Saturday, 23 November 2024

अमेरिका को मिलेगी पहली महिला राष्ट्रपति

America :  अमेरिका दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र है। बुधवार को अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए वोट डाले जा…

अमेरिका को मिलेगी पहली महिला राष्ट्रपति

America :  अमेरिका दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र है। बुधवार को अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए वोट डाले जा रहे हैं। अमेरिका में भारतीय समय के अनुसार बुधवार को दोपहर बाद 4.30 बजे से वोट डलेंगे तथा बृहस्पतिवार की सुबह तक वोट डाले जाने का सिलसिला चलेगा। इस बीच दुनिया भर की नजर अमेरिका के चुनाव पर टिकी हुई हैं। दुनिया भर के ज्यादातर विश्लेषकों का मत है कि अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में कमला हैरिस चुनाव जीत रही हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि अमेरिका को पहली बार महिला राष्ट्रपति मिलेगी।

पहली बार महिला राष्ट्रपति

आपको बता दें कि अमेरिका के इतिहास में एक ही महिला राष्ट्रपति नहीं बनी है। वैसे भी अमेरिका में महिलाओं को दोयम दर्जे का नागरिक माना जाता रहा है। दुनिया के ज्यादातर चुनावी विश्लेषकों का यह मत है कि इस बार अमेरिका के राष्ट्रपति के चुनाव में कमला हैरिस की जीत पक्की है। विश्लेषकों का विश्लेषण सही साबित हुआ तो अमेरिका में एक नया इतिहास लिखा जाएगा। नया इतिहास यह होगा कि अमेरिका में पहली बार महिला राष्ट्रपति बनेगी। विश्लेषकों का यह भी मत है कि कमला हैरिस को अमेरिका की ज्यादातर महिलाओं का समर्थन प्राप्त हो रहा है।

हिलेरी क्लिंटन भी बनने वाली थी राष्ट्रपति

यहां एक तथ्य यह भी है कि वर्ष-2016 में अमेरिका के चुनाव में बड़ा उलट-फेर हुआ था। वर्ष-2016 के चुनाव के वक्त उस वक्त की राष्ट्रपति पद की प्रबल दावेदार हिलेरी क्लिंटन थीं। माना जा रहा था कि हिलेरी क्लिंटन अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति बन जाएंगी किन्तु ऐसा हुआ नहीं था। मजेदार बात यह है कि अमेरिका में वर्ष-2016 में हुए राष्ट्रपति पद के चुनाव में हिलेरी क्लिंटन ने डोनाल्ड ट्रंप के मुकाबले 28 लाख अधिक डायरेक्ट पापुलर वोट प्राप्त किए थे फिर भी हिलेरी क्लिंटन चुनाव हार गई थीं। आशंका यह भी है कि कहीं कमला हैरिस के साथ भी हिलेरी क्लिंटन जैसा ही खेल ना हो जाए।

हिलेरी के साथ हैरिस की तुलना गलत

इस दौरान अमेरिका के विश्लेषकों ने बड़ा दावा किया है। अमेरिका के राजनीतिक विश्लेषकों का दावा है कि कमला हैरिस की तुलना हिलेरी क्लिंटन के साथ नहीं की जा सकती है। विश्लेषकों ने बताया कि कमला हैरिस पूरी तरह से हिलेरी क्लिंटन से अलग हैं। वह कुछ भी हल्के में नहीं लेती। वह एक दिन में तीन से चार रैलियां कर रही हैं और रोजाना ट्रैवल करती हैं।
विश्लेषकों का कहना है कि 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में अधिकतर ओपिनियन पोल में हिलेरी क्लिंटन की क्लीन स्विप का अनुमान लगाया गया था। लेकिन क्लिंटन के कैंपेन के दौरान हुई एक कंट्रोवर्सी उन पर भारी पड़ी थी। उन पर आऱाोप था कि 2009 से 2013 तक विदेश मंत्री पद पररहते हुए हिलेरी क्लिंटन ने सरकारी कामकाज के लिए अपने निजी ईमेल का इस्तेमाल किया था। इस वजह से उन्हें चुनाव में ट्रंप के हाथों हार का सामना करना पड़ा था।
ट्रंप के बारे में बात करते हुए विश्लेषकों का कहना है कि पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप लोगों के डर के साथ खेल रहे हैं। ट्रंप स्वभाव से काफी गुस्सैल हैं। वह गुस्से और नफरत को दर्शाते हैं। जबकि कमला हैरिस खुशमिजाज शख्स हैं। बड़ी संख्या में अमेरिकी महिलाएं कमला हैरिस का समर्थन कर रही हैं क्योंकि हैरिस महिला अधिकारों की पैरोकार हैं। वह जेंडर गैप को जल्द से जल्द कम कर रही हैं। ऐसी धारणा थी कि ट्रंप के कार्यकाल में अर्थव्यवस्था बेहतर थी। लेकिन विश्लेषक इसे सच नहीं मानते उनका कहना है कि यह सच नहीं था। डेमोक्रेटिक प्रशासन के तहत शेयर बाजार की स्थिति बेहतर रही।

