शॉर्ट टर्म मैमोरी लॉस

R.P.Raghuvanshi
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calendar28 Nov 2025 02:12 PM
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आर.पी. रघुवंशी संपादक चेतना मंच

बेशक मुल्क में चुनाव कराना एक महंगी प्रक्रिया है और इसका बोझ जनता पर ही पड़ता है मगर पता नहीं क्यों चुनाव अब अच्छे लगने लगे हैं। हालांकि मैं बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक काशी राम की तरह यह नहीं कह रहा कि चुनाव पांच साल में नहीं वरन और जल्दी जल्दी होने चाहिए । राम मनोहर लोहिया की तरह कोई भारी भरकम नारा भी नहीं उछालना चाहता कि जिंदा कौमें पांच साल तक इंतजार नहीं करतीं मगर फिर भी दिल करता है कि देश में माहौल तो हमेशा चुनावी ही रहना चाहिए । अब देखिए न बड़े बड़े लोग गली गली घूम रहे हैं। जिन्होंने कभी महंगी कारों से नीचे कदम नहीं रखा था , वे भी घर घर जाकर हाथ जोड़ रहे हैं । जिस आम आदमी की कीमत दो कौड़ी की नहीं कभी मानी गई , वही अब सबका माई बाप बन गया है । महंगाई जैसे थम गई है । सरकारी वसूली क्या होती है , यह लोग भूल गए हैं। जब तक बेहद जरूरी न हो पुलिस बदमाशों को गिरफ्तार नहीं कर रही । जो भी रियायत दी जा सकती है वह दी ही नहीं जा रही बल्कि बरसाई जा रही है । सभी दलों ने जो वादे किए हैं , उनमें से आधे भी पूरे हो गए तो पब्लिक की बल्ले बल्ले ही हो जायेगी । अखबार बता रहे हैं कि दुनिया में कच्चे तेल के दाम आसमान छू रहे हैं मगर हमारे देश में तो लोग बाग भूल ही गए हैं कि हमारे यहां पेट्रोल डीजल के दाम बाजार के हिसाब से कभी रोज बढ़ते थे। शायद ही कोई ऐसा दिन होता था जब दाम न बढ़ें । हां जिस दिन दाम न बढ़ें तो उस दिन हैरानी अवश्य होती थी। रसोई गैस का भी यही हाल था मगर आजकल पूरा राम राज है । सरकारी कृपा ऐसी बरस रही है कि बिजली के दाम भी चुनावी बेला में कम हो गए हैं । यही नहीं कुछ ऐसे आदेश भी ऊपर से आए हुए हैं कि बिजली का बिल जमा न करवाने वालों की बत्ती भी नहीं कट रही। साल भर सर्दी गर्मी बरसात झेल कर किसान जो कृषि कानून  वापिस नहीं करवा सके , चुनावों ने एक झटके में करवा दिए। सरकारी कंपनियों की बिक्री भी जैसे सरकार भूल गई है। छोटे मोटे मामलों में पुलिस जेल न भेज कर मुलजिमों को थाने से ही जमानत दे रही है । वारंट तो खैर तामील ही नहीं हो रहे। अमीन मस्ती काट रहे हैं और विभिन्न करों की वसूली में भी पूरी ढील बरती जा रही है । परेशानी का सबब बने डिजिटल स्टांप बंद कर दिए गए हैं और लाखों स्टांप वेंडर के घर फिर से चूल्हा जल रहा है । एडीएम एफ के दफ्तरों में स्टांप अदालतें लग रही हैं और कम स्टांप लगाने के वाद आनन फानन निपटाए जा रहे हैं। ठेली पटरी वालों को ठीए अलॉट किए जा रहे हैं। अभी तो यह शुरुआत भर है। परिणाम आने दीजिए, पूरी कृपा बरसेगी। सरकार किसी की भी आए, झोली तो पब्लिक की ही भरेगी। मुझे मालूम है कि अब आप हमारे राजनीतिक दलों और उनके नेताओं को मन ही मन कोस रहे होंगे मगर मेरी पूछें तो मैं अपने इन नेताओं के ही साथ हूं । दरअसल हमारे नेता बहुत विद्वान हैं । मनोविज्ञान और हमारे समाज की सोच समझ पर भी उनकी गहरी पकड़ है । उन्हें पता है कि पब्लिक गजनी फिल्म के आमिर खान जैसी शॉर्ट टर्म मैमोरी लॉस की शिकार है। पुरानी बात वह बहुत जल्दी भूल जाती है  और सिर्फ ताजा बात ही याद रखती है । जाहिर है कि वोट भी वो ताज़ा बात पर करेगी। हर चुनाव में ऐसा ही होता है । अब आप ही हिसाब लगाइए कि पैट्रोल, डीजल और गैस के बढ़े दाम ताज़ा मुद्दा हैं क्या? धरना रत सात सौ किसानों की मौत की बात कोई आज की है क्या? किस सरकार के कार्यकाल में महंगाई और बेरोजगारी नहीं रही? आज की बात होनी चाहिए। हमारे नेता भी तो यही कह रहे हैं कि बीती ताहि बिसार दे, आगे की सुध ले । उनका कसूर भी क्या है , शॉर्ट टर्म मैमोरी लॉस वालों से ऐसी उम्मीद नहीं की जानी चाहिए क्या?
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Budget 2022: आम बजट में टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं

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calendar29 Nov 2025 04:32 AM
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New Delhi : नई दिल्ली (एजेंसी)। कोरोना (Corona )महामारी की चुनौती के बीच केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आम बजट पेश किया। वर्ष-2019 में वित्त मंत्री का पद संभालने के बाद से यह सीतारमण द्वारा पेश किया जाने वाला चौथा बजट है। बजट पेश करने से पहले वह वित्त मंत्रालय पहुंचीं इसके बाद उन्होंने राष्ट्रपति से मुलाकात की। वित्तमंत्री ने बजट में डिजिटल युग को बढ़ावा देेने के लिए कई घोषणाएं की हैं। वहीं आम करदाता को टैक्स स्लैब में कोई राहत नहीं दी गयी है। इसके साथ ही टैक्स सुधार की योजनाओं के अलावा सरकारी कर्र्मचारियों की पेंशन में टैक्स में राहत देने का प्रस्ताव रखा गया है। वित्त मंत्री ने घोषणा की कि जल्द ही 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी की जाएगी। भारत में जल्द जारी होगा डिजिटल रुपया, क्रिप्टो करेंसी पर देना होगा 30 फीसदी टैक्स स्टार्टअप्स के लिए मौजूदा कर लाभ जिन्हें लगातार 3 वर्षों के लिए करों के मोचन की पेशकश की गई थी, उन्हें 1 और वर्ष तक बढ़ाया जाएगा। राज्य सरकार के कर्मचारियों के एनपीएस खाते में नियोक्ता के योगदान पर कर कटौती की सीमा बढ़कर 14 प्रतिशत हो गई। को-ऑपरेटिव सोसाइटी के लिए 18 फीसदी की टैक्स दर को घटाया गया है। इसे 15 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है और सरचार्ज को 12 प्रतिशत से कम करके 7 फीसदी का प्रस्ताव है। 2022-23 में केंद्र सरकार का प्रभावी पूंजीगत व्यय 10.68 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जो सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 4.1 प्रतिशत है। - आात्मनिर्भर भारत के साथ सामरिक चुनौती से निपटने के लिए सेना का होगा आधुनिकीकरण। - वित्त वर्ष 2022-23 में वित्तीय घाटे को 6.4 प्रतिशत तक करने का लक्ष्य है। वित्त वर्ष 2023 में कुल 39.45 लाख करोड़ रुपये खर्च और उधारी के सिवा कुल आमदनी 22.84 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है। - दिव्यांग के माता-पिता को टैक्स में छूट मिलेगी। - ITR गड़बड़ी में दो साल तक सुधार करने की अनुमति दी गई। - एनिमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग और कॉमिक्स (एवीजीसी) सेक्टर में युवाओं को रोजगार देने की अपार संभावनाएं हैं। सभी हितधारकों के साथ एक एवीजीसी प्रमोशन टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा, ये हमारे बाजार और वैश्विक मांग के लिए घरेलू क्षमता का निर्माण करेगी। - 2030 तक सौर क्षमता के 280 गीगावाट के लक्ष्य के लिए 19,500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त आवंटन किया जाएगा। - अर्थव्यवस्था में कार्बन फुटप्रिंट पहल को कम करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की परियोजनाओं में सॉवरेन ग्रीन बांड जारी किए जाएंगे। - पहाड़ी क्षेत्रों में पारंपरिक सड़कों के लिए राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम को पीपीपी मोड में लिया जाएगा, इससे टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा। - 2022-23 के बीच नेशनल हाईवे की लंबाई 25000 किमी तक बढ़ाई जाएगी, हाईवे विस्तार पर 20 हजार करोड़ रुपये होंगे खर्च। - किसान ड्रोन, रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देगी सरकार -  वित्तीय समावेशन की सुविधा के लिए 2022 में 1.5 लाख डाकघरों में से 100त्न कोर बैंकिंग सिस्टम पर आएंगे। आरबीआई-2023 में लाएगी डिजिटल करेंसी क्रिप्टोकरेंसी पर कमाई व वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों पर 30 प्रतिशत टैक्स 5 जी स्पेक्ट्रम के लिए होगी नीलामी गांवों में सस्ते ब्रांडबैंड को बढ़ावा बजट में खास बातें 1. छापे में मिली रकम होगी जब्त 2.अगले तीन वर्षों में 400 नई वंदे भारत ट्रेन 3.60 लाख नई नौकरियां 4.एलआईसी का आईपीओ जल्द आएगा 5. हाईवे के लिए 20 हजार करोड़ 6. एमएसपी के जरिए किसानों को 2.7 लाख करोड़ 7. 1 क्लास 1 टीवी चैनल 8. घर-घर नल से जल के लिए 60 हजार करोड़ 9. पीएम आवास के तहत 80 लाख मकानों के लिए 48 हजार करोड़ 10. डाकघरों में बैंकिंग व एटीएम शुरू होंगे 11. राजकोषीय घाटा 6.4 रहने का अनुमान 12. दिव्यांगजनों को टैक्स में राहत 13.जनवरी में 1 लाख 40 हजार करोड़ का जीएसटी राजस्व
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Assembly Election 2022 कभी इस परिवार ने बचाई थी मुलायम सिंह की डूबती नैया

