यात्री से टिकट मांगना पड़ा टीटीई को भारी, हुआ दर्दनाक अंजाम

Kerla News
Kerala News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 03:54 PM
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Kerala News : केरल से इंसानियत को शर्मशार कर देने वाली एक घटना सामने आई हैं। केरल के त्रिशूर जिले मे ट्रेन मे बिना टिकट यात्रा कर रहें एक यात्री ने टीटीई को चलती ट्रेन से कथित तौर पर धक्का दे दिया। ट्रेन से गिरने के बाद टीटीई की मौके पर मौत हो गई।

क्या है पूरा मामला ?

मिली जानकारी के अनुसार पूरी घटना केरल के त्रिशूर की है जब एक बिना टिकट यात्रा कर रहे व्यक्ति ने टीटीई को चलती हुई ट्रेन से धक्का दे दिया। यह घटना उस समय की है जब एक टीटीई विनोद सुपरफास्ट ट्रेन मे टिकट चेक कर रहे थे। टिकट चेकिंग के दौरान उन्होने एक यात्री से टिकट मांगी, तो उस यात्री ने उन्हे धक्का दे दिया। जिससे घटना स्थल पर ही उनकी मौत जो गई। यह घटना केरल के एर्नाकुलम से पटना जा रही ट्रेन के कोच नंबर एस11में हुई। पुलिस के मुताबिक आरोपी प्रवासी मजदूर है और उसे पलक्कड़ से हिरासत में ले लिया गया है।

पटरी पर गिरने से चली गई जान

टिकट चेकिंग के दौरान प्रवासी मजदूर के पास टिकट नहीं मिला। जिसकी वजह से टीटीई  विनोद ने उसे अगले स्टेशन पर आरक्षित कोच से निकलने को कहा तो वह गुस्सा हो गया। उस मजदूर ने विनोद को चलती ट्रेन से धक्का दे दिया। जिससे वह तत्काल ट्रेन से नीचे पटरी पर गिर गए और बगल से आ रही दूसरी ट्रेन की चपेट मे आ गई। जिसकी वजह से घटना स्थल पर ही उनकी मौत हो गई। Kerala News

आरोपी ने किया गुनाह स्वीकार

जानकारी के मुताबिक आरोपी उड़ीसा का एक प्रवासी मजदूर हैं। जिसे बाद मे पलक्कड़ से गिरफ्तार कर लिया गया है। उसका नाम रजनीकांत है और उस ने पुलिस पूछताछ के दौरान अपना आरोप स्वीकार कर लिया हैं। उसका कहना है कि उसके पास टिकट ना होने की वजह से उसने टीटीई को चेकिंग के समय धक्का दिया। घटना की जानकारी मिलते ही रेलवे पुलिस ने उस आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया हैं।

बड़ी बात : एक दिन गुजरे जमाने की बात बन जाएगा सोशल मीडिया, आशंका शुरू

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बड़ी बात : एक दिन गुजरे जमाने की बात बन जाएगा सोशल मीडिया, आशंका शुरू

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Social Media
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 10:19 AM
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क्या सोशल मीडिया (Social Media) एक दिन गए जमाने की बात बनकर रह जाएगा? यह आशंका बड़ी तेजी से शुरू हुई है। पिछले 10 साल में दुनिया भर में छाया इंटरनेट का सोशल मीडिया धीरे-धीरे मात्र टाइम पास करने का साधन बन गया है। इस कारण यह आशंका पैदा हो रही है कि सोशल मीडिया (Social Media) का यह दौर जल्दी ही समाप्त हो जाएगा। सोशल मीडिया (Social Media) के स्थान पर कोई नई तकनीक या माध्यम आने की चर्चा जोरों पर चल रही है।

बदलता रहा है दौर

एक समय था जब कोई यह कल्पना भी नहीं कर सकता था कि कहीं भी बैठा हुआ व्यक्ति दुनिया में कहीं भी किसी भी समय सीधे बातचीत कर सकता है। पहले टेलीफोन आए, फिर मोबाइल फोन तथा फिर वीडियो कॉलिंग आ गई। ऐसे ही तकनीक का दौर हमेशा बदलता रहा है और कुछ ऐसा आता चला गया है जिसकी किसी ने पहले कल्पना भी नहीं की थी। ऐसा ही दौर है सोशल मीडिया (Social Media) का दौर भी। सोशल मीडिया (Social Media) के जरिए पूरी दुनिया इंसान की मुटठी में आ गई है। अब 10 साल में ही सोशल मीडिया (Social Media) की विदाई की बात होने लगी है।

