हैरतअंगेज़ कारनामा : यूरोप के एक देश ने SEX को भी बना डाला है खेल , बाक़ायदा हो रही है SEX की प्रतियोगिता

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calendar03 Jun 2023 10:16 PM
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Sex Championship in Sweden -

SEX एक ऐसी प्राकृतिक प्रक्रिया जो जीव उत्पत्ति का आधार है, भारत जैसे कई देशों में इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया को अत्यंत गोपनीय माना जाता है। खासतौर पर जब बात मनुष्य की हो तो, खुलेआम सेक्स करना न केवल बेहद बेहूदा हरकत है, बल्कि अपराध की श्रेणी में भी आता है, ऐसे में अगर हम कहें कि एक ऐसा देश है जो सेक्स प्रतियोगिता का आयोजन करने जा रहा है, तो बहुत से लोगों खासतौर पर भारतीय लोगों के लिए इस बात पर यकीन करना लगभग नामुमकिन होगा। लेकिन यह कोई काल्पनिक कहानी या सुनी सुनाई बात नहीं है। क्रिकेट, फुटबॉल, टेनिस, वॉलीबॉल, हॉकी, बैडमिंटन और बेसबॉल जैसे कई खेल प्रतिस्पर्धाओ की तरह ही स्वीडन देश अब सेक्स को भी खेल मानते हुए, सेक्स चैंपियनशिप (Sex Championship in Sweden) की मेजबानी करने जा रहा है। स्वीडिश सेक्स फेडरेशन द्वारा 8 जून 2023 से यूरोपियन सेक्स चैंपियनशिप की शुरुआत होने जा रही है।

कई देशों के बीच खिलाड़ी ले रहे हिस्सा -

यूरोपियन सेक्स चैंपियनशिप में कई यूरोपीय देशों के लगभग 20 प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं। यह प्रतियोगिता 8 जून से शुरू होकर कई हफ्तों चलेगी। जिसमें प्रतिभागियों को प्रतिदिन 6 घंटे प्रतियोगिता में हिस्सा लेना होगा। इस चैंपियनशिप में 16 अलग-अलग प्रतियोगिताओं का आयोजन होगा जिसमें विजेता का चुनाव 30% जज के वोट और 70% दर्शकों के वोट के आधार पर किया जाएगा । प्रतियोगिता में अलग अलग राउण्ड खेले जाएँगे जिनमें ‘Seduction, ओरल सेक्स, पेनिट्रेशन, मसाज, अपीयरेंस, मोस्ट एक्टिव कपल जैसी तमाम चीजें शामिल है।

कहां तक जायज है इस तरह की प्रतियोगिताएं ?

स्वीडिश सेक्स फेडरेशन द्वारा 8 जून 2023 से यूरोपियन सेक्स चैंपियनशिप की शुरुआत होने जा रही है, जिसे लेकर यूरोपीय देशों में प्रतिभागियों में इस चैंपियनशिप को लेकर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। स्वीडिश फेडरेशन ऑफ सेक्स के प्रेसीडेंट ड्रैगन ब्राटिक का भी कहना है कि सेक्स को एक खेल के रूप में मान्यता देने से लोगों के बीच मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलेगा, और सेक्स जिसे समाज में एक टैबू की तरह देखा जाता है के प्रति लोगों में उदारता आएगी।

कितना नाजायज

सवाल यह उठता है कि इस तरह की प्रतियोगिताओं का आयोजन करना किस हद तक जायज है? भारत जैसे तमाम कई देशों में जहां सेक्स को बेहद प्राइवेट प्रक्रिया माना जाता है, खुलेआम सेक्स करना तो दूर, इस पर खुलेआम चर्चा करने से भी लोग कतराते हैं, ऐसे में किसी देश का खुलेआम इस तरह की प्रतियोगिता का आयोजन करना किस हद तक सही है। क्या ये भगवान द्वारा बनाए गए संसार के सबसे पवित्र संस्कृति का मजाक बनाना नहीं है ?

