China News : चीन (China) अपने आपको दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति मानता है। यह बहस का विषय है कि चीन (China) तथा अमेरिका (USA) में से कोन सा देश दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति है। इस बहस के बीच संकेत मिल रहे हैं कि चीन (China) इन दिनों आर्थिक संकट की तरफ बढ़ता हुआ जा रहा है। चीन (China) के आर्थिक संकट का संकेत चीन (China) के युवा वर्ग की तरफ से सामने आ रहा है।
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यह उदाहरण है चीन के आर्थिक संकट का
चीन (China) के आर्थिक संकट को एक उदाहरण के द्वारा आसानी से समझा तथा समझाया जा सकता है। यह उदाहरण चीन में बुजुर्गों के लिए चलने वाली कैंटीन की व्यवस्था से सामने आया है। चीन (चाइना….) में बड़ी संख्या में बुजुर्गों के लिए बनाई गई खाने की सस्ती कैंटीन में बड़ी संख्या में युवा पहुंच रहे हैं। जिस देश का युवा वर्ग आर्थिक समस्या के कारण सस्ता खाना खोजने को मजबूर हो रहा है उस देश के आर्थिक हालात क्या होंगे। इसे आसानी से समझा जा सकता है। चीन (China) के आर्थिक संकट को समझने के लिए बुजुर्गों के लिए बनाई गई कैंटीन की इस व्यवस्था को हम यहां विस्तार से आपको समझा रहे हैं।
क्या है चीन के आर्थिक संकट के संकेत
चीन (China) के शंघाई शहर में बुजुर्गों के एक कैंटीन में 29 साल की महिला मैगी जू भोजन खत्म कर ही रही थी कि एक कर्मचारी उसकी तरफ करछुल लहराती हुई आई, लेकिन जू ने उसकी अनदेखी की। अगर आप बारह बजे आएंगे, तो आंटी आपको कम खाना देंगी। डेढ़ बजे के बाद आने पर कैंटीन की आंटी सूप नहीं देतीं। यही नहीं। वह जल्दी-जल्दी भोजन खत्म करने के लिए – दबाव भी बनाती हैं। इसके बावजूद बढ़ती बेरोजगारी और अनिश्चित भविष्य को देखते हुए पैसे बचाने के लिए चीनी युवाओं में बुजुर्गों के सस्ते कैंटीन में भोजन करने की प्रवृत्ति बढ़ी है, जहां एक या दो डॉलर में भरपेट खाना मिल जाता है।
ये कैंटीन हालांकि निजी हैं, पर सत्तारूढ़ चीनी, कम्युनिस्ट पार्टी इन्हें सब्सिडी देती है। मूलत: ये कैंटीन उन बुजुर्गों के लिए हैं, जो खुद भोजन नहीं बना सकते। बुजुर्गों को उनके घरों में भी भोजन भेजे जाने की व्यवस्था है। 1950 के दशक में माओ के समय इन कम्युनिटी कैंटीनों ने निजी कैंटीनों की जगह ली थी। तब ये कैंटीन अकाल से पीड़ित चीनियों को राहत देने के लिए शुरू किए गए थे, पर पिछले कुछ दशकों में इन्हें सिर्फ वृद्धों पर केंद्रित कर दिया। अब युवा बड़ी संख्या में इन कैंटीनों में खाने आते हैं। , पूरे चीन में ऐसे 6,000 कैंटीन हैं, जबकि अकेले शंघाई में, जहां की आबादी का पांचवां हिस्सा 65 साल या उससे अधिक उम्र का है, ऐसे 305 कैंटीन हैं।
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सिर्फ यही नहीं कि इन कैंटीनों में सस्ता खाना मिलता है, बल्कि खाना कई बार इतना ज्यादा होता है कि लोग बचा हुआ खाना अपने साथ ले जाते हैं। यह भी इन कैंटीनों में आने का एक आकर्षण है। असल में चीनी युवा अपने भविष्य के प्रति इतने आशंकित हैं कि वे खाने का एक टुकड़ा भी बर्बाद नहीं करना चाहते। हालांकि कई बार इन सस्ते कैंटीनों में इतनी भीड़ होती है कि बाहर की गलियों तक ग्राहकों की लाइन लग जाती है।
बूढ़े लोग तो दशकों से इन कैंटीनों का लाभ उठा ही रहे हैं, अब चीनी युवा भी अपने पैसे बचाने के लिए लंबा सफर तय कर या लंबी कतारों में खड़े होकर इन सस्ते कैंटीनों में आते हैं। कई बार इन युवाओं को बुजुर्ग बताते रहते हैं कि इन कैंटीनों में कौन-सी डिश सस्ती है। बेशक ये सस्ते कैंटीन युवाओं को राहत दे रहे हैं, लेकिन इन कैंटीनों में युवाओं की बढ़ती भीड़ चीन की आर्थिक अनिश्चितता के बारे में भी बताती है। China News
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