उत्तर प्रदेश का यह जिला कहलाता है 'मिनी पंजाब', बड़ी सिख आबादी रहती है यहां

उत्तर प्रदेश का यह जिला कहलाता है 'मिनी पंजाब', बड़ी सिख आबादी रहती है यहां
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 12:03 PM
bookmark
उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा राज्य है, जिसमें 75 जिले हैं। उत्तर प्रदेश के हर जिले की अपनी अलग पहचान है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यूपी का एक ऐसा जिला भी है, जिसे मिनी पंजाब कहा जाता है? साल 2011 की जनगणना के अनुसार, यूपी की कुल जनसंख्या 19.98 करोड़ थी। प्रदेश में हिंदुओं की आबादी 79.73%, मुस्लिम आबादी 19.26%, और सिख आबादी केवल 0.32% (लगभग 6.43 लाख) थी। UP News :

पीलीभीत यूपी का मिनी पंजाब

यद्यपि यूपी के अलग-अलग जिलों में सिख समुदाय रहता है, लेकिन लखीमपुर खीरी और पीलीभीत में इनकी संख्या सबसे ज्यादा है। पीलीभीत जिले में सिख आबादी विशेष रूप से पूरनपुर क्षेत्र में केंद्रित है। भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद बड़ी संख्या में सिख परिवार यहां बस गए। जिले में सिख समुदाय से जुड़े कई धार्मिक स्थल मौजूद हैं, जिनमें गुरुद्वारे और अन्य सांस्कृतिक केंद्र शामिल हैं। यही वजह है कि पीलीभीत को यूपी का मिनी पंजाब कहा जाता है।

लखीमपुर खीरी में भी मौजूद बड़ी सिख आबादी

लखीमपुर खीरी जिले में भी सिखों की संख्या काफी है। 2011 के आंकड़ों के अनुसार, यहां लगभग 94,000 सिख रहते हैं। हालांकि, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के कारण पीलीभीत को विशेष तौर पर मिनी पंजाब के रूप में पहचाना जाता है। लखीमपुर खीरा और पीलीभीत दोनों ही स्थानों पर सिखों की काफी संख्या रहती है। लेकिन सबसे बड़ी आबादी और सांस्कृतिक धरोहर पीलीभीत में होने के कारण इस जिले को ही मिनी पंजाब के नाम से जाना जाता है। UP News यूपीआई (UPI) से करते हैं पेमेंट, तो हो जाएं सावधान! एक गलती से खाते से जा सकते हैं लाखों
अगली खबर पढ़ें

उत्तर प्रदेश के इस जिले में 5 सड़कें होंगी चकाचक, गांवों का शहरों से सीधी कनेक्टिविटी

उत्तर प्रदेश के इस जिले में 5 सड़कें होंगी चकाचक, गांवों का शहरों से सीधी कनेक्टिविटी
locationभारत
userचेतना मंच
calendar28 Nov 2025 06:07 PM
bookmark
उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले के ग्रामीणों के लिए अच्छी खबर है। उत्तर प्रदेश के इस जिले की 5 प्रमुख सड़कें चौड़ी और दुरुस्त की जाएंगी। जिससे ग्रामीण क्षेत्रों को शहरों से बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी और आवागमन सुगम होगा। इस काम के लिए उत्तर प्रदेश के इस जिले को 65.75 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है। UP News :

सड़क और खर्च का ब्यौरा

1. माधवपुर-हरदोइया-पूर्व बेसरा मार्ग (गौरीगंज) * लंबाई: 7.4 किलोमीटर * बजट: 20.60 करोड़ रुपये * लाभ: स्थानीय लोगों और वाहनों की आवाजाही सुगम, समय की बचत 2. टिकरा बैजनाथ-करथुनी-लालगंज-दादरा-गाजनपुर दुवरिया मार्ग (मुसाफिरखाना) * लंबाई: 9.7 किलोमीटर * बजट: 24.45 करोड़ रुपये * लाभ: ग्रामीणों की बड़ी समस्या का समाधान, व्यापारिक गतिविधियों में तेजी 3. दंडेश्वर धाम मार्ग (कोछित) * लंबाई: 3 किलोमीटर * बजट: 6.48 करोड़ रुपये * लाभ: धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण, श्रद्धालुओं और पर्यटकों को सुविधा 4. नारद मुनि मंदिर मार्ग (गुन्नौर) * लंबाई: 2.7 किलोमीटर * बजट: 7.17 करोड़ रुपये * लाभ: क्षेत्रीय लोगों और धार्मिक यात्रियों के लिए बेहतर आवागमन, पर्यटन को बढ़ावा 5. प्रेमशाह एनएच 731 से प्राचीन शिव मंदिर होते हुए गौरीगंज एनएच 931 मार्ग * लंबाई: 2.55 किलोमीटर * बजट: 7.06 करोड़ रुपये * लाभ: ग्रामीणों और आम जनता को सड़क परिवहन में तेजी और राहत व्यय वित्त समिति की मंजूरी के बाद शासनादेश जारी होते ही सड़क निर्माण और चौड़ीकरण का कार्य शुरू हो जाएगा। स्थानीय लोगों का कहना है कि लंबे समय से इन मार्गों के सुधार की मांग की जा रही थी। UP News यूपी के इस जिले में 83 हजार लोगों का मुफ्त राशन रुका, जानें वजह
अगली खबर पढ़ें

