BSP Leader Anupam Dubey: उत्तर प्रदेश के कानपुर के अपर सत्र न्यायालय ने आर्थिक अपराध शाखा के इंस्पेक्टर राम निवास यादव की हत्या में फर्रुखाबाद के बाहुबली बसपा नेता अनुपम दुबे को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके साथ ही 1 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। 27 साल पुराने जघन्य हत्याकांड में शामिल अनुपम मिश्रा के 2 साथी नेम कुमार उर्फ बिलैय्या और कौशल की मौत हो चुकी है। बिलैय्या पुलिस के एनकाउंटर में मारा गया था। हत्याकांड में 27 साल बाद फैसला आने से पीड़ित परिवार ने राहत की सांस ली है। वहीं, आरोपी पक्ष ने हाईकोर्ट जाने की बात कही है। अनुपम पहले से ही मथुरा जेल में बंद है। साल 1996 में कानपुर में दारोगा रामनिवास यादव की अनवरगंज स्टेशन के पास हत्या हुई थी।
गवाही के गुस्से में की थी इंस्पेक्टर की हत्या:
गौरतलब है कि यह मामला साल 1996 का है। फर्रुखाबाद आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) में तैनात मेरठ निवासी इंस्पेक्टर रामनिवास यादव कानपुर ट्रांसफर होकर आ गए थे। उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में तैनाती के दौरान दर्ज एक मुकदमे की विवेचना रामनिवास यादव ने की थी। 14 मई 1996 को इसी मुकदमे में गवाही देने के लिए रामनिवास फर्रुखाबाद गए थे और शाम के वक्त ट्रेन से कानपुर वापस लौट रहे थे। इस दौरान उत्तर प्रदेश के अनवरगंज रेलवे स्टेशन पर खड़ी ट्रेन में उनकी हत्या कर दी गई थी। इस मामले में उत्तर प्रदेश से फर्रुखाबाद के बसपा नेता अनुपम दुबे समेत तीन लोगों को आरोपी बताया गया था। ट्रेन से लौटते समय रास्ते में मौका पाकर गवाही से झल्लाए बदमाशों ने रामनिवास यादव की रावतपुर स्टेशन और अनवरगंज स्टेशन के बीच चलती ट्रेन में गोली मारकर हत्या कर दी थी। रात का समय था, इसलिए बदमाश रास्ते में ही उतरकर फरार हो गए। इसके बाद मामले में एफआईआर दर्ज की गई। जीआरपी थाने में अनुपम दुबे के अलावा नेम कुमार उर्फ बिलैया और कौशल के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था। तीनों के खिलाफ सीबीसीआईडी ने चार्जशीट दाखिल की थी।
बसपा नेता अनुपम दुबे पर दर्ज है 63 मुकदमे
अनुपम दुबे (BSP Leader Anupam Dubey), हरदोई के सवायजपुर और फर्रुखाबाद के सदर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुका है, हालांकि हार का सामना करना पड़ा था। उस पर वर्तमान में 63 मुकदमे हैं। उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद के हिस्ट्रीशीटर नेम कुमार बिलैया और विजय मिश्रा गैंग से उनकी नजदीकी थी। उत्तर प्रदेश में इस गैंग का इतना खौफ था कि कोई पुलिस अफसर विवेचना करने को तैयार नहीं था। कोई गवाह बनने को तैयार नहीं था। इसके बाद मामले को सीबीसीआईडी भेज दिया गया था। सीबीसीआईडी ने भी मामले की विवेचना कर तीनों आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी।
मुकदमे की सुनवाई पूरी होने के बाद गुरुवार को मामले के फैसले वाले दिन कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच आरोपी बसपा नेता अनुपम दुबे को कानपुर कोर्ट लाया गया और एडीजे 8 की कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद की सजा के साथ 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। मामले की सुनवाई के दौरान आरोपी नेम कुमार उर्फ बिलैया और कौशल की मौत चुकी थी। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता अरविंद डिमरी ने बताया कि कोर्ट ने अनुपम को हत्या का दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। मृतक परिवार को जुर्माना राशि का आधा दिया जाने का कोर्ट ने आदेश दिया है। वहीं सजा सुनाए जाने के बाद मीडिया से बातचीत में अनुपम दुबे ने कहा कि कोर्ट ने जो भी फैसला सुनाया है, वह उसका सम्मान करते हैं। हमारे पास अभी हाईकोर्ट के दरवाजे खुले हैं। इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे।
25 गवाहो ने उम्रकैद तक पहुंचाया:
हत्यारोपी अनुपम दुबे को एक-दो नहीं, बल्कि 25 गवाहों ने उम्रकैद की सजा तक पहुंचाया। इसमें सबसे अहम भूमिका मुलायम सिंह यादव नाम के प्रत्यक्षदर्शी की रही। मुलायम हत्याकांड के इकलौते प्रत्यक्षदर्शी गवाह थे। उनकी गवाही अनुपम दुबे की सजा का मजबूत आधार बनी। इसके साथ ही अभियोजन पक्ष के 18 और 5 कोर्ट विटनेस समेत कुल 25 लोगों ने गवाही दी। इसके चलते आरोपी को सजा तक पहुंचाया जा सका। बचाव पक्ष एक भी गवाह पेश नहीं कर सका। एक गवाह ने गवाही दी थी कि अनुपम दुबे को लगता था कि राम निवास यादव ने भीड़ को उसके पिता की हत्या के लिए उकसाया था। दरअसल, उसके वाहन की टक्कर से एक महिला को चोट लग गई थी। इस पर भीड़ ने उसके परिवार के वाहन को घेर कर मारपीट शुरू कर दी थी। इस पर अनुपम के पिता की मौत हो गई थी।