यूपी नगरपालिका उपचुनाव में सपा ने दिखाया दम, भाजपा की बड़ी हार

यूपी नगरपालिका उपचुनाव में सपा ने दिखाया दम, भाजपा की बड़ी हार
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 10:22 PM
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उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में महमूदाबाद नगर पालिका अध्यक्ष पद के उपचुनाव ने राजनीतिक गलियारे में हलचल मचा दी है। उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में महमूदाबाद नगर पालिका अध्यक्ष पद के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) के उम्मीदवार आमिर अरफात ने 8,906 वोट लेकर शानदार जीत दर्ज की, वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का आधिकारिक प्रत्याशी मात्र 1,352 वोटों पर सिमटकर पांचवें स्थान पर रह गया। वहीं कांग्रेस, निर्दलीय और बागी उम्मीदवारों ने भी भाजपा को पीछे छोड़ दिया। इस नतीजे ने स्पष्ट कर दिया कि यूपी के नगरपालिका उपचुनाव में भाजपा का खेल इस बार बिगड़ा। सपा अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया के जरिए तंज कसते हुए कहा कि महमूदाबाद में सपा की यह जीत पार्टी के मनोबल को बढ़ाने वाली है और भाजपा का पांचवें स्थान पर रहना उत्तर प्रदेश की राजनीतिक दिशा का संकेत है।  Uttar Pradesh Samachar

भाजपा में गुटबाजी और बागियों का असर

उत्तर प्रदेश के महमूदाबाद नगर पालिका उपचुनाव में भाजपा की हार में स्थानीय संगठन में गुटबाजी और टिकट बंटवारे का विवाद निर्णायक साबित हुआ। पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के अध्यक्ष और पूर्व सांसद राजेश वर्मा के करीबी संजय वर्मा को टिकट दिए जाने से लंबे समय से सक्रिय कई पार्टी कार्यकर्ता नाराज हो गए। इस असंतोष का लाभ उठाते हुए अतुल वर्मा और अमरीश गुप्ता ने निर्दलीय उम्मीदवार बनकर चुनाव मैदान में उतरकर भाजपा की स्थिति और कमजोर कर दी। नतीजों में स्पष्ट हुआ कि उत्तर प्रदेश के इस महत्वपूर्ण नगरपालिका उपचुनाव में जनता ने आधिकारिक भाजपा प्रत्याशी को नजरअंदाज कर बागी उम्मीदवारों को अधिक समर्थन दिया।

सत्ता और प्रशासनिक दबाव भी नाकाम

उत्तर प्रदेश के महमूदाबाद नगर पालिका उपचुनाव में भाजपा ने मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं की सक्रिय भागीदारी के साथ जीत के लिए पूरा जोर लगाया। स्थानीय प्रशासन, बूथ प्रबंधन और शक्ति प्रदर्शन जैसे आरोपों के बावजूद यूपी की जनता ने भाजपा की अपील को नजरअंदाज कर दिया। कुछ बूथों पर भाजपा समर्थकों द्वारा विरोधियों को धमकाने के वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए, लेकिन चुनाव के नतीजे भाजपा के खिलाफ गए और सपा ने स्पष्ट बहुमत से जीत दर्ज की। बता दें कि महमूदाबाद नगरपालिका उपचुनाव में भाजपा की करारी हार के बाद पार्टी में गंभीर चर्चा शुरू हो गई है। खासकर उन स्थानीय नेताओं पर सवाल उठ रहे हैं, जिन्होंने सक्रिय कार्यकर्ताओं की बजाय अपने करीबी चेहरों को टिकट दिलाने पर ध्यान केंद्रित किया

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मिश्रिख में भाजपा की जीत

उत्तर प्रदेश के मिश्रिख नगर पालिका उपचुनाव में भाजपा ने जीत हासिल कर अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखी। यह सीट स्थानीय विधायक रामकृष्ण भार्गव की बहू, सीमा भार्गव, के नाम पर पार्टी ने सुरक्षित रखी। सपा ने भी अपना उम्मीदवार उतारा, लेकिन नया और अपेक्षाकृत अपरिचित चेहरा होने के कारण उसे पर्याप्त समर्थन नहीं मिल सका। चुनाव के दौरान कुछ विवादित घटनाओं और पुलिस की कथित हस्तक्षेप की बातों के बावजूद भाजपा ने 3,200 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की, जिससे पार्टी के लिए यूपी के नगरपालिका उपचुनाव में यह महत्वपूर्ण सफलता साबित हुई।  Uttar Pradesh Samachar

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Uttar Pradesh: Yogi Adityanath की 2025 की टॉप सब्सिडी स्कीम, हर किसान को मिलेगा लाखों का फायदा

Uttar Pradesh: Yogi Adityanath की 2025 की टॉप सब्सिडी स्कीम, हर किसान को मिलेगा लाखों का फायदा
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userचेतना मंच
calendar14 Aug 2025 07:24 AM
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उत्तर प्रदेश में वर्तमान में लगभग 2.38 करोड़ किसान हैं जिनमें 93% लघु एवं सीमांत श्रेणी के हैं। राज्य तथा केंद्र सरकार मिलकर किसानों की आय बढ़ाने और खेती को लाभदायक बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही हैं। इन योजनाओं के माध्यम से खाद-बीज, सिंचाई, सोलर पंप, कृषि यंत्र, फसल बीमा और कृषि अवसंरचना जैसे विभिन्न क्षेत्रों में किसानों को वित्तीय सहायता और सब्सिडी मिल रही है। उदाहरण के लिए, वित्त वर्ष 2024–25 में ही उत्तर प्रदेश सरकार ने 66 लाख क्विंटल उच्च गुणवत्ता वाले बीज तथा 95 लाख मीट्रिक टन उर्वरक किसानों में वितरित किए और 8.5 लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए। नीचे 2025 में उत्तर प्रदेश में चल रही प्रमुख केंद्रीय एवं राज्य स्तरीय किसान सब्सिडी योजनाओं का विवरण प्रस्तुत है। Uttar Pradesh Samachar 