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Assembly Election 2022 कभी इस परिवार ने बचाई थी मुलायम सिंह की डूबती नैया
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 06:21 PM
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Assembly Election 2022 : सहारनपुर। राजनीति में समय कभी भी एक समान नहीं रहता है। (Assembly Election 2022) कभी पश्चिम उत्तर उत्तर प्रदेश की राजनीति की धुरी रहा काजी रसीद मसूद (Qazi Rashid Masood) का परिवार का सियासी भविष्य संशय के बादलों से घिरा हुआ है। एक बार तो मुलायम सिंह (Mulayam Singh) की डूबती नैया काजी परिवार ने ही किनारे लगाई थी।

बताया जाता है कि सपा के संरक्षक एवं पूर्व मुख्यमंंत्री मुलायम सिंह यादव पर जब राजनीतिक संकट आया था तो काजी परिवार ने ही सिफारिश करके उन्हें एमएलसी बनवाया था। काजी रशीद मसूद और मुलायम सिंह यादव ने करीब करीब एक समय में ही राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। दोनों ने लंबे समय तक एक साथ ही लोकदल में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के साथ काम किया। उस समय चौधरी चरण सिंह के सबसे करीबी नेता काजी रशीद मसूद ही थे और उनकी सलाह से ही चौधरी साहब फैसले लेते थे। लंबे समय तक काजी रशीद मसूद के साथ रहे और राजनीति पर मजबूत पकड़ रखने वाले ईश्वर गोयल बताते हैं कि वर्ष 1980 के दौर में मुलायम सिंह यादव का राजनी​तिक सफर मझधार में फंस गया था। लगातार तीन बार विधायक रहने के बावजूद मुलायम सिंह 1980 के विधानसभा चुनाव में इटावा से हार गए थे। इसके बाद उनके राजनीतिक भविष्य चर्चाएं होने लगीं थीं। लेकिन, उस समय काजी रशीद मसूद ने मुलायम सिंह के पक्ष में पैरवी की थी। जिसके बाद चौधरी चरण सिंह ने 1982 में मुलायम सिंह को एमएलसी बनाकर विधान परिषद में भेजा था, जिसके बाद वह नेता विधान परिषद में नेता विपक्ष भी बनाए थे।

काजी रशीद मसूद और मुलायम सिंह के बीच संबंध काफी गहरे थे। कई बार राहें जुदा हुई, परंतु दोनों नेताओं के व्यक्तिगत रिश्तें हमेशा मधुर बने रहे। अगस्त 2007 में जब उप राष्ट्रपति का चुनाव हुआ तो संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की तरफ से मुलायम सिंह ने काजी रशीद मसूद को उप राष्ट्रपति का चुनाव लड़ाया था, हालांकि 75 वोट मिलने के कारण काजी रशीद मसूद तीसरे स्थान पर रहे थे और उप राष्ट्रपति नहीं बन सके थे।

बदलते समय में आज मुलायम सिंह यादव और काजी रशीद मसूद परिवार के बीच पहले की तरह सबकुछ ठीक चल रहा है। हाल ही में कांग्रेस छोड़कर सपा में शामिल हुए काजी रशीद मसूद के भतीजे और पूर्व विधायक इमरान मसूद को टिकट मिलने की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन इमरान मसूद को सपा से टिकट नहीं मिल सका। जिससे अभी भी काजी परिवार मझधार में फंसा हुआ है। राजनीतिक सूत्र बताते हैं कि अखिलेश यादव ने इमरान मसूद को भरोसा दिलाया है कि उनके लिए सपा में कुछ अधिक बेहतर सोचा गया है।