2026 वर्ल्ड कप ने खोला कमाई का दरवाजा, भारत क्यों रह गया पीछे?
ऐसे में सवाल सिर्फ खेल का नहीं रह गया किकऑफ टाइम, कूलिंग ब्रेक, मेडिकल तैयारियां, पानी की उपलब्धता और ट्रैफिक-मैनेजमेंट से लेकर पूरे टूर्नामेंट की ऑपरेशनल प्लानिंग तक, हर स्तर पर ‘हीट प्लान’ की परीक्षा होने वाली है।

Fifa World Cup 2026 : संयुक्त राज्य अमेरिका, मैक्सिको और कनाडा में होने वाले फीफा विश्व कप 2026 की उलटी गिनती तेज़ हो चुकी है, लेकिन आयोजकों की सबसे बड़ी “टेंशन” किसी दिग्गज टीम की रणनीति नहीं मैच डे पर उतरती भीषण गर्मी है। बढ़ता तापमान खिलाड़ियों के स्टैमिना और रिकवरी को चुनौती दे रहा है, वहीं स्टेडियम में घंटों बैठे दर्शकों के लिए हीट स्ट्रोक, डिहाइड्रेशन और भीड़-प्रबंधन जैसी चिंताएं भी बढ़ा रहा है। ऐसे में सवाल सिर्फ खेल का नहीं रह गया किकऑफ टाइम, कूलिंग ब्रेक, मेडिकल तैयारियां, पानी की उपलब्धता और ट्रैफिक-मैनेजमेंट से लेकर पूरे टूर्नामेंट की ऑपरेशनल प्लानिंग तक, हर स्तर पर ‘हीट प्लान’ की परीक्षा होने वाली है।
स्टेडियम के भीतर ‘कूलिंग की तैयारी’
लॉस एंजिल्स के सोफी स्टेडियम (जहां आठ मैच होने हैं) में गर्मी से निपटने के लिए विशेष इंतज़ाम तैयार रखे गए हैं। यहां औद्योगिक मिस्टिंग फैन (धुंध छोड़ने वाले बड़े पंखे) स्टैंडबाय मोड पर हैं, जिन्हें तापमान 80°F (लगभग 26.7°C) के पार जाते ही स्टेडियम के अलग-अलग हिस्सों में लगाया जाएगा। स्टेडियम की ऊंचाई पर मौजूद छत दर्शकों को सीमित छाया देती है, जबकि किनारों के खुले हिस्से समुद्री हवा को अंदर आने देकर एक तरह का प्राकृतिक वेंटिलेशन बनाते हैं। स्टेडियम प्रबंधन से जुड़े अधिकारी मानते हैं कि जब एक ही जगह 70,000 लोगों की भीड़, ऊर्जा और गर्म मौसम साथ मिलते हैं, तो जोखिम स्वतः बढ़ जाता है और उसी के अनुसार तैयारी भी करनी पड़ती है। समस्या यह है कि सभी 16 स्टेडियम एक जैसे आधुनिक नहीं हैं। टूर्नामेंट का समय भी चुनौतीपूर्ण है 11 जून से 19 जुलाई के बीच गर्मी अपने चरम पर रह सकती है। यही वजह है कि कुछ मेजबान शहरों में गर्मी को लेकर चिंता ज्यादा गहरी है।
शोध की चेतावनी
हाल ही में प्रकाशित एक वैज्ञानिक अध्ययन में आगाह किया गया कि अत्यधिक गर्मी खिलाड़ियों और मैच अधिकारियों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर जोखिम बन सकती है। इस अध्ययन में मॉन्टेरी, मियामी, कैनसस सिटी, बोस्टन, न्यूयॉर्क और फिलाडेल्फिया जैसे शहरों को अपेक्षाकृत अधिक जोखिम वाले स्थानों के रूप में रेखांकित किया गया। इसी से जुड़ी एक रिपोर्ट में WBGT (वेट-बल्ब ग्लोब टेम्परेचर) का जिक्र करते हुए बताया गया कि कई शहरों में कुछ दिनों के दौरान यह स्तर 35°C से ऊपर तक पहुंचा—और इसे मानव शरीर की सहन-सीमा के ऊपरी सिरे के करीब माना जाता है क्योंकि इसमें नमी का असर भी शामिल होता है।
