UP News : उत्तर प्रदेश को गरीब मुक्त प्रदेश बनाना उत्तर प्रदेश सरकार का बड़ा फैसला है। यह भी कहा जा सकता है कि वर्ष-2024 में पूरे साल उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) का सबसे बड़ा फैसला गरीब मुक्त प्रदेश बनाने का फैसला ही रहा है। वर्ष-2024 में उत्तर प्रदेश सरकार ने दो दर्जन बड़े फैसले लिए हैं। उनमें से सबसे बड़ा फैसला उत्तर प्रदेश को गरीब मुक्त प्रदेश बनाने का फैसला है। आइए विस्तार से जान लेते हैं वर्ष-2024 में लिए गए उत्तर प्रदेश सरकार के सभी बड़े फैसलों को।
उत्तर प्रदेश सरकार का बड़ा फैसला जो बना नम्बर-1
वर्ष-2024 में लिए गए उत्तर प्रदेश सरकार Uttar Pradesh Government) के सभी प्रमुख फैसलों पर हमने विश्लेषकों के साथ चर्चा की है। उत्तर प्रदेश को अच्छी तरह समझने वाले विश्लेषकों का कहना है कि वर्ष-2024 में उत्तर प्रदेश सरकार का सबसे बड़ा फैसला प्रदेश को गरीब मुक्त प्रदेश बनाने का फैसला है। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश को गरीब मुक्त प्रदेश बनाने का बड़ा फैसला किया है। उत्तर प्रदेश सरकार के इस फैसले के पूरी तरह लागू हो जाने से उत्तर प्रदेश में एक भी व्यक्ति गरीब नहीं रहेगा। आपको पता होना चाहिए कि उत्तर प्रदेश की आबादी 25 करोड़ है। उत्तर प्रदेश के 25 करोड़ नागरिकों में से 18 प्रतिशत यानि कि साढ़े चार करोड़ नागरिक गरीबी की रेखा के नीचे निवास करते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने अगले एक वर्ष में उत्तर प्रदेश को गरीब मुक्त प्रदेश बनाने का बड़ा फैसला लिया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2 अक्टूबर 2024 को गांधी जयंती के मौके पर उत्तर प्रदेश सरकार के सबसे बड़े फैसले की घोषणा की थी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह घोषणा करते हुए कहा था कि अगले मात्र एक साल में उत्तर प्रदेश को गरीब मुक्त प्रदेश बना दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ी घोषणा करते हुए प्रदेश में जीरो पॉवर्टी अभियान लांच किया है।
UP News :
गांधी जयंती (Gandhi Jayanti) के मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने एक बड़े अभियान को लांच किया था। उत्तर प्रदेश के इस बड़े अभियान को जीरो पॉवर्टी अभियान नाम दिया गया है। इस अभियान को एक वर्ष में पूरा किया जाना है। इस अभियान के तहत उत्तर प्रदेश Uttar Pradesh Government) को एक साल के अंदर गरीब मुक्त प्रदेश बना दिया जाएगा। दूसरा मानक यह देखना होगा कि उत्तर प्रदेश में कितने परिवार भूमिहीन परिवार हैं। तीसरे मानक में यह देखा जाएगा कि उत्तर प्रदेश में कितने नागरिक दिहाड़ी मजदूर के रूप में अथवा खेती बाड़ी के मजदूर के रूप में काम करते हैं। चौथा मानक यह देखना होगा कि उत्तर प्रदेश में कितने नागरिकों को खाने की कमी रहती है। इन चार मानकों के आधार पर मापअप मोबाइल एप पर डाटा एकत्र करके इन तमाम नागरिकों की अर्थ व्यवस्था में सुधार करते हुए उन्हें गरीबी की रेखा के नीचे से ऊपर लाया जाएगा।
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह जारी कर चुके हैं निर्देश
उत्तर प्रदेश सरकार Uttar Pradesh Government) का बड़ा फैसला लागू करने की दिशा में काम शुरू किया जा चुका है। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज सिंह ने उत्तर प्रदेश को गरीब मुक्त प्रदेश बनाने के दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं। उत्तर प्रदेश के जिलाधिकारियों को भेजे गए निर्देशों में कहा गया है कि प्रदेश की प्रत्येक ग्राम पंचायत में निर्धनतम 10 से 25 परिवार चिह्नित किए जाएंगे। उन्हें सभी सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाया जाएगा। उनके जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर फंड) की भी मदद ली जाएगी। शासनादेश में कहा गया है कि सभी निर्धन परिवारों को भोजन, वस्त्र, अच्छी शिक्षा, चिकित्सा और मकान की उपलब्धता के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। इसके लिए निर्धन परिवारों के मापन-सूचक बेंचमार्क पर एक ठोस डिजिटल डाटाबेस तैयार होगा, ताकि शासन के हस्तक्षेप से निर्धनतम परिवारों की स्थिति में जो बदलाव आए, उसे जीरो पॉवर्टी पोर्टल पर रिकॉर्ड किया जा सके। आजीविका के लिए सहायता और उद्यमियों के साथ विजन साझा करके आर्थिक व वित्तीय स्थिति में बदलाव आदि आयामों पर काम किया जाएगा। योजना की खास बात यह होगी कि इसका क्रियान्वयन और रिपोर्टिंग डिजिटल प्लेटफॉर्म से होगी। पेंडेंसी की रिपोर्टिंग भी अनिवार्य होगी। विशेषज्ञों की प्रोफेशनल टीम सभी आयामों को लागू करेगी, जिसे सीएम हेल्पलाइन व आईजीआरएस सिस्टम से भी जोड़ा जाएगा। निर्देशों में कहा है कि अभियान का तेज गति से क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए, ताकि एक वर्ष बाद प्रदेश को जीरो पॉवर्टी प्रदेश घोषित किया जा सके।
उत्तर प्रदेश सरकार का दूसरा बड़ा फैसला
वर्ष-2024 में उत्तर प्रदेश सरकार के दूसरे बड़े फैसले की बात करें तो वह बड़ा फैसला भी बहुत महत्वपूर्ण है। उत्तर प्रदेश सरकार का दूसरा बड़ा फैसला प्रदेश में बिजली के रेट को ना बढ़ाने का फैसला है। उत्तर प्रदेश की बिजली व्यवस्था का संचालन उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन करता है। उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन ने प्रदेश सरकार पर खूब दबाव बनाया कि उत्तर प्रदेश में बिजली की दर (रेट) बढ़ा दी जाए। उत्तर प्रदेश सरकार ने बिजली की दरें ना बढ़ाकर प्रदेश के नागरिकों के हित में बड़ा फैसला किया है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने पांच साल में एक बार भी बिजली के बिलों के रेट नहीं बढ़ाए हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के इस फैसले को बड़ा फैसला माना जा रहा है। यह अलग बात है कि उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन की आर्थिक हालत ठीक नहीं है।
उत्तर प्रदेश का तीसरा बड़ा फैसला निपटाएगा ढ़ेर सारे विवाद
उत्तर प्रदेश सरकार का वर्ष-2024 में लिया गया तीसरा बड़ा फैसला भी बहुत महत्वपूर्ण है। उत्तर प्रदेश सरकार का यह बड़ा फैसला प्रदेश के नागरिकों के प्रोपर्टी से जुड़े हुए ढ़ेर सारे विवाद समाप्त करने वाला है। उत्तर प्रदेश सरकार ने यह बड़ा फैसला लिया है कि एक परिवार के सदस्यों के बीच अचल संपत्ति के बंटवारे और जीवित व्यक्ति द्वारा अपनी संपत्ति को अपने परिवारीजनों के नाम किए जाने पर लगने वाला स्टाम्प शुल्क केवल 5000 रुपये होगा। उत्तर प्रदेश में सिर्फ 5,000 रुपये के स्टाम्प शुल्क के साथ अपनी अचल संपत्ति को रक्त संबंधियों के नाम करने की बड़ी सहूलियत देने के बाद उत्तर प्रदेश को पारिवारिक विभाजन और व्यवस्थापन में भी बड़ी सुविधा मिल रही है। उत्तर प्रदेश सरकार के इस बड़े फैसले से लाखों पारिवारिक विवाद खत्म हो जाएंगे। उत्तर प्रदेश सरकार के इस फैसले की खूब तारीफ हुई है।
उत्तर प्रदेश को मिले मेडिकल कॉलिज
उत्तर प्रदेश सरकार का चौथा बड़ा फैसला प्रदेश में बड़ी संख्या में मेडिकल कॉलिज खोलने का रहा है। 2024 में स्वास्थ्य सेवाओं की भी बढ़ोतरी हुई है। साल 2024 में उत्तर प्रदेश को 18 मेडिकल कॉलेज (Medical College) मिला। यूपी के बिजनौर, बुलंदशहर, कुशीनगर, पीलीभीत, सुल्तानपुर, कानपुर देहात, ललितपुर, लखीमपुर खीरी, गोंडा, औरैया, चंदौली, कौशांबी व सोनभद्र जिले में सरकारी मेडिकल कॉलेज ((Medical College)) खोले गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 25 फरवरी 2024 को रायबरेली एम्स का वर्चुअली शुभारंभ भी किया था।
