Saturday, 21 December 2024

मांसाहार के प्रति बढ़ता आकर्षण चिंता का विषय

 विनय संकोची कल तक पश्चिम को शाकाहार के फायदे गिनाने वाला भारत आज स्वयं मांसाहार के चंगुल में जकड़ता जा…

मांसाहार के प्रति बढ़ता आकर्षण चिंता का विषय

 विनय संकोची

कल तक पश्चिम को शाकाहार के फायदे गिनाने वाला भारत आज स्वयं मांसाहार के चंगुल में जकड़ता जा रहा है। इस परिवर्तन को देखकर शाकाहार की ओर झुकते पश्चिम के लोग हैरान हैं कि शाकाहार की जबरदस्त पैरवी करने वाले भारत में मांसाहारियों का भारी बहुमत कैसे हो चला है। 2018 के शोध का नतीजा चौंकाने वाला है कि अब भारत में केवल 20 फ़ीसदी भारतीय शाकाहारी हैं। इसका मतलब यह भी तो है कि 100 में से 80 भारतीय मांसभक्षी हो गए हैं। रिपोर्ट का साफ-साफ कहना है कि 18 करोड़ भारतीय गौ मांस का सेवन भी करते हैं।

भारत में लोग मांसाहारी होते जा रहे हैं और ब्रिटेन में एक तिहाई ब्रिटिश नागरिक मांस खाना छोड़ने का दावा करते हैं। इसी तरह अमेरिका में दो तिहाई लोग दावे से कहते हैं कि उन्होंने पहले से बहुत कम मांस खाना शुरु कर दिया है।

अगर आंकड़ों पर जाएं तो 1960 के मुकाबले मांस का उत्पादन 5 गुना बढ़ गया है। वर्ष 1960 में मांस का उत्पादन 70 मिलियन टन था जो 2017 तक बढ़कर 330 मिलियन टन हो गया। निश्चित रूप से यह आंकड़ा 2017 के बाद के 3 वर्षों में भी घटा तो नहीं ही होगा अपितु बढ़ा ही होगा। मांस की खपत बढ़ने का एक कारण आबादी बढ़ना भी है। 1960 के प्रारंभ में वैश्विक जनसंख्या करीब 3 अरब थी जबकि इस समय दुनिया की जनसंख्या 7.6 अरब हो चुकी है। लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि मांस उत्पादन में 5 गुना वृद्धि केवल आबादी बढ़ने का ही नतीजा तो नहीं ही है, इसके लिए लोगों की वेतन वृद्धि भी जिम्मेदार है, जिसने मांस के शौक को बढ़ाया है। एक अध्ययन के अनुसार जिन देशों में लोग ज्यादा समृद्ध हैं, उन देशों में मांस की खपत भी अधिक है। इसके विपरीत गरीब देशों में मांस की खपत अपेक्षाकृत काफी कम है। भारत में प्रति व्यक्ति मांस की खपत 4 किलोग्राम है जो कि दुनिया भर में सबसे कम है।

भारत में तेलंगाना सबसे ज्यादा मीट खाने वाला राज्य है वहां पर 99 प्रतिशत लोग मीट खाते हैं। एक सर्वे जिसमें 15 वर्षों से ऊपर के लोगों को ही शामिल किया गया था, यह पाया गया कि तेलंगाना में 98.8 प्रतिशत पुरुष और 98.6 फीसदी महिलाएं मांसाहारी हैं। तेलंगाना के बाद पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और केरल का नंबर आता है। अगर शाकाहारी राज्यों पर दृष्टि डालें तो राजस्थान टॉप पर है। उसके बाद पंजाब और हरियाणा का नंबर आता है। इसी सूची में चौथे नंबर पर गुजरात और पांचवें नंबर पर मध्य प्रदेश का कब्जा है।

एग्रीकल्चर एंड प्रोसैस्ड फूड एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी के अनुसार भारत में चार हजार से ज्यादा पंजीकृत बूचड़खाने हैं। इसके अलावा देश में छब्बीस हजार से ज्यादा अवैध बूचड़खाने भी हैं, जो सरकार द्वारा निर्धारित 95 नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। स्लाटर हाउस चलाने के लिए एक दर्जन विभागों से अनुमति लेनी होती है लेकिन हजारों की संख्या में स्लाटर हाउस न तो पंजीकृत है और न ही किसी नियम का पालन कर रहे हैं। अवैध बूचड़खानों की जानकारी संबंधित विभागों को न हो ऐसा संभव नहीं है। लेकिन कोई कार्यवाही नहीं होती है, क्यों नहीं होती है यह बताने की आवश्यकता नहीं है।

अगर स्वस्थ रहना है तो नव मांसाहारियों को शाकाहार की तरफ लौटना होगा, क्योंकि शाकाहारी भोजन पूरा पोषण देता है। शाकाहारी भोजन दिल की बेहतर सेहत के लिए उपयोगी है। शाकाहार से शरीर में बेहतर प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। मांसाहार से कैंसर का खतरा बढ़ता है। शाकाहारियों को यह जानलेवा बीमारी अपेक्षाकृत काफी कम होती है। शाकाहारी भोजन पर्यावरण के भी अनुकूल होता है, लोग इस बात को समझते हैं फिर भी मांसाहार के प्रति बढ़ता आकर्षण चिंता का विषय तो है ही कम से कम भारत जैसे संस्कारी देश में।

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