उत्तर प्रदेश के युवा किसान ने कर दिया बड़ा कमाल

उत्तर प्रदेश के युवा किसान ने कर दिया बड़ा कमाल
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 03:56 AM
bookmark
उत्तर प्रदेश के एक युवा किसान ने बड़ा कमाल कर दिया है। उत्तर प्रदेश के युवा किसान हिमांशु नाथ सिंह ने खेती को एक बड़ी कंपनी की तरह मोटा धन कमाने का साधन बना दिया है। उत्तर प्रदेश के सीतापुर के रहने वाले युवा किसान हिमांशु नाथ सिंह ने मात्र 40 बीघा जमीन में गन्ने की खेती से एक करोड़ रूपए से अधिक का टर्नओवर करके बड़ी-बड़ी कंपनियों की कमाई को भी पीछे छोडऩे का बड़ा कमाल कर दिया है।   UP News

घाटे की खेती को बनाया प्रोफिट वााला

उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के रहने वाले युवा किसान हिमांशु नाथ सिंह का जन्म एक परंपरागत किसान परिवार में हुआ है। हिमांशु नाथ सिंह का परिवार भी दूसरे किसानों की तरह खेती को घाटे का काम मानता था। जवान होने पर हिमांशु नाथ सिंह ने जब खेती करना शुरू किया तो उसने खेती को मुनाफे का कारोबार कैसे बनाया जाए इस पर रिसर्च करना शुरू किया। हिमांशु नाथ सिंह को अपने प्रयास में जल्दी ही सफलता प्राप्त हो गई। इस युवा किसान के सार्थक प्रयासों से उसके परिवार की खेती से आमदनी एक करोड़ रूपए सालाना तक पहुंच गई है।    UP News आप कल्पना करें कि एक छोटा सा किसान साल में एक करोड़ रूपए की कमाई करने लगे तो उसकी चर्चा होना जरूरी है। उत्तर प्रदेश के युवा किसान हिमांशु नाथ सिंह की पूरे उत्तर प्रदेश में खूब चर्चा हो रही है। दूर-दूर से किसान हिमांशु नाथ सिंह से प्रोफिट वाली खेती के लिए राय लेने सीतापुर पहुंच रहे हैं।

यह भी पढ़े: यूपी के इस जिले में 83 हजार लोगों का मुफ्त राशन रुका, जानें वजह

उत्तर प्रदेश के युवा किसान ने कैसे बदला खेती का तरीका

एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि हिमांशुनाथ सिंह के परिवार का गन्ने की खेती में 40 वर्षों का अनुभव है। उन्होंने अपने पिता से पारंपरिक खेती के तरीके सीखे। लेकिन, हिमांशु ने इसमें विज्ञान और तकनीक का समावेश किया। उन्होंने जल्दी ही यह समझ लिया कि खेती को प्रासंगिक और लाभदायक बनाए रखने के लिए इनोवेशन की जरूरत है। है। इसलिए उन्होंने जैविक और रासायनिक उर्वरकों के संतुलित मिश्रण का इस्तेमाल शुरू किया। इसमें गोबर, जैविक खाद, जीवामृत और घन जीवामृत शामिल हैं। हिमांशु की सफलता के पीछे एक प्रमुख कारण उनका गन्ने की खेती के प्रति वैज्ञानिक नजरिया है। वह बुवाई के समय, बीज की दूरी और मिट्टी के पोषण पर विशेष ध्यान देते हैं। वह सितंबर के अंतिम सप्ताह से अक्टूबर के बीच गन्ने की बुवाई करना पसंद करते हैं। वह मानते हैं कि यह बेहतर उपज के लिए सबसे उपयुक्त समय है। हिमांशु 0118, 14235 जैसी उन्नत किस्मों का इस्तेमाल करते हैं। ये रोग प्रतिरोधी और हाई यील्ड वाली हैं। वह प्रति हेक्टेयर 2,470 कुंतल गन्ने की उपज हासिल करते हैं। 10 बीघा जमीन पर गन्ने की खेती करके हिमांशु नाथ सिंह का कुल सालाना टर्नओवर 1 करोड़ रुपये से ज्यादा है।    UP News

केले की खेती भी करते हैं हिमांशु नाथ सिंह

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गन्ने के साथ हिमांशु केले की भी खेती करते हैं, जो उनकी आय को बढ़ाता है। मिट्टी की जैव विविधता को भी बेहतर बनाता है। वह अपनी फसलों के साथ आलू, गोभी, फूलगोभी और सरसों जैसी सब्जियों की इंटरक्रॉपिंग भी करते हैं। यह केवल मिट्टी की उर्वरता में सुधार करता है बल्कि आय के अतिरिक्त स्रोत भी प्रदान करता है। वह केले की खेती में भी जैविक उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं। इससे फल की क्?वालिटी और मार्केट वैल्यू में बढ़ोतरी होती है।  UP News