Noida News (चेतना मंच)। उत्तर प्रदेश में बेशक निजाम बदल गया है, लेकिन नोएडा प्राधिकरण के अफसरों की कार्यशैली आज भी पारंपरिक लीक से हटकर सुधर नहीं पा रही है। हाल ही में एक और ऐसा ही हैरतअंगेज मामला प्रकाश में आया है। जिस अधिकारी को नोएडा प्राधिकरण की मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) ने बिल्डर को लाभ पहुंचाने के लिए गलत तरीके से ओक्यूपेंसी सर्टीफिकेट (ओसी) जारी करने का दोषी पाया उसी को ट्विन टॉवर के निर्माण में लापरवाही बरतने वाले 11 अफसरों/ कर्मचारियों को दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए नोडल अधिकारी बना दिया। यही नहीं 30 जून को शासन द्वारा जारी तबादला सूची में भी इस अधिकारी का नाम है। लेकिन नोएडा प्राधिकरण के सीईओ ने उसे रिलीव करके यमुना एक्सप्रेसवे विकास प्राधिकरण नहीं भेजा। अभी भी दोनों कर्मचारी नोएडा प्राधिकरण में डटे हुए हैं।
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आपको बता दें कि नोएडा प्राधिकरण की पूर्व सीईओ रितु माहेश्वरी ने नियोजन विभाग के दो सहायकों सुमित ग्रोवर तथा अनीता को सेक्टर-137 में भूखंड संख्या जीएच-02 की बिल्डर परियोजना को लाभ पहुंचाने के लिए गलत तरीके से ओसी जारी करने का दोषी पाया था। सीईओ ने इन दोनों कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए शासन को पत्र लिखकर भी भेजा था।
उक्त प्रकरण में फ्लैट खरीदारों की शिकायत पर प्राधिकरण ने जांच कराई थी। जांच रिपोर्ट में नियोजन विभाग के दो प्लानिंग असिस्टेंट सुमित ग्रोवर और अनिता को दोषी पाया गया। चूंकि प्राधिकरण स्तर पर इन पर कार्रवाई नहीं हो सकती है क्योंकि इस स्तर के अधिकारी पर किसी तरह की कार्रवाई केवल शासन कर सकता है। लिहाजा सीईओ ने दोनों के खिलाफ शासन को संस्तुति भेज दी।
नोएडा प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक किसी परियोजना का काम पूरा होने और वहां सारी सुविधाएं विकसित होने के बाद ओसी जारी की जाती है। सेक्टर-137 के एक बिल्डर परियोजना में बिल्डर के इशारे पर नियमों को ताख पर रखते हुए ओसी जारी की गई।
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ओसी जारी कर की बिल्डर की मदद
सुविधाओं का अभाव होने के बावजूद नोएडा प्राधिकरण के दो प्लानिंग असिस्टेंट सुमित ग्रोवर व अनीता ने वर्ष 2017 में ओसी जारी कर बिल्डर की मदद की। खरीदारों की शिकायत में ओसी प्रकरण की पोल खुली। क्योंकि न ही लिफ्ट का काम पूरा हुआ था और न ही फायर सेफ्टी की सुविधा थी। बिल्डर ने काम पूरा किए बगैर ओसी का हवाला देते हुए लोगों को फ्लैट पर कब्जा देना शुरू कर दिया। जब खरीदारों ने मौके पर हालात देखे, प्राधिकरण में इसकी सुबूत के साथ शिकायत की। जांच के लिए प्राधिकरण के तत्कालीन ओएसडी डा अविनाश त्रिपाठी को जांच अधिकारी बनाया गया। जांच रिपोर्ट प्राधिकरण की तत्कालीन सीईओ रितु माहेश्वरी ने शासन को भेज दी।
क्या कहते हैं एसीईओ
नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ प्रभाष कुमार ने बताया कि तत्कालीन सीईओ ने ही दोनों प्लानिंग असिस्टेंट की बिल्डर प्रकरण में जांच कराई। नोडल अधिकारी भी उन्हीं ने नियुक्त किया था। मामला संज्ञान में है, जल्द ही इस पर फैसला लिया जाएगा। Noida News
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