Sex Championship – 8 जून से शुरू हो रही पहली यूरोपियन सेक्स प्रतियोगिता, कई देशों के प्रतिभागी ले रहे हिस्सा

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Odisha Rail Accident परिवारों की मदद के लिए एक महीने का वेतन दान करें सांसद: वरुण गांधी

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Odisha Rail Accident
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calendar02 Dec 2025 02:47 AM
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Odisha Rail Accident /नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद वरुण गांधी ने शनिवार को अपने साथी सांसदों से ओडिशा में ट्रेन दुर्घटना के पीड़ितों के परिवारों की मदद के लिए एक महीने का वेतन दान करने का शनिवार को आग्रह किया।

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गांधी ने कहा कि पहले उन्हें सहारा मिलना चाहिए और फिर न्याय।

भाजपा सांसद ने ट्वीट किया, “उड़ीसा की रेल दुर्घटना हृदय विदारक है! जो परिवार इस हादसे से टूटे हैं, हमें उनके साथ चट्टान की तरह खड़ा होना होगा। मेरा सभी साथी सांसदों से निवेदन है कि हम सभी अपनी तनख्वाह का एक हिस्सा शोक संतप्त परिजनों के नाम कर उनकी मदद के लिए आगे आयें। पहले उन्हें सहारा मिले, फिर न्याय।”

ओडिशा में हुई ट्रेन दुर्घटना में कम से कम 261 यात्रियों की मौत हुई है, जबकि एक हजार यात्री घायल हुए हैं।

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Kabir Jayanti 2023 : एक ऐसे संत जिन्होंने समाज को दिखाया आईना और धार्मिक कुरीतियों पर किया कुठाराघात

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Kabir Jayanti 2023
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calendar30 Nov 2025 11:01 PM
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Kabir Jayanti 2023 : कबीर भारतीय संस्कृति एवं साहित्य के वो अनमोल रत्न हैं जिनकी आभा कभी मध्यम नहीं हो पाई। कबीर द्वारा किए गए कार्यों का आज भी उतना ही महत्व है जितना पूर्व की सदियों में रहा। कबीर दास एक भारतीय कवि, दार्शनिक विचारक और संत थे उनके दिव्य ज्ञान, आध्यात्मिक विचार, विश्वासों, नैतिकता और कविताओं से जन मानस आज भी अचंभित हुए बिना नहीं रह पाता है। माना जाता है कि संत कबीर का जन्म 1440 में ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को हुआ था और आज भी उनके अनुयायियों द्वारा उनकी जयंती को हर साल ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन उत्साह एवं शृद्धा के साथ कबीर जयंती के रूप में मनाया। इस वर्ष कबीर जयंती 4 जून 2023 को मनाई जाएगी।

Kabir Jayanti 2023

जब कोई संत प्रत्येक युग में अपनी विचारधारा के साथ मजबूती के साथ खड़ा दिखाई देता है तो उसकी महानता को संपूर्ण विश्व नतमस्त हुए बिना रह नहीं सकता है। यही बात भारत में कबीर के विषय में बहुत ही मजबूती के साथ बिना शक संदेह के कही जा सकती है। कबीर जी का जन्म एवं मृत्यु जितनी संदेहास्पद रही है उतनी ही उनके काव्यों की रचनाएं प्रत्यक्ष रहीं।

कबीर की उलटबांसी के साथ आध्यात्मिक चेतना

कबीर को धर्म विरोधी और धर्म समर्थक दोनों ही रुपों में जाना जा सकता है। किंतु गहरे अर्थों में वो इन सभी से परे थे। उनका दर्शन एवं शिक्षा ऎसी थी जो कहीं से भी किसी के विरोधाभास के लिए नहीं थी अपितु पीड़ित व्यक्ति की वेदना पर मरहम थी. समाज के उत्थान एवं भेदभाव की समाप्ति के लिए ही उनका संपूर्ण जीवन बीता.

