Saturday, 4 May 2024

बड़ी बात : एक दिन गुजरे जमाने की बात बन जाएगा सोशल मीडिया, आशंका शुरू

क्या सोशल मीडिया (Social Media) एक दिन गए जमाने की बात बनकर रह जाएगा? यह आशंका बड़ी तेजी से शुरू…

बड़ी बात : एक दिन गुजरे जमाने की बात बन जाएगा सोशल मीडिया, आशंका शुरू

क्या सोशल मीडिया (Social Media) एक दिन गए जमाने की बात बनकर रह जाएगा? यह आशंका बड़ी तेजी से शुरू हुई है। पिछले 10 साल में दुनिया भर में छाया इंटरनेट का सोशल मीडिया धीरे-धीरे मात्र टाइम पास करने का साधन बन गया है। इस कारण यह आशंका पैदा हो रही है कि सोशल मीडिया (Social Media) का यह दौर जल्दी ही समाप्त हो जाएगा। सोशल मीडिया (Social Media) के स्थान पर कोई नई तकनीक या माध्यम आने की चर्चा जोरों पर चल रही है।

बदलता रहा है दौर

एक समय था जब कोई यह कल्पना भी नहीं कर सकता था कि कहीं भी बैठा हुआ व्यक्ति दुनिया में कहीं भी किसी भी समय सीधे बातचीत कर सकता है। पहले टेलीफोन आए, फिर मोबाइल फोन तथा फिर वीडियो कॉलिंग आ गई। ऐसे ही तकनीक का दौर हमेशा बदलता रहा है और कुछ ऐसा आता चला गया है जिसकी किसी ने पहले कल्पना भी नहीं की थी। ऐसा ही दौर है सोशल मीडिया (Social Media) का दौर भी। सोशल मीडिया (Social Media) के जरिए पूरी दुनिया इंसान की मुटठी में आ गई है। अब 10 साल में ही सोशल मीडिया (Social Media) की विदाई की बात होने लगी है।

टाइम पास बनने लगा है सोशल मीडिया

वर्ष 2010 में जो सोशल मीडिया (Social Media) आशाओं- व उम्मीदों का प्रतीक बनकर उभर रहा था, वह 2020 आते-आते फेक न्यूज और लोगों के राजनीतिक विचारों को प्रभावित करने जैसे आरोपों का शिकार हो गया। महज दस साल में ही लोग अब सोशल मीडिया (Social Media) पर अपनी राय पोस्ट करने से परहेज करने लगे हैं। पोस्ट करने से आशय टेक्स्ट, इमेज फॉर्म में अपने आपको अभिव्यक्त करने से है। लोग लॉग इन तो करते हैं, पर बहुत कम लोग ही पोस्ट कर रहे हैं।

लोग प्रतिदिन लगभग दो घंटे इंस्टाग्राम, फेसबुक या एक्स जैसे सोशल मीडिया (Social Media) को स्क्रॉल करते हुए समय बिताते हैं, लेकिन उनकी आखिरी पोस्ट एक साल पहले की होती है। कभी-कभी लोग स्टोरी जरूर शेयर करते हैं, लेकिन वह चौबीस घंटे बाद गायब हो जाती है। किसी तरह के विवाद से बचने के लिए लोग अब यह सोचने पर मजबूर हो गए हैं कि इस बात पर झगडऩे की जरूरत नहीं है कि किसने किसे वोट दिया या कोई क्या सोचता है। अब वे आमने-सामने या समूह चैट को प्राथमिकता देते हैं, जिसे ‘निजी नेटवर्किंग’ कहा जा रहा है।

उपयोगकर्ताओं के सर्वेक्षण और डाटा- एनालिटिक्स फर्मों के शोध के अनुसार, अरबों लोग सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं, पर वे कम पोस्ट कर रहे हैं और ज्यादातर निष्क्रिय अनुभव का आनंद ले रहे हैं। वे अब भी लोगों की सोशल मीडिया फीड देखने या रील देखने में समय बिता रहे हैं, लेकिन वे. अब अपनी राय रखने में उतने सक्रिय नहीं रहे हैं। यानी यह टाइम पास करने का जरिया बन चुका है।

