उत्तर प्रदेश में घूसखोरी का बड़ा सच: पुलिस नहीं, ये विभाग है सबसे आगे

चकबंदी (19), स्थानीय निकाय (17), चिकित्सा (16) और सिंचाई (13) जैसे विभाग भी पीछे नहीं रहे। वहीं ग्राम्य विकास (8), कृषि, वन और मंडी परिषद (5-5) तथा उच्च शिक्षा (4) के नाम भी रिकॉर्ड में दर्ज हैं। साफ है कि उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार का ‘नेटवर्क’ कई स्तरों पर फैला हुआ है।

उत्तर प्रदेश में घूसखोरी का बड़ा खुलासा
उत्तर प्रदेश में घूसखोरी का बड़ा खुलासा
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar27 Dec 2025 03:47 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार पर शिकंजा जितना कस रहा है, उतनी ही साफ़ होकर सरकारी महकमे की असल तस्वीर भी सामने आ रही है। आमतौर पर रिश्वतखोरी के आरोपों में घिरी रहने वाली खाकी पर उंगली उठती रही है, लेकिन भ्रष्टाचार निवारण संगठन (ACO) के आंकड़े इस बार चौंकाने वाला संकेत देते हैं घूसखोरी के मामलों में पुलिस से ज्यादा “बड़ी हिस्सेदारी” राजस्व विभाग के कर्मचारियों की दिखी है। बीते चार वर्षों में ACO की कार्रवाई में कुल 680 अधिकारी-कर्मचारी रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़े गए, जिनमें सबसे ज्यादा 266 मामले राजस्व विभाग से जुड़े हैं। वहीं, 108 पुलिसकर्मी भी इस सूची में शामिल रहे।

उत्तर प्रदेश में किस विभाग की कितनी “एंट्री”?

ACO की कार्रवाई के आंकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में रिश्वतखोरी की जड़ें किसी एक-दो महकमे तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि जनसेवा और नागरिक सुविधाओं से जुड़े कई विभाग इसकी चपेट में हैं। सूची में सबसे ऊपर राजस्व विभाग है, जहां 266 कर्मचारी-अधिकारी रिश्वत लेते पकड़े गए। इसके बाद पुलिस विभाग के 108, बिजली विभाग के 63 और शिक्षा विभाग के 29 मामले सामने आए। चकबंदी (19), स्थानीय निकाय (17), चिकित्सा (16) और सिंचाई (13) जैसे विभाग भी पीछे नहीं रहे। वहीं ग्राम्य विकास (8), कृषि, वन और मंडी परिषद (5-5) तथा उच्च शिक्षा (4) के नाम भी रिकॉर्ड में दर्ज हैं। साफ है कि उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार का ‘नेटवर्क’ कई स्तरों पर फैला हुआ है

उत्तर प्रदेश में राजस्व विभाग सबसे ज्यादा क्यों निशाने पर?

उत्तर प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में जमीन से जुड़े काम नापजोख, वरासत, नामांतरण, पैमाइश और कब्जे लंबे समय से शिकायतों का बड़ा केंद्र रहे हैं। जैसे-जैसे विजिलेंस और ACO की सक्रियता तेज हुई, वैसे-वैसे किसानों और गरीब परिवारों से जुड़े मामलों में “बिना चढ़ावे काम नहीं” वाली शिकायतें खुलकर सामने आने लगीं। नतीजा यह हुआ कि ट्रैप और कार्रवाई के सबसे ज्यादा मामले राजस्व विभाग से दर्ज हुए। यह सिर्फ गिरफ्तारी का आंकड़ा नहीं, बल्कि एक साफ संदेश भी है उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई अब कागजी आदेशों तक सीमित नहीं रही, बल्कि गांव की चौपाल से लेकर तहसील तक, सिस्टम की जड़ों पर सीधा प्रहार कर रही है।

उत्तर प्रदेश सरकार का फोकस

उत्तर प्रदेश में जनशिकायतों की निगरानी और खासकर राजस्व मामलों के त्वरित निस्तारण को लेकर सरकार ने बीते कुछ समय में अपना रुख और ज्यादा सख्त किया है। इसी के साथ गोपनीय शिकायतों की जांच को असरदार बनाने के लिए कार्रवाई वाली एजेंसियों को भी नई ताकत दी गई। नतीजतन, भ्रष्टाचार निवारण संगठन (ACO) की 8 नई इकाइयों का गठन किया गया, जबकि मंडल स्तर पर कुल 18 इकाइयों को थाने के रूप में अधिसूचित किया गया।

