JSW Cement IPO: निवेशकों में जबरदस्त जोश, बाजार में छा गया JSW ग्रुप

JSW Cement IPO: निवेशकों में जबरदस्त जोश, बाजार में छा गया JSW ग्रुप
locationभारत
userचेतना मंच
calendar13 Aug 2025 02:06 PM
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भारत के कॉर्पोरेट जगत में एक नई प्रेरणादायक गाथा जुड़ गई है। JSW ग्रुप की सीमेंट शाखा JSW Cement का IPO बाजार में शानदार प्रतिक्रिया के साथ आ रहा है। ₹3,600 करोड़ के इस इश्यू को निवेशकों से जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला है और ग्रे मार्केट में इसकी कीमत इश्यू प्राइस से ऊपर चल रही है। यह सब उस भरोसे का नतीजा है जो सज्जन जिंदल के नेतृत्व वाले JSW समूह ने दशकों में कमाया है। JSW Cement IPO

1982 की शुरुआत 2025 की बुलंदियां

JSW की कहानी एक साधारण स्टील मिल से शुरू होकर एक विशाल बहु-उद्योग साम्राज्य बनने की है। 1982 में महाराष्ट्र के तारापुर में एक छोटे स्टील प्लांट से सज्जन जिंदल ने अपनी यात्रा शुरू की थी। पिता ओ.पी. जिंदल से मिले संघर्षशील प्लांट्स को खड़ा करना आसान नहीं था लेकिन सज्जन जिंदल की दूरदृष्टि, प्रबंधन क्षमता और रिस्क लेने के साहस ने ग्रुप को आज 1.8 लाख करोड़ रुपये की वैल्यू तक पहुंचा दिया।

कई क्षेत्रों में सफलता के झंडे गाड़े

JSW ने स्टील के बाद पावर, इंफ्रास्ट्रक्चर, पेंट और अब सीमेंट जैसे कई क्षेत्रों में सफलता के झंडे गाड़े हैं। JSW Steel: देश की सबसे बड़ी निजी इस्पात कंपनी JSW Energy: भारत की चौथी सबसे बड़ी पावर कंपनी JSW Infrastructure: हाल ही में सफल IPO लॉन्च JSW Cement: अब भारत के टॉप 6 सीमेंट निर्माताओं में शामिल साल 2009 में JSW Cement की नींव रखी गई और आज यह कंपनी कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में अपने संयंत्रों से तेज़ी से बढ़ रही है।

IPO में निवेशकों की दिलचस्पी

7 अगस्त 2025 को खुला JSW Cement का IPO, 11 अगस्त को बंद हुआ। ₹3,600 करोड़ का यह इश्यू लगभग 8 गुना सब्सक्राइब हुआ। शेयरों की लिस्टिंग 14 अगस्त को NSE और BSE पर होगी। IPO से जुटाई गई राशि में से, ₹800 करोड़ राजस्थान के नागौर में नए सीमेंट प्लांट के लिए, ₹520 करोड़ पुराने कर्ज चुकाने के लिए, शेष सामान्य कॉर्पोरेट जरूरतों के लिए इस्तेमाल होगी। विशेष बात यह है कि Apollo Global और Synergy Metals जैसे बड़े ग्लोबल निवेशक पहले से ही JSW Cement में हिस्सेदार हैं, जो कंपनी की भरोसेमंद ब्रांड छवि को और मजबूत बनाते हैं।

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IPO को मिली regulatory हरी झंडी के बाद उड़ान

JSW Cement का यह IPO आसान सफर नहीं रहा। अगस्त 2024 में दाखिल DRHP को सेबी ने पहले होल्ड पर रखा था, लेकिन जरूरी सुधारों के बाद जनवरी 2025 में मंजूरी मिली। अब यह IPO सफलता की नई मिसाल बनकर सामने आया है। बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, भारत के इन्फ्रास्ट्रक्चर बूम के दौर में सीमेंट सेक्टर की भूमिका बेहद अहम है। JSW Cement के पास ना सिर्फ ब्रांड की ताकत है, बल्कि मैनेजमेंट, विस्तार योजनाएं और आर्थिक स्थिति भी मजबूत हैं। यही वजह है कि इस IPO को लेकर रिटेल और इंस्टीट्यूशनल निवेशक, दोनों ही वर्गों में जोश है। JSW Cement IPO
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पहचान पत्र हैं, तो क्या हुआ…नागरिकता के लिए चाहिए पुख़्ता सबूत - हाई कोर्ट

