A.P.J Abdul Kalam : के अनसुने किस्से,जब अब्दुल कलाम ने वाजपेयी मंत्रिमंडल में शामिल होने से किया इंकार

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A.P.J Abdul Kalam 
locationभारत
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calendar29 Jul 2023 10:18 PM
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  A.P.J Abdul Kalam : भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में अहम किरदार निभाने वाले A.P.J Abdul Kalam  को "भारत का मिसाइल मैन" भी कहा जाता है। वे भारत के ग्यारहवें और पहले गैर-राजनीतिज्ञ राष्ट्रपति रहे, जिनको ये पद तकनीकी एवं विज्ञान में विशेष योगदान की वजह से मिला था। वे एक इंजिनियर व् वैज्ञानिक थे, कलाम जी 2002-07 तक भारत के राष्ट्रपति भी रहे। A.P.J Abdul Kalam का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को धनुषकोडी गांव, रामेश्वरम, तमिलनाडु में मछुआरे परिवार में हुआ था, वे तमिल मुसलमान थे। इनका पूरा नाम डॉक्टर अवुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम है। परिवार की मदद के लिए डॉ. A.P.J Abdul Kalam ने छोटी सी उम्र में ही अखबार पत्रिका का काम शुरू कर दिया था। 1950 में कलाम जी ने बी एस सी की परीक्षा st. Joseph’s college से पूरी की. इसके बाद 1954-57 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (MIT) से एरोनिटिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया। वर्ष 1963-64 में अब्दुल कलाम ने अमेरिकी संगठन नासा (NASA) का भी दौरा किया। सन 1997 में APJ अब्दुल कलाम को विज्ञान एवं भारतीय रक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए भारत के सबसे बड़े सम्मान “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया। ये फ़ैसला  प्रधानमंत्री इंदर कुमार गुजराल की सरकार ने किया था।  

भारत रत्न से सम्मानित:

1 मार्च , 1998 को राष्ट्पति भवन में भारत रत्न के पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान डॉ कलाम काफी नर्वस थे। कलाम इसलिए नर्वस थे कि उन्हें उस तरह के कपड़े पहनना बिल्कुल पसंद नहीं था जिसमें वो खुद को असहज महसूस करें इसलिये वह अपनी नीली धारी वाली टाई को बार-बार छू कर देख रहे थे। भारत रत्न सम्मान समारोह में उन्हें तैयार हो कर जाना था । यहाँ तक कि वो चमड़े के जूतों की जगह हमेशा स्पोर्ट्स शू पहनना ही पसंद करते थे।भारत रत्न का सम्मान ग्रहण करने के बाद उन्हें सबसे पहले बधाई देने वालों में से एक थे अटल बिहारी वाजपेई । [caption id="attachment_104676" align="aligncenter" width="1742"]A.P.J Abdul Kalam A.P.J Abdul Kalam[/caption]

जब मिला था मंत्री बनने का न्यौता :

