Friday, 29 November 2024

उत्तर प्रदेश के इस जिले में मौजूद है 140 करोड़ साल पुराने जीवाश्म

UP News : यह आश्चर्यजनक तो है किंतु सत्य है उत्तर प्रदेश की एक जिले में 140 करोड़ पुराने जीवाश्म…

उत्तर प्रदेश के इस जिले में मौजूद है 140 करोड़ साल पुराने जीवाश्म

UP News : यह आश्चर्यजनक तो है किंतु सत्य है उत्तर प्रदेश की एक जिले में 140 करोड़ पुराने जीवाश्म मौजूद हैं इसका अर्थ यह हुआ कि उत्तर प्रदेश में प्रकृति का वह रहस्य मौजूद है जिससे पता चलता है की धरती पर 140 करोड़ साल पहले भी जीवन मौजूद था वह वैज्ञानिकों का मानना है कि उत्तर प्रदेश के इस जिले में मौजूद जीवाश्म 140 करोड़ साल पुराने हैं। क्या होते हैं जीवाश्म उत्तर प्रदेश में 140 करोड़ साल पुराने जीवाश्म के रहस्य से पहले यह जान लेना जरूरी है कि वास्तव में जीवाश्म क्या होते हैं अथवा जीवाश्म किसे कहते हैं जीवाश्म को अंग्रेजी में Fossils कहा जाता है।

क्या होते हैं जीवाश्म?

किसी भी विलुप्त जीव या पौधों की जमीन पर मौजूदगी प्रमाण को जीवाश्म(Fossils) कहते हैं। जब किसी मृत जीवधारी का शरीर मिट्टी में दब जाता है, तो उसके शरीर के नरम भाग गल जाते हैं। शरीर का जो कठोर भाग होता है, वो धीरे-धीरे (सैकड़ों वर्षों) में पत्थर में तब्दील हो जाते हैं। जब ये पत्थर किसी कारण से पृथ्वी की सतह पर आ जाते हैं तब उनके अध्ययन से उस जीवधारी की शरीर रचना के बारे में बहुत सारी जानकारियां शोधकर्ता जुटाते हैं। जिन जंतुओं में हड्डियां होती हैं उनकी हड्डियां प्राय: जीवाश्मों के रूप में मिलती हैं. इनके अलावा, अंडे और घाोंघों और शंखों के कवच भी जीवाश्मों के रूप में पाए जाते हैं।

भारत के कई भागों में विलुप्त हो चुके पेड़ों के तने पत्थर के रूप में पाए जाते हैं। यदि कोई विलुप्त कीड़ा गीली मिट्टी पर रेंगते हुए अपना निशान छोड़ गया हो और बाद में यह मिट्टी चट्टान में बदल गई हो तो कीड़े के रेगने के निशान को भी जीवाश्म (Fossils) कहा जाता है।मध्यप्रदेश के भीमबेटका में पाए गए जीवाश्म (Fossils) के बार में अंतरराष्‍ट्रीय पत्रिका गोंडवाना रिसर्च के अंक में प्रकाशित किया गया है। डिकिनसोनिया के जीवाश्‍म का अध्‍ययन करके अभी तक जानकारी सामने आई है कि यह चार फीट तक बढ़ सकते थे। मगर जो जीवाश्‍म भीमबेटका में मिला है, वो 17 इंच लंबा है।

जीवाश्म के कुल छह प्रकार होते हैं

संपूर्ण परिरक्षित प्राणी, प्राय, कार्बनीकरण, कंकालों का सांचा, अश्मीभवन, चिचिह्न

1. संपूर्ण परिरक्षित प्राणी- ऐसा कभी कभार ही देखने को मिलता है कि बिना किसी टूटने या खंडित होने की प्रक्रिया के कारण जीवाश्म (Fossils) प्राप्त हो, किंतु ऐसे परिरक्षित जीवाश्म के उदाहरण मैमथ और राइनोसिरस के जीवाश्म हैं, जो टुंड्रा के हिम में जमे हुए पाए गए हैं।

