Saturday, 27 July 2024

महाकुंभ मेले का बढ़ेगा दायरा, चार हजार हेक्टेयर जमीन पर होगा आयोजन

Maha Kumbh Fair 2025 : भारत ही नहीं बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा मेला होता है महाकुंभ का मेला। महाकुंभ-2025…

महाकुंभ मेले का बढ़ेगा दायरा, चार हजार हेक्टेयर जमीन पर होगा आयोजन

Maha Kumbh Fair 2025 : भारत ही नहीं बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा मेला होता है महाकुंभ का मेला। महाकुंभ-2025 का आयोजन उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में त्रिवेणी के तट पर किया जाएगा। महाकुंभ-2025 का आयोजन 13 जनवरी 2025 से लेकर 26 फरवरी 2025 तक होगा। सबसे बड़ी बात यह है कि महाकुंभ-2025 के मेले का दायरा पिछले महाकुंभ मेलों से बड़ा होगा। इस बार महाकुंभ-2025 का मेला चार हजार हेक्टेयर जमीन पर लगेगा।

Maha Kumbh Fair 2025

उत्तर प्रदेश सरकार ने बढ़ाया है महाकुंभ मेले का दायरा

सबको पता है कि जिस प्रदेश में महाकुंभ का मेला लगता है उसी प्रदेश की सरकार महाकुंभ के आयोजन की पूरी व्यवस्था करती है। महाकुंभ-2025 का आयोजन उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हो रहा है। इसी कारण महाकुंभ की पूरी व्यवस्था उत्तर प्रदेश की सरकार करेगी। उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ मेले का दायरा बढ़ाने का फैसला कर लिया है। अब तक प्रयागराज में महाकुंभ मेला 3200 हेक्टेयर क्षेत्रफल पर लगता था। अब महाकुंभ मेले का दायरा बढ़ाकर चार हजार हेक्टेयर कर दिया गया है। महाकुंभ-2025 अब तक हुए सभी महाकुंभ से बड़ा मेला होने वाला है।

महाकुंभ-2025 का पूरा कार्यक्रम

इस बीच महाकुंभ-2025 का पूरा कार्यक्रम भी घोषित किया जा चुका है। प्रयागराज में कुंभ मेले का आयोजन वर्ष 2025 में 13 जनवरी से होगा। महाकुंभ मेले का आयोजन हर 12 साल में किया जाता है। इससे पहले यह आयोजन वर्ष 2013 में हुआ था। महाकुंभ का का संबंध ज्योतिष और आस्था दोनों से माना जाता है। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, वृष राशि में बृहस्पति होने पर कुंभ मेले का आयोजन होता है। साल 2025 में बृहस्पति वृष राशि में होगा। सूर्य और चन्द्रमा के मकर राशि में प्रवेश करने पर महाकुंभ मेले का आयोजन होता है। साल 2025 में यह संयोग बनेगा और तब 13 जनवरी से लेकर 26 फरवरी तक यह मेला लगेगा।

Maha Kumbh Fair 2025

2025 में महाकुंभ का पहला शाही स्नान 14 जनवरी को मकर संक्राति के दिन होगा। दूसरा शाही स्नान 29 जनवरी मौनी अमावस्या के दिन होगा। तीसरा शाही स्नान 3 फरवरी बसंत पंचमी को होगा। इन 3 शाही स्नान के अलावा महाकुंभ कुछ और भी स्नान की तिथियां प्रमुख मानी जाती हैं। जिसमें 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा का स्नान, 12 फरवरी को माघी पूर्णिमा का स्नान और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि का स्नान सबसे महत्वपूर्ण है। कुंभ मेले का आयोजन कब और कहां किया जाएगा, इसका निर्धारण ग्रहों और राशियों की स्थिति देखकर किया जाता है।

Maha Kumbh Fair 2025

कुंभ मेले की तिथि को निर्धारित करने में सूर्य और गुरु को अहम माना जाता है। गुरु जब वृष राशि में होते हैं और सूर्य मकर राशि में होते हैं तो मेले का आयोजन प्रयाग में होता है। सूर्य  जब मेष राशि और गुरु कुंभ राशि में होते हैं तो कुंभ हरिद्वार में लगता है। सूर्य और गुरु जब सिंह राशि में होते हैं तो महाकुंभ मेला नासिक में लगता है। जब गुरु सिंह राशि में और सूर्य मेष राशि मं होते हैं तो कुंभ का आयोजन उज्जैन में होता है।

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