JSW Paints बन जाएगी भारत की चौथी सबसे बड़ी पेंट कंपनी, करोड़ों की डील को मिली मंजूरी

JSW Paints बन जाएगी भारत की चौथी सबसे बड़ी पेंट कंपनी, करोड़ों की डील को मिली मंजूरी
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userचेतना मंच
calendar17 Sep 2025 12:53 PM
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भारत के स्टील किंग कहे जाने वाले सज्जन जिंदल की कंपनी JSW Paints को एक बड़ी कामयाबी मिली है। डच पेंट निर्माता अक्जो नोबेल इंडिया (Akzo Nobel India) की 75% हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए JSW पेंट्स को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) से मंजूरी मिल गई है। यह अधिग्रहण करीब ₹12,915 करोड़ का है, जिससे JSW पेंट्स भारत की चौथी सबसे बड़ी पेंट कंपनी बनने जा रही है। JSW Paints

JSW पेंट्स का बड़ा विस्तार

JSW पेंट्स ने जून 2025 में घोषणा की थी कि वह अक्जो नोबेल इंडिया में ₹8,986 करोड़ में 74.76% हिस्सेदारी खरीदेगी, और शेष 25% हिस्सेदारी के लिए ₹3,929 करोड़ की ओपन ऑफर लाएगी। अब इस डील को CCI से हरी झंडी मिल चुकी है। इस अधिग्रहण के बाद JSW पेंट्स की स्थिति भारतीय पेंट मार्केट में और मजबूत हो जाएगी जहां पहले से ही Asian Paints, Berger Paints और Kansai Nerolac जैसे दिग्गज कंपनियां मौजूद हैं।

बिरला और जिंदल दोनों एक्टिव

भारतीय पेंट सेक्टर में बीते कुछ वर्षों में बड़ी हलचल देखने को मिली है। कुमार मंगलम बिड़ला की कंपनी Grasim Industries के Birla Opus ब्रांड ने भी एंट्री कर Asian Paints जैसी पुरानी कंपनियों की हिस्सेदारी को चुनौती दी है। अब सज्जन जिंदल की JSW पेंट्स ने अक्ज़ो नोबेल के भारतीय कारोबार को खरीदकर एक बड़ा कदम उठा लिया है। जानकार मानते हैं कि आने वाले समय में यह डील बाजार की प्रतिस्पर्धा को और तेज करेगी।

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क्या बचा रखेगा अक्जो नोबेल?

डील के बाद भी अक्जो नोबेल एनवी ने साफ किया है कि वह भारत में अपना पाउडर कोटिंग्स बिजनेस और इंटरनेशनल रिसर्च सेंटर अपने पास ही रखेगा। यानी ये हिस्से इस अधिग्रहण में शामिल नहीं होंगे। JSW पेंट्स, भारत के अग्रणी JSW समूह का हिस्सा है जिसकी उपस्थिति स्टील, सीमेंट, ऊर्जा, इंफ्रास्ट्रक्चर, ऑटोमोटिव और अब पेंट्स जैसे कई क्षेत्रों में है। यह अधिग्रहण JSW ग्रुप के कंज्यूमर बिजनेस को और व्यापक बनाएगा।

क्या बोले विशेषज्ञ?

मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह अधिग्रहण सज्जन जिंदल की रणनीति का हिस्सा है, जहां वे JSW ब्रांड को स्टील से स्टाइल तक ले जाना चाहते हैं। इस डील से न सिर्फ कंपनी को नया बाजार मिलेगा बल्कि उसे एक स्थापित ब्रांड (Dulux) की विरासत भी साथ में मिलेगी। JSW Paints
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साइलेंट रणनीति से ग्लोबल गेम तक.. ऐसे ही नहीं 24 साल से सत्ता पर काबिज मोदी

साइलेंट रणनीति से ग्लोबल गेम तक.. ऐसे ही नहीं 24 साल से सत्ता पर काबिज मोदी
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 02:38 AM
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आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 75 साल के हो गए हैं। राजनीति की दुनिया में उनका सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं। कहा जाता है कि उनकी जन्म कुंडली में राजयोग है, और शायद यही राज है कि उन्होंने चार बार गुजरात के मुख्यमंत्री और लगातार तीन बार देश के प्रधानमंत्री बनने का अभूतपूर्व रिकॉर्ड बनाया। पिछले 24 सालों से सत्ता की चोटी पर रहते हुए, उन्होंने विरोधियों के “आज गए कि कल गए” जैसे दावे हमेशा धूल चटाई हैं। 2014 से लेकर आज तक कई नेता खुद को मोदी का विकल्प साबित करने आए, लेकिन हर बार उन्हें मोदी की मजबूती, चालाकी और जनता के बीच लोकप्रियता के आगे हाथ जोड़कर झुकना पड़ा।   PM Modi Birthday

