Lalu Yadav/ नई दिल्ली। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने नौकरी के बदले जमीन घोटाला मामले की जांच के तहत पूर्व रेलवे मंत्री लालू प्रसाद से मंगलवार को पूछताछ शुरू की। यह मामला लालू प्रसाद के परिवार को तोहफे में जमीन दे कर या जमीन बेचने के बदले में रेलवे में कथित तौर पर नौकरी पाने से संबंधित है। यह मामला तब का है जब प्रसाद 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री थे। इससे एक दिन पहले सीबीआई ने करीब पांच घंटे तक राजद सुप्रीमो की पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से उनके पटना स्थित आवास पर करीब पांच घंटे तक पूछताछ की थी।
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अधिकारियों के अनुसार, पांच सीबीआई अधिकारियों का एक दल दो कार में सवार होकर मंगलवार को सुबह 10 बजकर 40 मिनट पर पंडारा पार्क में लालू की बेटी मीसा भारती के आवास पर पहुंचा, जहां प्रसाद अभी रह रहे हैं। उनसे पूछताछ दिन भर जारी रहेगी। उन्होंने बताया कि सीबीआई ने इस मामले में आपराधिक षडयंत्र और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के प्रावधानों के तहत प्रसाद, राबड़ी देवी और 14 अन्य के खिलाफ पहले ही एक आरोपपत्र दाखिल कर दिया है और सभी आरोपियों को 15 मार्च को अदालत में पेश होने के लिए सम्मन भेजा गया है।
उन्होंने कहा कि यह पूछताछ आगे की जांच के तौर पर की जा रही है जिसमें जांच एजेंसी धन के लेनदेन और वृहद साजिश का पता लगाने की कोशिश कर रही है। प्रसाद चारा घोटाला मामले में दोषी ठहराए जा चुके हैं और अभी बीमार हैं। उनसे तथा उनकी पत्नी से नए सिरे से पूछताछ की विपक्षी दलों ने सोमवार को तीखी आलोचना की। प्रसाद के छोटे बेटे एवं बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि उनका परिवार केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का लगातार विरोध करता रहा है और यही कारण है कि सीबीआई की टीम पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर पहुंची।
क्या है चारा घोटाला
चारा घोटाला पहली बार साल 1996 में सामने आया, जब बिहार के पशुपालन विभाग में करोड़ों रुपये के घोटाले का खुलासा हुआ था। उस वक्त लालू प्रसाद यादव की सरकार थी। ये घोटाला तकरीबन 950 करोड़ रुपए का है। सीबीआई पहले ही लालू को इस मामले में अपनी जांच में दोषी करार दे चुकी है। इस मामले में वह जेल भी जा चुके हैं।
बता दें कि केंद्र सरकार गरीब आदिवासियों को अपनी योजना के तहत गाय, भैंस, मुर्गी और बकरी पालन के लिए आर्थिक मदद मुहैया करा रही थी। इस दौरान मवेशी के चारे के लिए भी पैसे आते थे। लेकिन गरीबों के गुजर-बसर और पशुपालन में मदद के लिए केंद्र सरकार की तरफ से आए पैसे का गबन कर लिया गया था।
चारा घोटाला मामले में कुल 56 आरोपियों के नाम शामिल हैं, जिनमें राजनेता, अफसर और चारा सप्लायर तक जुड़े हुए हैं। चारा घोटाले में लालू यादव पर 6 अलग-अलग मामले लंबित हैं और इनमें से एक में उन्हें 5 साल की सजा हो चुकी है। लालू प्रसाद यादव और जेडीयू नेता जगदीश शर्मा को घोटाला मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद लोक सभा से अयोग्य ठहराया गया। चुनाव आयोग के नए नियमों के अनुसार लालू प्रसाद पर 11 साल तक लोक सभा चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
बता दें कि 3 अक्टूबर 2013 को चारा घोटाले से ही जुड़े एक मामले में 37 करोड़ रुपये के गबन को लेकर लालू यादव को दोषी पाते हुए सजा सुनाई गई और उन पर 25 लाख रुपए का जुर्माना भी किया। लालू यादव को रांची की बिरसा मुंडा जेल में बंद किया गया था। हालांकि दिसंबर 2013 में उन्हें कोर्ट से जमानत भी मिल गई थी।
2012 में तय हुए आरोप
मार्च 2012 में चारा घोटाले से जुड़े एक केस में 44 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। सीबीआई कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव, जगन्नाथ मिश्र, जहानाबाद के तत्कालीन जेडीयू सांसद जगदीश शर्मा समेत 31 के खिलाफ बांका और भागलपुर कोषागार में हुई धोखाधड़ी मामले में आरोप तय किए।
ऐसे चला घटनाक्रम
1996 में उपायुक्त अमित खरे ने पशुपालन विभाग के दफ्तरों पर छापा मारा और उन्हें ऐसे दस्तावेज मिले चारा आपूर्ति के नाम पर अस्तित्वहीन कंपनियों द्वारा धन की हेराफेरी का पता चल सका, इसके बाद चारा घोटाला सामने आया।
11 मार्च 1996 को पटना हाईकोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को इस घोटाले की जांच का आदेश दिया, हाईकोर्ट ने इस आदेश पर मुहर लगाई। सीबीआई ने 27 मार्च 1996 को चाईंबासा खजाना मामले में प्राथमिकी दर्ज की। 23 जून 1997 को सीबीआई ने आरोप पत्र दायर किया और लालू यादव को आरोपी बनाया। लालू यादव ने 30 जुलाई 1997 को सीबीआई अदालत में आत्मसमर्पण किया। अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा।
इसमें पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा और पूर्व केंद्रीय मंत्री चंद्रदेव प्रसाद वर्मा भी थे जगन्नाथ मिश्रा को अग्रिम जमानत मिल गई, लेकिन लालू की अग्रिम जमानत याचिका खारिज हो गई।लालू ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई और 29 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया। 5 अप्रैल 2000 को विशेष सीबीआई अदालत में आरोप तय किया।
फरवरी 2002 रांची की विशेष सीबीआई अदालत में सुनवाई शुरू हुई। 13 अगस्त 2013 को हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई कर रही निचली अदालत के न्यायाधीश के स्थानांतरण की लालू प्रसाद की मांग खारिज की। 30 सितंबर 2013 को बिहार के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों लालू प्रसाद और जगन्नाथ मिश्र और 45 अन्य को सीबीआई न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने दोषी ठहराया।
सीबीआई अदालत ने 3 अक्टूबर 2013 को लालू यादव को पांच साल के जेल की सजा सुनाई। उन पर 25 लाख रुपए का जुर्माना भी किया। लालू यादव को रांची की बिरसा मुंडा जेल में बंद किया गया। उन्हें दिसंबर में जमानत मिल गई।
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