2026 वर्ल्ड कप से पहले आ रहा ‘FIFA’ फुटबॉल गेम, जानिए क्या-क्या होगा खास

माना जा रहा है कि यह टाइटल FIFA World Cup 2026 के शुरू होने से पहले रिलीज कर दिया जाएगा—यानी वर्ल्ड कप से पहले फैंस को स्क्रीन पर अपनी “ड्रीम टीम” उतारने और मैच का मज़ा लेने का मौका मिल सकता है।

World Cup 2026 से पहले Netflix ला रहा FIFA गेम
World Cup 2026 से पहले Netflix ला रहा FIFA गेम
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar18 Dec 2025 02:43 PM
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FIFA World Cup 2026 : फीफा वर्ल्ड कप 2026 से पहले फुटबॉल फैंस के लिए एक दमदार अपडेट सामने आया है। फुटबॉल से जुडी यह जानकारी हर हर फुटबॉल प्रेमी को जानना चाहिए।  फुटबॉल प्रेमियों के लिए नेटफ्लिक्स जल्द ही मैच-डे जैसा नया डिजिटल रोमांच लाने जा रहा है। कंपनी ने FIFA के साथ साझेदारी का ऐलान किया है, जिसके तहत एक नया फुटबॉल सिमुलेशन गेम तैयार किया जा रहा है। यह गेम Netflix Games के जरिए ही खेला जा सकेगा और अच्छी बात यह है कि नेटफ्लिक्स सब्सक्राइबर्स को इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा। माना जा रहा है कि यह टाइटल FIFA World Cup 2026 के शुरू होने से पहले रिलीज कर दिया जाएगा—यानी वर्ल्ड कप से पहले फैंस को स्क्रीन पर अपनी “ड्रीम टीम” उतारने और मैच का मज़ा लेने का मौका मिल सकता है।

नेटफ्लिक्स-फीफा गेम: किसने बनाया, कहां मिलेगा?

नेटफ्लिक्स के मुताबिक, इस फुटबॉल गेम का डेवलपमेंट और पब्लिशिंग Delphi Interactive कर रही है। कंपनी इसे “फुटबॉल सिमुलेशन का नया रूप” बताती है यानी ऐसा गेम जो सीखने में आसान हो, लेकिन कम्पटीटिव प्ले और लंबे समय तक खेलने लायक गहराई (depth) भी बनाए रखे। यह गेम सिर्फ Netflix Games प्लेटफॉर्म पर आएगा और इसे खेलने के लिए एक्टिव नेटफ्लिक्स सब्सक्रिप्शन जरूरी होगा।

टीवी और फोन दोनों पर खेल सकेंगे

यह गेम मोबाइल डिवाइस पर तो चलेगा ही, लेकिन नेटफ्लिक्स ने यह भी साफ किया है कि इसे टीवी पर भी खेला जा सकेगा। टीवी पर खेलने के दौरान यूजर का फोन कंट्रोलर की तरह काम करेगा। हालांकि शुरुआत में यह फीचर कुछ चुनिंदा देशों और कुछ टीवी मॉडलों तक सीमित रहेगा, बाद में इसे धीरे-धीरे अन्य देशों में भी रोलआउट किया जाएगा। नेटफ्लिक्स ने पुष्टि की है कि गेम को अकेले (Solo) भी खेला जा सकेगा और दोस्तों के साथ ऑनलाइन मोड में भी। यानी यह सिर्फ “कैजुअल टाइमपास” नहीं, बल्कि सोशल और प्रतिस्पर्धी गेमिंग का भी फॉर्मेट तैयार किया जा रहा है।

रिलीज डेट और टाइटल अभी सस्पेंस

फिलहाल नेटफ्लिक्स ने इस प्रोजेक्ट की ऑफिशियल रिलीज डेट या गेम का नाम सार्वजनिक नहीं किया है। लेकिन इतना जरूर स्पष्ट किया गया है कि इसे 2026 वर्ल्ड कप (जो अगले साल जून में शुरू होना है) से पहले लॉन्च किया जाएगा।

क्या गेम का नाम ‘FIFA’ ही होगा?