भले ही कबीर के जीवन के बारे में विवरण बहुत कम हैं, लेकिन उनके जो भी विचार आज प्राप्त होते हैं वो उनकी असाधारण विचारधारा को दर्शाने में सफल हैं। उनका दर्शन एवं काव्य अदभुत है तभी तो वो कहते हैं

माटी कहे कुम्हार से तू क्यों रौंदे मोहे एक दिन ऐसा आएगा मैं रौंदूंगी तोहे

रामानंद को गुरु रुप में पाया

अपनी आध्यात्मिक खोज को पूरा करने के लिए, कबीर  संत रामानंद जी के शिष्य बनना चाहते थे। कबीर को लगा कि अगर वे किसी तरह अपने गुरु से मंत्र को जान पाते हैं, तो दीक्षा संपूर्ण हो जाएगी। उन्हीं दिनों संत रामानन्द वाराणसी के एक घाट पर नियमित रूप से जाया करते थे। जब कबीर ने उन्हें अपने पास आते देखा, तो वे घाट की सीढ़ियों पर लेट गए और रामानंद से टकरा गए, तब रामानंद जी के मुख से 'राम' शब्द का उच्चारण होता है और कबीर जी को मंत्र मिल जाता है और बाद में रामानंद जी ने उन्हें अपने शिष्य के रूप में स्वीकार कर लिया।

कबीर का जीवन और ऎतिहासिक तथ्य

कबीर के जन्म से संबंधित अनेक कथाएं प्रचलित हैं कबीर जी का विवाह लोई नाम की एक महिला से हुआ था और उनके दो बच्चे भी हुए, एक बेटा, कमल और एक बेटी कमली. कुछ का कहना है कि उन्होंने दो बार शादी की या उन्होंने शादी ही नहीं की, इस प्रकार कई तरह के तथ्य उनके जीवन के विषय में अलग अलग जानकारी देते हैं।

कबीर का आध्यात्मिक से गहरा संबंध था। मोहसिन फानी के दबिस्तान और अबुल फ़ज़ल के आइने अकबरी में उनका उल्लेख मुवाहिद या एक ईश्वर में विश्वास रखने वाले के रूप में किया गया है। कबीर के लिए ईश्वर किसी भी व्यक्तिगत रूप या गुण से परे था। कबीर का अंतिम लक्ष्य एक पूर्ण ईश्वर था जो निराकार है, गुणों से रहित है, जो समय और स्थान से परे है, कार्य-कारण से परे है। कबीर का ईश्वर ज्ञान है, आनंद है।

जाति भेद कभी स्वीकार नहीं किया

समाज सुधार एवं आध्यात्मिकता का मिश्रण कबीर के जीवन से ही जाना जा सकता है। उन्होंने जाति के आधार पर भेद को स्वीकार नहीं किया. एक कहानी के अनुसार पता चलता है कि एक दिन जब कुछ ब्राह्मण अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगा रहे थे, तब कबीर ने अपने लकड़ी के प्याले को पानी से भर दिया और ब्राह्मणों को जल पीने के लिए आग्रह किया, लेकिन छोटी जाति के व्यक्ति द्वारा जल दिए जाने पर वह लोग नाराज हुए जिस पर कबीर ने उत्तर दिया, "यदि गंगा जल मेरे प्याले को शुद्ध नहीं कर सकती है, तो मैं कैसे विश्वास कर सकता हूं कि यह मेरे पापों को धो सकती है।" इसी प्रकार सिर्फ जाति ही नहीं, कबीर ने मूर्ति पूजा के खिलाफ बात की और हिंदुओं और मुसलमानों दोनों के ही गलत विचारों एवं रीति-रिवाजों की आलोचना की। कबीर के अनुसार केवल निश्छल एवं पूर्ण भक्ति से ही ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है। Kabir Jayanti 2023

  • राजरानी
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