अटल बिहारी वाजपेयी की कलाम से पहली मुलाकात 1980 में हुई थी। उसके बाद जब वो पहली बार प्रधानमंत्री बने थे तो उन्होंने अब्दुल कलाम को मंत्री बनने का ऑफर दिया था। इसके लिए कलाम को एक दिन का समय भी दिया गया था लेकिन उन्होंने उस पद को ठुकरा कर कहा था वो विज्ञान के फील्ड में अभी और काम करना चाहते हैं। A.P.J Abdul Kalam : 1980 मे ही प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने उन्हें और प्रोफ़ेसर सतीश धवन को एसएलवी 3 के सफलतापूर्ण प्रक्षेपण के बाद प्रमुख साँसदों से मिलने के लिए बुलवाया था कलाम जी को जब इस आमंत्रण का पता चला तो वो थोड़ा घबरा गये और धवन से बोले की धवन मेरे पास ना तो सूट है ना ही जूते है । मेरे पास ले दे के मेरी चेर्पू है (चप्पल के लिए तमिल शब्द )। तब सतीश धवन ने मुस्कराते हुए उनसे कहा था, 'कलाम तुम पहले से ही सफलता का सूट पहने हुए हो। इसलिए हर हालत में वहाँ पहुंचो।' उस बैठक में जब इंदिरा गाँधी ने कलाम का अटल बिहारी वाजपेयी से परिचय कराया तो उन्होंने कलाम से हाथ मिलाने की बजाए उन्हें गले लगा लिया। ये देखते ही इंदिरा गाँधी(Indira Gandhi) शरारती ढंग से मुस्कराई और उन्होंने वाजपेयी की चुटकी लेते हुए कहा, 'अटलजी लेकिन कलाम मुसलमान हैं।' तब वाजपेयी ने जवाब दिया, 'जी हाँ लेकिन वो भारतीय पहले हैं और एक महान वैज्ञानिक हैं।" 2002 को एपीजे अब्दुल कलाम को अन्ना विश्वविद्यलय के कुलपति डाक्टर कलानिधि का संदेश मिला कि प्रधानमंत्री उनसे संपर्क करना चाहते हैं। इसलिए वो कुलपति के ऑफिस में पहुंचे। अटल जी ने उनके सामने राष्ट्रपति बनने का प्रस्ताव पेश किया। कलाम ने अटल जी से वक्त मांगा था। तब अटल जी ने कहा था आप टाइम ले लीजिए लेकिन में हां सुनना चाहता हूं। जिसके बाद 18 जुलाई 2002 को एपीजे अब्दुल कलाम ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली।

कलाम सूट  की कहानी:

बरसों से नीली कमीज़ और स्पोर्ट्स शू पहन रहे अब्दुल कलाम को बंद गले के सूट मे घुटन हो रही थी। तो उन्होंने दर्जी को इसमे बदलाव करने को कहा। दर्जी कुछ टाइम तक सोचता रहा फिर कलाम ने उसे गले से थोड़ा काट कर खुला करने का आईडिया दिया। इसके बाद से कलाम के इस कट के सूट को 'कलाम सूट' कहा जाने लगा। टाई उन्हे एक उद्देश्यहीन वस्त्र लगती थी। एक बार वो अपनी टाई से चश्मा साफ करने लगे तो उनके सहयोगी ने उन्हें ऐसे करने से टोका तो उन्होंने कहा कि इस कुछ न इस्तेमाल होने वाली टाई का कुछ तो इस्तेमाल कर लूं।" A.P.J Abdul Kalam  कुरान और गीता दोनो पढ़तें थे: डाक्टर कलाम के प्रेस सचिव रहे एस एम ख़ाँ बताते है ।' डाक्टर कलाम धार्मिक मुसलमान थे और हर दिन सुबह यानि फ़ज्र की नमाज़ पढ़ा करते थे। मैंने अक्सर उन्हें कुरान और गीता पढ़ते हुए भी देखा था। वो स्वामी थिरुवल्लुवर के उपदेशों की किताब 'थिरुक्कुरल' तमिल में पढ़ा करते थे। वो पक्के शाकाहारी थे और शराब से उनका दूर दूर का वास्ता नहीं था। पूरे देश में निर्देश भेज दिए गए थे कि वो जहाँ भी ठहरे उन्हें सादा शाकाहारी खाना ही परोसा जाए। शिलांग में दी थी लास्ट स्पीच: [caption id="attachment_104677" align="aligncenter" width="750"]A.P.J Abdul Kalam A.P.J Abdul Kalam[/caption] 27 जुलाई, 2015 को भारत के पूर्व राष्ट्रपति A.P.J Abdul Kalam का निधन हो गया था जब उनका निधन हुआ वो शिलांग में जब छात्र-छात्राओं के बीच मंच से भाषण देने पहुंचे तो तब शायद ही किसी को अंदाजा होगा कि यह उनकी लास्ट स्पीच है।

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World Tiger Day : कब आया विश्व बाघ दिवस अस्तित्व में, जानें इस दिन जुड़ी सभी खास बातें

