Saturday, 14 December 2024

ईडी के चाल-चलन तथा काम से खफा है सुप्रीम कोर्ट, लगाई डांट

Supreme Court : भारत का सुप्रीम कोर्ट प्रवर्तन निदेशालय (ED) के चाल-चलन तथा काम से खफा है। सुप्रीम कोर्ट का…

ईडी के चाल-चलन तथा काम से खफा है सुप्रीम कोर्ट, लगाई डांट

Supreme Court : भारत का सुप्रीम कोर्ट प्रवर्तन निदेशालय (ED) के चाल-चलन तथा काम से खफा है। सुप्रीम कोर्ट का मत है कि ED का काम करने का तरीका बहुत ही गलत है। सुप्रीम कोर्ट ने ED के दोषसिद्धि के प्रतिशत को बहुत ही खराब स्तर का बताते हुए कहा है कि ED लोगों को गिरफ्तार करके जबरन जेल में रखने का अभियान चला रही है। ED का दोषिसिद्धि प्रतिशत मात्र एक प्रतिशत के आसपास है। इस आधार पर अदालत ED द्वारा गिरफ्तार किए गए नागरिकों को अधिक समय तक जेल में रखने की इजाजत नहीं दे सकती।

ED का दोषसिद्धि प्रतिशत बेहद खराब है

सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले से पहले ED के दोषिसिद्धि प्रतिशत को जान लेना बेहद जरूरी हो जाता है। आप सवाल कर सकते हैं कि यह दोषसिद्धि क्या है? दरअसल किसी आरोप में आरोपी को गिरफ्तार करने के बाद उसके ऊपर दोष (अपराध) को सिद्ध करना जरूरी होता है। कितने लोगों को गिरफ्तार किया गया है तथा उनमें से कितने लोगों का अपराध साबित किया गया है। इसके आधार पर दोषिसिद्धि का प्रतिशत तय किया जाता है। हाल ही में भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में बताया कि वर्ष-2024 से लेकर वर्ष-2024 तक ED ने कुल 5297 मामले दर्ज किए हैं। इन 5297 मामलों में से केवल 40 मामलों में आरोपियों को दोषी सिद्ध किया जा सकता है। इस प्रकार ED का दोषसिद्धि प्रतिशत एक प्रतिशत से भी कम है जो कि बहुत ही खराब है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने ED को दोषसिद्धि प्रतिशत पर ED को खूब खरी-खोटी सुनाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि ED का दोषसिद्धि प्रतिशत 60 या 70 प्रतिशत तक होता तो चिंता की बात नहीं थी, किन्तु ED का दोष प्रतिशत बेहद खराब है। इस कारण ED द्वारा गिरफ्तार किए गए किसी व्यक्ति को लगातार जेल में नहीं रखा जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने राजनेताओं को भी फटकार लगाई

बुधवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राजनेताओं को भी खूब फटकार लगाई है। सुनवाई के दौरान  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनेताओं के खिलाफ हर मामला दुर्भावनापूर्ण नहीं होता, क्योंकि उनके लिए भ्रष्टाचार में लिप्त होना और फिर खुद को निर्दोष बताना बहुत आसान होता है। नकदी के बदले नौकरी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी की। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि चटर्जी दो साल से अधिक समय से हिरासत में हैं, अभी मुकदमा शुरू होना बाकी है। चटर्जी की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि याचिकाकर्ता को बीते महीने सीबीआई ने भी गिरफ्तार किया, जिसके समय को लेकर संदेह है क्योंकि यह विशेष अनुमति याचिका दायर करने के समय हुआ। ईडी की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने दलील दी, यह उच्च पदस्थ मंत्री का मामला है, जो 50 हजार लोगों के जीवन व आजीविका से जुड़ा है।रोहतगी ने अदालत को बताया कि चटर्जी को ईडी ने 23 जुलाई, 2022 को गिरफ्तार किया था। मुकदमा अभी शुरू नहीं हुआ है। 183 गवाह हैं। चार पूरक अभियोजन शिकायतें दर्ज की हैं। याचिकाकर्ता की उम्र 73 साल है अन्य सभी आरोपियों की जमानत हो चुकी है। धनशोधन रोधी कानून में अधिकतम सात साल की सज है। ढाई साल से अधिक हिरासत में काट चुके हैं। जिस महिला के घर से पैसे बरामद हुए, उसे ट्रायल कोर्ट ने जमानत दे दी। इस पर पीठ ने कहा, आरोपी एक मंत्र रहे हैं और अपने घर पर पैसे नहीं रखने वाले हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा बड़ा सवाल

इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ED के वकील एस.वी. राजू से बड़ा सवाल भी पूछा। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने राजू से पूछा कि सामान्य सिद्धांत लागू करें। हम याचिकाकर्ता को कितने समय तक रख सकते हैं। अगर यह ऐसा मामला है जिसमें मुकदमा तीन या छह महीने में पूरा हो जाएगा, तो हम इसे जारी रखेंगे। यह ऐसा मामला है जिसमें दो साल चार महीने बीत चुके हैं और अभी तक मुकदमा शुरू नहीं हुआ है। पीठ ने यह भी कहा, कोर्ट इस गंभीर आरोप को नजरअंदाज नहीं कर सकती कि कोई मंत्री रिश्वत ले रहा है, किसी फैक्टरी या करीबी सहयोगियों से नकदी बरामद कर रहा है, लेकिन हमें संतुलन बनाना होगा। हिरासत में दो साल चार महीने कोई छोटी अवधि नहीं है। पीठ अब इस मामले में सोमवार को सुनवाई करेगी। Supreme Court

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