Lucknow News: अखिलेश यादव से मिलने लखनऊ पहुंचें दिल्ली के सीएम, केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ मांगेगे समर्थन




Lucknow IT raid[/caption]
लखनऊ में अमरावती ग्रुप के कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं। ऐसे में आयकर विभाग की टीम ऑटो मूवर्स वाले तलवार ब्रदर्स के घर पर भी पहुंची है। उनके पास महिंद्रा की फ्रेंचाइजी है। तलवार परिवार के लखनऊ में कई बड़े शो रूम चलाते हैं। लेन-देन और आयकर से संबंधित दस्तावेजों की पड़ताल की जा रही हैं। हालांकि यह कोई पहला मामला नहीं जब अमरावती बिल्डर्स का मामला चर्चा में बना। इससे पहले लापरवाही,मेनटेनेंस चार्ज सहित कई मामलों में अमरावती ग्रुप को लोगों के विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ा था।
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लखनऊ में अमरावती ग्रुप के कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं। ऐसे में आयकर विभाग की टीम ऑटो मूवर्स वाले तलवार ब्रदर्स के घर पर भी पहुंची है। उनके पास महिंद्रा की फ्रेंचाइजी है। तलवार परिवार के लखनऊ में कई बड़े शो रूम चलाते हैं। लेन-देन और आयकर से संबंधित दस्तावेजों की पड़ताल की जा रही हैं। हालांकि यह कोई पहला मामला नहीं जब अमरावती बिल्डर्स का मामला चर्चा में बना। इससे पहले लापरवाही,मेनटेनेंस चार्ज सहित कई मामलों में अमरावती ग्रुप को लोगों के विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ा था।

UP News / लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित बलरामपुर अस्पताल का एक वीडियो इन दिनों खूब वायरल हो रहा है। दरअसल, यहां शशि मुखर्जी (मीनू) नाम की एक महिला मरीज भर्ती हैं। शरीर से दुबली-पतली ये मरीज लीवर की गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं। हालांकि, हॉस्पिटल प्रशासन मीनू को बेहतर इलाज दिलाने के लिए हर सम्भव प्रयास कर रहा है। लेकिन एक बात से सभी हैरान हैं। वजह है इनका हौसला, क्योंकि 10 साल की उम्र से कष्टों भरा जीवन जीती चली आ रहीं हैं और अब गम्भीर बीमारी से पीड़ित है। बावजूद इसके मीनू का हौसला सामान्य इंसान से कहीं ज़्यादा है। जानलेवा बीमारी से जूझ रही मीनू इतना सुरीला गाती हैं जिनके आगे शायद अच्छे-अच्छे संगीतकार भी फेल हो जाएं।
डॉक्टर तो इस बात पर भी आश्चर्य चकित हैं कि ऐसी स्थिति में मरीज़ का जीवित होना भी बड़ी बात होती है। लेकिन मीनू का जो हौसला और संगीत के प्रति प्रेम है उसने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है। दरअसल, मीनू बलरामपुर अस्पताल के आर्थोपैडिक वार्ड में भर्ती हैं। 25 साल पहले परिवार से अलग इधर- उधर अपना गुजर बसर कर रही हैं। आज भले ही उनका परिवार उनके साथ नहीं है लेकिन उन्होंने वहाँ भर्ती मरीज़ों और डॉक्टर्स को ही अपना परिवार मान लिया हैं। अच्छी चिकित्सा सेवा मिले इसके लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर जीपी गुप्ता उन्हें समझाकर बुझाकर केजीएमयू में भर्ती कराने का प्रयास कर रहे हैं। जिससे कि उनका जल्द से जल्द बेहतर इलाज हो सके।
अस्पताल में चारों ओर निराशा के बीच उनकी सुरीली आवाज़ आपका मन मोह लेगी। हैरत की बात तो ये है मीनू ने इसके लिए कहीं शिक्षा हासिल नहीं की है। यही वजह है कि सोशल मीडिया के साथ अलग- अलग जगहों पर उनकी खूब सराहना हो रही है। यही नहीं मीनू हिंदी के अलावा बंगाली भाषा में भी लोगों को मुरीद करने वाला संगीत गाती हैं। उन्हें बचपन से संगीत पसंद है। दस साल की उम्र में दुःख का पहाड़ टूटा और फिर घर से निकाल दिया गया। इसके बाद जीवन तख़लीफ़ो भरा बीता। काफ़ी संघर्ष और अकेलेपन के साथ मीनू इधर- उधर भटकती रही। इस दौरान उनका सहारा सिर्फ़ संगीत रहा। उनका सबसे पसंदीदा गाना "कोरा कागज़ था ये मन मेरा, लिख लिया नाम इसपे तेरा" है क्योंकि इसके बोल मीनू की ज़िंदगी पर आधारित है।