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calendar29 Jul 2023 02:25 PM
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सुप्रिया श्रीवास्तव, 29 जुलाई 
World Tiger Day- बाघों को हम सभी जंगली बिल्ली के नाम से भी जानते हैं। हर साल 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस को इसलिए मनाया जाता है ताकि लोगों को इनकी घटती आबादी के प्रति जागरूक किया जा सके। ये तो हम सभी जानते ही हैं कि बाघों की संख्या पिछले कुछ सालों में कितनी तेजी से कम हुई है। भारत में भले ही Tiger reserve हैं, लेकिन वहां पर आपको Tiger देखने को नहीं मिलेंगे। ऐसे में इन्हें बचाना देश की पहली ज़िम्मेदारी है। आज दुनियाभर में 13वां अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस (World Tiger Day) मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य है बाघों की Natural habitats की रक्षा करने के लिए वैश्विक प्रणाली को बढ़ावा देना। साथ ही बाघों के संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करना। रिपोर्ट के अनुसार अगर हम पिछले 100 सालों में देखें तो जंगली बाघों की 97 प्रतिशत आबादी कम हो गई है। अभी हमारे पास सिर्फ 3,000 बाघ ही जीवित बचे हैं। वहीं 100 वर्षों पहले जीवित बाघों की संख्या 100,000 के आसपास थी। बाघों की संख्या में कमी आना दुनियाभर के तमाम संस्थानों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण बन गया है। फिर चाहे WWF हो या फिर IFAW, हर एक संस्थान बाघों की संख्या में कमी आने को रोकने के प्रयास में लगा हुआ है।

अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस का इतिहास:- (History of World Tiger Day)

आज बाघ दिवस के विशेष मौके पर ये जानना हम सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है कि आखिर यह दिन क्यों मनाया जाता है। बाघ दिवस 2010 में अस्तित्व में आया था। सेंट पीटर्सबर्ग घोषणा पर 13 Tiger range देशों ने हस्ताक्षर किए थे और तभी से 29 जुलाई को World tiger day के रूप में मनाया जाने लगा। उस समय हस्ताक्षर करने वाले देशों ने ये संकल्प लिया था कि 2022 तक बाघों की संख्या को दोगुना करने का संकल्प लिया था। लेकिन इनके अवैध शिकारों की वजह से आज इनकी आबादी न के बराबर हो गयी है। और अगर ऐसे ही चलता रहा तो आने वाले कुछ समय में बाघों की प्रजाति भी विलुप्त हो जाएगी।

बाघों की विभिन्न प्रजातियां:-

बाघों की विभिन्न प्रजातियां हैं। इनमें दक्षिण चीन बाघ, मलय बाघ, इंडोचीनी बाघ, बंगाल बाघ, साइबेरियाई बाघ आदि शामिल हैं। भारत में मुख्यतः बंगाल टाइगर पाए जाते हैं। इन बाघों की आबादी भारत के साथ-साथ नेपाल, भूटान, म्यांमार, चीन और बांग्लादेश में भी काफी कम है। अगर बाघों की उप प्रजाति देखें तो यही प्रजाति अभी सबसे ज्यादा बची हुई है। इस प्रजाति के लगभग 2,500 बाघ अभी जीवित हैं।

World Hepatitis Day 2023: अगर लिवर है कमजोर तो हो सकती हैं गंभीर बीमारियां

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Haryana Flood: बाढ़ से अंबाला में तबाही का मंजर,बाढ़ के बाद पानी-बिजली के पड़े लाले

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Haryana Flood
locationभारत
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calendar01 Dec 2025 11:46 AM
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  Haryana Flood: हरियाणा के अंबाला जिला में बाढ़ के बाद भी स्थितियां सामान्य नहीं हो सकी हैं  जिन इलाकों में पानी भरा था उन इलाकों से पानी तो निकाल लिया गया लेकिन अभी भी उनके सिर पर खतरा मंडरा रहा है। रोजाना प्रशासन की तरफ से उन्हें अलर्ट रहने को कहा जाता है ऐसे में वो लोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी को सुचारू रूप से चला पाने में सक्षम नहीं हो पा रहे है । प्रशासन और सरकार कुछ इलाकों में लोगों तक मदद पहुंचा पाई लेकिन अब भी कुछ इलाके ऐसे है जिन तक न तो प्रशासन पहुंच पाया और न ही सरकार , ऐसे में लोगों का सरकार के प्रति गुस्सा जाहिर करना लाजमी था । अब ये बात निचले इलाक़ों की थी । अंबाला जिले के पोश इलाके भी इस बाढ़ में पानी से लबालब पाए गए ।

