UP News : आजकल जालसाज इतने चालाक हो गए हैं कि लोगों को ठगने के नए-नए पैतरे अपना रहे हैं और लोगों का बैंक खाता चंद मिनटों में साफ कर दे रहे हैं। इस बात पर कोई शक नहीं कि डिजिटल दुनिया में काफी कुछ आसान हो गया है लेकिन सोशल मीडिया के इस दौर ने लोगों के सामने कई बड़ी परेशानी भी खड़ी कर दी है। जिससे लोगों के दिल में हर वक्त एक डर बना रहता है। आजकल अखबारों से लेकर सोशल मीडिया तक में साइबर क्राइम से जुड़ी कई खबरें पढ़ने को मिल जाती है। अब तक तो साइबर अपराधी (Cyber Criminal) केवल आम आदमी को ही चूना लगा रहे थे लेकिन अब अपराधियों ने पुलिस-प्रशासन के साथ भी ये खेल खेलना शुरू कर दिया है। जी हां आपने बिल्कुल सही सुना चलिए जानते हैं कि साइबर अपराधी ने इस बार कौन सा नया पैतरा अपनाया है?
DGP प्रशांत कुमार के नाम पर बड़ा फ्रॉड
मिली जानकारी के मुताबिक, एक साइबर अपराधी ने स्क्रीन से पीछे बैठकर उत्तर प्रदेश के DGP प्रशांत कुमार के नाम से इंस्टाग्राम एकाउंट बनाया और लोगों को ठगना शुरू कर दिया। बताया जा रहा है कि आरोपी ने उत्तर प्रदेश के डीजीपी प्रशांत कुमार बनकर जयपुर हादसा पीड़ितों के लिए चंदा मांगना शुरू कर दिया। उत्तर प्रदेश के डीजीपी प्रशांत कुमार का इंस्टाग्राम समझकर यूजर्स आगे आने लगे और आरोपी को पैसे भेजने लगे। कहा जा रहा है कि, आरोपी ने डीजीपी के नाम और तस्वीर का इस्तेमाल करते हुए इंस्टाग्राम ID और यूट्यूब चैनल बनाया और हादसा पीड़ितों के लिए लोगों से मदद करने की अपील की। आरोपी ने इसमें QR कोड भी डाला था और लोगों से इसे स्कैन कर अपनी क्षमता के मुताबिक मदद के लिए कह रहा था।
पुलिस ने आरोपी को सहारनपुर से दबोचा
जब इस पूरी घटना की सूचना उत्तर प्रदेश पुलिस को हुई तो राजधानी लखनऊ की साइबर थाना पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ चार दिन पहले केस दर्ज किया। इसके बाद पुलिस ने आरोपी के मोबाइल फोन का डायवर्जन ट्रैस करते हुए उसे सहारनपुर से धर दबोचा। आरोपी की पहचान एक रिटायर्ड दरोगा के बेटे अमित कुमार के रूप में हुई है जो सहारनपुर में ही रहता है। जब आरोपी ने पूछताछ की गई तो उसने बताया कि, वह ITI का डिप्लोमा करने के बाद नौकरी की तलाश कर रहा था लेकिन जब उसे ढंग का काम नहीं मिला तो उसने अपराधी बनने का फैसला किया और इस तरह के अपराधों को अंजाम देने लगा।
आरोपी को अदालत में किया गया पेश
इस मामले में लखनऊ पुलिस ने बताया कि, DGP का मुखौटा पहनकर बैठे आरोपी को जरूरी पूछताछ के बाद अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। फिलहाल पुलिस आरोपी के द्वारा अंजाम दिए गए अन्य मामलों की जांच पड़ताल में कर रही है। इसके अलावा पुलिस की जांच में पता चला है कि आरोपी ने दो साल पहले ही डीजीपी के नाम से फर्जी आईडी बनाई थी। हालांकि उस वक्त उसके ज्यादा फॉलोअर नहीं थे। इसी बीच जयपुर हादसा हो गया जिसके बाद आरोपी को अच्छा खासा मौका मिल गया और उसने एकाउंट में बदलाव करके प्रोफाइल पिक में डीजीपी की फोटो लगाकर पुलिस से संबंधित पोस्ट करने लगा। जिसके बाद लोगों ने उसे फॉलो करना शुरू कर दिया और देखते ही देखते आरोपी ने 67 हजार से अधिक फॉलोअर इकट्ठे कर लिए। इसके बाद उसने जयपुर हादसे के पीड़ितों के लिए चंदा मांगने का पैतरा शुरू कर दिया। UP News
उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर शुरू हो गया है गंदा धंधा
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