केंद्र सरकार की योजनाएं

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN)

यह केंद्रीय योजना छोटे एवं सीमांत कृषकों को प्रति वर्ष ₹6,000 की आय सहायता प्रदान करती है जो ₹2,000 की तीन किस्तों में सीधे बैंक खाते में दी जाती है। सभी भूमिधारी किसान (कुछ आर्थिक रूप से सम्पन्न व सरकारी कर्मियों को छोड़कर) इसके पात्र हैं। पंजीकरण के लिए किसान को PM-Kisan पोर्टल या स्थानीय कृषि विभाग कार्यालय के माध्यम से आधार, बैंक खाता और भूमि अभिलेख जमा करने होते हैं। उत्तर प्रदेश में इस योजना के तहत अब तक 2.86 करोड़ से अधिक किसानों को लाभ मिला है और करीब ₹80,000 करोड़ डीबीटी द्वारा सीधे खातों में भेजे गए हैं। यह राशि खेती की लागत में मदद करती है तथा किसानों को आर्थिक संबल प्रदान करती है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY)

फसल बीमा योजना किसानों को प्राकृतिक आपदाओं या मौसम की मार से हुई फसल क्षति पर बीमा कवर देती है। इसके तहत किसान खरीफ, रबी या व्यापारी फसलों के लिए नाममात्र प्रीमियम (1.5-5% तक) भुगतान करते हैं और शेष प्रीमियम राशि केंद्र व राज्य सरकारें वहन करती हैं। योजनांतर्गत ऋणी किसान ऑटोमेटिक कवर होते हैं, जबकि अन्य किसान स्वैच्छिक रूप से नामांकन करा सकते हैं। आवेदन निकटस्थ बैंक, साझा सेवा केंद्र (CSC) या राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल के जरिए प्रत्येक मौसम की निर्धारित समय-सीमा के भीतर किया जाता है। उत्तर प्रदेश में अब तक 58 लाख से अधिक किसानों को इस योजना से लाभ हुआ है तथा लगभग ₹47,535 करोड़ का दावा भुगतान किसानों को किया गया है। हाल ही में “डिजीक्लेम” सुविधा शुरू की गई है, जिससे बीमा दावों का पैसा सीधे किसानों के खाते में पारदर्शी तरीके से स्थानांतरित हो रहा है।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना पर ड्रॉप मोर क्रॉप (सूक्ष्म सिंचाई)

यह योजना खेत स्तर पर पानी के कुशल उपयोग हेतु माइक्रो इरीगेशन (ड्रिप एवं स्प्रिंकलर) को प्रोत्साहित करती है। ड्रिप/स्प्रिंकलर लगाने पर लघु एवं सीमांत किसानों को 55% तक तथा अन्य किसानों को 45% तक सब्सिडी मिलती है। उत्तर प्रदेश में इस योजना का क्रियान्वयन कृषि/उद्यान विभाग द्वारा किया जाता है। किसान उद्यान विभाग के पोर्टल या जिला उद्यान अधिकारी के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। सब्सिडी मंजूर होने पर अधिकृत आपूर्तिकर्ताओं द्वारा ड्रिप/स्प्रिंकलर स्थापित किए जाते हैं। पर ड्रॉप मोर क्रॉप से कम पानी में ज्यादा क्षेत्र सिंचित हो रहा है और एक आकलन के अनुसार माइक्रो इरीगेशन से 30-70% तक पानी की बचत और 10-69% तक आय में वृद्धि देखी गई है। यह योजना प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) के जरिए राज्य में लागू है।

प्रधानमंत्री कुसुम योजना (सौर ऊर्जा पंप)

प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (PM-KUSUM) के तहत किसानों को सोलर पानी के पंप लगाने हेतु अनुदान दिया जाता है। इससे किसान डीजल पंप की जगह सौर ऊर्जा से कम लागत पर सिंचाई कर सकते हैं और बिजली/ईंधन खर्च बचता है। मौजूदा व्यवस्था में केंद्र व राज्य मिलकर सोलर पंप की कुल लागत का लगभग 60% अनुदान देते हैं और 40% लागत किसान द्वारा वहन की जाती है। यूपी सरकार सोलर पंप सब्सिडी को बढ़ाकर लघु एवं सीमांत किसानों के लिए 90% (यानी किसान द्वारा मात्र 10% भुगतान) और बड़े किसानों के लिए 80% करने पर विचार कर रही है। योजना का लाभ लेने के लिए किसान को राज्य के कृषि विभाग के ऑनलाइन पोर्टल पर “PM कुसुम योजना” अनुभाग में पंजीकरण करना होता है। आवेदन निर्धारित समय तक खुले रहते हैं और अंतिम तिथि के बाद पहले आओ-पहले पाओ या ई-लॉटरी प्रणाली से लाभार्थी चयन किया जाता है। चयनित किसानों को खुद अपनी जमीन पर बोरवेल/कुएं की व्यवस्था करनी होती है, जबकि पंप, सोलर पैनल आदि सरकार द्वारा अनुमोदित कंपनी के माध्यम से लगाए जाते हैं। वर्ष 2017-18 से 2024-25 के बीच उत्तर प्रदेश में 79,516 सोलर पंप लगाए जा चुके हैं तथा 2025-26 के लिए 45,000 नए सोलर पंप लगाने का लक्ष्य रखा गया है। सोलर पंप के लिए किसानों की बड़ी संख्या को देखते हुए राज्य सरकार छोटे किसानों को प्राथमिकता देकर सोलर सिंचाई को बढ़ावा दे रही है।