पहचान पत्र हैं, तो क्या हुआ…नागरिकता के लिए चाहिए पुख़्ता सबूत - हाई कोर्ट
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userचेतना मंच
calendar13 Aug 2025 12:31 PM
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अगर आप सोचते हैं कि पैन कार्ड, आधार कार्ड और वोटर आईडी आपके पास होना भारत की नागरिकता का पक्का सबूत है, तो जरा ठहरिए। बॉम्बे हाई कोर्ट ने साफ कर दिया है कि ये दस्तावेज़ सिर्फ़ पहचान और सरकारी सेवाओं का लाभ उठाने के लिए हैं, नागरिकता का कानूनी प्रमाण नहीं। ठाणे निवासी एक व्यक्ति ने अदालत में दलील दी थी कि उसके पास आधार, पैन, पासपोर्ट और वोटर आईडी—सभी वैध दस्तावेज़ हैं, जो आयकर, बैंक खातों, बिजली-पानी और व्यवसायिक पंजीकरण से भी जुड़े हैं। लेकिन पुलिस का आरोप है कि वह बांग्लादेशी नागरिक है और 2013 से भारत में रह रहा है। न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ ने कहा—ये कागज़ पहचान देते हैं, लेकिन नागरिकता अधिनियम, 1955 में तय मूल कानूनी कसौटियों को पूरा करने की गारंटी नहीं हैं।    Citizenship of India

नागरिकता साबित करने के लिए क्या चाहिए ?

अदालत के मुताबिक, जब किसी पर विदेशी मूल का या जाली दस्तावेज़ इस्तेमाल करने का आरोप हो, तो केवल पहचान पत्रों के आधार पर नागरिकता तय नहीं की जा सकती। इसके लिए ठोस कानूनी सबूत ज़रूरी हैं, जैसे—

  • जन्म प्रमाणपत्र — जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 के तहत जारी, जिसमें जन्म स्थान और तारीख दर्ज हो।

  • 10वीं व 12वीं के प्रमाणपत्र — कई मामलों में इन्हें भी वैध जन्म/नागरिकता प्रमाण माना जाता है।

  • डोमिसाइल प्रमाणपत्र — राज्य सरकार द्वारा जारी, जो किसी विशेष राज्य में स्थायी निवास की पुष्टि करता है।

  • पुराने सरकारी दस्तावेज़ — 1987 से पहले के भूमि आवंटन पत्र, पेंशन आदेश आदि।

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भारत की नागरिकता कैसे मिलती है ?

भारतीय नागरिकता चार तरीकों से हासिल की जा सकती है—

  1. जन्म से —

    • 26 जनवरी 1950 से 1 जुलाई 1987 के बीच भारत में जन्मा हर व्यक्ति, माता-पिता की नागरिकता चाहे जो हो, भारतीय माना जाएगा।

    • 1 जुलाई 1987 से 3 दिसंबर 2004 के बीच जन्म पर, माता या पिता में से किसी एक का भारतीय नागरिक होना ज़रूरी।

    • 3 दिसंबर 2004 के बाद जन्म के लिए, एक माता-पिता भारतीय और दूसरा अवैध प्रवासी नहीं होना चाहिए।

  2. वंश से — भारत के बाहर जन्मा व्यक्ति, यदि माता या पिता में से कोई एक भारतीय नागरिक है, तो उसे नागरिकता मिल सकती है।

  3. पंजीकरण से — भारतीय मूल का व्यक्ति, जो कम से कम सात साल से भारत में रह रहा हो, या भारतीय नागरिक से विवाहित हो और सात साल का निवास पूरा कर चुका हो, पंजीकरण से नागरिकता पा सकता है।

  4. देशीयकरण से — कोई भी व्यक्ति, जो 12 साल से भारत में रह रहा हो और अधिनियम की तीसरी अनुसूची की शर्तें पूरी करता हो, देशीयकरण से नागरिकता प्राप्त कर सकता है।  Citizenship of India

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आवारा कुत्तों का ‘वैक्यूम इफेक्ट’: हटाने के बाद क्यों लौट आती है समस्या ?

