रूप से बढ़ाकर आम प्रशंसकों को टूर्नामेंट से दूर करने जैसा कदम उठाया है। संगठन का कहना है कि यह सिर्फ महंगा आयोजन नहीं, बल्कि विश्व कप की परंपरा और ‘फैन कल्चर’ के साथ खुला समझौता है। FSE के मुताबिक, राष्ट्रीय संघों के जरिए मिलने वाले (PMA/सपोर्टर अलॉटमेंट) टिकटों की कीमतें इतनी ऊपर चली गई हैं कि मैच देखने का सपना अब केवल चुनिंदा अमीर दर्शकों तक सीमित होता दिख रहा है। यही वजह है कि संगठन ने ज्यूरिख स्थित फीफा से मांग की है कि टूर्नामेंट शुरू होने में सात महीने से भी कम समय बचा है, इसलिए राष्ट्रीय टीमों से जुड़े टिकटों की बिक्री तत्काल रोकी जाए और कीमतों पर पुनर्विचार किया जाए।
‘लॉयल सपोर्टर्स’ नजरअंदाज ‘डायनामिक प्राइसिंग’ पर सवाल
प्रशंसक समूहों का आरोप है कि फीफा डायनामिक प्राइसिंग (मांग के हिसाब से कीमत बदलने की नीति) के जरिए मैचों को “आकर्षण क्षमता” के आधार पर अलग-अलग दामों में बेच रहा है। इससे एक ही स्टेज, एक ही श्रेणी के टिकट के लिए अलग-अलग देशों के प्रशंसकों को अलग रकम चुकानी पड़ सकती है। समर्थक संगठनों का कहना है कि यह व्यवस्था यात्रा करके टीम के पीछे जाने वाले फैंस की भूमिका को कमजोर करती है जबकि विश्व कप का असली रंग और माहौल वही बनाते हैं।
पहले मैच से फाइनल तक टीम को फॉलो करने की ‘भारी कीमत’
राष्ट्रीय संघों के बीच साझा की गई मूल्य तालिकाओं का हवाला देते हुए बताया गया है कि PMA मार्ग से किसी समर्थक को अपनी टीम को ग्रुप मैच से लेकर फाइनल तक फॉलो करने के लिए कम से कम 6,900 डॉलर खर्च करने पड़ सकते हैं जो पिछली बार की तुलना में कई गुना ज्यादा बताया जा रहा है। विरोध की सबसे बड़ी वजह यही है कि इतने खर्च में सामान्य नौकरीपेशा, छात्र और मिडिल क्लास फैन के लिए विश्व कप लगभग “आउट ऑफ रीच” होता जा रहा है। FSE के कार्यकारी निदेशक रोनन इवान ने कीमतों को “चौंकाने वाला” बताते हुए कहा कि टूर्नामेंट से अधिकतम कमाई की कोशिश में फीफा विश्व कप के मूल स्वरूप को खतरे में डाल रहा है। उनका तर्क है—स्टेडियम में जोश, रंग, माहौल और शोर चाहिए; लेकिन जब फैन ही बाहर हो जाएं, तो उत्सव कैसे बनेगा?
इंग्लैंड के टिकट सबसे महंगे? ‘शर्मनाक’ बताकर विरोध
इंग्लैंड और वेल्स के प्रशंसकों की प्रतिनिधि संस्था फुटबॉल सपोर्टर्स एसोसिएशन (FSA) ने दावा किया है कि इंग्लैंड के लिए PMA टिकटों की कीमतें सबसे अधिक हैं। संस्था ने इसे “शर्मनाक” बताते हुए कहा कि अगर कोई समर्थक टीम को शुरुआत से फाइनल तक फॉलो करे, तो खर्च 7,020 डॉलर तक पहुंच सकता है।
FSA ने FSE की मांग का समर्थन करते हुए फुटबॉल संघों से अपील की है कि वे मिलकर इन कीमतों को सीधे चुनौती दें।
छोटे देशों के फैंस पर सबसे बड़ा असर
विवाद का दूसरा बड़ा पहलू यह है कि कुछ देशों में टिकटों की कीमतें औसत मासिक वेतन से भी ज्यादा बताई जा रही हैं। 2026 में टीमों की संख्या 32 से बढ़कर 48 होने से कई छोटे फुटबॉल देशों को पहली बार मंच मिला है, लेकिन समर्थक संगठनों के अनुसार, टिकटों के दामों ने उनके प्रशंसकों का उत्साह तोड़ दिया है।
उदाहरण के तौर पर, हैती जैसे देश के एक मैच का सबसे सस्ता टिकट 180 डॉलर बताया गया है, जबकि वहां औसत मासिक आय करीब 147 डॉलर के आसपास बताई गई। घाना के संदर्भ में भी ऐसी ही चिंता जताई गई है। समर्थकों का कहना है कि लोग सालों से पैसे जोड़ते हैं ताकि पहली बार विश्व कप का अनुभव ले सकें, लेकिन अब कई लोग आने का इरादा ही छोड़ सकते हैं। FIFA World Cup 2026
