Saturday, 25 January 2025

महाकुंभ फिर 144 साल बाद आएगा, अभी नहीं तो कभी नहीं

Mahakumbh 2025 : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ का मेला शुरू हो चुका है। यह महाकुंभ 144 साल बाद…

महाकुंभ फिर 144 साल बाद आएगा, अभी नहीं तो कभी नहीं

Mahakumbh 2025 : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ का मेला शुरू हो चुका है। यह महाकुंभ 144 साल बाद आया है। वर्ष-1881 में भी उत्तर प्रदेश की प्रयागराज में ही महाकुंभ का आयोजन हुआ था। अगला महाकुंभ वर्ष-2169 में आएगा। दरअसल कोई भी धार्मिक कार्य आस्था और विश्वास के ऊपर आधारित होती है। यदि आपकी आस्था हिंदू सनातन परंपरा में है तो आपको तुरंत प्रयागराज जाकर महाकुंभ का स्नान जरूर करना चाहिए। यह बिल्कुल स्पष्ट है कि इस बार महाकुंभ में स्नान करने से वंचित रहने पर आपको जीवन में यह मौका नहीं मिलेगा।

महाकुंभ में नहीं गए तो फिर कभी नहीं जा पाएंगे

दरअसल कुंभ चार प्रकार के होते हैं। पहला कुंभ साधारण कुंभ होता है। दूसरा कुंभ अर्ध कुंभ होता है। तीसरा कुंभ पूर्ण कुंभ होता है। चौथा तथा सबसे महत्वपूर्ण कुंभ महाकुंभ होता है। अर्ध कुंभ 6 साल में एक बार, पूर्ण कुंभ 12 साल में एक बार तथा महाकुंभ 144 साल में एक बार आता है। इसका सीधा सच्चा अर्थ यह है कि महाकुंभ में स्नान करने का अवसर हर किसी को नहीं मिलता। जो भी लोग इस समय पृथ्वी  पर हैं तथा महाकुंभ में आस्था व विश्वास रखते हैं उनके लिए प्रयागराज में शुरू हो चुके महाकुंभ में स्नान करने एक मात्र सुनहरा अवसर है। अब नहीं तो कभी नहीं वाली कहावत महाकुंभ में स्नान के ऊपर पूरी तरह से लागू होती है। इस बार महाकुंभ में स्नान करने का अवसर हाथ से चला गया तो यह अवसर फिर इस जीवन में लौटकर आने वाला नहीं है। प्रयागराज में महाकुंभ का पहला स्नान 13 जनवरी 2025 को है। स्नान का यह सिलसिला 26 फरवरी 2025 तक चलेगा। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में शुरू हो चुके महाकुंभ के मेले में 50 करोड लोगों के आने का अनुमान है।

देवता भी करते हैं महाकुंभ में स्नान

कूर्म पुराण में वर्णित किया गया है कि धरती पर मौजूद इंसानों की तरह ही देवलोक में देवता भी महाकुंभ में स्नान करते हैं। कूर्म पुराण में इस बात का उल्लेख भी किया गया है जैसे धरती पर गंगा पवित्र नदी है। उसी तरह देवलोक में भी कई पवित्र नदियां हैं, जिनमें केवल देवता ही स्नान कर सकते हैं। जब धरती पर महाकुंभ का आयोजन होता है, तो देवलोक के द्वार खुलते हैं और सभी देवतागण देवलोक में ही कुंभ स्नान करते हैं। शिव पुराण की कहानी के अनुसार माघ पूर्णिमा पर भगवान शिव माता पार्वती और अन्य कैलाशवासियों के साथ धरती पर वेश बदलकर कुंभ घूमने आते हैं। इस दौरान भगवान शिव प्रयागराज, वाराणसी आदि प्राचीन शहरों में घूमकर प्रकृति का आनंद लेते हैं और अपने भक्तों की परीक्षा भी लेते हैं।

शाही स्नान का विशेष महत्व है महाकुंभ में

प्रयागराज कुंभ मेले में छह शाही स्नान होंगे। महाकुंभ मेला का पहला शाही स्नान 13 जनवरी 2025 को होगा। दूसरा शाही स्नान 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति पर होगा, तीसरा स्नान 29 जनवरी 2025 को मौनी अमावस्या पर होगा, चौथा शाही स्नान 2 फरवरी 2025 को बसंत पंचमी पर होगा, पांचवां शाही स्नान 12 फरवरी 2025 को माघ पूर्णिमा पर होगा और आखिरी शाही स्नान 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि पर होगा। महाकुंभ में शाही स्नान का विशेष महत्व माना जाता है। हर कोई शाही स्नान वाले शुभ मुहूर्त में ही महाकुंभ में स्नान करता है। महाकुंभ मेले पर रवि योग का निर्माण होने जा रहा है। इस दिन इस योग का निर्माण सुबह 7 बजकर 15 मिनट से होगा और सुबह 10 बजकर 38 मिनट इसका समापन होगा। इसी दिन भद्रावास योग का भी संयोग बन रहा है और इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है।

यहां जानिए महाकुंभ का पूरा इतिहास

हिन्दु धर्म-ग्रंथों, मान्यताओं तथा पुराणों के अनुसार महाकुंभ मेले का संबंध समुद्र मंथन से माना जाता है। कथा के अनुसार, एक बार ऋषि दुर्वासा के श्राप से इंद्र और अन्य देवता कमजोर पड़ गए थे। इसका लाभ उठाते हुए राक्षसों ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया था और इस युद्ध में देवताओं की हार हुई थी। तब सभी देवता मिलकर सहायता के लिए भगवान विष्णु के पास गए और उन्हें सारी बात बताई। भगवान विष्णु ने राक्षसों के साथ मिलकर समुद्र मंथन कर के वहां से अमृत निकालने की सलाह दी। जब समुद्र मंथन से अमृत का कलश निकला, तो भगवान इंद्र का पुत्र जयंत उसे लेकर आकाश में उड़ गया। यह सब देखकर राक्षस भी जयंत के पीछे अमृत कलश लेने के लिए भागे और बहुत प्रयास करने के बाद दैत्यों के हाथ में अमृत कलश आ गया। इसके बाद अमृत कलश पर अपना अधिकार जमाने के लिए देवताओं और राक्षसों के बीच 12 दिनों तक युद्ध चला था। इसी दौरान अमृत कलश से कुछ बूंदें हरिद्वार, उज्जैन, प्रयागराज और नासिक में गिरी थीं।

अमृत की बूंदें गिरने से यह चारों स्थान अति पवित्र हो गए थे। एक निश्चित मुहूर्त पर अमृत की पवित्रता इन स्थानों पर बार-बार अवतरित होती है, जिन मुहूर्तों पर अमृत की पवित्रता उतरती है उन्हीं मुहूतों पर कुंभ, अर्ध कुंभ, पूर्ण कुंभ तथा महाकुंभ का आयोजन किया जाता है। महाकुंभ के शुभ मुहूर्त पर गंगा में स्नान करने से सभी जन्मों के पाप एक ही झटके में कट जाते हैं तथा इंसान पवित्र हो जाता है। Mahakumbh 2025

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