उप-मिशन ऑन एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन (कृषि यंत्रीकरण सब्सिडी)

केंद्र सरकार के उप-मिशन कृषि यंत्रीकरण (SMAM) के तहत खेती में मशीनों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी प्रदान की जाती है। उत्तर प्रदेश में 2025 तक किसान विभिन्न योजनाओं के तहत ट्रैक्टर, हार्वेस्टर, कल्टीवेटर, सीड ड्रिल, थ्रेशर, पॉवर वीडर जैसे उपकरण 50% तक अनुदान पर खरीद सकते हैं। उन्नत एवं महंगी मशीनों पर सब्सिडी राशि निश्चित दर से भी अधिक हो सकती है – जैसे राज्य सरकार एक अनाज ड्रायर मशीन (कीमत ~₹15 लाख) पर ₹12 लाख तक सब्सिडी दे रही है, जिससे किसान को वह मशीन मात्र ₹3 लाख में उपलब्ध हो रही है। इसी प्रकार मक्का बुवाई एवं प्रसंस्करण से जुड़ी मशीनों पर भी विशेष अनुदान दिया जा रहा है। कृषि यंत्रीकरण योजना का लाभ उठाने के लिए किसान को उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के पोर्टल (जैसे upagriculture.com या upagripardarshi.gov.in) पर ऑनलाइन आवेदन करना होता है। 2025 में सरकार ने ऑनलाइन “यंत्र अनुदान बुकिंग” की सुविधा शुरू की है, जिससे किसान स्वयं पोर्टल पर उपलब्ध उपकरणों के लिए बुकिंग कर सकते हैं। यदि लक्ष्य से अधिक आवेदन आते हैं तो पारदर्शिता हेतु कंप्यूटराइज्ड ई-लॉटरी द्वारा लाभार्थियों का चयन किया जाता है। ऑनलाइन बुकिंग के समय कुछ जमानत राशि (₹2,500 या ₹5,000, उपकरण केअनुदान स्तर अनुसार) पोर्टल पर जमा करनी होती है, जो चयन न होने या समय पर इक्विपमेंट की खरीद कर लेने पर वापस कर दी जाती है। हाल ही में 30 जून 2025 को राज्य सरकार ने कृषि यंत्रों और ड्रोन पर सब्सिडी के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए, जिसके तहत 12 जुलाई 2025 तक एग्रीदर्शन पोर्टल पर किसान आवेदन कर सकते थे। इन योजनाओं का मकसद किसानों को उन्नत मशीनें देकर खेती को श्रम-कम, समय-कम और अधिक उत्पादक बनाना है।

कृषि अवसंरचना कोष (Agri Infrastructure Fund – AIF)

कृषि अवसंरचना को सुधारने हेतु केंद्र सरकार ने ₹1 लाख करोड़ का कृषि अवसंरचना कोष लॉन्च किया है। इसके तहत किसान, एफपीओ, सहकारी समितियां या कृषि उद्यमी बैंकों से कोल्ड स्टोरेज, गोदाम, प्रोसेसिंग यूनिट, पैकहाउस आदि परियोजनाओं के लिए ऋण ले सकते हैं। इन ऋणों पर सरकार की ओर से 3% वार्षिक ब्याज अनुदान दिया जाता है, अधिकतम 7 वर्षों तक के लिए और ₹2 करोड़ तक के ऋण पर। साथ ही ₹2 करोड़ तक के ऋण पर क्रेडिट गारंटी कवर भी दिया जाता है, जिससे छोटे उद्यमियों को बिना बड़े रहित ऋण मिल सके। उत्तर प्रदेश सरकार इस योजना में अतिरिक्त 3% ब्याज सब्सिडी खुद देती है, यानि कुल 6% ब्याज की छूट राज्य के किसानों/उद्यमियों को मिल सकती है। ऋण के लिए आवेदन AIF के आधिकारिक पोर्टल या सम्बंधित बैंकों के माध्यम से किया जा सकता है, जिसमें परियोजना का विस्तृत प्रोजेक्ट-रिपोर्ट जमा करनी होती है। योजना के तहत 2020 से अब तक देशभर में 84,000 से अधिक प्रोजेक्ट्स के लिए ₹51,364 करोड़ की राशि स्वीकृत हो चुकी है। उत्तर प्रदेश को इस कोष से लगभग ₹12,000 करोड़ का निवेश आवंटित हुआ है और राज्य ने अपने 825 विकास खंडों में 1,475 किसान उत्पादक संगठन (FPO) स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। कृषि अवसंरचना कोष ग्रामीण स्तर पर भंडारण व प्रसंस्करण सुविधा बढ़ाकर किसानों को अपनी उपज का बेहतर मूल्य दिलाने में मदद कर रहा है।

किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) एवं ब्याज अनुदान योजना

किसान क्रेडिट कार्ड योजना किसानों को आसान और सस्ते ऋण उपलब्ध कराने के लिए है। किसी भी भूमि-स्वामी या बटाईदार किसान को नजदीकी बैंक में सरल प्रक्रिया से KCC जारी किया जाता है, जिसमें उसकी फसल लागत के अनुसार एक ऋण सीमा तय होती है। केंद्र सरकार फसल ऋणों पर 7% की रियायती ब्याज दर मुहैया कराती है और समय पर पुनर्भुगतान करने पर 3% की अतिरिक्त ब्याज छूट देती है, जिससे वास्तविक ब्याज दर केवल 4% वार्षिक रह जाती है। पशुपालन एवं मत्स्य पालन से जुड़े किसान भी अब KCC के दायरे में हैं। उत्तर प्रदेश में वर्ष 2024-25 में अभियान चलाकर 71 लाख से अधिक किसानों को नए किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए गए, जिससे वे अपनी खेती की आवश्यकताओं के लिए बैंकों से सीधे ऋण ले सकें। राज्य सरकार ने 2025-26 में 25 लाख और किसानों को KCC से आच्छादित करने का लक्ष्य रखा है। किसान क्रेडिट कार्ड से किसानों की साहूकारों पर निर्भरता घटी है और आपात स्थिति में भी वे कम ब्याज पर धनराशि प्राप्त कर पाते हैं, जिससे उनकी वित्तीय स्थिरता बढ़ी है।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (SHC)

इस केंद्रीय योजना के तहत किसानों की भूमि के नमूने लेकर उसमें मौजूद पोषक तत्वों की जांच की जाती है और मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किया जाता है। कार्ड में मिट्टी की पोषण स्थिति और सुधार हेतु सिफारिशें होती हैं, जिससे किसान उर्वरकों का संतुलित एवं वैज्ञानिक उपयोग कर सकें। इससे उर्वरक पर होने वाला खर्च घटता है और पैदावार बढ़ाने में मदद मिलती है। उत्तर प्रदेश में प्रत्येक जिले में मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित हैं या मोबाइल सॉइल टेस्टिंग वैन चलाई जा रही हैं। किसान ब्लॉक स्तर पर या कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से मिट्टी के परीक्षण के लिए आवेदन कर सकते हैं। सरकार समय-समय पर विशेष अभियान चलाकर ग्रामीण स्तर पर नमूने इकट्ठा करती है और किसानों को कार्ड प्रदान करती है। वर्ष 2024-25 में उत्तर प्रदेश में 8.5 लाख से ज्यादा मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को जारी किए गए, जिससे वे मिट्टी की ज़रूरत के अनुरूप खाद का उपयोग कर उत्पादन बढ़ा रहे हैं। मृदा स्वास्थ्य कार्ड से पिछले कुछ सालों में रासायनिक उर्वरकों के संतुलित प्रयोग को बढ़ावा मिला है और मिट्टी की उत्पादकता में सुधार हुआ है।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन एवं तिलहन मिशन (बीज सब्सिडी)

देश में दालों व तिलहनों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) और राष्ट्रीय खाद्य तेल-तिलहन मिशन (NMEO) जैसी योजनाएं चला रही है। इन मिशनों के तहत उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों में किसानों को उन्नत किस्म के बीज मिनीकिट निःशुल्क या रियायती दरों पर वितरित किए जाते हैं, ताकि वे नई किस्मों को अपनाकर उत्पादन बढ़ा सकें। विशेष रूप से तिलहन फसलों (जैसे सरसों, सूरजमुखी, soybean) में आत्मनिर्भरता लाने के लिए 2024-25 से 2030-31 तक ₹10,103 करोड़ के बजट का राष्ट्रीय तिलहन मिशन चल रहा है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने भी तिलहन उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए निःशुल्क तेलहन बीज मिनीकिट वितरण कार्यक्रम शुरू किया है, जिसमें चुने हुए किसानों को सरसों, मूंगफली आदि के बीज पैकेट दिए गए। किसान अपने क्षेत्र के कृषि विभाग या बीज निगम केंद्र से पंजीकरण करवाकर ये बीज किट प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा प्रदेश में सहकारी व राज्य बीज भंडारों के माध्यम से गेहूं, धान, मक्का, दलहन आदि के प्रमाणित बीज 50% तक अनुदान पर उपलब्ध कराए जाते हैं। 2024-25 में उत्तर प्रदेश सरकार ने कुल 66 लाख क्विंटल उच्च गुणवत्ता बीजों का वितरण कराया, जिससे बड़ी संख्या में किसानों को उन्नत बीज समय पर उपलब्ध हो सके। बीज सब्सिडी एवं मिनीकिट जैसी योजनाओं का परिणाम है कि प्रदेश में तिलहन उत्पादन 2016-17 के 12.4 लाख टन से बढ़कर 2023-24 में 28.3 लाख टन हो गया, जो 128% की वृद्धि है।