प्रदेश के छोटे कर्मचारियों के हित में बड़ा फैसला
उत्तर प्रदेश सरकार (Yogi Government) ने प्रदेश के छोटे कर्मचारियों के हित में भी बड़ा फैसला किया है। उत्तर प्रदेश में सरकारी कार्यालयों में तैनात वाहन चालकों और अनुसेवकों का वर्दी भत्ता बढ़ा दिया गया है। एमएसएमई विभाग (MSME) द्वारा जारी शासनादेश के अनुसार, वर्दी की खरीद, नवीनीकरण और धुलाई के लिए भत्तों में वृद्धि की गई है, जिससे कर्मचारियों को राहत मिलेगी। अब वर्दी खरीदने के लिए कर्मचारियों को 680 रुपये के बजाय 1,020 रुपये मिलेंगे। इसके अलावा रेनकोट की खरीद के लिए भत्ता भी बढ़ाकर 750 रुपये कर दिया गया है, जो पहले 500 रुपये थी। सर्दियों के वर्दी भत्ते को 1,310 रुपये से बढ़ाकर 1,965 रुपये कर दिया गया है, जबकि जूता भत्ते को 164 रुपये से बढ़ाकर 246 रुपये कर दिया गया है। छाता भत्ता भी 96 रुपये से बढ़ाकर 144 रुपये कर दिया गया है। इसके अलावा कर्मचारियों को गर्मियों की वर्दी चार साल में एक बार और सर्दियों की वर्दी तीन साल में एक बार दी जाएगी। हालांकि महिलाओं को गर्मियों की वर्दी का भत्ता हर साल मिलेगा। चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को मिलने वाले वर्दी धुलाई भत्ते को 40 रुपये से बढ़ाकर 60 रुपये कर दिया गया है, जबकि वाहन चालकों के लिए यह भत्ता 60 रुपये से बढ़ाकर 90 रुपये कर दिया गया है।
उत्तर प्रदेश पुलिस के मुखिया की नियुक्ति का नियम बदला
उत्तर प्रदेश सरकार का एक बड़ा फैसला पुलिस को लेकर भी रहा। उत्तर प्रदेश पुलिस के मुखिया (DGP ) की नियुक्ति अब प्रदेश सरकार खुद करेगी। इस फैसले के तहत राज्य सरकार (Yogi Government) ने अपने स्तर से पुलिस महानिदेशक ((DGP ) के चयन का रास्ता भी इस साल 2024 में साफ कर लिया। डीजीपी के चयन के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति का गठन किया जाएगा।
UP News :
समिति में मुख्य सचिव, संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) से एक सदस्य, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या उनकी तरफ से नामित अधिकारी के अलावा अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव गृह व पूर्व डीजीपी शामिल होंगे। 5 नवंबर को हुई कैबिनेट की बैठक में डीजीपी की नियुक्ति के लिए पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश (उत्तर प्रदेश के पुलिस बल प्रमुख) चयन एवं नियुक्ति नियमावली 2024 संबंधी अहम प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई। डीजीपी की नियुक्ति के लिए नई नियमावली बनाने वाला उत्तर प्रदेश चौथा राज्य बन गया है। नियमावली में यह स्पष्ट किया गया है कि अब डीजीपी की नियुक्ति संबंधित आईपीएस अधिकारी के बेहतर सेवा रिकॉर्ड व अनुभव के आधार पर की जाएगी। उन्हीं अधिकारियों को डीजीपी की नियुक्ति के लिए तवज्जो दी जाएगी, जिनका कम से कम छह माह का कार्यकाल शेष बचा हो।
सोशल मीडिया में काम करने वालों की होगी कमाई
उत्तर प्रदेश सरकार ने सोशल मीडिया पर काम करने वालों के लिए भी बड़ा फैसला किया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने 30 अगस्त को यूपी डिजिटल मीडिया नीति 2024 को लॉन्च किया। इस योजना के तहत सोशल मीडिया पर एक्टिव इन्फ्लुएंसर्स (Social Media Influencers) के लिए बेहतरीन स्कीम लॉन्च की गई। इसके तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फॉलोअर्स के अनुसार, 2 लाख से 8 लाख रुपये तक का पेमेंट किया जाएगा। सरकार की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को अलग-अलग कैटेगरी के तहत बांटा गया है। फेसबुक, इंस्टाग्राम एवं X (एक्स) प्लेटफॉर्म्स के लिए एक ही तरह की कैटेगरी बनाई गई हैं। वहीं, यूट्यूब के लिए अलग से कैटेगरी बनाई गई है। फेसबुक, इंस्टाग्राम एवं (एक्स) पर फॉलोअर्स के अनुसार ग्रुप के तहत 2 से पांच लाख रुपये तक तो वहीं यूट्यूब के लिए चार वर्गों में 4 से 8 लाख रुपये तक प्रतिमाह कमाने का मौका होगा। इस योजना का लाभ लेने के लिए सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को पंजीकरण करना जरूरी होगा।
