पनौती कौन ? विदेश में भी उठा सवाल, कांग्रेस से पूर्व क्रिकेटर ने पूछा

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पनौती कौन
locationभारत
userचेतना मंच
calendar04 Dec 2023 03:12 PM
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पनौती कौन: 5 राज्यों में हाल ही में विधानसभा चुनाव हुए थे। जिन 5 राज्यों में चुनाव हुए थे, उनमें से 4 राज्यों के चुनाव परिणाम रविवार को घोषित हो चुके हैं। इन परिणामों में बीजेपी ने जहां शानदार प्रदर्शन करते हुए बाजी मारी है, तो वहीं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के हाथ निराशा लगी है। इस कारण पिछले कई दिनों से कांग्रेस द्वारा ट्रेंड कराया जा रहा पनौती शब्द उसके लिए मुसीबत बन गया है, क्योंकि अब खुद उसके ऊपर ही पनौती होने के तंज़ कसे जा रहे हैं।

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पनौती कौन: ये सवाल कांग्रेस के लिए बना मुसीबत

इन विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी को मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में हार का सामना करना पड़ा है। हालांकि वो तेलंगाना में जरूर जीतने में सफल रही है। कांग्रेस को उम्मीद थी कि इस बार मध्य प्रदेश और तेलंगाना में सरकार के खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी उसे सत्ता दिला देगी। जबकि अपनी सरकारों के कामकाज के कारण उसे भरोसा था, कि उसकी छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सत्ता में वापसी हो जाएगी। लेकिन तेलंगाना के अलावा उसे कहीं और सफलता नहीं मिल सकी। इसलिए कई दिनों से उसके द्वारा ट्रेंड कराया जा रहा 'पनौती' शब्द उसके लिए गले की फांस बन गया है। लोग अब कांग्रेस की हार पर पार्टी पर निशाना साधते हुए पूछ रहे है 'पनौती कौन?' इसे ट्रेंड कराना अब कांग्रेस के लिए जी का जंजाल बन गया है।

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पाकिस्तान से भी आया सवाल पनौती कौन?

[embed]https://twitter.com/DanishKaneria61/status/1731194437202559202[/embed] सोशल मीडिया पर इस सवाल को पूछने वालों में अब विदेशी लोग भी शामिल हो गए हैं। इसी कड़ी में पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर दानिश कनेरिया ने भी कांग्रेस पार्टी के जले पर नमक छिड़कते हुए उनसे यही सवाल किया है। उन्होंने एक्स पर तंज़ कसते हुए कांग्रेस से पूछा है कि पनौती कौन? सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने ट्वीट में कनेरिया ने लिखा है कि 'पनौती कौन है?' दरअसल कनेरिया एक हिन्दू हैं और उनकी सनातन धर्म में गहरी आस्था है। इसलिए उन्हें भी लगता है कि कांग्रेस सनातन के खिलाफ है।

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क्यों ट्रेंड हुआ था सोशल मीडिया पर पनौती?

हुआ यूं था कि क्रिकेट वर्ल्ड कप 2023 के फाइनल मैच में भारत को ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। जिसके बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने स्टेडियम में उस समय मौजूद पीएम मोदी पर तंज कसा था। उन्होंने स्टेडियम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी को इस हार के लिए जिम्मेदार ठहराया था। राहुल गांधी ने कहा था कि "भारतीय टीम अच्छा खेल रही थी, लेकिन पनौती ने पहुंचकर हरा दिया।" जिसके बाद कांग्रेसी इसे सोशल मीडिया पर ट्रेंड कराने लगे।

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'सनातन का श्राप ले डूबा', कांग्रेस की हार पर इस कांग्रेसी नेता ने कहा

Acharya Pramod Krishnam
Krishnam on Congress's Decision
locationभारत
userचेतना मंच
calendar03 Dec 2023 09:29 PM
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सनातन का श्राप: आज 4 राज्यों के चुनाव परिणाम आ रहे हैं। अब तक के संकेतों से कांग्रेस पार्टी 3 राज्यों में हार का सामना करती दिखाई पड़ रही है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पार्टी हार के कगार पर है। इस हार पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के ही नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने सनातन विरोध को इस हार का कारण बताया है। आचार्य प्रमोद कृष्णा ने अपने ऑफिशियल एक्स हैंडल पर लिखा, 'सनातन का श्राप ले डूबा।'

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सनातन का श्राप: कृष्णम ने सनातन विरोध को ठहराया हार का जिम्मेदार

न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा है कि "यह देश सनातन का विरोध स्वीकार नहीं करेगा।" इतना ही नहीं, उन्होंने यह तक कह दिया कि "जब तक कांग्रेस पार्टी सनातन का विरोध करती रहेगी, तब तक वो हारती रहेगी। कांग्रेस को देश में चुनाव जीतने के लिए महात्मा गांधी के रास्ते पर चलना होगा, जबकि कांग्रेस काल मार्क्‍स के रास्ते पर चल रही है। उसे अपनी परिपाटी बदली होगी।"