अमेरिका में इलेक्टोरल कॉलेज से होता है फैसला

अमेरिका के चुनाव में सीधे जनता के वोट से नहीं बल्कि इलेक्टोरल कॉलेज से राष्ट्रपति पद की हार-जीत तय होती है। अब सवाल यह उठता है कि यह इलेक्टोरल कॉलेज होता क्या है? अमेरिका में चुनाव की यह अनोखी व्यवस्था है। इस व्यवस्था के तहत अमेरिकी नागरिक जब वोट देते हैं, तो वे वास्तव में उन इलेक्टर के ग्रुप के लिए वोट कर रहे होते हैं जो उनकी पसंद का प्रतिनिधित्व करेंगे। ये इलेक्टर फिर अपने राज्य के भीतर लोकप्रिय वोट के आधार पर राष्ट्रपति के लिए वोट करते हैं।
दरअसल यूएस प्रेसिडेंशियल चुनाव राष्ट्रीय मुकाबले की जगह पर राज्य-दर-राज्य मुकाबला है. 50 राज्यों में से किसी एक में जीत का मतलब है कि उम्मीदवार को सभी तथाकथित इलेक्टोरल कॉलेज वोट मिल गए. कुल 538 इलेक्टोरल कॉलेज वोट हैं।
राष्ट्रपति पद जीतने के लिए उम्मीदवार को बहुमत- 270 या उससे ज़्यादा इलेक्टोरल कॉलेज वोट हासिल करने की ज़रूरत होती है। उनका साथी उप-राष्ट्रपति बनता है। यही वजह है कि किसी उम्मीदवार के लिए पूरे देश में कम वोट हासिल होने पर भी राष्ट्रपति बनना संभव है, अगर वह इलेक्टोरल कॉलेज बहुमत हासिल कर ले।

प्रत्येक राज्य को एक निश्चित संख्या में इलेक्टर मिलते हैं. इलेक्टर यानी वो लोग जो इलेक्टोरल कॉलेज में वोट करते हैं। प्रत्येक राज्य में इलेक्टर संख्या, मोटे तौर पर उसकी जनसंख्या के आधार के अनुरूप होती है। उदाहरण के लिए, सबसे अधिक आबादी वाले राज्य कैलिफोर्निया में 55 इलेक्टोरल वोट हैं, जबकि व्योमिंग जैसे छोटे राज्य में केवल 3 हैं। अगर कोई उम्मीदवार किसी राज्य में पापुरल वोट जीतता है, तो उसे आमतौर पर सभी इलेक्टोरल वोट भी मिल जाते हैं. उदाहरण के लिए, 2020 में, जो बाइडेन ने कैलिफोर्निया जीता, इसलिए कैलिफोर्निया के सभी 55 इलेक्टोरल वोट उनके खाते में गए। हालांकि हर बार ऐसा नहीं होता।

America :

यदि कोई इलेक्टर अपने राज्य के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के खिलाफ वोट करता है, तो उसे ‘विश्वासघाती या फेथलेस’ कहा जाता है। कुछ राज्यों में, ‘फेथलेस इलेक्टर’ पर जुर्माना लगाया जा सकता है या उन पर मुकदमा चलाया जा सकता है. अगर कोई भी उम्मीदवार बहुमत हासिल नहीं कर पाता तो हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव, अमेरिकी सांसद का निचला सदन, राष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए वोट करता है।
ऐसा सिर्फ़ एक बार हुआ है, वर्ष-1824 में, जब चार उम्मीदवारों में इलेक्टोरल कॉलेज वोट बंट गए जिससे उनमें से किसी एक को भी बहुमत नहीं मिल पाया था। America :

गाजियाबाद कोर्ट लाठीचार्ज मामला गरमाया, लखनऊ से लेकर दिल्ली तक वकीलों का फूटा गुस्सा

ग्रेटर नोएडा – नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें।

देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें  फेसबुक  पर लाइक करें या  ट्विटर  पर फॉलो करें।

Related Post