उत्तर प्रदेश सरकार की योजनाएं

पं. दीन दयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना

यह उत्तर प्रदेश सरकार की प्रमुख योजना है जिसे असमतल, बंजर या जल-जमाव वाली अनुपजाऊ भूमि को खेती योग्य बनाने के लिए 2017-18 में शुरू किया गया था। इस भूमि सुधार कार्यक्रम के अंतर्गत खेत की मेड़बंदी, समतलीकरण, चकबंदी, जल निकास सुधार, मिट्टी सुधार जैसी गतिविधियाँ सरकार के खर्च पर की जाती हैं, ताकि परती भूमि को उपजाऊ बनाया जा सके। योजना का प्रथम चरण 68 जिलों में संचालित हुआ (2017-22) और अब इसे 2026-27 तक बढ़ाकर 74 जिलों तक विस्तारित किया गया है। लगभग 2.19 लाख हेक्टेयर बंजर/ऊसर भूमि को उपजाऊ बनाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके लिए ₹603 करोड़ का प्रावधान किया गया। इस योजना से प्राप्त भूमि पर किसान फिर से खेती शुरू कर पा रहे हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि हुई है। कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देने हेतु कुछ जिलों में इस योजना के तहत लाभार्थी किसानों को खेत तैयार करने के लिए ट्रैक्टर और आवश्यक कृषि यंत्र भी सब्सिडी पर उपलब्ध कराए गए हैं। दीन दयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना ने कई पिछड़े क्षेत्रों में कृषि योग्य भूमि का दायरा बढ़ाकर उत्पादन बढ़ाने में अहम योगदान दिया है।

मुख्यमंत्री कृषक उपहार योजना

मुख्यमंत्री कृषक उपहार योजना राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई एक विशेष पहल है, जिसके तहत चयनित किसानों को पुरस्कृत स्वरूप में आधुनिक कृषि उपकरण भेंट किए जाते हैं। इस योजना का उद्देश्य प्रगतिशील एवं मेहनती किसानों का उत्साहवर्धन करना और राज्य में कृषि यंत्रीकरण को प्रोत्साहित करना है। हाल के वर्षों में इस योजना के अंतर्गत कुछ किसानों को निःशुल्क ट्रैक्टर एवं उन्नत कृषि यंत्र प्रदान किए गए हैं। आमतौर पर लाभार्थियों का चयन जिला स्तर पर लॉटरी या किसान के उत्कृष्ट प्रदर्शन (जैसे उपज वृद्धि, नवाचार अपनाने) के आधार पर किया जाता है। कृषक उपहार योजना से सीमित संख्या में ही सही, परंतु उदाहरण स्वरूप अन्य किसान भी आधुनिक तकनीक अपनाने के लिए प्रेरित होते हैं। यह योजना राज्य सरकार की किसान कल्याण नीति का हिस्सा है, जिसमें किसानों के कल्याण और प्रोत्साहन को ध्यान में रखा गया है।

मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना

सितंबर 2019 में शुरू की गई यह योजना खेती करते समय या अन्य किसी दुर्घटना में किसान की मृत्यु अथवा स्थायी विकलांगता की स्थिति में आर्थिक मदद प्रदान करती है। उत्तर प्रदेश का कोई भी पंजीकृत किसान (खातेदार या बटाईदार) जिसकी आयु 18 से 70 वर्ष के बीच है, इस योजना के दायरे में आता है। दुर्घटनावश किसान की मृत्यु हो जाने पर आश्रित परिवार को अधिकतम ₹5 लाख की सहायता राशि दी जाती है, तथा आंशिक/पूर्ण विकलांगता की स्थिति में भी मुआवज़ा प्रदान किया जाता है। इस योजना के अंतर्गत साँप-बिच्छू के काटने, पशु हमला, आग लगना, बिजली गिरना, सड़क/रेल दुर्घटना, डूबना, इत्यादि अनेक दुर्घटनाओं को कवर किया गया है। सहायता पाने के लिए पीड़ित किसान या उनके परिजन को निर्धारित आवेदन पत्र में तहसील या ज़िला प्रशासन के पास घटना के बाद आवेदन करना होता है, जिसके साथ संबंधित दस्तावेज़ (खतौनी की प्रति, मृत्यु या घायलावस्था का प्रमाण, प्राथमिकी/पोस्टमार्टम रिपोर्ट, आधार, बैंक पासबुक आदि) संलग्न करने होते हैं। ज़िला स्तर पर जाँच उपरांत अनुमोदन मिलने पर मुआवज़े की राशि सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में भेजी जाती है। अब तक इस योजना से प्रदेश में 63,000 से अधिक किसानों के परिवारों को दुर्घटना राहत का लाभ मिल चुका है। कृषक दुर्घटना कल्याण योजना प्रदेश के किसानों के लिए एक सुरक्षा कवच की तरह है जो आपदा की घड़ी में उनके परिवार को संबल प्रदान करती है।