2. प्राय- अपरिवर्तित दशा में परिरक्षित पाए जानेवाले कंकाल कभी-कभी जब शैलों में केवल कंकाल ही पाया जाता है तब यह देखा गया है कि वह अपनी पहले जैसी, तब की अवस्था में है जब वह समाधिस्थ हुआ था. फॉसिल दशा में कंकाल का कार्बनिक द्रव्यों का लोप हो जाता है।

3. कार्बनीकरण – कुछ कुछ प्राणियों में, जैसे ग्रैप्टोलाइट, जिनमें कंकाल काइटिन का बना होता है, मूल द्रव्य कार्बनीकृत हो जाता है।

4. कंकालों का सांचा – कभी-कभी कंकाल या कवच विलीन हो जाते हैं और उनके स्थान पर उनका केवल सांचा रह जाता है. यह इस प्रकार होता है कि कवच के अवसाद से ढक जाने के बाद, कवच का आंतरिक भाग भी अवसाद वाले द्रव्य से भर जाता है।

5. अश्मीभवन- कभी कभी फॉसिलों में उन जीवों के, जिनके ये फॉसिल हो गए हैं, सूक्ष्म आकार तक देखने को मिलते हैं. अंतर केवल इतना होता है कि कंकालों का मूल द्रव्य किसी खनिज द्वारा प्रतिस्थापित हो जाता है. इस क्रिया को अश्मीभवन कहते हैं।

6. चिचिह्न – कभी-कभी जीवों के पदचिह्न बिल, छिद्र आदि शैलों में पाए जाते हैं. ये जीव-जंतुओं के कठोर अंगों के कोई भाग नहीं हैं और इसलिए इनको फॉसिल नहीं कहा जा सकता, फिर भी ये उतने ही महत्व के समझे जाते हैं।

बात उत्तर प्रदेश के 140 करोड़ साल पुराने जीवाश्म की

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में 140 करोड़ साल पुराने जीवाश्म मौजूद है। सोनभद्र के सालखंड कस्बे में 25 हेक्टेयर क्षेत्रफल में पुराने जीवाश्म फैले हुए हैं। सोनभद्र के पत्रकार मनीष जायसवाल ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है कि उत्तर प्रदेश के सलखन के अनूठे और अद्वितीय Fossils (जीवाश्म) को विश्व धरोहर घोषित होने का इंतजार है। दुनिया के सबसे पुराने इस फॉसिल्स को धरती पर जीवन की उत्पत्ति और उसके विकास का साक्ष्य माना जाता है। साल 2002 में इसे अमूल्य धरोहर घोषित करते हुए संरक्षित किया गया था, मगर 23 साल बाद भी इसकी बेहतरी के लिए कोई खास कदम नहीं उठाए गए।

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यहां गाहे-बगाहे पर्यटक आते हैं। यु तो उन्हें मन मसोस कर लौटना लों पड़ता है। भारत में उपेक्षित Fossils तो विदेशों में शोहरत और कमाई का नी जरिया हैं। अमेरिका के यलो स्टोन पार्क में ऐसे ही जीवाश्म देखने के है लिए भीड़ उमड़ती है। सोनभद्र के फॉसिल्स अमेरिका के फॉसिल्स से 40 करोड़ साल पुराने हैं। सोनभद्र जिला मुख्यालय से 15 स्टोन किमी दूर सलखन में करीब 25 हेक्टेयर क्षेत्रफल में मौजूद फॉसिल्स द्र के की उम्र 140 करोड़ साल से भी स से अधिक बताई जाती है। साल1933 में जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने इसकी खोज की थी। साल 2002 में यह पार्क भी पहली बार चर्चा में तब आया, जब दुनिया भर से 42 वैज्ञानिक इस कल फॉसिल्स को देखने पहुंचे थे। इनमें खोज कनाडा के प्रख्यात भू वैज्ञानिक एफ पार्क हाफमैन भी शामिल थे। UP News

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