UP News : उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में गुर्जर समाज की ओर से निकाली जा रही गुर्जर गौरव यात्रा को पुलिस फोर्स द्वारा रोक दिया गया है। जिसके बाद देशभर के गुर्जर समाज में रोष व्याप्त है। सम्राट मिहिर भोज को लेकर गुर्जर समाज द्वारा निकाली जा रही गौरव यात्रा का जिले के राजपूत समाज ने विरोध किया था।
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आपको बता दें कि रविवार की देर रात ही जिलाधिकारी द्वारा सहारनपुर जिले में धारा 144 लागू कर दी थी। लेकिन इसके बावजूद आज गुर्जर समाज के लोगों ने गुर्जर गौरव यात्रा निकालने का प्रयास किया। एक ओर गुर्जर समाज उन्हें अपना महापुरुष मान रहा है तो वहीं राजपूत समाज ने भी इसे लेकर धरना दिया।
सहारनपुर के फंदपुरी में गुर्जर गौरव यात्रा निकालने को लेकर तनाव के हालात बने हुए हैं। पुलिस प्रशासन ने कहा कि शहर में धारा 144 लागू है। इसलिए किसी भी यात्रा की कोई इजाज़त नहीं है। जबरन यात्रा निकालने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही होगी। शहर में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। इसी को देखते हुए फंदपुरी जाने वाले सभी रास्तों पर सख्त चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है।
पहले भी आमने-सामने आ चुके हैं दोनों समाज
इससे पहले भी कई बार गुर्जर-राजपूत समुदाय सम्राट मिहिर भोज को लेकर आमने-सामने आ चुके हैं। साल 2021 में जब सीएम योगी गौतमबुद्ध नगर के दादरी में गुर्जर समुदाय की ओर से स्थापित राजा मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण करने आए थे, राजपूत समाज ने उसका कड़ा विरोध जताया था।
बता दें कि नोएडा, बागपत, शामली, मुरादाबाद, गाजियाबाद जैसे शहरों में गुर्जर समुदाय की बड़ी आबादी है। खास बात ये है कि गुर्जर जाति राजनीतिक और सामाजिक रूप से भी प्रभावशाली है और कई जिलों में सियासी समीकरण बनाने -बिगाड़ने में अहम भूमिका निभा सकती है।
राजा मिहिर भोज का इतिहास
राजा मिहिर भोज ने 836 से 885 ईसवी तक शासन किया। उनको गुर्जर प्रतिहार वंश का राजा माना जाता है। मुल्तान से बंगाल तक के विशाल राज्य के राजा मिहिर भोज की पहचान अपने राज्य की सीमाओं की रक्षा के लिए आक्रांताओं से युद्ध करने वाले महापराक्रमी राजा की है। गुर्जर समुदाय राजा मिहिर भोज को अपना पूर्वज मानता है।
गुर्जर-प्रतिहार राजा मिहिर भोज पराक्रमी तो थे ही। साथ ही उनकी एक पहचान ‘धर्म परायणता’ को लेकर भी है। उनको धर्म रक्षक कहा गया है। अरब यात्री सुलेमान ने भारत यात्रा वृत्तांत में सम्राट मिहिर भोज को इस्लाम का सबसे बड़ा शत्रु बताया है। बाद के कई वृत्तांतों में भी इस बात का ज़िक्र मिलता है कि आक्रमणकारियों में राजा मिहिर भोज के चिह्न ‘वराह’ का बहुत ज़्यादा भय था. जबकि राजा मिहिर भोज विष्णु भक्त थे। UP News
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