Ayurvedic Remedy for Cough : खांसी से है परेशान तो अपनाये ये उपाय

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Ayurvedic Remedy for Cough: If you are troubled by cough then follow these remedies
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 02:46 AM
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  Ayurvedic Remedy for Cough : खांसी सर्दी जुकाम एक आम समस्या है लेकिन ये हमारे रोज मर्रा के काम को बुरी तरह प्रभावित करती है ।सर्दी हो या गर्मी खांसी जुकाम अधिकतर लोगो को अपनी गिरफ्त ले लेती है ।इन संक्रामक बिमारियों के लियें बरसों से आयुर्वेद का इस्तेमाल  करते आ रहे है ।मौसम का बदलाव हमारे इम्यून सिस्टम को  कमजोर करता है ।जिसकी वजह से जल्दी खांसी पकड़ लेती है । बहुत सारे लोगों को वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के चलते खांसी की एलर्जी होने की शिकायत रहती है।लंबे समय तक एलोपैथी दवाओं का सेवन करने से साइड इफेक्ट भी होने लगते हैं।

Ayurvedic Remedy for Cough :

  आज हम आपको कुछ आयुर्वेदिक उपचार के बारे में बताएंगो जो आपकी इस परेशानी का रामबाण इलाज है।   पिप्‍पली: पिप्पली पाचन और श्वसन प्रणाली पर कार्य करती है ।इसमें दर्द निवारक, कफ निस्‍सारक और वायुनाशक गुण होते है ।ये हमारे शरीर से विषैले तत्व को बाहर करती है ।इसके पॉवडर को शहद के साथ मिला कर चाटने से खांसी मे आराम मिलता है ।जमा हुआ कफ बाहर निकल जाता है । तुलसी: तुलसी के पत्तियों को धो कर पीस ले उसका रस निकाल ले फिर उसको शहद के साथ लेने से खांसी मे आराम मिलता है ।तुलसी में दर्द निवारक, जीवाणुरोधक और रोगाणुरोधक गुण होते हैं। सभी तरह की खांसी के प्रकार में यह उपयोगी है। तुलसी के पत्तों की चाय भी बना कर पी सकते है इसमे आप काली मिर्च का प्रयोग भी कर सकते है । हल्दी पाउडर: हल्दी पाउडर और अजवायन को एक गिलास पानी मे उबाल ले फिर जब पानी आधा रह जाये तो उसे छान ले ।इस पानी मे शहद मिला ले और इसे धीरे-धीरे सिप करके पियें इसे दिन मे 2 से 3 बार पियें ।ये छाती मे जकड़न को खत्म करेगा और खुलकर सांस लेने मे मदद करेगा। काली मिर्च : खांसी मे काली मिर्च का उपयोग आयुर्वेद मे खांसी मे हमेशा से किया जा रहा है । इसके लिये आप 2 से 3 काली मिर्च को धीरे-धीरे चबाए फिर उसके ऊपर थोड़ा सा शहद खा ले बाद मे काली मिर्च को चबा कर खा निगल जायें । पान के पत्ते का रस: खांसी के इस घरेलू नुस्खे को तैयार करने के लिए आपको 1 चम्मच अदरक के रस की आवश्यकता होगी। इसमें 1 चम्मच शहद मिलाएं। आवश्यक तीसरी चीज है पान के पत्ते। पान के पत्ते को पीसकर उसका रस निकाल लें सब को साथ मिला दे । खांसी के लिए एक शक्तिशाली घरेलू उपचार उपयोग के लिए तैयार है। आपको इसमें 1 चम्मच गुनगुना पानी मिलाकर पीना चाहिए। आपको इसे दिन में 3 बार लेना चाहिए। आधे घंटे तक कुछ भी सेवन न करें।

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Eye Care : बच्चों में बढ़ रहा मोतियाबिंद, 15% में अंधता का है कारण