बागवानी विकास (फलपट्टी) योजना

उत्तर प्रदेश सरकार पारंपरिक अनाज खेती के साथ-साथ बागवानी को प्रोत्साहन देने के लिए फलपट्टी विकास योजना चला रही है, जिसे आम बोलचाल में बागवानी योजना भी कहा जाता है। राज्य के उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा क्रियान्वित इस योजना में किसानों को आम, अमरूद, आँवला, केला, कटहल जैसे फलों के बगीचे लगाने के लिए सब्सिडी और तकनीकी सहायता दी जाती है। उद्यान लगाने के लिए भूमि की तैयारी, पौध आपूर्ति, सिंचाई व्यवस्था आदि में विभाग सहयोग करता है। अनुदान: बागवानी फसल के प्रकार एवं क्षेत्र के हिसाब से सब्सिडी दी जाती है, जैसे अमरूद या आम के बाग़ की स्थापना पर लगभग ₹29,000 प्रति हेक्टेयर अनुदान दिया जाता है। साथ ही कृषकों को उद्यान विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाता है कि किस प्रकार उन्नत फल-वृक्षों की देखभाल और प्रबंधन करें। पात्रता: जिसके पास स्वयं की उपयुक्त ज़मीन है वह किसान या समूह इसका लाभ लेने हेतु आवेदन कर सकते हैं। विशेषकर छोटे किसानों को स्थायी फलदार पौधे लगाने से दीर्घकालिक आमदनी का जरिया मिलता है। कैसे आवेदन करें: फलपट्टी विकास योजना के लिए किसान जिला उद्यान अधिकारी के कार्यालय में या ऑनलाइन उद्यान विभाग की पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं। चयनित किसानों को मानक गुणवत्ता के पौधे, खाद, उपकरण आदि प्रदान किए जाते हैं तथा लगातार मॉनीटरिंग एवं मार्गदर्शन दिया जाता है। इस योजना का असर यह हुआ है कि कुछ किसानों ने पारंपरिक कम लाभकारी फसलों को छोड़कर फल उत्पादन अपनाया और अच्छी आय अर्जित की जैसे गोंडा जिले के एक किसान ने अमरूद की आधुनिक किस्म लगाकर लाखों रुपये वार्षिक कमाए। बागवानी योजना किसानों को फसल विविधीकरण द्वारा अधिक लाभ दिलाने और प्रदेश में फल उत्पादन बढ़ाने में सहायक बनी है।

कृषि यंत्र सब्सिडी (राज्य स्तर)

यद्यपि कृषि यंत्रीकरण के केंद्र सरकार के कार्यक्रम पहले चर्चा किए जा चुके हैं, फिर भी उत्तर प्रदेश सरकार अपने स्तर पर भी कृषि उपकरणों पर अतिरिक्त अनुदान और विशेष योजनाएं संचालित करती है। कृषि यंत्र सब्सिडी योजना (राज्य): इस पहल के तहत राज्य सरकार अलग से बजट निर्धारित कर कुछ विशिष्ट यंत्रों पर ज्यादा सब्सिडी देती है। उदाहरणस्वरूप, उत्तर प्रदेश ने अनाज ड्रायर मशीन और पॉपकॉर्न मेकिंग मशीन जैसे नए उपकरणों पर 80% तक अनुदान उपलब्ध कराया, ताकि किसान आधुनिक प्रसंस्करण तकनीक अपना सकें। ट्रैक्टर जैसे महंगे यंत्र सामान्यतः केंद्र-राज्य मिलाकर ही सब्सिडीमुक्त या आंशिक सब्सिडी पर दिए जाते हैं, पर छोटे उपकरण (रोटावेटर, पावर स्प्रेयर, चाफ कटर आदि) पर राज्य अतिरिक्त रियायत देता है। इन योजनाओं में आवेदन प्रक्रिया वही है कृषि विभाग के पोर्टल पर पंजीकरण या ज़िला कृषि कार्यालय में आवेदन, जिसके उपरांत पात्रता के अनुसार लाभ दिया जाता है। राज्य सरकार समय-समय पर किसान मेले आयोजित कर उपकरणों की प्रदर्शनी एवं ऑन-द-स्पॉट आवेदन की सुविधा भी देती है। अगस्त 2024 में राज्य सरकार ने सूखा प्रभावित क्षेत्रों में मल्टीक्रॉप थ्रेशर, रीपर इत्यादि पर विशेष सब्सिडी की घोषणा भी की थी, ताकि मौसम की मार झेल रहे किसानों को राहत मिल सके। कुल मिलाकर, केंद्र और राज्य की ये संयुक्त सब्सिडी पहलें मिलकर उत्तर प्रदेश में कृषि यंत्रीकरण को तीव्र गति से बढ़ा रही हैं और किसान कम श्रम व समय में अधिक उत्पादन कर पा रहे हैं।