क्लब वर्ल्ड कप और 1994 का ‘सबक’
अमेरिका में आयोजित हालिया क्लब विश्व कप में भी गर्मी का मुद्दा तेज़ी से उभरा था खिलाड़ियों और कोचों ने खुले तौर पर असहज स्थितियों की शिकायतें कीं। इससे पहले 1994 विश्व कप भी भीषण गर्मी की वजह से चर्चा में रहा था।
फीफा का जवाब
गर्मी के बढ़ते खतरे को देखते हुए फीफा ने अब मौसम की परवाह किए बिना विश्व कप मैचों में 22वें और 67वें मिनट पर कूलिंग ब्रेक अनिवार्य किया है। ड्रॉ के बाद जारी संकेतों के मुताबिक दिन के समय के कई मैच वातानुकूलित स्टेडियमों (जैसे डलास/ह्यूस्टन/अटलांटा) में रखने की दिशा में योजना बनी है, जबकि अधिक जोखिम वाले स्थानों पर मुकाबलों को शाम के समय शिफ्ट करने पर जोर है। खिलाड़ी संघों का कहना है कि शेड्यूलिंग में स्वास्थ्य और प्रदर्शन की चिंताओं को जगह मिलना एक सकारात्मक कदम है।
फिर भी कुछ मैच ‘हाई-रिस्क’
खिलाड़ी संघों के मुताबिक, कई मुकाबले अब भी ऐसे हैं जिन्हें गर्मी के लिहाज़ से उच्च जोखिम की श्रेणी में रखा जा सकता है। कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि जब WBGT 28°C के ऊपर जाए, तो मैच स्थगित करने जैसी सख्त सिफारिशें भी विकल्प में रहनी चाहिए। चिंता खासतौर पर उन मुकाबलों को लेकर बताई गई है जो न्यूयॉर्क, बोस्टन और फिलाडेल्फिया में दिन के समय रखे जा सकते हैं और यहां तक कि न्यूयॉर्क में दोपहर 3 बजे शुरू होने वाले फाइनल को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं। कुछ मौसम विशेषज्ञों और अधिकारियों का कहना है कि चर्चा अक्सर खिलाड़ियों तक सीमित रह जाती है, जबकि स्टेडियम और फैन जोन में मौजूद दर्शक भी गंभीर जोखिम में हो सकते हैं। दर्शक जब लगातार नारे लगाते हैं, उछलते-कूदते हैं, तो शरीर में मेटाबॉलिक हीट बढ़ती है और हृदय गति तेज़ होती है। पेशेवर एथलीटों की तुलना में आम दर्शकों की फिटनेस अलग स्तर की होती है कई लोगों में पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्याएं (को-मॉर्बिडिटीज) जोखिम बढ़ा सकती हैं। ऊपर से स्टेडियम के आसपास का कंक्रीट, डामर और धातु “अर्बन हीट आइलैंड” प्रभाव पैदा कर तापमान को और ऊपर धकेल देते हैं।
क्या-क्या जरूरी है
विशेषज्ञों के मुताबिक, पर्याप्त वेंटिलेशन, छायादार जगहें, और हाइड्रेशन सबसे अहम हैं। हालांकि शराब का सेवन अक्सर हाइड्रेशन को बाधित करता है यह व्यावहारिक चुनौती भी है। एक बड़ा सवाल अभी खुला है: क्या दर्शकों को स्टेडियम में रीफिल होने वाली पानी की बोतलें लाने की अनुमति होगी? या पानी की उपलब्धता/बिक्री का मॉडल क्या होगा इस पर फिलहाल स्पष्टता कम दिखती है। मौसम विशेषज्ञों की राय में प्राथमिकता “डैमेज कंट्रोल” नहीं, बल्कि रोकथाम होनी चाहिए खासकर उन विदेशी प्रशंसकों के लिए जो स्थानीय जलवायु से परिचित नहीं हैं। क्लब विश्व कप से एक सीख यह भी सामने आई कि गर्मी से जुड़ी सुरक्षा चेतावनियां बहुभाषी और बेहद स्पष्ट होनी चाहिए, ताकि हर देश का प्रशंसक जोखिम समझ सके और सही निर्णय ले सके। Fifa World Cup 2026