गेम के नाम को लेकर कंपनी ने कोई अंतिम पुष्टि नहीं की है, लेकिन संकेत यही हैं कि इसमें FIFA ब्रांडिंग/लोगो देखने को मिल सकता है। खास बात यह है कि FIFA और EA Sports की लंबे समय चली साझेदारी खत्म होने के बाद, गेमिंग दुनिया में ‘FIFA’ नाम की यह बड़ी वापसी मानी जा रही है। आपको याद दिला देंEA Sports ने करीब 30 साल पुराने लाइसेंसिंग रिश्ते के बाद अपनी फुटबॉल सीरीज को EA Sports FC नाम दे दिया था (FC 24 से शुरुआत)। लीग, टीमें और खिलाड़ी तो largely बने रहे, लेकिन मुख्यधारा के फुटबॉल गेम्स से ‘FIFA’ नाम हट गया था। FIFA World Cup 2026

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करोड़ो की बोली, फिर भी पूरा पैसा नहीं! IPL कॉन्ट्रैक्ट का अंदरूनी हिसाब समझिए

खासकर विदेशी खिलाड़ियों के मामले में BCCI की ‘कैपिंग’ और फिर टैक्स कटौती दोनों मिलकर उस रकम को काफी घटा देते हैं। यही वजह है कि 25 करोड़ में बिकने वाला खिलाड़ी भी अंत में पूरे 25 करोड़ घर नहीं ले जाता।

IPL की कमाई का गणित समझिए
IPL की कमाई का गणित समझिए
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar17 Dec 2025 02:21 PM
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IPL 2026 : टीवी स्क्रीन पर जब किसी खिलाड़ी के नाम के आगे 20–25 करोड़ की बोली चमकती है, तो लगता है मानो उसकी ज़िंदगी रातों-रात बदल गई। लेकिन आईपीएल की नीलामी का यह आंकड़ा ‘इन-हैंड’ कमाई नहीं होता। खासकर विदेशी खिलाड़ियों के मामले में BCCI की ‘कैपिंग’ और फिर टैक्स कटौती दोनों मिलकर उस रकम को काफी घटा देते हैं। यही वजह है कि 25 करोड़ में बिकने वाला खिलाड़ी भी अंत में पूरे 25 करोड़ घर नहीं ले जाता।

1) ‘कैपिंग’ का नियम

आईपीएल के नियमों में विदेशी खिलाड़ियों की फीस को लेकर एक अहम शर्त होती है कैपिंग (Capping)। इसके तहत अगर कोई विदेशी खिलाड़ी नीलामी में 20, 22 या 25 करोड़ में भी बिक जाए, तो उसकी वास्तविक फीस एक तय सीमा तक ही मानी जाती है। यानी बोली जितनी भी बड़ी हो, खिलाड़ी को अधिकतम कैपिंग राशि तक ही भुगतान मिलता है और नीलामी रकम व कैपिंग रकम के बीच का अंतर आमतौर पर BCCI के वेलफेयर/कल्याण फंड में चला जाता है। यह नियम मुख्य रूप से विदेशी खिलाड़ियों पर लागू माना जाता है, जबकि भारतीय खिलाड़ियों के मामले में यह बाध्यता नहीं दिखती।

2) ग्रॉस सैलरी से कटकर बनती है इन-हैंड

कैपिंग की सीमा पार होते ही खिलाड़ियों की कमाई पर दूसरा बड़ा “कट” लगता है टैक्स का। टीवी स्क्रीन पर जो रकम चमकती है, वह ग्रॉस सैलरी होती है; खिलाड़ी के खाते में उतनी रकम कभी नहीं आती। विदेशी खिलाड़ियों की फीस पर आमतौर पर TDS की दर ऊंची रहती है, जबकि भारतीय खिलाड़ियों के मामले में भी TDS कटता है बस उनकी टैक्स स्लैब और भुगतान संरचना के हिसाब से दरें बदलती रहती हैं। नतीजा साफ है: नीलामी में करोड़ों की बोली जितनी भारी दिखती है, बैंक स्टेटमेंट तक पहुंचते-पहुंचते वही रकम काट-छांटकर काफी हल्की हो जाती है।

