Hindon River : किसी समय में तेज वेग से बहने वाली हिंडन नदी आज लुप्त होती जा रही है। यहाँ तक कि आज इसका अस्तित्व भी मिटने लगा है। हिंडन पुराने समय में गंगा यमुना जैसी एक बड़ी नदी हुआ करती थी। यूं तो यह एक बरसाती नदी है किंतु इसमें कई हजार क्यूसेक पानी आता था। इसका पानी इतनी तेज वेग से बहा करता था कि जो नदी में फंस जाता था उसको निकलने का मौका नहीं मिलता था । यह गंगा और यमुना की तरह कई किलोमीटर चोडे रकबे वाली नदी हुआ करती थी। हिंडन नदी भारत के उत्तर में बहती है,जो शिवालिक की श्रेणियों से निकलती है अब वर्षों हो गए इस नदी में बरसात में भी पानी नहीं आता। सिर्फ जब 2013 में आपदा आई तब इस नदी में भी पानी आया था । किंतु तब से और अब तक फिर नदी सूखी हुई अपने अस्तित्व को ढूंढ़ती नजर आती है। नदी का अस्तित्व तभी है जब उसमें पानी चलता रहे। अब यह नदी बरसात में भी जल के लिए तरसती है।कभी उत्तराखंड व यूपी में शिवालिक की श्रेणियों की पहाड़ियों से निकलने वाली कई बरसाती नदियां इस में आकर मिलती थी और यह एक विशाल नदी का रूप धारण कर आगे बढ़ा करती थी। उत्तर प्रदेश से होती हुई दिल्ली की तरफ बढ़ती है और फिर यमुना में इसका विलय हो जाता। बरसातों में भी इसमें पानी ना आने के कारण लोगों ने इसमें अपने मकान बना लिए हैं और इसकी जगह को घेर लिया है।
Hindon River :
हिंडन नदी का अस्तित्व
आज हिंडन नदी लुप्त हो गई है किसी किसी जगह पर तो इसका जल पूर्ण रूप से सूख गया है और कहीं कहीं नाले की शक्ल में दिखाई देती है कुछ लोगों ने इस को कूड़ा डाल डाल कर गंदे नाले में तब्दील कर दिया है।
नदी के भीतर अतिक्रमण
नदी के भीतर की सारी जमीन पर अतिक्रमण कर लिया गया है लोगों ने यहां अपने मकान और अन्य कार्य शुरू कर दिए हैं। सिंचाई और जल संसाधन मंत्रालय को इस ओर ध्यान देना चाहिए और नदी को अपने पुराने अस्तित्व में लाने के लिए पहाड़ों से निकलने के बाद जो इस में अतिक्रमण बढ़ा है उसको हटाया जाए ताकि इस नदी में फिर से पानी की धारा प्रवाहित हो सके।
नदी के खत्म होने से नुकसान
नदी के लुप्त होने से भले ही कुछ लोगों को जमीने मिल गई हो लेकिन नदी के लुप्त होने से मानव जीवन को काफी नुकसान है नदी में पानी बहने की वजह से खेतों में हरियाली आती है जीवन में खुशहाली आती है हमारे आसपास का वातावरण शुद्ध और साफ बना रहता है।
नदी के जल का मनुष्य और वातावरण पर असर
नदी का बहता जल वातावरण और पर्यावरण को शुद्ध रखता है जो गंदगी कोई इकट्ठा नहीं होने देता और पानी के वेग के साथ सारी गंदगी को समेट लेता है अपने साथ बहा ले जाता है किंतु आज का मनुष्य जैसे अपने आप को ही जीवित देखना चाहता है भले ही उसमें दूसरों का अस्तित्व मिटे या बिगड़े।
फल सब्जियां
जब तक हिंडन नदी अस्तित्व में थी तो उसके किनारों पर विभिन्न तरह के फल सब्जियां हुआ करती थी जिनको बड़े और बच्चे बड़े आनंद के साथ खाते थे आज जब नदिया ही समाप्त होने की कगार पर हैं तो इनके पास होने वाली खेती से प्राप्त फल और सब्जियां भी लुप्त सी होती जा रही है जैसे तरबूज खरबूजा खीरा और ककड़ी बहुत कम बाजार में देखने को मिलती हैं ।
नदियों के किनारों पर मिलती थी औषधियां
नदियां पहाड़ों और हिमालय के जल से अपने आप को जलमग्न रखती थी और इसी जल में विभिन्न वनस्पतियां और उनके बीज जल के बहाव में अन्य इलाकों तक पहुंचते थे। जिन से वन और पेड़ उत्पन्न हो जाते थे तथा जो विभिन्न औषधियों का काम करते थे। कई रोगो में और उपचारों में इनका प्रयोग किया जाता था। आज मनुष्य इन के अभाव में कई रोगों में तड़पता है।
जल और नदी मानव जाति के लिए आवश्यक है इसलिए हमें इनका संरक्षण करना चाहिए। अगर इसी प्रकार से मानव नदियों के रास्ते को अवरुद्ध करता रहेगा तो यह भारी विपदा की निशानी होगी। इस तरह हम प्राकृतिक आपदाओं की और अग्रसर हो रहे हैं।