Lok Sabha Election 2024 : चुनाव लड़ने का जुनून एक शख्स के सिर पर ऐसा चढ़ा कि वह ग्राम प्रधानी से लेकर राष्ट्रपति तक के लिए चुनाव लड़ बैठा, लेकिन आज तक कोई भी चुनाव जीत न पाया। 98 प्रयासों में हार के बावजूद भी इस शख्स का जुनून कम नहीं हुआ और 99वीं बार भी चुनाव मैदान में कूद पड़ा और लोकसभा चुनाव में अपना पर्चा भर दिया।
Lok Sabha Election 2024
दरअसल उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के रहने वाले 79 वर्षीय हसनुराम अंबेडकरी इस समय काफी सुर्खियों में छाए हुए हैं। उन्होंने अपना 99वां चुनाव लड़ने का फैसला किया है। अंबेडकरी ने अपना पहला चुनाव 1985 में लड़ा, लेकिन जीत नहीं पाए। भले ही उनको अभी तक किसी भी चुनाव में जीत न मिली हो, लेकिन उन्हें कोई मलाल नहीं है।
98 बार हार चुके है चुनाव
हसनुराम अंबेडकरी ने ग्राम प्रधान से लेकर राष्ट्रपति तक के लिए नामांकन किया है। अपने पिछले 98 प्रयासों में हार का सामना करने के बावजूद, अंबेडकरी ने चुनावी अखाड़े में अपनी किस्मत आजमाना जारी रखा है। इस बार उन्हें फतेहपुर सीकरी से चुनाव लड़ने के शतक के करीब पहुंचने की उम्मीद थी, लेकिन इस सीट से उनका नामांकन खारिज कर दिया गया। उनका कहना है कि वह चुनाव सिर्फ और सिर्फ हारने के लिए लड़ते हैं, उनकी हसरत चुनाव जीतने की नहीं है।
1985 से लगातार लड़ रहे चुनाव
आगरा जिले के खैरागढ़ ब्लॉक के गांव नगला दूल्हे खां निवासी हसनुराम ने बताया कि वे 1985 से चुनाव लड़ रहे हैं। जिसमें विधानसभा, लोकसभा, जिला पंचायत, ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, नगर पंचायत, प्रधान, क्रय विक्रय, पार्षद के पद शामिल हैं। उन्होंने बताया कि वे तहसील में अमीन थे। उनकी चुनाव लड़ने की इच्छा हुई तो उन्होंने एक पार्टी से टिकट मांगा। हसनुराम ने बताया कि टिकट तो मिला नहीं लेकिन वहां उनका मजाक उड़ाया गया कि घर से भी कोई वोट नहीं देगा। इसके बाद वे 1985 से चुनाव की तैयारियों में जुट गए और हर चुनाव को लड़ते आ रहे हैं। इतना ही नहीं हसनुराम ने राष्ट्रपति पद के लिए भी नामांकन किया था लेकिन पर्चा निरस्त हो गया था।
100 बार चुनाव लड़ना है लक्ष्य
आपको बता दें कि हसनुराम का गांव नगला दूल्हा खां में दो कमरों का मकान है। जहां वे अपनी पत्नी के साथ रहते हैं। गांव में ही मेहनत मजदूरी कर अपना जीवन यापन करते हैं। उन्होंने बताया कि उनके बेटे दूर शहर में मेहनत मजदूरी कर जीवन यापन कर रहे हैं। चुनाव के प्रति उनके जुनून को देखते हुए अंबेडकरी का परिवार उनके साथ खड़ा है।
एक क्लर्क और मनरेगा मजदूर के रूप में अपना जीवन यापन करने वाले अंबेडकरी कहते है। “चुनाव लड़ना मेरा जुनून है और मैं इसे अपने खर्च पर पूरा करता हूं। मैं किसी से धन की मदद नहीं लेता। मैं जानता हूं कि मैं जीत नहीं पाऊंगा, लेकिन यह मुझे चुनाव लड़ने से नहीं रोक सकता।” उन्होंने कहा, “मेरा लक्ष्य 100वीं बार चुनाव लड़ना है और मैं यह भी जानता हूं कि मेरी उम्र बढ़ रही है लेकिन मैं अपना लक्ष्य हासिल कर लूंगा।”
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