कोरा कागज गाने के ज़रिए हमेशा उन्होंने अपने दुखों को लोगों के सामने प्रस्तुत करने का काम किया। यही गाना आज मीनू की पहचान बना है। जिसको लेकर हर तरफ़ उनकी चर्चा हो रही है। मीनू जानलेवा बीमारी से जूझ रही है। कभी-कभी उसे असहनीय दर्द से गुजरना पड़ता है। बावजूद मीनू सुबह-शाम अस्पताल के एक वार्ड से दूसरे वार्ड में घूमती रहती हैं। मरीजों के पास बैठती हैं और अपना गाना सुनाकर उनके दर्द कम करने का प्रयास करती हैं। उनकी सुरीली आवाज़ को पसंद करने वाले अस्पताल के मरीज और स्टाफ ही नहीं, बल्कि डॉक्टर और तीमारदार भी हैं। मीनू सभी को सुरीला गाना सुनाती हैं। लोगों की फरमाइश पर वार्ड में गुनगुना लेती हैं। UP News
UP News / लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित बलरामपुर अस्पताल का एक वीडियो इन दिनों खूब वायरल हो रहा है। दरअसल, यहां शशि मुखर्जी (मीनू) नाम की एक महिला मरीज भर्ती हैं। शरीर से दुबली-पतली ये मरीज लीवर की गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं। हालांकि, हॉस्पिटल प्रशासन मीनू को बेहतर इलाज दिलाने के लिए हर सम्भव प्रयास कर रहा है। लेकिन एक बात से सभी हैरान हैं। वजह है इनका हौसला, क्योंकि 10 साल की उम्र से कष्टों भरा जीवन जीती चली आ रहीं हैं और अब गम्भीर बीमारी से पीड़ित है। बावजूद इसके मीनू का हौसला सामान्य इंसान से कहीं ज़्यादा है। जानलेवा बीमारी से जूझ रही मीनू इतना सुरीला गाती हैं जिनके आगे शायद अच्छे-अच्छे संगीतकार भी फेल हो जाएं।
डॉक्टर तो इस बात पर भी आश्चर्य चकित हैं कि ऐसी स्थिति में मरीज़ का जीवित होना भी बड़ी बात होती है। लेकिन मीनू का जो हौसला और संगीत के प्रति प्रेम है उसने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है। दरअसल, मीनू बलरामपुर अस्पताल के आर्थोपैडिक वार्ड में भर्ती हैं। 25 साल पहले परिवार से अलग इधर- उधर अपना गुजर बसर कर रही हैं। आज भले ही उनका परिवार उनके साथ नहीं है लेकिन उन्होंने वहाँ भर्ती मरीज़ों और डॉक्टर्स को ही अपना परिवार मान लिया हैं। अच्छी चिकित्सा सेवा मिले इसके लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर जीपी गुप्ता उन्हें समझाकर बुझाकर केजीएमयू में भर्ती कराने का प्रयास कर रहे हैं। जिससे कि उनका जल्द से जल्द बेहतर इलाज हो सके।
अस्पताल में चारों ओर निराशा के बीच उनकी सुरीली आवाज़ आपका मन मोह लेगी। हैरत की बात तो ये है मीनू ने इसके लिए कहीं शिक्षा हासिल नहीं की है। यही वजह है कि सोशल मीडिया के साथ अलग- अलग जगहों पर उनकी खूब सराहना हो रही है। यही नहीं मीनू हिंदी के अलावा बंगाली भाषा में भी लोगों को मुरीद करने वाला संगीत गाती हैं। उन्हें बचपन से संगीत पसंद है। दस साल की उम्र में दुःख का पहाड़ टूटा और फिर घर से निकाल दिया गया। इसके बाद जीवन तख़लीफ़ो भरा बीता। काफ़ी संघर्ष और अकेलेपन के साथ मीनू इधर- उधर भटकती रही। इस दौरान उनका सहारा सिर्फ़ संगीत रहा। उनका सबसे पसंदीदा गाना "कोरा कागज़ था ये मन मेरा, लिख लिया नाम इसपे तेरा" है क्योंकि इसके बोल मीनू की ज़िंदगी पर आधारित है।
कोरा कागज गाने के ज़रिए हमेशा उन्होंने अपने दुखों को लोगों के सामने प्रस्तुत करने का काम किया। यही गाना आज मीनू की पहचान बना है। जिसको लेकर हर तरफ़ उनकी चर्चा हो रही है। मीनू जानलेवा बीमारी से जूझ रही है। कभी-कभी उसे असहनीय दर्द से गुजरना पड़ता है। बावजूद मीनू सुबह-शाम अस्पताल के एक वार्ड से दूसरे वार्ड में घूमती रहती हैं। मरीजों के पास बैठती हैं और अपना गाना सुनाकर उनके दर्द कम करने का प्रयास करती हैं। उनकी सुरीली आवाज़ को पसंद करने वाले अस्पताल के मरीज और स्टाफ ही नहीं, बल्कि डॉक्टर और तीमारदार भी हैं। मीनू सभी को सुरीला गाना सुनाती हैं। लोगों की फरमाइश पर वार्ड में गुनगुना लेती हैं। UP News