Fifa World Cup 2026 : संयुक्त राज्य अमेरिका, मैक्सिको और कनाडा में होने वाले फीफा विश्व कप 2026 की उलटी गिनती तेज़ हो चुकी है, लेकिन आयोजकों की सबसे बड़ी “टेंशन” किसी दिग्गज टीम की रणनीति नहीं मैच डे पर उतरती भीषण गर्मी है। बढ़ता तापमान खिलाड़ियों के स्टैमिना और रिकवरी को चुनौती दे रहा है, वहीं स्टेडियम में घंटों बैठे दर्शकों के लिए हीट स्ट्रोक, डिहाइड्रेशन और भीड़-प्रबंधन जैसी चिंताएं भी बढ़ा रहा है। ऐसे में सवाल सिर्फ खेल का नहीं रह गया किकऑफ टाइम, कूलिंग ब्रेक, मेडिकल तैयारियां, पानी की उपलब्धता और ट्रैफिक-मैनेजमेंट से लेकर पूरे टूर्नामेंट की ऑपरेशनल प्लानिंग तक, हर स्तर पर ‘हीट प्लान’ की परीक्षा होने वाली है।
स्टेडियम के भीतर ‘कूलिंग की तैयारी’
लॉस एंजिल्स के सोफी स्टेडियम (जहां आठ मैच होने हैं) में गर्मी से निपटने के लिए विशेष इंतज़ाम तैयार रखे गए हैं। यहां औद्योगिक मिस्टिंग फैन (धुंध छोड़ने वाले बड़े पंखे) स्टैंडबाय मोड पर हैं, जिन्हें तापमान 80°F (लगभग 26.7°C) के पार जाते ही स्टेडियम के अलग-अलग हिस्सों में लगाया जाएगा। स्टेडियम की ऊंचाई पर मौजूद छत दर्शकों को सीमित छाया देती है, जबकि किनारों के खुले हिस्से समुद्री हवा को अंदर आने देकर एक तरह का प्राकृतिक वेंटिलेशन बनाते हैं। स्टेडियम प्रबंधन से जुड़े अधिकारी मानते हैं कि जब एक ही जगह 70,000 लोगों की भीड़, ऊर्जा और गर्म मौसम साथ मिलते हैं, तो जोखिम स्वतः बढ़ जाता है और उसी के अनुसार तैयारी भी करनी पड़ती है। समस्या यह है कि सभी 16 स्टेडियम एक जैसे आधुनिक नहीं हैं। टूर्नामेंट का समय भी चुनौतीपूर्ण है 11 जून से 19 जुलाई के बीच गर्मी अपने चरम पर रह सकती है। यही वजह है कि कुछ मेजबान शहरों में गर्मी को लेकर चिंता ज्यादा गहरी है।
शोध की चेतावनी
हाल ही में प्रकाशित एक वैज्ञानिक अध्ययन में आगाह किया गया कि अत्यधिक गर्मी खिलाड़ियों और मैच अधिकारियों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर जोखिम बन सकती है। इस अध्ययन में मॉन्टेरी, मियामी, कैनसस सिटी, बोस्टन, न्यूयॉर्क और फिलाडेल्फिया जैसे शहरों को अपेक्षाकृत अधिक जोखिम वाले स्थानों के रूप में रेखांकित किया गया। इसी से जुड़ी एक रिपोर्ट में WBGT (वेट-बल्ब ग्लोब टेम्परेचर) का जिक्र करते हुए बताया गया कि कई शहरों में कुछ दिनों के दौरान यह स्तर 35°C से ऊपर तक पहुंचा—और इसे मानव शरीर की सहन-सीमा के ऊपरी सिरे के करीब माना जाता है क्योंकि इसमें नमी का असर भी शामिल होता है।
क्लब वर्ल्ड कप और 1994 का ‘सबक’
अमेरिका में आयोजित हालिया क्लब विश्व कप में भी गर्मी का मुद्दा तेज़ी से उभरा था खिलाड़ियों और कोचों ने खुले तौर पर असहज स्थितियों की शिकायतें कीं। इससे पहले 1994 विश्व कप भी भीषण गर्मी की वजह से चर्चा में रहा था।
