अखिलेश यादव बोले-चुनाव आयोग बना जुगाड़ आयोग, 18 हजार हलफनामे, जवाब सिर्फ 14 का

अखिलेश यादव बोले-चुनाव आयोग बना जुगाड़ आयोग, 18 हजार हलफनामे, जवाब सिर्फ 14 का
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calendar01 Sep 2025 04:49 PM
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समाजवादी पार्टी अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोमवार को चुनाव आयोग पर सीधा हमला बोला और उसे जुगाड़ आयोग करार दिया। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश ने आरोप लगाया कि उनकी पार्टी ने 18 हजार हलफनामे दाखिल किए, लेकिन आयोग ने उनमें से सिर्फ 14 पर ही कार्रवाई की। उन्होंने सवाल उठाया कि जब आयोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद से करोड़ों रुपये के घोटाले का खुलासा कर सकता है, तो फिर सपा के हलफनामों को क्यों नजरअंदाज किया गया? UP News :

अखिलेश ने चुनाव आयोग पर लगाया आरोप

अखिलेश यादव ने कहा कि पंचायत चुनावों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है। उनका दावा है कि 1.25 करोड़ से ज्यादा मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए गए, जबकि एआई के जरिये फर्जी मतदाताओं की पहचान का काम दिखाया जा रहा है। उन्होंने वीडियो शेयर कर इस कथित गड़बड़ी को सामने रखा और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए।

18 हजार में से 14 हलफनामों का जवाब

सपा अध्यक्ष का कहना है कि उनकी पार्टी ने चुनाव आयोग को 18 हजार हलफनामे सौंपे थे, जिनमें मतदाता सूची की अनियमितताओं और कथित वोट चोरी की शिकायतें दर्ज थीं। लेकिन अब तक 17,986 हलफनामों को नजरअंदाज कर दिया गया है। अखिलेश यादव ने एक अन्य पोस्ट में बीजेपी पर विश्वविद्यालयों के भगवाकरण का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने शिक्षा संस्थानों का राजनीतिकरण कर दिया है, जिससे छात्रों की पढ़ाई और भविष्य पर सीधा असर पड़ रहा है। अखिलेश ने तंज कसते हुए लिखा कि बीजेपी जाए तो शिक्षा आए। UP News
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उत्तर प्रदेश सरकार ने किया जेल की तरफ रूख, कारण खास है

उत्तर प्रदेश सरकार ने किया जेल की तरफ रूख, कारण खास है
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userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 10:23 AM
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उत्तर प्रदेश सरकार ने जेल की तरफ भी अपना रूख मोड़ा है। आमतौर पर प्रदेश सरकार प्रदेश की जेल की व्यवस्था पर ध्यान नहीं देती है। सोमवार 01 सितंबर 2025 को उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश की जेलों क तरफ बड़ा फोकस किया है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जेल की तरफ रूख करने का कारण बहुत ही खास कारण है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद उत्तर प्रदेश सरकार का रूख जेल की तरफ मोड़ा है।  UP News

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने की जेल व्यवस्था की बड़ी समीक्षा

सोमवार 01 सितंबर 2025 का दिन उत्तर प्रदेश की अलग-अलग जेल में बंद कैदियों के लिए खास दिन बन गया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की जेल व्यवस्था पर फोकस करते हुए जेल प्रशासन के काम काज की समीक्षा की। जेल की व्यवस्थाओं की समीक्षा करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने प्रदेश की अलग-अलग जेल में बंद कैदियों के कल्याण के लिए बड़ी घोषणा भी की है। हम आपको विस्तार से बता रहे हैं कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों के कल्याण के लिए क्या नई घोषणा की हैं।  UP News UP News