छात्रों के लिए भी बड़ा फैसला
उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने 28 अक्टूबर को वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। उस दौरान सीएम योगी ने संस्कृत छात्रवृत्ति योजना 2024 (Sanskrit Scholarship Scheme) की शुरुआत की थी। उन्होंने राज्य के 69,195 संस्कृत से अध्ययनरत छात्रों के बैंक खाते में छात्रवृत्ति की राशि स्थानांतरित की। उन्होंने एक साथ 586 लाख रुपये की धनराशि छात्रवृत्ति के रूप में छात्रों को ट्रांसफर की। बता दें कि राज्य सरकार ने इस स्कॉलरशिप को 23 साल बाद पुन: शुरू किया है। उत्तर प्रदेश सरकार मदरसा में पढऩे वाले छात्रों को श्रेष्ठ शिक्षा प्रदान करने के लिए हर संभव कोशिस कर रही है। सरकार यूपी मदरसा एक्ट 2004 ((UP Madarasa Act) में संशोधन की तैयारी में भी है। बता दें कि 5 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला खारिज करते हुए मदरसों को संवैधानिक मान्यता प्रदान की थी। कोर्ट ने कहा था कि धर्मनिरपेक्षता के मायने समझने चाहिए। हर धर्म के अपने संस्थान हैं। ऐसे में मदरसों को क्यों निशाना बनाया गया है? कोर्ट ने कहा कि अल्पसंख्यकों की शिक्षा के अधिकार को बरकरार रखा जाना चाहिए। मदरसा एक्ट मदरसों के कामकाज में दखल नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह मदरसों के लिए न्यूनतम मानदंड तय कर सकती है। यह देख सकती है कि मदरसों में किस तरह की शिक्षा दी जाए। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 22 मार्च को उत्तर प्रदेश मदरसा एक्ट 2004 को असंवैधानिक ठहरा दिया था। कोर्ट ने इस कानून को धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन माना था और मदरसों में पढऩे वाले बच्चों को नियमित स्कूलों में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था। साल 2004 में बनाए गए यूपी मदरसा एक्ट के तहत उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड की स्थापना की गई। इस कानून का मुख्य उद्देश्य राज्य में संचालित मदरसों की शिक्षा को प्रबंधित और नियोजित करना है। इस एक्ट में अरबी, उर्दू, फारसी, इस्लामिक स्टडीज, तिब्ब (पारंपरिक चिकित्सा) और दर्शनशास्त्र जैसी पारंपरिक इस्लामी शिक्षा को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। इस एक्ट के तहत मदरसों को एक संरचित पाठ्यक्रम के अनुसार संचालित करने का ढांचा प्रदान किया जाता है, ताकि धार्मिक और सांस्कृतिक अध्ययन के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा का भी समावेश किया जा सके।
इसी प्रकार उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष-2024 में अनेक बड़े फैसले किए हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के इन सभी बड़े फैसलों में प्रदेश को गरीब मुक्त बनाने का फैसला सबसे बड़ा फैसला है। उत्तर प्रदेश का बड़ा फैसला जल्दी ही प्रदेश की दशा और दिशा को बदल देगा।
UP News :
बेटे की आड़ लेना भी काम नहीं आया निकिता को, नहीं चला पैतरा
ग्रेटर नोएडा – नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें।
देश–दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें।