उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत में टेंडर घोटाला, तीन अधिकारी निलंबित
आजमगढ़ जिला पंचायत में तैनात रहे अपर मुख्य अधिकारी और दो अवर अभियंताओं को निलंबित कर दिया गया है। इन पर आरोप है कि उन्होंने नियमों को ताक पर रखकर टेंडर जारी किए और इससे व्यक्तिगत लाभ उठाने का प्रयास किया।

UP News : जिला पंचायतों में टेंडर प्रक्रिया को लेकर सामने आए गंभीर अनियमितताओं के मामले में शासन ने कड़ा रुख अपनाया है। आजमगढ़ जिला पंचायत में तैनात रहे अपर मुख्य अधिकारी और दो अवर अभियंताओं को निलंबित कर दिया गया है। इन पर आरोप है कि उन्होंने नियमों को ताक पर रखकर टेंडर जारी किए और इससे व्यक्तिगत लाभ उठाने का प्रयास किया।
आजमगढ़ से जुड़ा मामला
वर्ष 2023-24 के दौरान जिला पंचायत आजमगढ़ की ओर से कई विकास कार्यों के लिए टेंडर निकाले गए थे। इस पर स्थानीय भाजपा नेता सूरज प्रकाश श्रीवास्तव ने जिलाधिकारी से शिकायत की थी। शिकायत में कहा गया था कि जिन कार्यों के लिए टेंडर जारी किए गए, वे काम पहले ही लगभग छह महीने पहले पूरे हो चुके थे। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए मामले की जांच कराई गई। जांच रिपोर्ट में आरोप सही पाए गए, जिसके बाद शासन ने तत्काल कार्रवाई करते हुए संबंधित अधिकारियों को निलंबित कर दिया।
निलंबित किए गए अधिकारी
*विद्या शंकर पांडेय, तत्कालीन अपर मुख्य अधिकारी, जिला पंचायत आजमगढ़ (वर्तमान में मैनपुरी में तैनात)
* गणेश पाल, अवर अभियंता, वर्तमान तैनाती आजमगढ़
* रविंद्र यादव, अवर अभियंता, वर्तमान तैनाती हापुड़ (पूर्व में आजमगढ़ में कार्यरत)
तीनों अधिकारियों को निलंबन के बाद जिला पंचायत मुख्यालय, लखनऊ से संबद्ध कर दिया गया है। शासन स्तर पर अब इनके विरुद्ध विभागीय और दंडात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की जा रही है।
बहराइच में प्रशासनिक फेरबदल
इसी क्रम में जिला पंचायत बहराइच के अपर मुख्य अधिकारी डॉ. वीरेंद्र बहादुर को प्रशासनिक कारणों से उनके पद से हटा दिया गया है। उन्हें लखनऊ मुख्यालय से संबद्ध किया गया है, जबकि बहराइच के मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) को अपर मुख्य अधिकारी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। आगरा जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी उमेश चंद्र और सिद्धार्थनगर के अपर मुख्य अधिकारी लालता प्रसाद के विरुद्ध भी शिकायतें प्राप्त हुई थीं। विभागीय जांच के दौरान दोनों से स्पष्टीकरण मांगा गया। संतोषजनक उत्तर मिलने के बाद शासन ने उन्हें फिलहाल चेतावनी जारी करते हुए निर्देश दिए कि वे भविष्य में अपने कार्यों को अधिक सतर्कता, संवेदनशीलता और पारदर्शिता के साथ करें। इस पूरी कार्रवाई से शासन ने स्पष्ट कर दिया है कि टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता, फर्जीवाड़ा या लापरवाही किसी भी स्तर पर स्वीकार नहीं की जाएगी। शिकायत सही पाए जाने पर अधिकारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।
UP News : जिला पंचायतों में टेंडर प्रक्रिया को लेकर सामने आए गंभीर अनियमितताओं के मामले में शासन ने कड़ा रुख अपनाया है। आजमगढ़ जिला पंचायत में तैनात रहे अपर मुख्य अधिकारी और दो अवर अभियंताओं को निलंबित कर दिया गया है। इन पर आरोप है कि उन्होंने नियमों को ताक पर रखकर टेंडर जारी किए और इससे व्यक्तिगत लाभ उठाने का प्रयास किया।
आजमगढ़ से जुड़ा मामला
वर्ष 2023-24 के दौरान जिला पंचायत आजमगढ़ की ओर से कई विकास कार्यों के लिए टेंडर निकाले गए थे। इस पर स्थानीय भाजपा नेता सूरज प्रकाश श्रीवास्तव ने जिलाधिकारी से शिकायत की थी। शिकायत में कहा गया था कि जिन कार्यों के लिए टेंडर जारी किए गए, वे काम पहले ही लगभग छह महीने पहले पूरे हो चुके थे। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए मामले की जांच कराई गई। जांच रिपोर्ट में आरोप सही पाए गए, जिसके बाद शासन ने तत्काल कार्रवाई करते हुए संबंधित अधिकारियों को निलंबित कर दिया।
निलंबित किए गए अधिकारी
*विद्या शंकर पांडेय, तत्कालीन अपर मुख्य अधिकारी, जिला पंचायत आजमगढ़ (वर्तमान में मैनपुरी में तैनात)
* गणेश पाल, अवर अभियंता, वर्तमान तैनाती आजमगढ़
* रविंद्र यादव, अवर अभियंता, वर्तमान तैनाती हापुड़ (पूर्व में आजमगढ़ में कार्यरत)
तीनों अधिकारियों को निलंबन के बाद जिला पंचायत मुख्यालय, लखनऊ से संबद्ध कर दिया गया है। शासन स्तर पर अब इनके विरुद्ध विभागीय और दंडात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की जा रही है।
बहराइच में प्रशासनिक फेरबदल
इसी क्रम में जिला पंचायत बहराइच के अपर मुख्य अधिकारी डॉ. वीरेंद्र बहादुर को प्रशासनिक कारणों से उनके पद से हटा दिया गया है। उन्हें लखनऊ मुख्यालय से संबद्ध किया गया है, जबकि बहराइच के मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) को अपर मुख्य अधिकारी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। आगरा जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी उमेश चंद्र और सिद्धार्थनगर के अपर मुख्य अधिकारी लालता प्रसाद के विरुद्ध भी शिकायतें प्राप्त हुई थीं। विभागीय जांच के दौरान दोनों से स्पष्टीकरण मांगा गया। संतोषजनक उत्तर मिलने के बाद शासन ने उन्हें फिलहाल चेतावनी जारी करते हुए निर्देश दिए कि वे भविष्य में अपने कार्यों को अधिक सतर्कता, संवेदनशीलता और पारदर्शिता के साथ करें। इस पूरी कार्रवाई से शासन ने स्पष्ट कर दिया है कि टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता, फर्जीवाड़ा या लापरवाही किसी भी स्तर पर स्वीकार नहीं की जाएगी। शिकायत सही पाए जाने पर अधिकारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।