फीफा का जवाब
गर्मी के बढ़ते खतरे को देखते हुए फीफा ने अब मौसम की परवाह किए बिना विश्व कप मैचों में 22वें और 67वें मिनट पर कूलिंग ब्रेक अनिवार्य किया है। ड्रॉ के बाद जारी संकेतों के मुताबिक दिन के समय के कई मैच वातानुकूलित स्टेडियमों (जैसे डलास/ह्यूस्टन/अटलांटा) में रखने की दिशा में योजना बनी है, जबकि अधिक जोखिम वाले स्थानों पर मुकाबलों को शाम के समय शिफ्ट करने पर जोर है। खिलाड़ी संघों का कहना है कि शेड्यूलिंग में स्वास्थ्य और प्रदर्शन की चिंताओं को जगह मिलना एक सकारात्मक कदम है।
फिर भी कुछ मैच ‘हाई-रिस्क’
खिलाड़ी संघों के मुताबिक, कई मुकाबले अब भी ऐसे हैं जिन्हें गर्मी के लिहाज़ से उच्च जोखिम की श्रेणी में रखा जा सकता है। कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि जब WBGT 28°C के ऊपर जाए, तो मैच स्थगित करने जैसी सख्त सिफारिशें भी विकल्प में रहनी चाहिए। चिंता खासतौर पर उन मुकाबलों को लेकर बताई गई है जो न्यूयॉर्क, बोस्टन और फिलाडेल्फिया में दिन के समय रखे जा सकते हैं और यहां तक कि न्यूयॉर्क में दोपहर 3 बजे शुरू होने वाले फाइनल को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं। कुछ मौसम विशेषज्ञों और अधिकारियों का कहना है कि चर्चा अक्सर खिलाड़ियों तक सीमित रह जाती है, जबकि स्टेडियम और फैन जोन में मौजूद दर्शक भी गंभीर जोखिम में हो सकते हैं। दर्शक जब लगातार नारे लगाते हैं, उछलते-कूदते हैं, तो शरीर में मेटाबॉलिक हीट बढ़ती है और हृदय गति तेज़ होती है। पेशेवर एथलीटों की तुलना में आम दर्शकों की फिटनेस अलग स्तर की होती है कई लोगों में पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्याएं (को-मॉर्बिडिटीज) जोखिम बढ़ा सकती हैं। ऊपर से स्टेडियम के आसपास का कंक्रीट, डामर और धातु “अर्बन हीट आइलैंड” प्रभाव पैदा कर तापमान को और ऊपर धकेल देते हैं।
क्या-क्या जरूरी है
विशेषज्ञों के मुताबिक, पर्याप्त वेंटिलेशन, छायादार जगहें, और हाइड्रेशन सबसे अहम हैं। हालांकि शराब का सेवन अक्सर हाइड्रेशन को बाधित करता है यह व्यावहारिक चुनौती भी है। एक बड़ा सवाल अभी खुला है: क्या दर्शकों को स्टेडियम में रीफिल होने वाली पानी की बोतलें लाने की अनुमति होगी? या पानी की उपलब्धता/बिक्री का मॉडल क्या होगा इस पर फिलहाल स्पष्टता कम दिखती है। मौसम विशेषज्ञों की राय में प्राथमिकता “डैमेज कंट्रोल” नहीं, बल्कि रोकथाम होनी चाहिए खासकर उन विदेशी प्रशंसकों के लिए जो स्थानीय जलवायु से परिचित नहीं हैं। क्लब विश्व कप से एक सीख यह भी सामने आई कि गर्मी से जुड़ी सुरक्षा चेतावनियां बहुभाषी और बेहद स्पष्ट होनी चाहिए, ताकि हर देश का प्रशंसक जोखिम समझ सके और सही निर्णय ले सके। Fifa World Cup 2026