उत्तर प्रदेश की अलग-अलग जेल में बंद बीमार कैदी होंगे रिहा

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अपने सरकारी आवास पर जेल प्रशासन के कामकाज की पूरी समीक्षा की। समीक्षा बैठक में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने जेल में बंद बीमार कैदियों को रिहा करने के निर्देश दिए। उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि सोमवार को कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवाओं की समीक्षा बैठक में उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का अनुपालन करते हुए प्रदेश की नीति को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि पात्र बंदियों की रिहाई स्वत: विचाराधीन होनी चाहिए और इसके लिए उन्हें अलग से आवेदन न करना पड़े।  UP News मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि प्राणघातक रोग से पीडि़त होने की आशंका वाले सिद्धदोष बंदी, जिसे मुक्त करने पर उसके स्वस्थ होने की उपयुक्त संभावना है तथा वृद्धावस्था, अशक्तता या बीमारी के कारण भविष्य में ऐसा अपराध करने में स्थायी रूप से असमर्थ बंदी, जिसके लिये वह दोषी ठहराया गया हो के साथ-साथ घातक बीमारी या किसी प्रकार की अशक्तता से पीडि़त सिद्धदोष बंदी जिसकी मृत्यु निकट भविष्य में होने की संभावना हो, के संबंध में प्रदेश के सभी कारागारों में सर्वेक्षण कर वास्तविक संख्या का आकलन किया जाए। इनमें महिलाओं, बुजुर्गों को प्राथमिकता के आधार पर रिहा करने की व्यवस्था हो।  मुख्यमंत्री ने कैदियों को कृषि, गोसेवा आदि कार्यों से जोडक़र उनकी जेल अवधि के सदुपयोग करने के लिए व्यवस्था बनाने की भी आवश्यकता बताई।  UP News

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उत्तर प्रदेश में बदला जाएगा जेल मैनुअल

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि जेल मैनुअल में यह भी स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना आवश्यक है कि किन बीमारियों को असाध्य रोग की श्रेणी में रखा जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज की सुरक्षा सर्वोपरि है। इसलिए समयपूर्व रिहाई उन्हीं मामलों में की जानी चाहिए, जहाँ से सामाजिक जोखिम न हो। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि हत्या, आतंकवाद, देशद्रोह, महिला और बच्चों के विरुद्ध जघन्य अपराध जैसे मामलों में रिहाई कतई नहीं की जानी चाहिए। नियमों में बदलाव पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक वर्ष तीन बार जनवरी, मई और सितम्बर में पात्र बंदियों के मामलों की स्वत: समीक्षा की व्यवस्था हो।  UP News यदि किसी बंदी को रिहाई न दी जाए तो उसके कारण स्पष्ट रूप से दर्ज किए जाएं और उसे यह अधिकार मिले कि वह उस निर्णय को चुनौती दे सके। बैठक में अधिकारियों ने जानकारी दी कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) द्वारा सुझाई गई प्रणाली को उत्तर प्रदेश में अपनाने पर भी विचार किया जा रहा है, ताकि बंदियों को न्यायिक अधिकारों का लाभ सुचारू रूप से मिल सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया निष्पक्ष, त्वरित और मानवीय संवेदनाओं पर आधारित होनी चाहिए तथा जल्द ही नई नीति का प्रारूप तैयार कर अनुमोदन हेतु प्रस्तुत किया जाए।   UP News
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उत्तर प्रदेश सरकार बदलेगी कानून, बनेगा नया कानून

उत्तर प्रदेश सरकार बदलेगी कानून, बनेगा नया कानून
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Sep 2025 03:20 PM
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उत्तर प्रदेश सरकार भारत सरकार के नक्शे कदम पर चल रही है। भारत सरकार को पुराने कानून बदलने वाली सरकार कहा जाता है। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी कानून बदलने की दिशा में बड़ी पहल कर दी है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ी घोषणा करते हुए प्रदेश में पुराना कानून बदलकर नया कानून बनाने का ऐलान कर दिया है। उत्तर प्रदेश सरकार की कानून बदलने की योजना ने हर किसी को चौंका दिया है। UP News 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कर दी कानून बदलने की बड़ी घोषणा

सोमवार का दिन उत्तर प्रदेश के लिए एक बड़ी खबर लेकर आया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में चल रहे पुराने कानून के स्थान पर नया कानून लाने की घोषणा कर दी है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की घोषणा को प्रदेश सरकार का बहुत बड़ा कदम बताया जा रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार के इस फैसले ने उन सभी लोगों को चौंका दिया है जो यह मानकर चल रहे थे कि सैकड़ों साल पुराने कानून उत्तर प्रदेश सरकार नहीं बदल सकती।

आप भी जान लीजिए कौन सा कानून बदलेगी उत्तर प्रदेश सरकार

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के स्थान पर उत्तर प्रदेश में नया कानून लागू किए जाने की बड़ी घोषणा कर दी है। उन्होंने कहा है कि सोसाइटी के रूप में पंजीकृत संस्थाओं के पंजीकरण, नवीनीकरण तथा उनकी संपत्तियों के पारदर्शी प्रबंधन को सुदृढ़ करने के लिए युगानुकूल और व्यावहारिक प्रावधान किए जाने चाहिए। वर्तमान अधिनियम में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने, निष्क्रिय अथवा संदिग्ध संस्थाओं के निरस्तीकरण/विघटन और संपत्ति के सुरक्षित प्रबंधन, तथा सदस्यता, प्रबंधन और चुनाव संबंधी विवादों के समयबद्ध निस्तारण के स्पष्ट प्रावधानों का अभाव है। इसी प्रकार, वित्तीय अनुशासन के लिए ऑडिट, निधियों के दुरुपयोग पर नियंत्रण और संपत्ति प्रबंधन से संबंधित नियम भी पर्याप्त नहीं हैं। ऐसे में यह आवश्यक है कि व्यावहारिकता का ध्यान रखते हुए युगानुकूल नया कानून बनाकर नया सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम लागू किया जाए। उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना की उपस्थिति में सोमवार को हुई बैठक में प्रस्तावित कानून पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इसमें ऐसे प्रावधान किए जाने चाहिए, जो पारदर्शिता, जवाबदेही और सदस्य हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट हो या सोसाइटी, कुछ लोगों की कुत्सित मानसिकता के चलते संस्थाओं की संपत्तियों की मनमानी बिक्री न हो, यह रोकने के लिए ठोस व्यवस्था की जानी चाहिए। विवाद की स्थिति में प्रशासक नियुक्त किये जाने को अनुपयुक्त बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी संस्था कैसे संचालित होगी, यह प्रबंध समिति ही तय करे। सरकार अथवा स्थानीय प्रशासन की ओर से संस्थाओं के आंतरिक कामकाज में न्यूनतम हस्तक्षेप ही होना चाहिए।

उत्तर प्रदेश में आठ लाख से अधिक संस्थाएं हैं पंजीकृत

कानून बदलने के लिए बुलाई गई बैठक में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में वर्तमान में लगभग आठ लाख से अधिक संस्थाएँ पंजीकृत हैं, जिनकी गतिविधियां शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक समरसता, ग्रामीण विकास, उद्योग, खेल आदि अनेक क्षेत्रों से जुड़ी हुई हैं। इसलिए उनके संचालन, सदस्यता, चुनाव और वित्तीय अनुशासन से जुड़ी व्यवस्थाओं को सुव्यवस्थित करना आवश्यक है। उन्होंने कहा किया कि निष्क्रिय अथवा संदिग्ध संस्थाओं के विघटन, निरस्तीकरण और संपत्ति के सुरक्षित प्रबंधन के लिए अधिनियम में ठोस प्रावधान होना चाहिए। साथ ही सदस्यता विवाद, प्रबंधन समिति में मतभेद, वित्तीय अनियमितताओं तथा चुनाव संबंधी विवादों के त्वरित और समयबद्ध निस्तारण की व्यवस्था की जानी उचित होगी।

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मुख्यमंत्री ने बैठक में यह भी कहा कि पंजीकरण और नवीनीकरण की प्रक्रिया ऑनलाइन, केवाईसी आधारित और समयबद्ध होनी चाहिए। वित्तीय लेन-देन की जवाबदेही तथा लेखा-परीक्षा की प्रक्रिया को और अधिक सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। नए कानून को यथाशीघ्र तैयार करने के निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी आवश्यक प्रावधान इस प्रकार तैयार किए जाएँ, जिससे प्रदेश की पंजीकृत संस्थाएं समाजोपयोगी कार्यों को और प्रभावी ढंग से संपादित कर सकें तथा पारदर्शिता और सुशासन की भावना को आगे बढ़ा सकें। UP News