आवारा कुत्तों का ‘वैक्यूम इफेक्ट’: हटाने के बाद क्यों लौट आती है समस्या ?
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userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 04:39 AM
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भारत में अवारा कुत्तों का मुद्दा अब एक गंभीर जनस्वास्थ्य, सड़क सुरक्षा और पर्यावरणीय चुनौती बन चुका है। अनुमान है कि देशभर में करीब 6 करोड़ कुत्ते सड़कों पर घूमते हैं, जो हर साल लाखों लोगों पर हमला करते हैं और हजारों मौतों के लिए जिम्मेदार हैं। रेबीज जैसी घातक बीमारी के चलते भारत को दुनिया की ‘रेबीज राजधानी’ कहा जाने लगा है। लेकिन इन कुत्तों को शहरों और कस्बों से हटाने की प्रक्रिया उतनी आसान नहीं जितनी लगती है। वैज्ञानिक इसे "वैक्यूम इफेक्ट" कहते हैं—एक ऐसी स्थिति जिसमें किसी क्षेत्र से कुत्तों को हटाते ही खाली पड़ी जगह और आसानी से मिलने वाला भोजन नए कुत्तों को आकर्षित कर लेता है। नतीजा—समस्या वहीं की वहीं लौट आती है।  Stray Dogs

क्या है वैक्यूम इफेक्ट ?

जब किसी इलाके से कुत्तों को हटाया जाता है, तो वहां मौजूद भोजन के स्रोत—जैसे खुले में पड़ा कचरा—खाली जगह के साथ मिलकर नए कुत्तों के लिए चुंबक की तरह काम करता है। इसीलिए विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि यदि कचरा प्रबंधन और भोजन के स्रोतों पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो महज हटाने की कोशिश नाकाम हो जाएगी।

खतरा केवल काटने तक सीमित नहीं

  • सड़क हादसे: अवारा कुत्ते देश में सड़क दुर्घटनाओं का बड़ा कारण हैं।

  • पर्यावरण पर चोट: रोजाना करीब 30,000 टन जहरीला मल सड़कों पर गिरता है, जो मिट्टी और पानी दोनों को प्रदूषित करता है।

  • वन्यजीव संकट: ये कुत्ते कई जंगली प्रजातियों पर हमला कर उनके अस्तित्व को खतरे में डालते हैं।

  • बीमारियों का फैलाव: मल और कचरा फैलाने से चूहे व अन्य रोगवाहक जीव पनपते हैं।

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सरकारी नीतियां और उनकी सीमाएं

पहले, कानून के तहत अवारा कुत्तों को पकड़कर नसबंदी, टीकाकरण या मानवीय ढंग से मारने की इजाजत थी। लेकिन 2001 के ABC नियम और उसके बाद के संशोधन ने फोकस केवल नसबंदी और टीकाकरण पर रखा—जन स्वास्थ्य को प्राथमिकता नहीं दी। पशु कल्याण बोर्ड ऑफ इंडिया (AWBI) की नीतियां कई बार अवारा कुत्तों के खतरों को कम करके दिखाती हैं और सार्वजनिक स्थानों पर इन्हें खाना खिलाने को बढ़ावा देती हैं, जो विशेषज्ञों के मुताबिक समस्या की जड़ को और मजबूत करता है।

समाधान: संतुलित और सख्त नीति

  • कचरा प्रबंधन: जब तक कचरा हटेगा नहीं, वैक्यूम इफेक्ट रुकेगा नहीं।

  • जनजागरूकता: लोगों को यह समझाना कि सड़कों पर कुत्तों को खाना खिलाना खतरा बढ़ाता है।

  • संपूर्ण नसबंदी और पुनर्वास: पकड़े गए कुत्तों को सुरक्षित आश्रयों में रखा जाए।

  • स्वास्थ्य और सुरक्षा प्राथमिकता: नीतियों का फोकस सिर्फ पशु अधिकार नहीं, बल्कि इंसानों की सुरक्षा भी हो।  Stray Dogs