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आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, "कुछ दिनों से कांग्रेस में कुछ ऐसे नेता घुस आए है, जिनकी पार्टी के फैसलों में बड़ी भूमिका है। वो कुछ नेता कांग्रेस को महात्मा गांधी के रास्ते से हटाकर के वामपंथ के रास्ते पर ले जाना चाहते है और ले जा रहे है। अगर कांग्रेस पार्टी ने ऐसे नेताओं का नहीं निकाला तो कांग्रेस पार्टी की हालत बहुत जल्द ही एआईए, एमआईएम जैसी हो जाएगी।"

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उदयनिधि स्टालिन के विरोध नहीं करने को बताया गलत, सनातन का श्राप

प्रमोद कृष्णम ने आगे कहा कि "आज कांग्रेस को सनातन विरोधी के रुप में जाना जाने लगा है यह दुर्भाग्यपूर्ण है। कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व को इस बात पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। कांग्रेस को महात्मा गांधी, पंडित नेहरू और इंदिरा गांधी की ही कांग्रेस रहना दिया जाए।" उन्होंने उदयनिधि स्टालिन के विरोध नहीं करने को भी इस हार का प्रमुख कारण बताया। उदयनिधि स्टालिन ने कुछ दिनों पहले सनातन धर्म के विरोध में बोलते हुए कहा था कि "सनातन का सिर्फ विरोध नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि इसे समाप्त कर देना चाहिए। सनातन धर्म सामाजिक न्याय और समानता के खिलाफ है। जैसे हम कोरोना, डेंगू का विरोध नहीं कर सकते। हमें इसे मिटाना है, इसी तरह हमें सनातन को भी मिटाना है।"

सनातन का श्राप

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पीस पार्टी बनेगी NDA का हिस्सा, डॉ. मोहम्मद अयूब ने दिया बड़ा संकेत

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 06:26 AM
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सभी राजनीतिक दलों द्वरा 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी गई है. वहीं उत्तर प्रदेश में राजनीतिक दलों के बीच समीकरण बदल रहे हैं. पिछले डेढ़ दशक में हुए तीन लोकसभा और तीन विधानसभा चुनावों में बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाली पीस पार्टी का झुकावKm भी BJP की ओर दिख रहा है. पीस पार्टी के अध्यक्ष डॉ. मोहम्मद अयूब का राजनीतिक दृष्टिकोण अब बदलते दिख रहा है.

राजनीति दलों (Political Party) के लिए मुसलिम महज़ वोट बैंक

पीस पार्टी के मुखिया डॉ मोहम्मद अयूब को अब महसूस हुआ है कि सपा(SP), बसपा(BSP) और कांग्रेस ने मुस्लिम समुदाय को केवल वोट बैंक के रूप में प्रयोग करती आ रही हैं. डॉ. मोहम्मद अयूब के अनुसार ये तीनों पार्टियां चुनावों में मुस्लिम वोटों का वोट बैंक के रूप में प्रयोग करती हैं, लेकिन सत्ता में आने पर इन दलों ने इस समाज को न तो अपना साथी बनाया है और न ही उनके उत्थान के लिए काम किया है. मोहम्मद अयूब मुताबिक अगर उनकी पार्टी को मौका मिला तो वे राज्य में एनडीए के साथ गठबंधन करने में परहेज़ नहीं करेंगे.

बड़ी पार्टी का समर्थन नहीं मिलने से कमजोर पडी पीस पार्टी 

डॉ. अयूब को पूर्वांचल में पासमन्दा मुस्लिम समुदायों के बीच बेहद लोकप्रिय नेता माना जाता है। वह पसमन्दा मुसलिम समुदाय के महत्त्वपूर्ण प्रतिनिधि माने जाते हैं। 2008 में पीस पार्टी के गठन किया गया. डॉ. अयूब के नेतृत्व में 2012 में 4 सीटों पर जीत हासिल करके उन्होंने मुस्लिम समुदाय पर अपनी बढ़ती हुई प्रतिष्ठा का प्रदर्शन किया था. हालांकि, गठबंधन के दौर में  भी किसी बड़ी पार्टी का समर्थन नहीं मिलने से, पीस पार्टी एक तरह से अकेली और कमज़ोर पड़ गई. आपको बता दें कि अब पीस पार्टी पूर्वांचल बेल्ट में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए समर्थन जुटा रही है. डॉ. अयूब अब बीजेपी के साथ मित्रता को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य उनकी खोई हुई ज़मीन को मजबूत करना है.