3) मैनेजर-पीआर की फीस

टैक्स कटने के बाद भी खिलाड़ी की जेब “पूरी” नहीं भरती । मिलने वाली रकम में से अक्सर मैनेजर/एजेंट का कमीशन, पीआर एजेंसी की फीस, और ट्रेनर–फिजियो–सपोर्ट स्टाफ का खर्च अलग से जाता है। यानी नीलामी के बाद जो पैसा नेट दिखता है, वह भी कई बार अंतिम रकम नहीं होती। मैदान पर फिटनेस, ब्रांड वैल्यू और प्रोफेशनल टीम बनाए रखने की कीमत खिलाड़ी को खुद चुकानी पड़ती है और यही वजह है कि करोड़ों की डील के बावजूद “हाथ में आया पैसा” अक्सर लोगों की कल्पना से काफी कम रह जाता है।

4) किश्तों में मिलता है भुगतान

आईपीएल में खिलाड़ियों की कमाई “मैच फीस” नहीं, बल्कि कॉन्ट्रैक्ट सैलरी होती है और इसका भुगतान भी अक्सर एकमुश्त नहीं होता। फ्रेंचाइजी आमतौर पर रकम को टूर्नामेंट से पहले और सीजन के दौरान किस्तों में जारी करती है। खिलाड़ी फिट और उपलब्ध है तो वह प्लेइंग-11 में उतरे या बेंच पर बैठे, कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक सैलरी चलती रहती है। लेकिन कहानी तब बदलती है जब खिलाड़ी चोटिल हो जाए या बीच सीजन टीम से बाहर हो जाए ऐसे मामलों में भुगतान कई बार एग्रीमेंट की शर्तों, मेडिकल रिपोर्ट और उपलब्धता के आधार पर तय होता है। यानी नीलामी का आंकड़ा जितना सीधा दिखता है, भुगतान की वास्तविक तस्वीर उतनी ही “कॉन्ट्रैक्ट-ड्रिवन” और शर्तों से बंधी रहती है।

5) भुगतान अब रुपये में होता है डॉलर में नहीं

आईपीएल में फीस को लेकर एक बड़ी गलतफहमी भी रहती है, कई लोग मान लेते हैं कि विदेशी खिलाड़ियों को भुगतान डॉलर में होता होगा। जबकि हकीकत यह है कि अब खिलाड़ियों की कॉन्ट्रैक्ट फीस का भुगतान भारतीय रुपये (INR) में ही किया जाता है। यानी नीलामी में फ्रेंचाइजी ने जितनी बोली लगाई, उसी रकम का भुगतान रुपये में होता है डॉलर में नहीं। इससे यह साफ हो जाता है कि खिलाड़ी की कमाई का “फाइनल हिसाब” भी भारतीय मुद्रा के हिसाब से ही तय होता है, और बाकी कटौतियां/शर्तें उसी ढांचे में लागू होती हैं। IPL 2026

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मेसी के पैर की कीमत से दुनिया हैरान, रकम इतनी कि एक छोटा देश चल जाए!

