Friday, 15 November 2024

अदालत में चरितार्थ हुई तू कौन मैं खामखा वाली कहावत

UP News : उत्तर प्रदेश की एक बड़ी अदालत में बहुत पुरानी कहावत चरितार्थ हुई है। उत्तर प्रदेश की सबसे…

अदालत में चरितार्थ हुई तू कौन मैं खामखा वाली कहावत

UP News : उत्तर प्रदेश की एक बड़ी अदालत में बहुत पुरानी कहावत चरितार्थ हुई है। उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी अदालत यानि कि उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट में यह पुरानी कहावत चरितार्थ हुई है। तू कौन मैं खामखा एक बहुत ही पुरानी भारतीय कहावत है। उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र में तू कौन मैं खामखा वाली कहावत का खूब प्रयोग किया जाता है। बुधवार को उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट में यह देशी कहावत हू-ब-हू चरितार्थ हो गई है।

बहुत पुरानी है कहावत

उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट में कहावत चरितार्थ होने की घटना को जानने से पहले इस कहावत के विषय में जान लेते हैं। दरअसल तू कौन मैं खामखा ऐसे व्यक्ति को कहा जाता है जो बिना किसी कारण के किसी मामले में जबरन घुसने का प्रयास करता है। खामखा शब्द का अर्थ होता है बिना मतलब अथवा बिना किसी कारण के। इसी कहावत का दूसरा रूप है फटे हुए में टांग अड़ाना। अब आप तू कौन मैं खामखा वाली कहावत को समझ गए होंगे।

उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट में चरितार्थ हुई कहावत इन दिनों उत्तर प्रदेश के बहराइच का मामला हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सुना जा रहा है। बहराइच में हुए दंगे के बाद उत्तर प्रदेश की सरकार ने दो दर्जन से अधिक घरों पर बुल्डोजर चलाने का नोटिस जारी कर रखा है। बहराइच में हुए दंगे तथा बुल्डोजर एक्शन को लेकर उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) भी दायर की गई है। इसी PIL को लेकर उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने बुधवार को याचिकाकर्ता से बड़ा सवाल पूछ लिया। उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट का सवाल था कि आखिर आप हैं कौन ? उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट की पीठ का कहना था कि सरकारी कार्रवाई के खिलाफ अन्य विधिक तरीके उपलब्ध हैं।

याचिकाकर्ता व्यक्तिगत रूप से भी अदालत में न्यायिक प्रक्रिया को अपना सकते हैं। ऐसे में जनहित याचिका क्यों दाखिल की गई? कोर्ट ने जनहित याचिका दाखिल करने वाली संस्था से अदालत ने पूछा आप किस अधिकार से जनहित याचिका दाखिल कर रहे हैं। आप किस तरह के कार्यों में लिप्त हैं। आपका परिचय क्या है। याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता सौरभ शंकर श्रीवास्तव ने बताया कि अदालत के सवाल पर जानकारी दी कि याचिका दाखिल करने वाली संस्था सामाजिक क्षेत्र में कार्यरत है। संस्था का कोई संबंध किसी भी याचिकाकर्ता से नहीं है। लोकहित में सरकारी प्रकोप का लक्ष्य बने लोगों की मदद करने के लिए संस्था ने जनहित याचिका दाखिल की है। संस्था का विस्तृत परिचय और उसके कार्यों की व्याख्या दो दिन में अदालत में दाखिल करेंगे। UP News

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