राजयोग और राजनीतिक चतुराई

ज्योतिषियों की मान्यता है कि नरेंद्र मोदी की जन्म कुंडली में राजयोग है, और यही शायद उनकी राजनीति की चमक का रहस्य है। अक्टूबर 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने मोदी ने लगातार चार बार यह पद संभाला, और 2014 में सीधे देश के प्रधानमंत्री बने। हां, इसे खास बनाता है कि इससे पहले वे न तो कभी मंत्री रहे, न सांसद, और न ही किसी नगर या ब्लॉक के सभासद – सीधे शिखर पर कूद पड़े! पिछले 24 सालों से सत्ता की कुर्सी पर बैठे रहने का यह कारवां किसी के लिए आसान नहीं।

मोदी से पहले पांच मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री बने, लेकिन उनमें से किसी ने भी लगातार शीर्ष पर नहीं टिक पाए। वहीं, “आज गए कि कल गए!” जैसी भविष्यवाणियों के बावजूद मोदी लगातार सातवीं बार सत्ता के शिखर पर शपथ ले चुके हैं। विरोधियों की कितनी ही कटु टिप्पणियां आईं, लेकिन जनता के बीच उनकी लोकप्रियता इतनी मजबूत रही कि उन्हें कोई हिला नहीं पाया।  PM Modi Birthday

सकारात्मक नफरत और खुला प्रेम

नरेंद्र मोदी की राजनीति का सबसे बड़ा हथियार है – नफरत और प्रेम का खुला खेल। वे कभी ढोंग नहीं करते और किसी भी समुदाय की भावनाओं को अनावश्यक रूप से भड़काने का प्रयास नहीं करते। अगर राजनीति में हिंदू समुदाय को मजबूती चाहिए, तो इसे छिपाते भी नहीं। प्रेस को भले ही सीधे संबोधित कम करें, लेकिन पिछले 11 सालों से हर महीने के अंतिम रविवार को रेडियो के जरिए सीधे जनता से बात करना उनकी खासियत बन गई है। मोदी की शैली में घृणा और प्रेम दोनों खुलकर खेलते हैं, और वोट की रणनीति में वे मास्टर हैं।

जनता के बीच अपनी लोकप्रियता बनाए रखने का एक भी मौका वे हाथ से नहीं जाने देते। चाहे संसद हो या मंच, उनका ध्यान हमेशा बहुसंख्यक जनता को अपने पाले में करने पर रहता है। यही कारण है कि आज बीजेपी को हराने की हिम्मत किसी भी दल में नहीं है – और यही उनकी सियासी चालाकी का असली कमाल है।  PM Modi Birthday

साइलेंट कार्रवाई और सामाजिक बदलाव

कुछ काम मोदी चुपचाप और साइलेंट तरीके से करते हैं, और यही उनकी राजनीति की सबसे बड़ी ताकत है। उदाहरण के लिए, सत्ता में सामाजिक रूप से पिछड़े और दलित समुदाय की हिस्सेदारी बढ़ाना। कांग्रेस के दौर की ब्राह्मण सुप्रीमेसी अब उनके जमाने में खत्म हो गई है। 1952 से 1989 तक अधिकांश राज्यों की कमान ब्राह्मण और द्विज जातियों के पास रही, लेकिन अब बीजेपी शासित राज्यों में यह प्रभुत्व कहीं दिखाई नहीं देता – बस राजस्थान, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र को छोड़कर।    PM Modi Birthday

उत्तर प्रदेश की राजनीति तो जैसे पहेली बन गई है। वहां पिछड़ी और दलित जातियां क्रमशः सपा और बसपा के पास हैं, और बिना किसी अगड़ी जाति की मदद के सत्ता तक पहुँचना लगभग असंभव। लेकिन मोदी ने इन जटिल गणितों को समझते हुए बेहद चतुराई से सामरिक संतुलन बनाया और राजनीतिक खेल को अपनी तरफ मोड़ लिया

सहयोगी दलों से संतुलन

2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने, तब पहली बार बीजेपी अकेले बहुमत के दम पर सत्ता में आई। लेकिन मोदी ने यहां भी राजनीति की सूझ-बूझ दिखाई और सहयोगी दलों के साथ तालमेल बनाए रखा। किसानों के मुद्दे पर शिरोमणि अकाली दल से टकराव हुआ, महाराष्ट्र में राज्य की कमान को लेकर शिवसेना से खींचतान हुई, और नीतीश का जनता दल (यू) कई बार NDA से बाहर गया और फिर वापस लौटा। इसके बावजूद मोदी ने हर बार गठबंधन को संतुलित रखा।  PM Modi Birthday