उत्तर प्रदेश में साल-दर-साल बढ़ी गिरफ्तारी की रफ्तार

उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई सिर्फ बयान नहीं, सालाना आंकड़ों में साफ दिखती है। ACO की ट्रैप और गिरफ्तारी की रफ्तार हर साल तेज हुई है 2022 में जहां 81 लोकसेवक रिश्वत लेते पकड़े गए, वहीं 2023 में यह संख्या बढ़कर 152 पहुंच गई। 2024 में कार्रवाई का ग्राफ और ऊपर गया और 221 लोकसेवक गिरफ्त में आए। सबसे अहम संकेत 2025 के आंकड़े देते हैं 19 दिसंबर तक ही 226 लोकसेवक पकड़े जा चुके हैं। UP News

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उत्तर प्रदेश में वाइफ स्वैपिंग कांड : दोस्त का कर दिया कत्ल

एएसपी सिटी डॉ. कृष्ण गोपाल सिंह ने बताया कि 21 दिसंबर की शाम हरिद्वार काशीपुर नेशनल हाईवे के नजीबाबाद बाईपास के पास एक शव मिला, जिसकी पहचान सुरेंद्र सिंह निवासी गांव हरचंदपुर थाना नांगल के रूप में हुई। सुरेंद्र कई वर्षों से देहरादून में रहता था।

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वाइफ स्वैपिंग
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar27 Dec 2025 03:08 PM
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UP News : देहरादून सचिवालय में तैनात सफाईकर्मी ने वाइफ स्वैपिंग के लिए दबाव डाल रहे दोस्त की हत्या कर दी। दोस्त उसकी पत्नी के बारे में अश्लील टिप्पणी भी करता था, जिससे आहत होकर आरोपी ने यह कदम उठाया। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार करते हुए सुरेंद्र की हत्या का खुलासा कर दिया है। एएसपी सिटी डॉ. कृष्ण गोपाल सिंह ने बताया कि 21 दिसंबर की शाम हरिद्वार काशीपुर नेशनल हाईवे के नजीबाबाद बाईपास के पास एक शव मिला, जिसकी पहचान सुरेंद्र सिंह निवासी गांव हरचंदपुर थाना नांगल के रूप में हुई। सुरेंद्र कई वर्षों से देहरादून में रहता था।

संदीप ने ईंट से मारकर सुरेंद्र की हत्या कर दी

सोमवार सुबह सुरेंद्र बाइक से अपने गांव हरचंदपुर आया था। सुरेंद्र के हरचंदपुर आने की जानकारी उसके दोस्त संदीप निवासी नालापानी रोड थाना डालनवाला देहरादून को थी। तय योजना के तहत संदीप बस में सवार होकर पहले रुड़की, फिर हरिद्वार और इसके बाद मंडावली पहुंचा। मंडावली में उसे सुरेंद्र मिला। इसके बाद दोनों नजीबाबाद पहुंच गए। नजीबाबाद में बाईपास पर सुनारोवाली के पास दोनों ने शराब पी, फिर संदीप ने ईंट से सुरेंद्र की हत्या कर दी। जैकेट डालकर शव को जलाने का भी प्रयास किया था। मगर गश्त करते हुए दो सिपाही पहुंचे तो आरोपी भाग निकला। आरोपी संदीप देहरादून के सचिवालय में आउटसोर्सिंग सफाईकर्मी है। 

सुरेंद्र अक्सर संदीप की पत्नी के संबंध में करता था अश्लील टिप्पणी

 पुलिस के अनुसार, संदीप ने पूछताछ में बताया कि सुरेंद्र उसका पुराना दोस्त था, जिससे उसने 80 हजार रुपये भी ले रखे थे। सुरेंद्र अक्सर उसकी पत्नी के संबंध में अश्लील टिप्पणी करता था और वाइफ स्वैपिंग के लिए कहता था। सुरेंद्र आपराधिक प्रवृत्ति का भी था, जिसके कारण वह खुलकर उसका विरोध नहीं कर पाता था। आखिरकार संदीप ने अपने दोस्त सुरेंद्र की हत्या की योजना बना ली थी।