कृषि उद्यमी एवं प्रशिक्षण पहल

उत्तर प्रदेश सरकार किसानों तक गुणवत्तापूर्ण कृषि सेवाएं पहुंचाने और रोजगार सृजन के लिए कुछ विशेष पहल भी कर रही है। प्रशिक्षित कृषि उद्यमी स्वावलंबन (एग्री-जंक्शन) योजना: 2022-23 में शुरू इस योजना का लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्र में 10,000 एग्री-जंक्शन केंद्र स्थापित करना है। इसके तहत कृषि स्नातक बेरोजगार युवाओं को प्रोत्साहित किया जाता है कि वे अपने गांव/क्षेत्र में खाद, बीज, कीटनाशक की दुकान एवं कृषक सेवा केंद्र खोलें। सरकार ऐसे प्रत्येक केंद्र के लिए प्रारंभिक पूंजी अनुदान, ऋण गारंटी एवं प्रशिक्षण देती है। इन एग्री-जंक्शन केंद्रों पर किसानों को एक ही स्थान पर उच्च गुणवत्ता के बीज, उर्वरक, कीटनाशक और आधुनिक कृषि तकनीक से जुड़ी जानकारी मिलती है। युवाओं को पात्र बनने के लिए कृषि या संबंधित विषय में डिग्रीधारक होना चाहिए तथा अधिकतम आयु 40 वर्ष निर्धारित है। आवेदन कृषि विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइन होते हैं और चयनित उद्यमियों को आवश्यक लाइसेंस तथा अनुदान दिया जाता है। अब तक प्रदेश में 6,608 से अधिक एग्री-जंक्शन स्थापित किए जा चुके हैं, जो किसानों के लिए वन-स्टॉप इनपुट एवं सलाह केंद्र की तरह कार्य कर रहे हैं। इससे ग्रामीण युवाओं के लिए रोज़गार के नए अवसर भी बने हैं। किसान प्रशिक्षण एवं प्राकृतिक खेती: राज्य सरकार प्रगतिशील किसानों को उन्नत कृषि तकनीक सिखाने के लिए प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाती है। चुने हुए किसानों के दल को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) आदि स्थानों पर भेजकर नई तकनीकों का अवलोकन कराया जाता है। इसके अलावा प्रदेश में जीरो-बजट प्राकृतिक खेती और गो-आधारित कृषि को बढ़ावा देने के लिए 49 ज़िलों में 85,710 हेक्टेयर क्षेत्र पर प्राकृतिक खेती परियोजनाएं चलाई गई हैं। बुंदेलखंड क्षेत्र में 23,500 हेक्टेयर में गो-वर्धित प्राकृतिक खेती अपनाई गई है। ऐसे प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन कार्यक्रमों से किसान कम रसायन, कम लागत वाली तकनीकों को समझकर अपनाने लगे हैं। ड्रोन सब्सिडी पहल: कृषि में नवीनतम तकनीक लाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा देना शुरू किया है। फसल पर कीटनाशक या पोषक तत्व छिड़काव के लिए ड्रोन के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने हेतु राज्य सरकार कृषक उत्पादक संगठन (FPO) और कृषि स्नातक युवाओं को ड्रोन खरीदने पर 40-50% सब्सिडी दे रही है। 2023-24 में स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से 500 ड्रोन वितरित किए गए और 2025 तक 15,000 ड्रोन उपलब्ध कराने की योजना है (यह केंद्र सरकार की नमो ड्रोन दीदी योजना से संबद्ध है)। ड्रोन से छोटे किसानों को कम समय में और कम खर्च में छिड़काव सेवा मिल सकेगी तथा कुछ ग्रामीण युवाओं के लिए यह कमाई का जरिया भी बन रहा है।

योजनाओं का अधिकतम लाभ उठाने के लिए सुझाव

सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ प्राप्त करने हेतु उत्तर प्रदेश के किसानों को निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए। पोर्टल पंजीकरण एवं KYC: अधिकतर योजनाओं के लिए राज्य का कृषि ऑनलाइन पोर्टल (<<upagripardarshi.gov.in>>) या संबंधित केंद्रीय पोर्टल पर किसान का पंजीकरण आवश्यक है। अपना आधार, मोबाइल नंबर और भूमि विवरण आदि दर्ज कर प्रोफ़ाइल बनाएं तथा ई-केवाईसी सुनिश्चित करें। एक बार रजिस्टर होने पर किसान विभिन्न योजनाओं के लिए आवेदन कर सकते हैं और आवेदन की स्थिति भी ट्रैक कर सकते हैं। आधार-लिंक बैंक खाता: यह सुनिश्चित करें कि आपका बैंक खाता आधार से लिंक और सक्रिय स्थिति में है, क्योंकि PM-किसान जैसी सभी योजनाओं की राशि DBT के जरिये सीधे बैंक खातों में आती है। आधार सीडिंग नहीं होने पर किस्तें अटक सकती हैं। बैंक खाते का विवरण (पासबुक की कॉपी) और आधार कार्ड की कॉपी आवेदन के समय साथ अवश्य दें। समय पर आवेदन व दस्तावेज: हर योजना की आवेदन अंतिम तिथि पर नज़र रखें और अंतिम समय की प्रतीक्षा किए बिना जल्दी आवेदन करें। उदाहरणतः कृषि यंत्र सब्सिडी के पोर्टल पर आवेदन विंडो खुलते ही बुकिंग कर लेनी चाहिए, क्योंकि समय सीमा के बाद पोर्टल बंद हो जाएगा और प्रथम आओ या लॉटरी से ही चयन होगा। आवेदन करते समय सभी आवश्यक दस्तावेज़ (भूमि का खतौनी प्रमाण, निवास प्रमाण, बैंक पासबुक, पासपोर्ट फोटो, आधार, विकलांगता/मृत्यु प्रमाण इत्यादि संबंधित योजना अनुसार) पहले से तैयार रखें, ताकि फार्म भरते समय परेशानी न हो। यदि ऑनलाइन आवेदन करने में दिक्कत हो, तो अपने क्षेत्र के कृषि विस्तार अधिकारी, सहायक तकनीकी प्रबंधक (ATM) या नजदीकी जनसेवा केंद्र की मदद लें। राज्य सरकार कई योजनाओं के लिए किसान मेले/गोष्ठी भी आयोजित करती है जहां现场 पर आवेदन व पंजीकरण की सुविधा मिलती है। मोबाइल ऐप व जानकारी स्रोत: उत्तर प्रदेश कृषि विभाग द्वारा विकसित “UP कृषि” मोबाइल ऐप या केंद्र सरकार के Kisan Suvidha ऐप को अपने फोन में इंस्टॉल करें। इन ऐप्स पर नई योजनाओं, मौसम पूर्वानुमान, बाज़ार भाव और आपके आवेदन की स्थिति संबंधी सूचनाएं मिलती रहती हैं। इसके अलावा PM-किसान हेतु हेल्पलाइन 155261/011-23381092 और फसल बीमा हेतु टोल-फ्री हेल्पलाइन 1800-180-1551 उपलब्ध है। किसी भी योजना से जुड़ी जानकारी के लिए सरकारी स्रोत (जैसे कृषि विभाग की वेबसाइट, जनसम्पर्क कार्यालय, विश्वसनीय समाचार) पर भरोसा करें और अफवाहों से बचें। बैंक व एफपीओ से संपर्क: किसान क्रेडिट कार्ड, कृषि अवसंरचना कोष या अन्य ऋण/अनुदान योजनाओं का लाभ लेने के लिए अपने क्षेत्र की बैंक शाखा या किसान उत्पादक संगठन (FPO) से नियमित संपर्क रखें। बैंक मैनेजर या ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से परामर्श लेकर ऋण के लिए आवश्यक दस्तावेज (जैसे प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार करें। यदि बड़ी परियोजना (जैसे कोल्ड स्टोरेज) लगानी है तो कुछ किसानों का समूह या एफपीओ बनाकर आवेदन करने से सफलता की संभावना बढ़ जाती है। एफपीओ के सदस्य बनने पर सरकार कई योजनाओं में प्राथमिकता देती है और सब्सिडी/ऋण की सीमा भी बढ़ जाती है।

