उत्तर प्रदेश में घूसखोरी का बड़ा सच: पुलिस नहीं, ये विभाग है सबसे आगे
चकबंदी (19), स्थानीय निकाय (17), चिकित्सा (16) और सिंचाई (13) जैसे विभाग भी पीछे नहीं रहे। वहीं ग्राम्य विकास (8), कृषि, वन और मंडी परिषद (5-5) तथा उच्च शिक्षा (4) के नाम भी रिकॉर्ड में दर्ज हैं। साफ है कि उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार का ‘नेटवर्क’ कई स्तरों पर फैला हुआ है।

UP News : उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार पर शिकंजा जितना कस रहा है, उतनी ही साफ़ होकर सरकारी महकमे की असल तस्वीर भी सामने आ रही है। आमतौर पर रिश्वतखोरी के आरोपों में घिरी रहने वाली खाकी पर उंगली उठती रही है, लेकिन भ्रष्टाचार निवारण संगठन (ACO) के आंकड़े इस बार चौंकाने वाला संकेत देते हैं घूसखोरी के मामलों में पुलिस से ज्यादा “बड़ी हिस्सेदारी” राजस्व विभाग के कर्मचारियों की दिखी है। बीते चार वर्षों में ACO की कार्रवाई में कुल 680 अधिकारी-कर्मचारी रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़े गए, जिनमें सबसे ज्यादा 266 मामले राजस्व विभाग से जुड़े हैं। वहीं, 108 पुलिसकर्मी भी इस सूची में शामिल रहे।
उत्तर प्रदेश में किस विभाग की कितनी “एंट्री”?
ACO की कार्रवाई के आंकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में रिश्वतखोरी की जड़ें किसी एक-दो महकमे तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि जनसेवा और नागरिक सुविधाओं से जुड़े कई विभाग इसकी चपेट में हैं। सूची में सबसे ऊपर राजस्व विभाग है, जहां 266 कर्मचारी-अधिकारी रिश्वत लेते पकड़े गए। इसके बाद पुलिस विभाग के 108, बिजली विभाग के 63 और शिक्षा विभाग के 29 मामले सामने आए। चकबंदी (19), स्थानीय निकाय (17), चिकित्सा (16) और सिंचाई (13) जैसे विभाग भी पीछे नहीं रहे। वहीं ग्राम्य विकास (8), कृषि, वन और मंडी परिषद (5-5) तथा उच्च शिक्षा (4) के नाम भी रिकॉर्ड में दर्ज हैं। साफ है कि उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार का ‘नेटवर्क’ कई स्तरों पर फैला हुआ है।
उत्तर प्रदेश में राजस्व विभाग सबसे ज्यादा क्यों निशाने पर?
उत्तर प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में जमीन से जुड़े काम नापजोख, वरासत, नामांतरण, पैमाइश और कब्जे लंबे समय से शिकायतों का बड़ा केंद्र रहे हैं। जैसे-जैसे विजिलेंस और ACO की सक्रियता तेज हुई, वैसे-वैसे किसानों और गरीब परिवारों से जुड़े मामलों में “बिना चढ़ावे काम नहीं” वाली शिकायतें खुलकर सामने आने लगीं। नतीजा यह हुआ कि ट्रैप और कार्रवाई के सबसे ज्यादा मामले राजस्व विभाग से दर्ज हुए। यह सिर्फ गिरफ्तारी का आंकड़ा नहीं, बल्कि एक साफ संदेश भी है उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई अब कागजी आदेशों तक सीमित नहीं रही, बल्कि गांव की चौपाल से लेकर तहसील तक, सिस्टम की जड़ों पर सीधा प्रहार कर रही है।
उत्तर प्रदेश सरकार का फोकस
उत्तर प्रदेश में जनशिकायतों की निगरानी और खासकर राजस्व मामलों के त्वरित निस्तारण को लेकर सरकार ने बीते कुछ समय में अपना रुख और ज्यादा सख्त किया है। इसी के साथ गोपनीय शिकायतों की जांच को असरदार बनाने के लिए कार्रवाई वाली एजेंसियों को भी नई ताकत दी गई। नतीजतन, भ्रष्टाचार निवारण संगठन (ACO) की 8 नई इकाइयों का गठन किया गया, जबकि मंडल स्तर पर कुल 18 इकाइयों को थाने के रूप में अधिसूचित किया गया।
उत्तर प्रदेश में साल-दर-साल बढ़ी गिरफ्तारी की रफ्तार
उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई सिर्फ बयान नहीं, सालाना आंकड़ों में साफ दिखती है। ACO की ट्रैप और गिरफ्तारी की रफ्तार हर साल तेज हुई है 2022 में जहां 81 लोकसेवक रिश्वत लेते पकड़े गए, वहीं 2023 में यह संख्या बढ़कर 152 पहुंच गई। 2024 में कार्रवाई का ग्राफ और ऊपर गया और 221 लोकसेवक गिरफ्त में आए। सबसे अहम संकेत 2025 के आंकड़े देते हैं 19 दिसंबर तक ही 226 लोकसेवक पकड़े जा चुके हैं। UP News
UP News : उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार पर शिकंजा जितना कस रहा है, उतनी ही साफ़ होकर सरकारी महकमे की असल तस्वीर भी सामने आ रही है। आमतौर पर रिश्वतखोरी के आरोपों में घिरी रहने वाली खाकी पर उंगली उठती रही है, लेकिन भ्रष्टाचार निवारण संगठन (ACO) के आंकड़े इस बार चौंकाने वाला संकेत देते हैं घूसखोरी के मामलों में पुलिस से ज्यादा “बड़ी हिस्सेदारी” राजस्व विभाग के कर्मचारियों की दिखी है। बीते चार वर्षों में ACO की कार्रवाई में कुल 680 अधिकारी-कर्मचारी रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़े गए, जिनमें सबसे ज्यादा 266 मामले राजस्व विभाग से जुड़े हैं। वहीं, 108 पुलिसकर्मी भी इस सूची में शामिल रहे।
उत्तर प्रदेश में किस विभाग की कितनी “एंट्री”?