 लोकेशन से बचने को रुड़की में रखा फोन

संदीप ने क्राइम पेट्रोल देखकर हत्या के ऐसे तमाम तरीकों को बारे में सोचा, जिससे पुलिस की पकड़ में नहीं आने पाए। इसी के चलते वह रविवार को सुरेंद्र के साथ नजीबाबाद नहीं आया। वह बस से सीधे रुड़की पहुंचा, जहां उसने अपने भाई की दुकान से एक सफेद जैकेट खरीदी। इसके साथ ही अपना फोन रुड़की में रख दिया था, ताकि लोकेशन रुड़की में ही बनी रहे।

 सीसीटीवी से बचने को किया हुडी का प्रयोग

संदीप ने फोन को रुड़की में रखकर लोकेशन से बचने का तरीका खोज लिया था। इसके बाद सीसीटीवी फुटेज मे चेहरा छिपाए रखने के लिए उसने सफेद हुडी जैकेट खरीदी। हालांकि हत्या के बाद उसकी उक्त जैकेट घटनास्थल पर ही छूट गई थी। जिसमें हरिद्वार से मंडावली तक का बस का टिकट भी मिला था। जिसके बाद पुलिस ने मंडावली और हरिद्वार में सीसीटीवी फुटेज खंगाली। दोनों ही जगहों पर उक्त हुडी जैकेट पहने हुए आरोपी नजर आया। पुलिस आरोपी तक पहुंच ही गई।

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उत्तर प्रदेश के आईटी सिटी में घटे भूखंडों के दाम, आवासीय दर पर होगी बिक्री

अब तक आईटी सिटी में जमीन की कीमत आवासीय दर से डेढ़ गुना तय की गई थी, लेकिन नए निर्णय के अनुसार इसे घटाकर आवासीय दर के बराबर कर दिया गया है। इसके अलावा, जो निवेशक 10 एकड़ से अधिक भूमि खरीदेंगे, उन्हें आवासीय दर से लगभग 10 प्रतिशत कम मूल्य पर भूखंड उपलब्ध कराया जाएगा।

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आवासीय प्लाट
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar27 Dec 2025 02:10 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित आवास विकास परिषद की वृंदावन आवासीय योजना के अंतर्गत विकसित की जा रही आईटी सिटी परियोजना में भूखंडों की कीमतों में उल्लेखनीय कटौती की गई है। परिषद की हाल ही में हुई बोर्ड बैठक में इस संबंध में प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। इसके साथ ही भूमि मूल्य निर्धारण की नई नीति को भी स्वीकृति मिली है, जिसका असर पुरानी और आगामी दोनों योजनाओं पर पड़ेगा।

आईटी सिटी में अब आवासीय दर लागू

अब तक आईटी सिटी में जमीन की कीमत आवासीय दर से डेढ़ गुना तय की गई थी, लेकिन नए निर्णय के अनुसार इसे घटाकर आवासीय दर के बराबर कर दिया गया है। इसके अलावा, जो निवेशक 10 एकड़ से अधिक भूमि खरीदेंगे, उन्हें आवासीय दर से लगभग 10 प्रतिशत कम मूल्य पर भूखंड उपलब्ध कराया जाएगा। परिषद के अधिकारियों के अनुसार, आईटी सिटी के लिए कई बार टेंडर जारी किए गए, लेकिन अपेक्षित निवेश नहीं मिला। इसी कारण बोर्ड ने भूमि दरों में कटौती का निर्णय लिया। फिलहाल आईटी सिटी क्षेत्र में आवासीय भूखंडों की कीमत करीब 38 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर है, जो पहले आईटी श्रेणी में बढ़कर लगभग 58 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर हो जाती थी।