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बीमा व सुरक्षा कवच: फसल बीमा जैसी योजना को Optional न समझें हर मौसम में अपनी प्रमुख फसलों का बीमा अवश्य कराएं। प्रीमियम राशि कम होती है, पर खराब मौसम की दशा में यही बीमा आपकी पूरी सीजन की मेहनत को डूबने से बचा सकता है। साथ ही कृषक दुर्घटना कल्याण योजना की जानकारी अपने परिवार को भी रखें और अपने ग्राम प्रधान/लेखपाल को अवगत कराएं कि आप किसान हैं, ताकि दुर्घटना की स्थिति में वे त्वरित कार्रवाई करके मुआवजा दिलवाने में मदद कर सकें। राज्य सरकार की मुआवज़ा योजनाओं (सूखा राहत, बाढ़ राहत) आदि के लिए भी तहसील में अपना पंजीकरण/नाम अपडेट रखवाएं। Uttar Pradesh Samachar 
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कृष्ण जन्माष्टमी पर उत्तर प्रदेश की धरती पर होगा धमाल

कृष्ण जन्माष्टमी पर उत्तर प्रदेश की धरती पर होगा धमाल
locationभारत
userचेतना मंच
calendar28 Nov 2025 06:13 PM
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भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी का उत्तर प्रदेश की राजधानी से बहुत गहरा ताल्लुक है। इस वर्ष-2025 में कृष्ण जन्माष्टमी के दिन उत्तर प्रदेश की धरती पर बहुत बड़ा धमाल होने वाला है । कृष्ण जन्माष्टमी पर उत्तर प्रदेश में होने वाले धमाल की पूरी जानकारी हम आपको दे रहे हैं।  Uttar Pradesh Samachar

शनिवार 16 अगस्त को है कृष्ण जन्माष्टमी

उत्तर प्रदेश की धरती पर होने वाले धमाल को जानने से पहले कृष्ण जन्माष्टमी की तारीख को जानना जरूरी है। वर्ष-2025 में कृष्ण जन्माष्टमी का पवित्र त्यौहार शनिवार 16 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। अच्छी खबर यह है कि उत्तर प्रदेश हो, सम्पूर्ण भारत हो अथवा भारत का कोई कोना भगवान श्रीकृष्ण के भक्त एक ही दिन 16 अगस्त 2025 को कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार विधि पूर्वक मनाएंगे। पिछले कुछ सालों में कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार दो-दिन दिन तक मनाया गया था। इस वर्ष-2025 में कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार 16 अगस्त को मनाया जा रहा है।

कृष्ण जन्माष्टमी के दिन बड़ा धमाल होगा उत्तर प्रदेश में

आपको बता दें कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म स्थान उत्तर प्रदेश में है। उत्तर प्रदेश के मथुरा नगर में भगवान  श्रीकृष्ण ने अवतार लिया था। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश के मथुरा में हर साल भगवान श्री कृष्ण के लाखों भक्त एकजुट होकर कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार मनाते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के खुफिया विभाग ने दावा किया है कि इस साल कृष्ण जन्माष्टमी के दिन मथुरा शहर में 60 लाख से ज्यादा भक्त एकत्र होने वाले हैं। इतनी बड़ी संख्या में भक्त एकजुट होकर भक्ति के रंग में झूमते-गाते हुए नजर आएंगे तो बड़ा धमाल तो होगी ही।

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लगातार तीन दिन की छुट्टी के कारण भारी भीड़ जुटेगी

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के मथुरा में कृष्ण जन्माष्टमी पर हर साल भीड़ एकत्र होती है। इस बार पहला मौका है जब उत्तर प्रदेश के मथुरा में 60 लाख से ज्यादा भक्तों के एकत्र होने का अनुमान लगाया जा रहा है। उत्तर प्रदेश पुलिस के अधिकारियों का मत है कि इस बार कृष्ण जन्माष्टमी पर लगातार तीन दिन की छुट्टी पड़ रही है। 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस की छुट्टी, 16 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी की छुट्टी तथा 17 अगस्त को रविवार की छुट्टी है। उत्तर प्रदेश सरकार के खुफिया तंत्र का कहना है कि लगातार तीन दिन तक छुटटी के कारण उत्तर प्रदेश की धरती पर बड़ा धमाल देखने को मिलेगा। 16 सितंबर की रात को भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की घंटी बजते ही यह धमाल शुरू हो जाएगा। Uttar Pradesh Samachar