मगर इस चमक-धमक के बीच एक और बात ने लोगों को हैरान कर दिया: मेसी के बाएं पैर के इंश्योरेंस की चर्चा, जिसकी कीमत सुनकर अच्छे-अच्छों के होश उड़ सकते हैं। वहीं भारतीय क्रिकेट की जर्सी भेंट कर भारत में खेल संस्कृति और सम्मान का संदेश भी दिया गया।

लियोनेल मेसी
लियोनेल मेसी
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar17 Dec 2025 12:36 PM
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Messi leg insurance : फुटबॉल की दुनिया के सबसे बड़े सितारों में शुमार लियोनेल मेसी का भारत दौरा किसी उत्सव से कम नहीं रहा। नई दिल्ली, कोलकाता और हैदराबाद तीन शहरों में तीन दिन तक फैंस का जोश चरम पर दिखा। हर जगह वही एक सवाल गूंजता रहा “मेसी को करीब से देखने का मौका कब मिलेगा?” मगर इस चमक-धमक के बीच एक और बात ने लोगों को हैरान कर दिया: मेसी के बाएं पैर के इंश्योरेंस की चर्चा, जिसकी कीमत सुनकर अच्छे-अच्छों के होश उड़ सकते हैं।

क्रिकेट और फुटबॉल का ‘वर्ल्ड-क्लास’ मिलन

दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम में मेसी के सम्मान समारोह ने इस दौरे को खास बना दिया। स्टेडियम में क्रिकेट और फुटबॉल के फैंस एक साथ नजर आए—मानो खेलों की सीमाएं कुछ देर के लिए मिट गई हों। इस मौके पर मेसी को भारतीय क्रिकेट से जुड़ी यादगार भेंट भी दी गई। बताया गया कि 2024 टी-20 वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय टीम के ऑटोग्राफ वाला बैट उन्हें उपहार में दिया गया। वहीं भारतीय क्रिकेट की जर्सी भेंट कर भारत में खेल संस्कृति और सम्मान का संदेश भी दिया गया।

74 अरब रुपये का ‘जादुई पैर’!

रिपोर्ट्स के मुताबिक, मेसी के बाएं पैर का बीमा करीब 900 मिलियन डॉलर बताया जाता है। भारतीय मुद्रा में देखें तो यह रकम लगभग 74 अरब रुपये के आसपास बैठती है। यह संख्या सिर्फ बड़ी नहीं कल्पना से भी बाहर है। यही बायां पैर मेसी की पहचान है, वही ‘टच’ और वही ‘फिनिशिंग’ जिसने उन्हें फुटबॉल का आइकन बनाया। इसी वजह से उसकी सुरक्षा को लेकर भी कोई समझौता नहीं किया जाता।

फिर मेसी मैदान में क्यों नहीं उतरे?

कई फैंस यह भी पूछते रहे कि जब मेसी भारत आए तो उन्होंने कोई दोस्ताना या प्रदर्शनी मैच क्यों नहीं खेला। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण वही इंश्योरेंस और रिस्क मैनेजमेंट माना जाता है। अक्सर सुपरस्टार खिलाड़ी आधिकारिक मैचों के अलावा अनौपचारिक मुकाबलों में खेलने से बचते हैं, क्योंकि प्रदर्शनी मैच के दौरान चोट लगने पर बीमा शर्तें जटिल हो सकती हैं और नुकसान करोड़ों-अरबों तक पहुंच सकता है। यही वजह है कि ऐसे दौरों में खिलाड़ी आमतौर पर समारोह, मुलाकात और फैन-एंगेजमेंट तक सीमित रहते हैं, मैदान पर “जोखिम वाली किक” नहीं लगाते। मेसी का यह दौरा भारतीय खेलप्रेमियों के लिए यादगार बन गया जहां एक तरफ उनकी मौजूदगी ने माहौल को ‘स्टारडम’ से भर दिया, वहीं दूसरी तरफ उनके लेफ्ट फुट की बीमा रकम ने नई बहस छेड़ दी। कुल मिलाकर, मेसी की यात्रा ने एक बार फिर साबित किया: कुछ खिलाड़ी मैदान में नहीं, इतिहास में खेलते हैं और उनकी कीमत सिर्फ ट्रॉफियों से नहीं, उनके टैलेंट की “वैल्यू” से भी नापी जाती है। Messi leg insurance

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