टाइम पास बनने लगा है सोशल मीडिया

वर्ष 2010 में जो सोशल मीडिया (Social Media) आशाओं- व उम्मीदों का प्रतीक बनकर उभर रहा था, वह 2020 आते-आते फेक न्यूज और लोगों के राजनीतिक विचारों को प्रभावित करने जैसे आरोपों का शिकार हो गया। महज दस साल में ही लोग अब सोशल मीडिया (Social Media) पर अपनी राय पोस्ट करने से परहेज करने लगे हैं। पोस्ट करने से आशय टेक्स्ट, इमेज फॉर्म में अपने आपको अभिव्यक्त करने से है। लोग लॉग इन तो करते हैं, पर बहुत कम लोग ही पोस्ट कर रहे हैं। लोग प्रतिदिन लगभग दो घंटे इंस्टाग्राम, फेसबुक या एक्स जैसे सोशल मीडिया (Social Media) को स्क्रॉल करते हुए समय बिताते हैं, लेकिन उनकी आखिरी पोस्ट एक साल पहले की होती है। कभी-कभी लोग स्टोरी जरूर शेयर करते हैं, लेकिन वह चौबीस घंटे बाद गायब हो जाती है। किसी तरह के विवाद से बचने के लिए लोग अब यह सोचने पर मजबूर हो गए हैं कि इस बात पर झगडऩे की जरूरत नहीं है कि किसने किसे वोट दिया या कोई क्या सोचता है। अब वे आमने-सामने या समूह चैट को प्राथमिकता देते हैं, जिसे 'निजी नेटवर्किंग' कहा जा रहा है। उपयोगकर्ताओं के सर्वेक्षण और डाटा- एनालिटिक्स फर्मों के शोध के अनुसार, अरबों लोग सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं, पर वे कम पोस्ट कर रहे हैं और ज्यादातर निष्क्रिय अनुभव का आनंद ले रहे हैं। वे अब भी लोगों की सोशल मीडिया फीड देखने या रील देखने में समय बिता रहे हैं, लेकिन वे. अब अपनी राय रखने में उतने सक्रिय नहीं रहे हैं। यानी यह टाइम पास करने का जरिया बन चुका है। डाटा-इंटेलिजेंस कंपनी मॉर्निंग कंसल्ट की अक्तूबर रिपोर्ट में सोशल मीडिया (Social Media) अकाउंट वाले 61 प्रतिशत वयस्क अमेरिकी उत्तरदाताओं ने कहा कि वे जो पोस्ट करते हैं, उसके बारे में ज्यादा चयनात्मक हो गए हैं, यानी अब लोग क्या पोस्ट करना है, उसके बारे में सोचने लग गए हैं। भारत भी अपवाद नहीं है। भले ही अपने विशाल सोशल मीडिया (Social Media) यूजर बेस के कारण यहां ऐसा नहीं दिखता, पर अब लोग सोशल मीडिया पर कम पोस्ट शेयर कर रहे हैं। इसके कई कारण हैं। इस शोध के हिसाब से लोग मानने लगे हैं कि वे जो सामग्री देखते हैं, उसे नियंत्रित नहीं कर सकते। वे अपने जीवन को ऑनलाइन साझा करने के प्रति भी अधिक सुरक्षात्मक हो गए हैं और उन्हें अपनी निजता की भी चिंता होने लगी है। सोशल मीडिया पर ट्रोलर्स की बढ़ती संख्या के कारण भी लोगों का मजा किरकिरा हुआ है।

Social Media

यह सोशल मीडिया (Social Media) कंपनियों के व्यवसाय के लिए खतरा है। उपयोगकर्ताओं के ज्यादा से ज्यादा शेयर करने के कारण ही वे दुनिया की सबसे शक्तिशाली कंपनियों और प्लेटफर्मों में से एक बन गए हैं। पोस्ट मजेदार बात यह है कि इनमें से कोई भी कंपनी कोई उत्पाद नहीं बनाती है, फिर भी ये दुनिया की बड़ी और लाभकारी कंपनियां बन गई हैं। जाहिर है, लोगों के कुछ कहने की आदत के कारण यानी सिर्फ यूजर जेनरेटेड कंटेंट के कारण ये कंपनियां मुनाफा कमा रही हैं। भारत में बेशक अभी अमेरिका जैसी स्थिति नहीं है, पर लोग अपनी निजता की सुरक्षा के लिए सब कुछ सोशल मीडिया पर डालने की मानसिकता से किनारा कर रहे हैं। इसका एक बड़ा कारण सोशल मीडिया एकाउंट का उपयोग मार्केटिंग और ब्रांडिग के लिए किए जाने के अलावा मीडिया लिट्रेसी का प्रचार-प्रसार भी है। वैसे भी सोशल मीडिया पर आते ही उपभोक्ता डाटा में तब्दील हो जाता है। इस तरह देश में हर सेकंड असंख्य मात्रा में डाटा जेनरेट हो रहा है, जिसका फायदा इंटरनेट के व्यवसाय में लगी कंपनियों को हो रहा है।

क्या होगा सोशल मीडिया का विकल्प

आधिकारिक तौर पर सोशल मीडिया (Social Media) से भारत में कितने रोजगार पैदा हुए, इसका उल्लेख नहीं मिलता, क्योंकि ये सारी कंपनियां इनसे संबंधित आंकड़े सार्वजनिक नहीं करतीं। साथ ही प्रत्यक्ष रोजगार के काफी कम होने का संकेत इन कंपनियों के कर्मचारियों की कम संख्या से प्रमाणित होता है। अब सोशल मीडिया कंपनियां उपयोगकर्ताओं को ज्यादा व्यक्तिगत अनुभव देने की ओर अग्रसर हैं। वे मैसेजिंग जैसे अधिक निजी उपयोगकर्ता अनुभवों में निवेश कर रही हैं और बातचीत को ज्यादा सुरक्षित बना रही हैं, जिसमें लोगों को अंतरंग साथियों के लिए पोस्ट करने के लिए प्रोत्साहित करना भी शामिल है। हाल ही में इंस्टाग्राम ने क्लोज फ्रेंड्स फीचर जारी किया है। इन सबके बावजूद सोशल मीडिया से लोगों की बढ़ती अरुचि किसी नए माध्यम के विकास का बहाना बनेगी या नए यूजर की बढ़ती संख्या इसे ही बनाए रखेगी, यह देखना दिलचस्प होगा। Social Media

बॉक्सर विजेन्द्र सिंह के जरिए जाट समाज को साधेगी भाजपा, पहना भाजपा का पटका

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बॉक्सर विजेन्द्र सिंह के जरिए जाट समाज को साधेगी भाजपा, पहना भाजपा का पटका

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Boxer Vijender Singh
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 08:55 AM
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Boxer Vijender Singh : प्रसिद्ध बॉक्सर विजेन्द्र सिंह अब भारतीय जनता पार्टी के खेमे में भर्ती हो चुके हैं। विजेन्द्र सिंह जल्दी ही चुनावी रिंग में भाजपा की तरफ से बॉक्सिंग करते हुए नजर आएंगे। दरअसल बॉक्सर से नेता बने विजेन्द्र सिंह के जरिए भाजपा जाट समाज को साधना चाहती है। विश्लेषकों की माने तो बॉक्सर विजेन्द्र सिंह के भाजपा में आने से भाजपा को दिल्ली से लेकर हरियाणा तक बड़ा फायदा होगा।

Boxer Vijender Singh

जाट समाज के हीरो हैं बॉक्सर विजेन्द्र सिंह

सब जानते हैं कि बॉक्सर विजेन्द्र सिंह दुनिया के प्रसिद्ध बॉक्सिंग खिलाड़ी हैं। जाट समाज के युवा विजेन्द्र सिंह को अपना हीरो मानते हैं। बुधवार को विजेन्द्र सिंह ने बाकायदा भाजपा का पटका पहनकर भाजपा में शामिल होने की घोषणा कर दी है। ऐसे में तमाम राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि बॉक्सर विजेन्द्र सिंह के नाम से भाजपा को चुनावी में दिल्ली से लेकर हरियाणा तक खूब फायदा मिलेगा। प्रसिद्घ मुक्केबाज विजेंदर सिंह हरियाणा के भिवानी के रहने वाले हैं और जाट समुदाय से आते हैं। ऐसे में भाजपा के खिलाफ जाटों की नाराजगी की चर्चाएं चलती हैं, उससे निपटने में पार्टी को मदद मिलने की उम्मीद है। विजेंदर सिंह ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस जॉइन की थी और साउथ दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था। विजदर सिंह ने किसान आंदोलन और दिल्ली में धरना देने वालीं महिला पहलवानों का समर्थन किया था। उन्होंने महिला पहलवानों का समर्थन करते हुए कहा था कि यदि इन्हें न्याय नहीं मिला तो फिर कैसे लोग अपनी बच्चियों को स्टेडियम में भेजेंगे और खेल में आगे बढ़ाएंगे। ऐसे में विजेंदर सिंह का भाजपा में आना उस पूरे नैरेटिव को बदलने वाला है। विजेंदर सिंह ने कहा कि भाजपा में आना मेरे लिए घर वापसी जैसा है। उन्होंने कहा कि इस सरकार में खिलाडिय़ों को जो मान-सम्मान मिला है, वह अहम है। मैं चाहूंगा कि इस पार्टी में रहकर में खिलाडिय़ों को सम्मान दिला सकूंगा। विश्लेषकों का पक्का मत है कि जाट समाज में भाजपा को बॉक्सर विजेन्द्र सिंह के नाम का लाभ मिलेगा।

मुक्केबाज विजेंदर ने थामा कमल का हाथ, लड़ेंगे चुनाव

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