Same Sex Marriage : इन दिनों भारत में समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage ) को लेकर बवाल मचा हुआ है। इस मुददे पर भारत सरकार अपना रूख साफ कर चुकी है। इस बीच समलैंगिक विवाह यानि Same Sex Marriage को लेकर दुनिया के सबसे बड़े संगठन RSS ने भी अपना दृष्टिकोण सामने रख दिया है। संघ का साफ मत है कि विवाह केवल विपरीत लिंग यानि Opposite Sex के बीच ही हो सकता है अन्यथा पूरी वैवाहिक संस्था ही संकट में पड़ जाएगी।
Same Sex Marriage :
क्या कहा केन्द्र सरकार ने
Same Sex Marriage यानि समलैंगिक विवाह को मान्यता दी जाए अथवा नहीं। इस मुददे पर भारत सरकार अपना रूख स्पष्ट कर चुकी है। भारत सरकार ने इस मुददे पर बकायदा सुप्रीम कोर्ट में एक एफिडेविट दाखिल किया है। इस एफिडेविट में कहा गया है कि जो पिटीशन (petition) सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गयी है उस पिटीशन में कोई मेरिट नहीं है। इस पिटीशन (petition) को खारिज कर देना चाहिए। क्योंकि भारत में स्थापित वैवाहिक व्यवस्था बहुत सोच-समझकर बनाई गई व्यवस्था है। यानि समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) को मंजूरी दी गयी तो पूरी वैवाहिक व्यवस्था तहस-नहस हो जाएगी। केन्द्र सरकार ने एफिडेविट में साफ कहा है कि एक ही लिंग के व्यक्तियों का रिलेशनशिप में रहना तथा अपने आपको पति-पत्नी के रूप में पेश करना भारतीय दर्शन की धारणा के विरूद्ध है तथा भारतीय परिवार इकाई की अवधारणा के साथ इसकी कोई तुलना नहीं की जा सकती। इस एफिडेविट में सरकार ने विस्तार से कानूनी बाध्यताओं का भी जिक्र किया है।
क्या कहा है आरएसएस ने
विश्व के सबसे बड़े सामाजिक संगठन के रूप में प्रतिष्ठा पा चुके RSS ने भी इस मुददे पर अपनी राय स्पष्ट कर दी है। RSS के दूसरे सबसे बड़े नेता यानि संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने मंगलवार को कहा कि उनका संगठन समलैंगिक विवाह के मुददे पर पूरी तरह से केन्द्र सरकार के दृष्टिकोण से सहमत है। सरकार की तरह संघ भी मानता है कि विवाह केवल विपरीत लिंग के दो लोगों के बीच हो सकता है। यानि इस व्यवस्था के साथ छेड़छाड़ की गयी तो भारतीय वैवाहिक व्यवस्था तहस-नहस हो जाएगी।
क्यों छिड़ी है यह बहस
सब जानते हैं कि समलैंगिक विवाह हो अथवा नहीं इस मुददे पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जस्टिस जेवी पारदीवाला की बैंच ने इस मामले को यह कहते हुए संवैधानिक बैंच के पास भेज दिया है कि यह मामला संविधान से जुड़ा हुआ है इसलिए 5 जजों की संवैधानिक बैंच इसकी सुनवाई करे। संवैधानिक बैंच आगामी 18 अप्रैल 2023 को सुनवाई शुरू करेगी। इतना ही नहीं सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग भी कराई जाएगी। आपको बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट समेत देश की अलग-अलग अदालतों में समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की अनेक याचिकाएं दायर की गई थीं। हाल ही में 6 जनवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी याचिकाओं को एक साथ जोड़कर अपने पास ट्रांसफर कर लिया था। जिस पर 13 मार्च 2023 को सुनवाई होनी थी, किन्तु उससे पहले ही मामला 5 जजों की संवैधानिक पीठ को भेजकर 18 अप्रैल 2023 को सुनवाई तय कर दी गयी । इस प्रकार की कुल 15 याचिकाएं हैं। केन्द्र सरकार इन सभी याचिकाओं का विरोध कर रही है। केन्द्र ने 56 पेज के एफिडेविड में सेम सैक्स मैरिज का विरोध किया है।
कई देशों में होती है Same sex Marriage
आपको बता दें कि दुनिया के 15 देश ऐसे हैं जिनमें सेम सैक्स मैरिज (Same sex Marriage ) को कानूनी मान्यता प्राप्त है। आप भी जान लीजिए उन देशों के नाम जहां समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिली हुई है। इन देशों के नाम हैं अमेरिका, ब्राजीज, फिनलैंड, न्यूजीलैंड, ब्रिटेन, क्यूबा, फ्रांस, दक्षिण अफ्रीका, कनाडा, अर्जंटीना, जर्मनी, स्वीडन, आस्ट्रेलिया, डेनमार्क और माल्टा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत का सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या फैसला करता है।