Ayodhya News : भगवान श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। 22 जनवरी को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन करेंगे। 22 जनवरी का यह दिन देशवासियों के लिए बेहद ही खास रहेगा। लेकिन रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा से पहले अयोध्या के परिवार का दर्द छलका है। जिसे बयां सीताराम यादव ने किया है।
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अयोध्या निवासी सीताराम यादव ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि हम साल 1950 से पिता के साथ श्री रामलला के लिए प्रसाद बनाते आए हैं। आज भी हर दिन दुकान से रबड़ी-पेड़ा भगवान श्री राम के भोग के लिए जाता है। पिता जी राम जन्मभूमि मामले में गवाह भी थे। लेकिन आज तकलीफ इस बात की है कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हमें निमंत्रण नहीं दिया गया। हालांकि उनके परिवार का कहना है कि निमंत्रण मिलता है तो ठीक है, नहीं मिलता है तब भी ठीक है। हम भगवान श्री राम जी की सेवा में लगे रहेंगे।
भगवान के भोग के लिए जाता है प्रसाद
जानकारी के मुताबिक अयोध्या में एक छोटी सी रबड़ी और पेड़े की दुकान चलाने वाले सीताराम यादव के पिता और वो खुद राम मंदिर के भोग के लिए बताशे बनाते थे। उस समय उनकी इकलौती दुकान थी, जहां से भगवान के लिए भोग जाता था और आज भी भगवान श्री राम के लिए इसी दुकान से भोग जाता है। बताया जा रहा है कि बाबरी विध्वंस के दौरान उनकी दुकान भी ध्वस्त हो गई थी। लेकिन उन्होंने उसका कभी भी दुकान का मुआवजा नहीं लिया। 75 वर्षीय सीताराम यादव आज भी श्री राम लला के मंदिर के पास अपनी छोटी दुकान चलाते हैं। उनकी दुकान से आज भी श्री रामलला के भोग लिए 5 किलो रबड़ी और पेड़े जाते हैं। यह प्रक्रिया तब से जाकी है, जब रामलला टेंट में थे। हालांकि बुजुर्ग होने के कारण उनकी बेटी श्यामा यादव उनके इस काम में उनका सहयोग करती है।
पहले बताशे का लगता था भोग
सीताराम यादव का कहना है कि वह अपने पिता के साथ रामलला के भोग के लिए अपनी दुकान पर बताशे बनाते थे। उन्होंने बताया कि पिता की 20 साल पहले मौत हो गई। इसके बाद वह खुद भोग के लिए प्रसाद बनाने लगे। यही नहीं सीताराम ने श्री राम जन्म भूमि केस में गवाह के रूप में गवाही दी थी। श्री राम को छोटे सी जगह से लेकर आज बड़े विशाल मंदिर तक उन्हीं के हाथों का बना हुआ भोग लगाया जाता है।
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सरकार से नहीं लिया कोई मुआवजा
सीतारम ने बताया कि राज जन्म भूमि विवाद में उनकी दुकान चली गई। उनकी आंखों के सामने मंदिर से ताला खोला गया और राम को निकाला गया। इस दौरान उनकी दुकान और जमीन सब चली गई। सरकार मुआवजा देना चाहती थी, लेकिन हल लोगों ने कोई मुआवजा नहीं लिया और सब कुछ श्री राम के नाम कर दिया। उन्होने बताय कि कुछ दूरी पर आज भी उनकी दूसरी दुकान है। जहां से आज भी 5 किलो रबड़ी और पेड़े श्री राम लाल को भोग के लिए जाते है। लेकिन प्राण प्रतिष्ठा के लिए ना ही उनके पास आमंत्रण आया है और न ही उनको किसी ने सूचना दी है।
गवाही देने वाले को नहीं मिला निमंत्रण
सीताराम यादव की बेटी श्यामा यादव बताया कि हमारे बाबा श्री राम भगवान के लिए भोग बनाते थे, और अब उसके पिताजी भोग के लिए प्रसाद खुद बनाते हैं। उनके पिता श्री राम जन्म भूमि केस में लगातार गवाही में जाते रहे। सरकार की गाड़ियों में उनको गवाही देने के लिए ले जाया जाता था। आज तकलीफ तो होती है कि हम लोगों निमंत्रण भी नहीं आया। हालांकि पिता जी इस बात को कभी नहीं कहते हैं। क्योंकि वह दिन-रात श्री राम की सेवा में लगे हुए हैं।
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