2014 के बाद से लगातार कई नेता खुद को मोदी का विकल्प साबित करने की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन उन्हें हर बार धूल चाटनी पड़ी। बस राहुल गांधी ही ऐसे खड़े रहे हैं, जिनके सामने मोदी की राजनीति का असली मुकाबला दिखता है। यानी, विरोधियों की कोशिशों के बावजूद मोदी ने राजनीतिक मोर्चे पर हर बार अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखी और गठबंधन का खेल अपनी तरफ मोड़ दिया।

राजनीतिक प्रतिस्पर्धा और कांग्रेस की चुनौती

राहुल गांधी मोदी के सामने इसलिए खड़े रहे क्योंकि उनके पीछे कांग्रेस जैसी पुरानी ताकत है, जिसने आजादी के बाद करीब 55 साल देश पर सीधे या परोक्ष रूप से राज किया। नौकरशाही, पुलिस, प्रशासन, सेना और न्यायपालिका – लगभग हर बड़े ढांचे में कांग्रेस की सोच गहरी बैठी हुई है। देश के कई शिक्षा संस्थानों ने जो राजनीतिक और सामाजिक सोच तैयार की, वह भी लंबे समय तक कांग्रेस के नजरिए पर आधारित रही।

बीजेपी की चुनौती यह रही कि उसने लंबे समय तक कोई समानांतर सोच विकसित नहीं की। जनसंघ के दौर से लेकर बीजेपी के आज तक, स्वतंत्र विचारधारा की कमी रही है। हालांकि, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का राजनीतिक मंच माना जाता है, लेकिन उसकी सोच देश-दुनिया के लिए हमेशा सर्वमान्य नहीं रही। उनका फोकस मुख्य रूप से हिंदू समाज के उत्थान और उसकी जनसंख्या बनाए रखने तक सीमित रहा। यानी, मोदी के सामने खड़ा होना आसान नहीं था, लेकिन यही राजनीतिक पृष्ठभूमि उन्हें चुनौती देती रही।

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व्यापारी की सूझ-बूझ और वैश्विक कूटनीति

राजनीति केवल सत्ता का खेल नहीं, बल्कि एक दर्शन भी है। इसमें विदेश नीति, सुरक्षा नीति, जनकल्याण, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदायों के उत्थान की स्पष्ट दिशा होनी चाहिए। यह कमी बीजेपी में अब तक देखने को मिली है। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी इसका कोई ठोस खाका नहीं था, लेकिन वाजपेयी 1957 से लगातार संसद में रहे और विदेश नीति का गहराई से अध्ययन किया। पंडित नेहरू की गुट निरपेक्षता और डॉ. राम मनोहर लोहिया की पड़ोसियों से बेहतर रिश्ते बनाने की नीतियों को अपनाकर उन्होंने बीजेपी को नई दिशा दी, भले ही कट्टर हिंदू जनता की भावनाओं को पूरी तरह संतुष्ट न कर पाए हों।

नरेंद्र मोदी गुजरात से आए और खुद कह चुके हैं कि व्यापार उनका खून में है। यही कारण है कि अमेरिका, रूस और चीन जैसी महाशक्तियों को समय पर साधने और उनके साथ कूटनीतिक संतुलन बनाने का कौशल उन्हें बखूबी आता है। मोदी ने कौशल विकास और स्व-रोजगार को बढ़ावा देकर देश में मध्य वर्ग की आर्थिक ताकत को मजबूत किया। आज भारत में लोगों की क्रय क्षमता बढ़ी है, वे सिर्फ सस्ती चीज़ों पर भरोसा नहीं करते; गाड़ी, मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और ऑर्गेनिक खाने-पीने की चीज़ें अब उनकी प्राथमिकता हैं। और हाँ, इसके साथ-साथ मुफ्त राशन पाने वालों की संख्या भी लगातार बनी हुई है, जो उनकी लोकप्रिय नीतियों का संकेत है।    PM Modi Birthday

सफलता की कुंजी: कुंडली और रणनीति

मोदी का शिखर तक पहुंचना केवल भाग्य का परिणाम नहीं है, बल्कि रणनीति, परिश्रम और जनता के साथ संवाद का परिणाम है। 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें उत्तर प्रदेश में थोड़ी असफलता मिली, जिसकी बड़ी वजह उनके अपने पार्टी के प्रादेशिक नेताओं का भितरघात था। लोकसभा में बीजेपी भले ही अल्पमत में हो, लेकिन NDA के सहयोगी दलों के समर्थन से उनकी सरकार मजबूत बनी हुई है, और वे सर्वसम्मति से प्रधानमंत्री बने हुए हैं।