ACO की कार्रवाई के आंकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में रिश्वतखोरी की जड़ें किसी एक-दो महकमे तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि जनसेवा और नागरिक सुविधाओं से जुड़े कई विभाग इसकी चपेट में हैं। सूची में सबसे ऊपर राजस्व विभाग है, जहां 266 कर्मचारी-अधिकारी रिश्वत लेते पकड़े गए। इसके बाद पुलिस विभाग के 108, बिजली विभाग के 63 और शिक्षा विभाग के 29 मामले सामने आए। चकबंदी (19), स्थानीय निकाय (17), चिकित्सा (16) और सिंचाई (13) जैसे विभाग भी पीछे नहीं रहे। वहीं ग्राम्य विकास (8), कृषि, वन और मंडी परिषद (5-5) तथा उच्च शिक्षा (4) के नाम भी रिकॉर्ड में दर्ज हैं। साफ है कि उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार का ‘नेटवर्क’ कई स्तरों पर फैला हुआ है।
उत्तर प्रदेश में राजस्व विभाग सबसे ज्यादा क्यों निशाने पर?
उत्तर प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में जमीन से जुड़े काम नापजोख, वरासत, नामांतरण, पैमाइश और कब्जे लंबे समय से शिकायतों का बड़ा केंद्र रहे हैं। जैसे-जैसे विजिलेंस और ACO की सक्रियता तेज हुई, वैसे-वैसे किसानों और गरीब परिवारों से जुड़े मामलों में “बिना चढ़ावे काम नहीं” वाली शिकायतें खुलकर सामने आने लगीं। नतीजा यह हुआ कि ट्रैप और कार्रवाई के सबसे ज्यादा मामले राजस्व विभाग से दर्ज हुए। यह सिर्फ गिरफ्तारी का आंकड़ा नहीं, बल्कि एक साफ संदेश भी है उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई अब कागजी आदेशों तक सीमित नहीं रही, बल्कि गांव की चौपाल से लेकर तहसील तक, सिस्टम की जड़ों पर सीधा प्रहार कर रही है।
उत्तर प्रदेश सरकार का फोकस
उत्तर प्रदेश में जनशिकायतों की निगरानी और खासकर राजस्व मामलों के त्वरित निस्तारण को लेकर सरकार ने बीते कुछ समय में अपना रुख और ज्यादा सख्त किया है। इसी के साथ गोपनीय शिकायतों की जांच को असरदार बनाने के लिए कार्रवाई वाली एजेंसियों को भी नई ताकत दी गई। नतीजतन, भ्रष्टाचार निवारण संगठन (ACO) की 8 नई इकाइयों का गठन किया गया, जबकि मंडल स्तर पर कुल 18 इकाइयों को थाने के रूप में अधिसूचित किया गया।
उत्तर प्रदेश में साल-दर-साल बढ़ी गिरफ्तारी की रफ्तार
उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई सिर्फ बयान नहीं, सालाना आंकड़ों में साफ दिखती है। ACO की ट्रैप और गिरफ्तारी की रफ्तार हर साल तेज हुई है 2022 में जहां 81 लोकसेवक रिश्वत लेते पकड़े गए, वहीं 2023 में यह संख्या बढ़कर 152 पहुंच गई। 2024 में कार्रवाई का ग्राफ और ऊपर गया और 221 लोकसेवक गिरफ्त में आए। सबसे अहम संकेत 2025 के आंकड़े देते हैं 19 दिसंबर तक ही 226 लोकसेवक पकड़े जा चुके हैं। UP News












