Train : भारतीय रेलवे (Indian Railways) में आपने एक ना एक बार तो जरूर ट्रेवल किया होगा। ट्रेवल करते वक्त पंखे और AC का मजा भी लिया होगा। भारत के ज्यादातर लोग ट्रेन से ही सफर करना पसंद करते हैं क्योंकि Train में सफर करना सबसे आसान, अफॉर्डेबल और कनवेनिएंट ऑप्शन होता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है? ट्रेन में चल रहे पंखे या एसी के लिए बिजली कहां से आती है और कितनी खपत होती है? जो एक सेकेंड के लिए भी गायब नहीं होती। अगर आपको भी इसका सही जवाब नहीं पता तो आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से इसके बारे में बताएंगे। आपको इन सवालों का जवाब जरूर पता होना चाहिए क्योंकि 99 फीसदी लोगों को इसका जवाब नहीं पता।
कैसे मिलती है बिजली की सप्लाई?
अगर आप नहीं जानते कि ट्रेन में बिजली कहां से मिलती है तो हम आपको बता दें कि रेलवे को बिजली सीधे पावर ग्रिड से मिलती है और इन ग्रिड पर बिजली पावर प्लांट से आती है। इसके बाद ग्रिड के द्वारा बिजली को सब्स्टेशन्स पर भेजा जाता है। रेलवे के मुताबिक, बिजली से चलने वाली ट्रेनों को 25 हजार वोल्टेाज (25KV) की जरूरत होती है। यह करंट इंजन के ऊपर लगे एक यंत्र पेंटोग्राफ के जरिये इंजन तक आता है। पेंटोग्राफ ट्रेन के ऊपर लगे तारों से रगड़कर चलता है। बिजली इन तारों के माध्यम से ट्रेन में आती है। दरअसल खंभों से बंधे इन तारों में दो तरह के तार होते हैं, जिसमें ऊपर वाला कोटेनरी वायर होता है और उसके नीचे कॉन्टेक्ट वायर होता है। इन दोनों तारों के बीच ड्रोपन के जरिए अंतर रखा जाता है। इससे तार हमेशा नीचे रहता है और पेंटोग्राफ से जुड़ा रहता है। पेंटोग्राफ की मदद से ऊपर लगे तार से करंट मिलता रहता है। उसमें प्रवाहित होने वाला 25KV यानी 25,000 वोल्ट का करंट विद्युत इंजन के मेन ट्रांसफार्मर में आता है, जिससे इंजन चलता है।
क्यों नहीं जाती बिजली?
Indian Railways को रेल परिचालन के लिए 25,000 वोल्ट के सिंगल फ़ेस 50Hz ऑलटरनेटिंग करंट का उपयोग करता है, जिसे विद्युत लोकोमोटिव के अंदर 750 वोल्ट थ्री फ़ेस ऑलटरनेटिंग करंट में परिवर्तित कर उसके व्हील पर लगे थ्री फ़ेस ऑलटरनेटिंग करंट स्क्विरल केज मोटरों को चलाया जाता है। इसी वजह से रेलवे स्टेशन के किनारे अक्सर सब्स्टेशन्स भी देखने को मिलते हैं। इसके अलावा आपको बता दें कि डायरेक्ट पावर ग्रिड से सप्लाई मिलने की वजह से ये कभी ट्रिप नहीं होते हैं। अगर कभी कभार कोई लाइन किसी वजह से अगर बंद भी हो जाए तो दूसरे ग्रिड से सप्लाई दी जाने लगती है। सीधे पावर ग्रिड से बिजली मिलने की वजह से रेलवे की बिजली भी न के बराबर जाती है।
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