उनके सहयोगी दलों में अधिकांश नेता अपनी मौकापरस्ती के लिए जाने जाते हैं, लेकिन फिर भी मोदी ने पिछले डेढ़ साल से निष्कंटक और मज़बूत शासन किया है। यही उनकी सच्ची राजनीतिक सफलता है। मज़ेदार बात यह है कि जिन लालू यादव ने पहले लाल कृष्ण आडवाणी के लिए कहा था कि “आपकी कुंडली में राजयोग नहीं है,” वही लालू आज अपने ही अनुयायी मोदी के शक्तिशाली राजयोग से अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाने की जद्दोजहद में लगे हैं।    PM Modi Birthday

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SBI बैंक में अब तक की सबसे बड़ी लूट! एक साथ दो राज्यों की पुलिस अलर्ट

SBI बैंक में अब तक की सबसे बड़ी लूट! एक साथ दो राज्यों की पुलिस अलर्ट
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userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 08:10 AM
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कर्नाटक के विजयपुरा जिले में स्थित चादचान SBI शाखा में मंगलवार शाम को हुई लूट ने पूरे क्षेत्र को दहला दिया। पांच हथियारबंद और नकाबपोश लुटेरे, सेना जैसी वर्दी पहनकर बैंक में घुसे और 58 किलो सोना और करीब 8 करोड़ रुपये नकद लूटकर फरार हो गए। यह अब तक की सबसे बड़ी बैंक लूट की वारदातों में से एक मानी जा रही है और पुलिस इसे एक सुनियोजित और पेशेवर गैंग की करतूत मान रही है। SBI Bank 

लुटेरे घुसे सेना जैसी वर्दी में

घटना मंगलवार शाम करीब 5 बजे की है जब लुटेरे देसी कट्टों और हथियारों से लैस होकर बैंक में दाखिल हुए। उन्होंने बैंक मैनेजर, कैशियर और अन्य स्टाफ को धमकाते हुए अलार्म दबाने से रोका फिर उन्हें रस्सियों से बांध दिया। इसके बाद लुटेरे सीधे वॉल्ट रूम में घुसे और वहां से 58 किलो सोना (जो ग्राहकों के गिरवी जेवर थे) और 8 करोड़ रुपये नकद लेकर एक सफेद कार में फरार हो गए।

लूट के बाद छोड़ी गई कार मिली महाराष्ट्र में

बुधवार सुबह महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के पंढरपुर में एक सुनसान जगह पर वही कार बरामद हुई, जिससे लुटेरे फरार हुए थे। कार खाली थी लेकिन उसमें रस्सियां, नकाब और अन्य सबूत मिले जिससे पुष्टि हो गई कि यह वही गाड़ी है। पुलिस को शक है कि लुटेरे कार छोड़कर किसी अन्य साधन से भाग निकले। कर्नाटक और महाराष्ट्र पुलिस की संयुक्त टीमें अब पंढरपुर, सोलापुर और सीमावर्ती इलाकों में सघन सर्च ऑपरेशन चला रही हैं। डॉग स्क्वॉड और फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स को भी जांच में लगाया गया है।सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं और पूरे क्षेत्र में हाई अलर्ट जारी किया गया है। विजयपुरा के एसपी लक्ष्मण निम्बार्गी और वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंच चुके हैं और जांच की निगरानी कर रहे हैं।

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बैंक की सुरक्षा पर उठे सवाल

बैंक अधिकारियों के मुताबिक, जो सोना लूटा गया वह ग्राहकों के गिरवी जेवर थे और कैश दैनिक लेनदेन के लिए था। अब तक का कुल अनुमानित नुकसान 60 करोड़ रुपये से अधिक बताया जा रहा है। स्थानीय लोगों ने बैंक की कमजोर सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। क्षेत्र में तनाव का माहौल है। जांच अधिकारियों का मानना है कि यह लूट किसी मनी-हाइस्ट स्टाइल गैंग की साजिश हो सकती है। कुछ महीने पहले कर्नाटक के दावणगेरे में SBI की एक शाखा से 17 किलो सोना चोरी हुआ था। ऐसे में आशंका है कि यह कोई संगठित गिरोह है जो बैंकों की सुरक्षा खामियों का फायदा उठाकर एक के बाद एक वारदातों को अंजाम दे रहा है। SBI Bank