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Eye Care: Cataract on the rise in children, causes blindness in 15%
locationभारत
userचेतना मंच
calendar23 Nov 2025 11:02 AM
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Eye Care : चेतना मंच हेल्थ डेस्क। दुनिया के लिए हमारी आंखे खिड़की की तरह होती हैं, जिसके खुले रहने पर हम बाहर कुछ भी देख सकते हैं और इसमें कुछ भी खराबी होने से खासकर कम उम्र में, नॉर्मल जिदगी जीने, दुखी रहने और दूसरों पर निर्भर होकर जीने का कारण बन सकता है। मोतियाबिंद आंखों में होने वाली बीमारियों में से एक है। पहले बुजुर्गों या अधिक उम्र के लोगों को होने वाला मोतियाबिंद रोग अब छोटे और नवजात बच्चों को भी अपना शिकार बना रहा है। हालांकि यह इसलिए काफी खतरनाक हो जाता है क्योंकि अगर इसका सही समय पर इलाज न हो तो आंखों की रोशनी को हमेशा के लिए खत्म कर देता है और व्यक्ति की आंखों में अंधेरा छा जाता है।

Eye Care :

  शिशुओं में जन्मजात मोतियाबिंद मोतियाबिंद आमतौर पर सफेद मोतिया के रूप में जाना जाता है, वह बच्चों की आंखों में होने वाली एक आम बीमारी है। हैदराबाद के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. सत्य प्रसाद बाल्की के अनुसार नवजात शिशुओं में जन्मजात मोतियाबिंद देखा जाता है। यह आमतौर पर माताओं में संक्रमण या डाउन सिंड्रोम जैसी अन्य बीमारियों से जुड़ा होता है। उन्होंने कहा कि 10 साल पहले की तुलना में ग्रामीण इलाकों में प्रसव से पहले अच्छी देखभाल, माताओं में संक्रमण में गिरावट और स्वच्छ प्रसव के कारण इसके मामलों में गिरावट आई है, जबकि शहरी आबादी में स्टेरॉयड के दुरुपयोग, आनुवंशिक कारणों, बीमारियों और समय से पहले जन्म जैसे दूसरे कारकों से जन्मजात मोतियाबिंद की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। 15 प्रतिशत मामले आनुवंशिक नोएडा के नेत्र चिकित्सक डॉ. सौरभ चौधरी ने कहा कि भारत में बच्चों में मोतियाबिंद बच्चों में अंधेपन का एक प्रमुख कारण है। बचपन में अंधेपन के लगभग 15 प्रतिशत मामले आनुवंशिकता के कारण से होते हैं भारत में लगभग 3-3.5 लाख नेत्रहीन बच्चे हैं, जिनमें से 15 प्रतिशत मोतियाबिंद के कारण होने का अनुमान है, जबकि फरीदाबाद की सीनियर कंसल्टेंट अमृता कपूर चतुर्वेदी के मुताबिक एक अनुमान है कि 2 लाख बच्चे मोतियाबिंद के कारण अंधे हैं और हर साल 20,000-40,000 बच्चे इसके साथ पैदा होते हैं। आंखों में दिक्कत होने वाले हर 1,000 बच्चों में से 1-2 में मोतियाबिंद दिखाई देता है। स्वास्थ्य और पोषण की कमी भी वजह अनुमानों के अनुसार भारत में अंधे बच्चों की संख्या 1.6 और 2 मिलियन के बीच है। हालांकि बच्चों में अंधापन सामान्य स्वास्थ्य और पोषण की कमी से होता है, इसके साथ ही जन्म के समय या जन्म के बाद बच्चों के स्वास्थ्य तथा पोषण में ढिलाई बरतने पर भी अंधापन होता है। बहुत सारी आंखों से सम्बंधित कंडीशन होती है, जो या तो जन्मजात होती है या फिर जन्म के बाद बीमारी होने पर होती है। डब्ल्यूएचओ नेशनल प्रोग्राम फॉर कंट्रोल ऑफ ब्लाइंडनेस के एक सर्वे के अनुसार भारत में कुल पीड़ितों में से 80.1 फीसदी आंखों में मोतियाबिंद की वजह से अंधापन है। वहीं सालाना 38 लाख लोग इसके शिकार होते हैं। इनमें बड़ी संख्या में बच्चों की भागीदारी है। बड़ी संख्या में आ रहे बच्चे बच्चों में मोतियाबिंद की समस्या काफी ज्यादा देखने को मिलती है और यह 15 प्रतिशत तक के बच्चों में अंधता का एक मुख्य कारण है। यह विभिन्न कारणों से हो सकता है। आनुवंशिक कारणों के अलावा आंखों में चोट लग जाना, डायबिटीज की बीमारी, स्टेरॉयड का सेवन इत्यादि। कानपुर की नेत्र सर्जन प्रो. डॉ. शालिनी मोहन बताती हैं कि मेडिकल कॉलेज में बहुतायत संख्या में बच्चे मोतियाबिंद की तकलीफ लेकर आ रहे है। विभागाध्यक्ष डॉ. शालिनी मोहन ने बताया कि इन बच्चों की आंखों में ऑपरेशन विशेष तकनीक से किया जाता है, जिसमें मोतियाबिंद निकालने के साथ साथ एनटीरीयर विट्रेक्टमी भी करनी पड़ती है और तब लेंस डाला जाता है। इसके पश्चात बच्चों की आँखों में चश्मे का नंबर और कई बार पैचिंग की भी आवश्यकता पड़ती है, जिससे की आंखों का सही प्रकार से विकास हो सके और ठीक प्रकार से देख सकें। समय पर मिले बच्चों को इलाज दिल्ली के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. बीपी गुलियानी कहते हैं कि मोतियाबिंद आंख के लिए नुकसानदेह है लेकिन एक जो अच्छी बात है वह यह है कि इसका इलाज आज संभव है। मोतियाबिंद होने पर इसका इलाज ऑपरेशन या सर्जरी है, जिसके माध्यम से इसे आंख से हटाया जाता है। अगर यह इलाज बच्चों को समय पर मिल जाता है तो उनकी आंखों की रोशनी को बचाया जा सकता है। यह सर्जरी न केवल सुरक्षित है बल्कि बीमारी को आंख से हटाने के लिए जरूरी है। हालांकि इसके लिए अभिभावकों का ध्यान देना काफी जरूरी है। इसके लिए बच्चों की आंखों की नियमित जांच काफी जरूरी है। बच्चों में मोतियाबिंद के कारण ▪️ बच्चों में मोतियाबिंद आनुवांशिक रूप से भी होता है अगर परिवार में किसी को सफेद मोतिया है तो बच्चे को भी मोतिया होने की संभावना होती है। ▪️ विकिरण या रेडिएशन के अधिक संपर्क व प्रभाव में आने से भी मोतियाबिंद होने का खतरा होता है। ▪️ अगर किसी मरीज को डाउन सिंड्रोम आदि बीमारियां हैं, उस स्थिति में भी यह बीमारी हो सकती है। ▪️ बच्चों में संक्रमण। ▪️ आंख की पहले से कोई सर्जरी होने के बाद साइड इफैक्ट के रूप में भी मोतियाबिंद हो सकता है। ▪️ कुछ दवाएं जैसे स्टेरॉयड आदि की ज्यादा मात्रा लेने पर भी केटरेक्ट होने की संभावना होती है। ▪️ गर्भावस्था में महिला को रूबेला या चिकनपॉक्स जैसे संक्रमण होने पर बच्चे को आंख में रोग होने का खतरा होता है। ▪️ बचपन में बच्चे की आंख में कोई चोट लगने, गांठ बनने या आघात होने से भी सफेद मोतिया हो जाता है। ▪️ डायबिटीज, हाइपरटेंशन और एक्जिमा होने पर भी मोतियाबिंद हो सकता है।