FIFA World Cup 2026 : फीफा वर्ल्ड कप 2026 की उलटी गिनती शुरू होने से पहले ही टिकटों की कीमतों ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। यूरोप के बड़े समर्थक संगठन फुटबॉल सपोर्टर्स यूरोप (FSE) ने फीफा पर आरोप लगाया है कि उसने टिकटों के दाम असामान्य रूप से बढ़ाकर आम प्रशंसकों को टूर्नामेंट से दूर करने जैसा कदम उठाया है। संगठन का कहना है कि यह सिर्फ महंगा आयोजन नहीं, बल्कि विश्व कप की परंपरा और ‘फैन कल्चर’ के साथ खुला समझौता है। FSE के मुताबिक, राष्ट्रीय संघों के जरिए मिलने वाले (PMA/सपोर्टर अलॉटमेंट) टिकटों की कीमतें इतनी ऊपर चली गई हैं कि मैच देखने का सपना अब केवल चुनिंदा अमीर दर्शकों तक सीमित होता दिख रहा है। यही वजह है कि संगठन ने ज्यूरिख स्थित फीफा से मांग की है कि टूर्नामेंट शुरू होने में सात महीने से भी कम समय बचा है, इसलिए राष्ट्रीय टीमों से जुड़े टिकटों की बिक्री तत्काल रोकी जाए और कीमतों पर पुनर्विचार किया जाए।
‘लॉयल सपोर्टर्स’ नजरअंदाज ‘डायनामिक प्राइसिंग’ पर सवाल
प्रशंसक समूहों का आरोप है कि फीफा डायनामिक प्राइसिंग (मांग के हिसाब से कीमत बदलने की नीति) के जरिए मैचों को “आकर्षण क्षमता” के आधार पर अलग-अलग दामों में बेच रहा है। इससे एक ही स्टेज, एक ही श्रेणी के टिकट के लिए अलग-अलग देशों के प्रशंसकों को अलग रकम चुकानी पड़ सकती है। समर्थक संगठनों का कहना है कि यह व्यवस्था यात्रा करके टीम के पीछे जाने वाले फैंस की भूमिका को कमजोर करती है जबकि विश्व कप का असली रंग और माहौल वही बनाते हैं।
पहले मैच से फाइनल तक टीम को फॉलो करने की ‘भारी कीमत’
राष्ट्रीय संघों के बीच साझा की गई मूल्य तालिकाओं का हवाला देते हुए बताया गया है कि PMA मार्ग से किसी समर्थक को अपनी टीम को ग्रुप मैच से लेकर फाइनल तक फॉलो करने के लिए कम से कम 6,900 डॉलर खर्च करने पड़ सकते हैं जो पिछली बार की तुलना में कई गुना ज्यादा बताया जा रहा है। विरोध की सबसे बड़ी वजह यही है कि इतने खर्च में सामान्य नौकरीपेशा, छात्र और मिडिल क्लास फैन के लिए विश्व कप लगभग “आउट ऑफ रीच” होता जा रहा है। FSE के कार्यकारी निदेशक रोनन इवान ने कीमतों को “चौंकाने वाला” बताते हुए कहा कि टूर्नामेंट से अधिकतम कमाई की कोशिश में फीफा विश्व कप के मूल स्वरूप को खतरे में डाल रहा है। उनका तर्क है—स्टेडियम में जोश, रंग, माहौल और शोर चाहिए; लेकिन जब फैन ही बाहर हो जाएं, तो उत्सव कैसे बनेगा?
इंग्लैंड के टिकट सबसे महंगे? ‘शर्मनाक’ बताकर विरोध
इंग्लैंड और वेल्स के प्रशंसकों की प्रतिनिधि संस्था फुटबॉल सपोर्टर्स एसोसिएशन (FSA) ने दावा किया है कि इंग्लैंड के लिए PMA टिकटों की कीमतें सबसे अधिक हैं। संस्था ने इसे “शर्मनाक” बताते हुए कहा कि अगर कोई समर्थक टीम को शुरुआत से फाइनल तक फॉलो करे, तो खर्च 7,020 डॉलर तक पहुंच सकता है।
FSA ने FSE की मांग का समर्थन करते हुए फुटबॉल संघों से अपील की है कि वे मिलकर इन कीमतों को सीधे चुनौती दें।
छोटे देशों के फैंस पर सबसे बड़ा असर
विवाद का दूसरा बड़ा पहलू यह है कि कुछ देशों में टिकटों की कीमतें औसत मासिक वेतन से भी ज्यादा बताई जा रही हैं। 2026 में टीमों की संख्या 32 से बढ़कर 48 होने से कई छोटे फुटबॉल देशों को पहली बार मंच मिला है, लेकिन समर्थक संगठनों के अनुसार, टिकटों के दामों ने उनके प्रशंसकों का उत्साह तोड़ दिया है।
उदाहरण के तौर पर, हैती जैसे देश के एक मैच का सबसे सस्ता टिकट 180 डॉलर बताया गया है, जबकि वहां औसत मासिक आय करीब 147 डॉलर के आसपास बताई गई। घाना के संदर्भ में भी ऐसी ही चिंता जताई गई है। समर्थकों का कहना है कि लोग सालों से पैसे जोड़ते हैं ताकि पहली बार विश्व कप का अनुभव ले सकें, लेकिन अब कई लोग आने का इरादा ही छोड़ सकते हैं। FIFA World Cup 2026