अंबाला में बाढ़ के बाद का मंजर

शहरी इलाकों में काफी दिनों तक बिजली और पानी बंद रहा। जिसकी वजह से लोग भड़क गए । भड़के हुई जनता ने रोड और हाइवे जाम करना शुरू कर दिया । ये बात सिर्फ एक इलाके की नहीं बल्कि अंबाला जिले के कई शहरी और ग्रामीण इलाकों के लोगों ने रोड जाम किया ,तो वही कभी बिजली दफ्तर में ताला जड़ दिया । इन स्तिथियों को संभालने के लिए अंबाला पुलिस प्रशासन आगे आया और लोगों को समझा कर रोड खुलवाया गया । इस तरह की तस्वीरें अंबाला जिला में रोजाना आ रही है । यहां तक कि स्तिथि ऐसी है कि अब आधे घंटे की बरसात के बाद ही पानी जमा होना शुरू हो जाता है। स्थानीय लोग बताते है कि वो बाढ़ के जमा पानी से जूझ रहे है । हालाकिं बरसात से पहले प्रशासन और सरकार ने नाले साफ करने की बात कही थी लेकिन उसके बावजूद भी खानापूर्ति ही की गई है । उन्होंने बताया घर मे पीने को साफ पानी नहीं है और बाहर बाजार में पानी के बोतले मिलना भी मुश्किल हो गया है । ऐसे में न तो पार्षद कोई सुध लेता और न ही विधायक । प्रशासन और सरकार ने क्या किया [caption id="attachment_104552" align="aligncenter" width="720"]Haryana Flood Haryana Flood[/caption] पुलिस प्रशासन व सरकार इस आपदा से निपटने में नाकामयाब होती नजर आई है । निचले इलाकों में NDRF, HDRF और आर्मी की टीम को लगाया गया था इसके साथ पुलिस प्रशासन भी लोगों की मदद कर रहे थे । लेकिन ये मदद कितने लोग तक पहुंच पाई और कितने नहीं ये बता पाना बहुत मुश्किल है क्योंकि इसका कोई आंकड़ा सामने नहीं आया है । अंबाला जिला में कई राहत शिविर भी लगाए गए और कई सामाजिक संस्थाएं भी आगे आई । अंबाला विधायक ने खुद कई जगहों का दौरा भी किया । लेकिन बहुत से लोग नाखुश दिखाई दिये और विधायक पर कई गंभीर आरोप भी लगाए ।

बाढ़ से मरने वाले लोगों व पशुओं की संख्या

[caption id="attachment_104553" align="aligncenter" width="1200"]Haryana Flood Haryana Flood[/caption] जिला अंबाला में बाढ़ से मरने वालों की संख्या 9 तक पहुंच गई है । इसके साथ ही कई पशु भी इस बाढ़ की चपेट में आने से मर चुके है । हालाकिं सरकार ने बाढ़ से मरने वाले लोगों के परिजनों को मुआवजा देने की बात कही है और जिनका बाढ़ में नुकसान हुआ है उन्हें भी मुआवजा देने के लिए कहा है । लेकिन इसको लेकर भी खानापूर्ति ही होगी या लोगों तक मुआवजा पहुंच पाएगा ये भविष्य के गर्भ में है ।

हरियाणा के मुख्यमंत्री ने हेलीकॉप्टर से देखे अंबाला के हालात

बाढ़ के बाद ही हरियाणा के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने अंबाला का दौरा किया । मुख्यमंत्री ने हैलीकॉप्टर से अंबाला को देखा तो वही उपमुख्यमंत्री ट्रैक्टर से अंबाला के गांवों में घूमे । इसके साथ ही अधिकारियों के साथ मीटिंग भी हुई । विपक्षी दलों के भी कई नेता बाढ़ से ग्रसित इलाकों में दौरा करने पहुंचे और सरकार को जमकर कोसा।

नोएडा के डूब क्षेत्र में बसी अवैध कालोनियों व फार्म हाउसों पर चलेगा बुल्डोजर Noida News