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Covid-19 : कोरोना संक्रमण के 1,839 नए मामले, 11 की मौत

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1,839 new cases of corona infection, 11 deaths
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userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 11:07 PM
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नई दिल्ली। भारत में सोमवार को कोविड-19 के 1,839 नए मामले सामने आए, जबकि उपचाराधीन मरीजों की संख्या घटकर 25,178 हो गई। एक दिन पहले यह संख्या 27,212 थी।

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संक्रमित लोगों की संख्या 4.49 करोड़ से ज्यादा

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार संक्रमितों की संख्या अब 4.49 करोड़ (4,49,71,469) हो गई है। वहीं, संक्रमण से 11 लोगों की मृत्यु होने से मृतक संख्या बढ़कर 5,31,692 हो गई है। मंत्रालय ने बताया कि उपचाराधीन मरीजों की संख्या कुल संक्रमितों का 0.06 प्रतिशत है। कोविड-19 से ठीक होने की राष्ट्रीय दर 98.76 प्रतिशत दर्ज की गई है।

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अब तक 220.66 करोड़ टीके

मंत्रालय ने बताया कि बीमारी से ठीक हो चुके लोगों की संख्या बढ़कर 4,44,14,599 हो गई है, जबकि मृत्यु दर 1.18 प्रतिशत है। मंत्रालय के अनुसार, राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान शुरू होने के बाद से देश में कोविड-19 रोधी टीके की अब तक 220.66 खुराक दी जा चुकी है। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।