A.P.J Abdul Kalam : के अनसुने किस्से,जब अब्दुल कलाम ने वाजपेयी मंत्रिमंडल में शामिल होने से किया इंकार

भारत रत्न से सम्मानित:
1 मार्च , 1998 को राष्ट्पति भवन में भारत रत्न के पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान डॉ कलाम काफी नर्वस थे। कलाम इसलिए नर्वस थे कि उन्हें उस तरह के कपड़े पहनना बिल्कुल पसंद नहीं था जिसमें वो खुद को असहज महसूस करें इसलिये वह अपनी नीली धारी वाली टाई को बार-बार छू कर देख रहे थे। भारत रत्न सम्मान समारोह में उन्हें तैयार हो कर जाना था । यहाँ तक कि वो चमड़े के जूतों की जगह हमेशा स्पोर्ट्स शू पहनना ही पसंद करते थे।भारत रत्न का सम्मान ग्रहण करने के बाद उन्हें सबसे पहले बधाई देने वालों में से एक थे अटल बिहारी वाजपेई । [caption id="attachment_104676" align="aligncenter" width="1742"]
A.P.J Abdul Kalam[/caption]
जब मिला था मंत्री बनने का न्यौता :
अटल बिहारी वाजपेयी की कलाम से पहली मुलाकात 1980 में हुई थी। उसके बाद जब वो पहली बार प्रधानमंत्री बने थे तो उन्होंने अब्दुल कलाम को मंत्री बनने का ऑफर दिया था। इसके लिए कलाम को एक दिन का समय भी दिया गया था लेकिन उन्होंने उस पद को ठुकरा कर कहा था वो विज्ञान के फील्ड में अभी और काम करना चाहते हैं। A.P.J Abdul Kalam : 1980 मे ही प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने उन्हें और प्रोफ़ेसर सतीश धवन को एसएलवी 3 के सफलतापूर्ण प्रक्षेपण के बाद प्रमुख साँसदों से मिलने के लिए बुलवाया था कलाम जी को जब इस आमंत्रण का पता चला तो वो थोड़ा घबरा गये और धवन से बोले की धवन मेरे पास ना तो सूट है ना ही जूते है । मेरे पास ले दे के मेरी चेर्पू है (चप्पल के लिए तमिल शब्द )। तब सतीश धवन ने मुस्कराते हुए उनसे कहा था, 'कलाम तुम पहले से ही सफलता का सूट पहने हुए हो। इसलिए हर हालत में वहाँ पहुंचो।' उस बैठक में जब इंदिरा गाँधी ने कलाम का अटल बिहारी वाजपेयी से परिचय कराया तो उन्होंने कलाम से हाथ मिलाने की बजाए उन्हें गले लगा लिया। ये देखते ही इंदिरा गाँधी(Indira Gandhi) शरारती ढंग से मुस्कराई और उन्होंने वाजपेयी की चुटकी लेते हुए कहा, 'अटलजी लेकिन कलाम मुसलमान हैं।' तब वाजपेयी ने जवाब दिया, 'जी हाँ लेकिन वो भारतीय पहले हैं और एक महान वैज्ञानिक हैं।" 2002 को एपीजे अब्दुल कलाम को अन्ना विश्वविद्यलय के कुलपति डाक्टर कलानिधि का संदेश मिला कि प्रधानमंत्री उनसे संपर्क करना चाहते हैं। इसलिए वो कुलपति के ऑफिस में पहुंचे। अटल जी ने उनके सामने राष्ट्रपति बनने का प्रस्ताव पेश किया। कलाम ने अटल जी से वक्त मांगा था। तब अटल जी ने कहा था आप टाइम ले लीजिए लेकिन में हां सुनना चाहता हूं। जिसके बाद 18 जुलाई 2002 को एपीजे अब्दुल कलाम ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली।कलाम सूट की कहानी:
बरसों से नीली कमीज़ और स्पोर्ट्स शू पहन रहे अब्दुल कलाम को बंद गले के सूट मे घुटन हो रही थी। तो उन्होंने दर्जी को इसमे बदलाव करने को कहा। दर्जी कुछ टाइम तक सोचता रहा फिर कलाम ने उसे गले से थोड़ा काट कर खुला करने का आईडिया दिया। इसके बाद से कलाम के इस कट के सूट को 'कलाम सूट' कहा जाने लगा। टाई उन्हे एक उद्देश्यहीन वस्त्र लगती थी। एक बार वो अपनी टाई से चश्मा साफ करने लगे तो उनके सहयोगी ने उन्हें ऐसे करने से टोका तो उन्होंने कहा कि इस कुछ न इस्तेमाल होने वाली टाई का कुछ तो इस्तेमाल कर लूं।" A.P.J Abdul Kalam कुरान और गीता दोनो पढ़तें थे: डाक्टर कलाम के प्रेस सचिव रहे एस एम ख़ाँ बताते है ।' डाक्टर कलाम धार्मिक मुसलमान थे और हर दिन सुबह यानि फ़ज्र की नमाज़ पढ़ा करते थे। मैंने अक्सर उन्हें कुरान और गीता पढ़ते हुए भी देखा था। वो स्वामी थिरुवल्लुवर के उपदेशों की किताब 'थिरुक्कुरल' तमिल में पढ़ा करते थे। वो पक्के शाकाहारी थे और शराब से उनका दूर दूर का वास्ता नहीं था। पूरे देश में निर्देश भेज दिए गए थे कि वो जहाँ भी ठहरे उन्हें सादा शाकाहारी खाना ही परोसा जाए। शिलांग में दी थी लास्ट स्पीच: [caption id="attachment_104677" align="aligncenter" width="750"]
A.P.J Abdul Kalam[/caption]
27 जुलाई, 2015 को भारत के पूर्व राष्ट्रपति A.P.J Abdul Kalam का निधन हो गया था जब उनका निधन हुआ वो शिलांग में जब छात्र-छात्राओं के बीच मंच से भाषण देने पहुंचे तो तब शायद ही किसी को अंदाजा होगा कि यह उनकी लास्ट स्पीच है।
Anmol Ratna Ep#3: यशस्वी भवः
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भारत रत्न से सम्मानित:
1 मार्च , 1998 को राष्ट्पति भवन में भारत रत्न के पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान डॉ कलाम काफी नर्वस थे। कलाम इसलिए नर्वस थे कि उन्हें उस तरह के कपड़े पहनना बिल्कुल पसंद नहीं था जिसमें वो खुद को असहज महसूस करें इसलिये वह अपनी नीली धारी वाली टाई को बार-बार छू कर देख रहे थे। भारत रत्न सम्मान समारोह में उन्हें तैयार हो कर जाना था । यहाँ तक कि वो चमड़े के जूतों की जगह हमेशा स्पोर्ट्स शू पहनना ही पसंद करते थे।भारत रत्न का सम्मान ग्रहण करने के बाद उन्हें सबसे पहले बधाई देने वालों में से एक थे अटल बिहारी वाजपेई । [caption id="attachment_104676" align="aligncenter" width="1742"]
A.P.J Abdul Kalam[/caption]
जब मिला था मंत्री बनने का न्यौता :
अटल बिहारी वाजपेयी की कलाम से पहली मुलाकात 1980 में हुई थी। उसके बाद जब वो पहली बार प्रधानमंत्री बने थे तो उन्होंने अब्दुल कलाम को मंत्री बनने का ऑफर दिया था। इसके लिए कलाम को एक दिन का समय भी दिया गया था लेकिन उन्होंने उस पद को ठुकरा कर कहा था वो विज्ञान के फील्ड में अभी और काम करना चाहते हैं। A.P.J Abdul Kalam : 1980 मे ही प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने उन्हें और प्रोफ़ेसर सतीश धवन को एसएलवी 3 के सफलतापूर्ण प्रक्षेपण के बाद प्रमुख साँसदों से मिलने के लिए बुलवाया था कलाम जी को जब इस आमंत्रण का पता चला तो वो थोड़ा घबरा गये और धवन से बोले की धवन मेरे पास ना तो सूट है ना ही जूते है । मेरे पास ले दे के मेरी चेर्पू है (चप्पल के लिए तमिल शब्द )। तब सतीश धवन ने मुस्कराते हुए उनसे कहा था, 'कलाम तुम पहले से ही सफलता का सूट पहने हुए हो। इसलिए हर हालत में वहाँ पहुंचो।' उस बैठक में जब इंदिरा गाँधी ने कलाम का अटल बिहारी वाजपेयी से परिचय कराया तो उन्होंने कलाम से हाथ मिलाने की बजाए उन्हें गले लगा लिया। ये देखते ही इंदिरा गाँधी(Indira Gandhi) शरारती ढंग से मुस्कराई और उन्होंने वाजपेयी की चुटकी लेते हुए कहा, 'अटलजी लेकिन कलाम मुसलमान हैं।' तब वाजपेयी ने जवाब दिया, 'जी हाँ लेकिन वो भारतीय पहले हैं और एक महान वैज्ञानिक हैं।" 2002 को एपीजे अब्दुल कलाम को अन्ना विश्वविद्यलय के कुलपति डाक्टर कलानिधि का संदेश मिला कि प्रधानमंत्री उनसे संपर्क करना चाहते हैं। इसलिए वो कुलपति के ऑफिस में पहुंचे। अटल जी ने उनके सामने राष्ट्रपति बनने का प्रस्ताव पेश किया। कलाम ने अटल जी से वक्त मांगा था। तब अटल जी ने कहा था आप टाइम ले लीजिए लेकिन में हां सुनना चाहता हूं। जिसके बाद 18 जुलाई 2002 को एपीजे अब्दुल कलाम ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली।कलाम सूट की कहानी:
बरसों से नीली कमीज़ और स्पोर्ट्स शू पहन रहे अब्दुल कलाम को बंद गले के सूट मे घुटन हो रही थी। तो उन्होंने दर्जी को इसमे बदलाव करने को कहा। दर्जी कुछ टाइम तक सोचता रहा फिर कलाम ने उसे गले से थोड़ा काट कर खुला करने का आईडिया दिया। इसके बाद से कलाम के इस कट के सूट को 'कलाम सूट' कहा जाने लगा। टाई उन्हे एक उद्देश्यहीन वस्त्र लगती थी। एक बार वो अपनी टाई से चश्मा साफ करने लगे तो उनके सहयोगी ने उन्हें ऐसे करने से टोका तो उन्होंने कहा कि इस कुछ न इस्तेमाल होने वाली टाई का कुछ तो इस्तेमाल कर लूं।" A.P.J Abdul Kalam कुरान और गीता दोनो पढ़तें थे: डाक्टर कलाम के प्रेस सचिव रहे एस एम ख़ाँ बताते है ।' डाक्टर कलाम धार्मिक मुसलमान थे और हर दिन सुबह यानि फ़ज्र की नमाज़ पढ़ा करते थे। मैंने अक्सर उन्हें कुरान और गीता पढ़ते हुए भी देखा था। वो स्वामी थिरुवल्लुवर के उपदेशों की किताब 'थिरुक्कुरल' तमिल में पढ़ा करते थे। वो पक्के शाकाहारी थे और शराब से उनका दूर दूर का वास्ता नहीं था। पूरे देश में निर्देश भेज दिए गए थे कि वो जहाँ भी ठहरे उन्हें सादा शाकाहारी खाना ही परोसा जाए। शिलांग में दी थी लास्ट स्पीच: [caption id="attachment_104677" align="aligncenter" width="750"]
A.P.J Abdul Kalam[/caption]
27 जुलाई, 2015 को भारत के पूर्व राष्ट्रपति A.P.J Abdul Kalam का निधन हो गया था जब उनका निधन हुआ वो शिलांग में जब छात्र-छात्राओं के बीच मंच से भाषण देने पहुंचे तो तब शायद ही किसी को अंदाजा होगा कि यह उनकी लास्ट स्पीच है।
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Haryana Flood[/caption]
पुलिस प्रशासन व सरकार इस आपदा से निपटने में नाकामयाब होती नजर आई है । निचले इलाकों में NDRF, HDRF और आर्मी की टीम को लगाया गया था इसके साथ पुलिस प्रशासन भी लोगों की मदद कर रहे थे । लेकिन ये मदद कितने लोग तक पहुंच पाई और कितने नहीं ये बता पाना बहुत मुश्किल है क्योंकि इसका कोई आंकड़ा सामने नहीं आया है । अंबाला जिला में कई राहत शिविर भी लगाए गए और कई सामाजिक संस्थाएं भी आगे आई । अंबाला विधायक ने खुद कई जगहों का दौरा भी किया । लेकिन बहुत से लोग नाखुश दिखाई दिये और विधायक पर कई गंभीर आरोप भी लगाए ।
Haryana Flood[/caption]
जिला अंबाला में बाढ़ से मरने वालों की संख्या 9 तक पहुंच गई है । इसके साथ ही कई पशु भी इस बाढ़ की चपेट में आने से मर चुके है । हालाकिं सरकार ने बाढ़ से मरने वाले लोगों के परिजनों को मुआवजा देने की बात कही है और जिनका बाढ़ में नुकसान हुआ है उन्हें भी मुआवजा देने के लिए कहा है । लेकिन इसको लेकर भी खानापूर्ति ही होगी या लोगों तक मुआवजा पहुंच पाएगा ये भविष्य के गर्भ में है ।