UP News : उत्तर प्रदेश की अफसरशाही के लिए देश की सबसे बड़ी अदालत से एक बड़ी और राहतभरी खबर सामने आ रही है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के अफसरों को राहत देते हुए कोर्ट में उनकी व्यक्तिगत पेशी पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि अफसर के कोर्ट में पेशी कराया जाना ज्यादा जरुरी है तो अफसर को पहले वीडियो कांफ्रेसिंग का विकल्प दिया जाना चाहिए। इसकी भी उन्हें पहले सूचना देनी होगी।
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बुधवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कहा कि अफसरों की कोर्ट में पेशी के दौरान उनकी ड्रेस अथवा कपड़ों को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने अफसरों को कोर्ट में कैसे बुलाया जाए, इसका भी निर्धारण कर दिया है। इसे लेकर स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) बनाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने देश की सभी हाईकोर्ट को भी आगाह किया है कि सरकारी अधिकारियों को अपमानित न किया जाए और उनके ड्रेस सेंस को लेकर किसी तरह की टिप्पणी ना की जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि साक्ष्य, सारांश कार्यवाही में व्यक्तिगत उपस्थिति की आवश्यकता हो सकती है। इसके अलावा यदि मुद्दों को हलफनामे द्वारा सुलझाया जा सकता है, तो ऐसी व्यक्तिगत उपस्थिति की आवश्यकता नहीं होगी। व्यक्तिगत उपस्थिति केवल तभी जब तथ्य दबाये जा रहे हों। न्यायालय किसी अधिकारी को केवल इसलिए नहीं बुला सकता क्योंकि अधिकारी का दृष्टिकोण न्यायालय के दृष्टिकोण से भिन्न है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेशी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा सरकारी अधिकारियों को बुलाने के लिए पर्याप्त तैयारी के लिए पहले से ही सूचना दी जानी चाहिए और ऐसी पेशी के लिए पहला विकल्प वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूपी के अधिकारियों के खिलाफ यूपी के अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक अवमानना की शक्ति लागू नहीं की जा सकती। ऐसे अधिकारियों को बुलाने के ऐसे आदेशों की आवृत्ति संविधान द्वारा परिकल्पित योजना के विपरीत है।
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