डाटा-इंटेलिजेंस कंपनी मॉर्निंग कंसल्ट की अक्तूबर रिपोर्ट में सोशल मीडिया (Social Media) अकाउंट वाले 61 प्रतिशत वयस्क अमेरिकी उत्तरदाताओं ने कहा कि वे जो पोस्ट करते हैं, उसके बारे में ज्यादा चयनात्मक हो गए हैं, यानी अब लोग क्या पोस्ट करना है, उसके बारे में सोचने लग गए हैं।

भारत भी अपवाद नहीं है। भले ही अपने विशाल सोशल मीडिया (Social Media) यूजर बेस के कारण यहां ऐसा नहीं दिखता, पर अब लोग सोशल मीडिया पर कम पोस्ट शेयर कर रहे हैं। इसके कई कारण हैं। इस शोध के हिसाब से लोग मानने लगे हैं कि वे जो सामग्री देखते हैं, उसे नियंत्रित नहीं कर सकते। वे अपने जीवन को ऑनलाइन साझा करने के प्रति भी अधिक सुरक्षात्मक हो गए हैं और उन्हें अपनी निजता की भी चिंता होने लगी है। सोशल मीडिया पर ट्रोलर्स की बढ़ती संख्या के कारण भी लोगों का मजा किरकिरा हुआ है।

Social Media

यह सोशल मीडिया (Social Media) कंपनियों के व्यवसाय के लिए खतरा है। उपयोगकर्ताओं के ज्यादा से ज्यादा शेयर करने के कारण ही वे दुनिया की सबसे शक्तिशाली कंपनियों और प्लेटफर्मों में से एक बन गए हैं। पोस्ट मजेदार बात यह है कि इनमें से कोई भी कंपनी कोई उत्पाद नहीं बनाती है, फिर भी ये दुनिया की बड़ी और लाभकारी कंपनियां बन गई हैं। जाहिर है, लोगों के कुछ कहने की आदत के कारण यानी सिर्फ यूजर जेनरेटेड कंटेंट के कारण ये कंपनियां मुनाफा कमा रही हैं।

भारत में बेशक अभी अमेरिका जैसी स्थिति नहीं है, पर लोग अपनी निजता की सुरक्षा के लिए सब कुछ सोशल मीडिया पर डालने की मानसिकता से किनारा कर रहे हैं। इसका एक बड़ा कारण सोशल मीडिया एकाउंट का उपयोग मार्केटिंग और ब्रांडिग के लिए किए जाने के अलावा मीडिया लिट्रेसी का प्रचार-प्रसार भी है। वैसे भी सोशल मीडिया पर आते ही उपभोक्ता डाटा में तब्दील हो जाता है। इस तरह देश में हर सेकंड असंख्य मात्रा में डाटा जेनरेट हो रहा है, जिसका फायदा इंटरनेट के व्यवसाय में लगी कंपनियों को हो रहा है।

क्या होगा सोशल मीडिया का विकल्प

आधिकारिक तौर पर सोशल मीडिया (Social Media) से भारत में कितने रोजगार पैदा हुए, इसका उल्लेख नहीं मिलता, क्योंकि ये सारी कंपनियां इनसे संबंधित आंकड़े सार्वजनिक नहीं करतीं। साथ ही प्रत्यक्ष रोजगार के काफी कम होने का संकेत इन कंपनियों के कर्मचारियों की कम संख्या से प्रमाणित होता है। अब सोशल मीडिया कंपनियां उपयोगकर्ताओं को ज्यादा व्यक्तिगत अनुभव देने की ओर अग्रसर हैं। वे मैसेजिंग जैसे अधिक निजी उपयोगकर्ता अनुभवों में निवेश कर रही हैं और बातचीत को ज्यादा सुरक्षित बना रही हैं, जिसमें लोगों को अंतरंग साथियों के लिए पोस्ट करने के लिए प्रोत्साहित करना भी शामिल है। हाल ही में इंस्टाग्राम ने क्लोज फ्रेंड्स फीचर जारी किया है। इन सबके बावजूद सोशल मीडिया से लोगों की बढ़ती अरुचि किसी नए माध्यम के विकास का बहाना बनेगी या नए यूजर की बढ़ती संख्या इसे ही बनाए रखेगी, यह देखना दिलचस्प होगा। Social Media

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