नई मूल्यांकन नीति से जमीन सस्ती

नई गणना नीति के लागू होने से परिषद की वे संपत्तियां, जो लंबे समय से नहीं बिक पा रही थीं, उनकी कीमतों में लगभग 25 प्रतिशत तक कमी आएगी। ऐसी संपत्तियों को पहले अनुपयोगी घोषित किया जाएगा और उसके बाद उनके रेट में संशोधन किया जाएगा। नई आवासीय योजनाओं में लगाए जाने वाले अतिरिक्त शुल्कों में भी कटौती की गई है। पार्क की ओर स्थित भूखंडों पर अब पहले के 10 प्रतिशत की जगह केवल 5 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लिया जाएगा। वहीं सेंटेज चार्ज को 20 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया है।

सशस्त्र बलों को अधिक छूट

पहले आओ पहले पाओ योजना के अंतर्गत अब सशस्त्र और अर्धसैनिक बलों के सेवारत एवं सेवानिवृत्त कर्मियों को फ्लैट खरीद पर विशेष राहत दी जाएगी। 60 दिनों के भीतर भुगतान करने पर 20 प्रतिशत तक की छूट। 61 से 90 दिन में भुगतान करने पर 15 प्रतिशत।

91 से 120 दिन में भुगतान करने पर 10 प्रतिशत की छूट। यह सुविधा 31 जनवरी तक प्रभावी रहेगी।

अगले दो वर्षों में पांच नई योजनाएं

परिषद ने प्रदेश के मऊ, गाजीपुर, चित्रकूट, प्रतापगढ़ और गोरखपुर जिलों में नई आवासीय योजनाएं शुरू करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। प्रतापगढ़ में प्रस्तावित 141 हेक्टेयर की योजना को छह माह के भीतर लॉन्च करने की तैयारी है, जबकि मऊ की 64 हेक्टेयर की योजना एक वर्ष में शुरू होगी। शेष योजनाएं डेढ़ वर्ष की अवधि में प्रारंभ होंगी।

कानपुर मंधना योजना को मिली हरी झंडी

कानपुर की मंधना आवासीय योजना लंबे समय से भूमि विवाद के कारण अटकी हुई थी। अब परिषद ने तीन गांवों में लैंड पूलिंग मॉडल के तहत जमीन लेने का फैसला किया है। इसके अंतर्गत किसानों से जमीन लेकर उन्हें बदले में 25 प्रतिशत विकसित भूमि दी जाएगी। इस योजना का कुल क्षेत्रफल लगभग 229 हेक्टेयर है। परिषद ने उन शैक्षिक भूखंडों पर कार्रवाई करने का निर्णय लिया है, जिन पर वर्षों से निर्माण नहीं हुआ है। ऐसे भूखंड धारकों को एक महीने के भीतर भवन मानचित्र स्वीकृत कराने का अवसर दिया जाएगा। निर्धारित समय में प्रक्रिया पूरी न करने पर जुर्माना या आवंटन निरस्तीकरण किया जा सकता है। प्रदेश भर में ऐसे करीब 100 भूखंड हैं।

गाजियाबाद वसुंधरा योजना में किसानों को राहत

गाजियाबाद की वसुंधरा योजना-3 में वर्षों से किसानों की लंबित मांग को पूरा किया गया है। अब प्रभावित किसानों को पहले दिए गए 25 वर्ग मीटर की बजाय 35 वर्ग मीटर के भूखंड दिए जाएंगे। इससे परिषद की लगभग 350 करोड़ रुपये मूल्य की जमीन को उपयोग में लाने का रास्ता साफ हो गया है। अब ई-नीलामी में ऊंची बोली लगने के बाद सौदा रद्द होने की स्थिति में हर बार कीमत नहीं बढ़ाई जाएगी। यदि दो बार नीलामी के बाद भी संपत्ति नहीं बिकती है, तो उसे परिषद द्वारा निर्धारित दर पर दोबारा नीलामी में रखा जाएगा। इससे लखनऊ, कानपुर समेत अन्य शहरों की करीब 50 फंसी हुई संपत्तियों के बिकने की संभावना बढ़ेगी। प्रतापगढ़ आवासीय योजना में किसानों से सहमति के आधार पर जमीन खरीदी जाएगी और डीएम सर्किल रेट से चार गुना मुआवजा दिया जाएगा। मुरादाबाद में नगर निगम व खुफिया विभाग के लिए भूखंडों के उपयोग में बदलाव। 

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