लखनऊ का एक अजीबोगरीब मजार, जहां चढ़ाए जाते हैं सिगरेट-शराब

दिया गया 'सिगरेट बाबा' का नाम
उत्तर प्रदेश की राजधनी लखनऊ के ऐतिहासिक मूसा बाग किले के पीछे स्थित कैप्टन वेल्स की मजार अंग्रेजों के दौर की एक अहम निशानी है। यह मजार 1857 की आजादी की पहली जंग के दौरान हुए भीषण संघर्ष में मारे गए कैप्टन फ्रेडरिक वेल्स की कब्र है जिन्हें स्थानीय लोगों ने मोहब्बत और इज्जत के साथ 'सिगरेट बाबा' का नाम दिया है।मजार की पहचान
1857 के मुकाबले के दौरान, मूसा बाग किले के आस-पास ब्रिटिश हुकूमत और आजादी के जलसों के बीच जबरदस्त जंग हुई। मार्च 1858 में इस लड़ाई में अंग्रेजों ने जीत हासिल की मगर इस संग्राम में कैप्टन वेल्स समेत कई फौजी शहीद हुए। मय्यत के बाद उनके साथी सैनिकों ने किले के पीछे एक मजार तख्ती की जहां उन्हें दफनाया गया।विरासत और मौजूदा हालात
आज यह मजार सिर्फ एक ऐतिहासिक मकबरा नहीं बल्कि एक दिलचस्प और अद्भुत इमानी रिवायत का केंद्र बन गई है। यहां पर लोगो की तलब होती है कि वे अपनी मनोकामनाएं पूरी कराएं। मजार पर चढ़ावे में सिगरेट, शराब, जीवित या पकाया हुआ मुर्गा, मीट, बिस्कुट, ब्रेड, फूल और मिठाइयां शामिल हैं।हुजूम इतना कि पैर रखना नसीब नहीं
मजार के मुअज़्ज़िन (देखभाल करने वाले) मिश्रीलाल के मुताबिक, सिगरेट बाबा की शौकत की वजह से यहां हर गुरुवार और खास मौकों जैसे नए साल (न्यू ईयर) और क्रिसमस पर हजारों की तादाद में वफादार लोग शामिल होते हैं। इतना हजूम (भीड़) उमड़ता है कि मजार के आस-पास पैरों को रखने की जगह तक नसीब नहीं होती।यह भी पढ़ें: वाह ताज, हुजुर आप, वाला उत्तर प्रदेश अपने में समेटे है अनेकों रंग
इतिहास में कैप्टन वेल्स का नाम
इतिहास के पन्नों में कैप्टन फ्रेडरिक वेल्स ब्रिटिश सेना के बहादुर अफसर के तौर पर दर्ज हैं। 21 मार्च 1858 को मूसा बाग की लड़ाई में उनकी बहादुरी को हर कोई याद करता है। स्थानीय लोग उन्हें ‘सिगरेट बाबा’ कह कर इज्जत देते हैं क्योंकि वे सिगरेट के शौकीन थे और उनकी मजार पर लोग सिगरेट चढ़ाते हैं। यह मजार लखनऊ के इतिहास और लोक संस्कृति का अनोखा संगम है जहां इतिहास की गूंज आज भी जिंदा है और लोगों की आस्था नए रंगों से सजती रहती है। UP Newsअगली खबर पढ़ें
दिया गया 'सिगरेट बाबा' का नाम
उत्तर प्रदेश की राजधनी लखनऊ के ऐतिहासिक मूसा बाग किले के पीछे स्थित कैप्टन वेल्स की मजार अंग्रेजों के दौर की एक अहम निशानी है। यह मजार 1857 की आजादी की पहली जंग के दौरान हुए भीषण संघर्ष में मारे गए कैप्टन फ्रेडरिक वेल्स की कब्र है जिन्हें स्थानीय लोगों ने मोहब्बत और इज्जत के साथ 'सिगरेट बाबा' का नाम दिया है।मजार की पहचान
1857 के मुकाबले के दौरान, मूसा बाग किले के आस-पास ब्रिटिश हुकूमत और आजादी के जलसों के बीच जबरदस्त जंग हुई। मार्च 1858 में इस लड़ाई में अंग्रेजों ने जीत हासिल की मगर इस संग्राम में कैप्टन वेल्स समेत कई फौजी शहीद हुए। मय्यत के बाद उनके साथी सैनिकों ने किले के पीछे एक मजार तख्ती की जहां उन्हें दफनाया गया।विरासत और मौजूदा हालात
आज यह मजार सिर्फ एक ऐतिहासिक मकबरा नहीं बल्कि एक दिलचस्प और अद्भुत इमानी रिवायत का केंद्र बन गई है। यहां पर लोगो की तलब होती है कि वे अपनी मनोकामनाएं पूरी कराएं। मजार पर चढ़ावे में सिगरेट, शराब, जीवित या पकाया हुआ मुर्गा, मीट, बिस्कुट, ब्रेड, फूल और मिठाइयां शामिल हैं।हुजूम इतना कि पैर रखना नसीब नहीं
मजार के मुअज़्ज़िन (देखभाल करने वाले) मिश्रीलाल के मुताबिक, सिगरेट बाबा की शौकत की वजह से यहां हर गुरुवार और खास मौकों जैसे नए साल (न्यू ईयर) और क्रिसमस पर हजारों की तादाद में वफादार लोग शामिल होते हैं। इतना हजूम (भीड़) उमड़ता है कि मजार के आस-पास पैरों को रखने की जगह तक नसीब नहीं होती।यह भी पढ़ें: वाह ताज, हुजुर आप, वाला उत्तर प्रदेश अपने में समेटे है अनेकों रंग
इतिहास में कैप्टन वेल्स का नाम
इतिहास के पन्नों में कैप्टन फ्रेडरिक वेल्स ब्रिटिश सेना के बहादुर अफसर के तौर पर दर्ज हैं। 21 मार्च 1858 को मूसा बाग की लड़ाई में उनकी बहादुरी को हर कोई याद करता है। स्थानीय लोग उन्हें ‘सिगरेट बाबा’ कह कर इज्जत देते हैं क्योंकि वे सिगरेट के शौकीन थे और उनकी मजार पर लोग सिगरेट चढ़ाते हैं। यह मजार लखनऊ के इतिहास और लोक संस्कृति का अनोखा संगम है जहां इतिहास की गूंज आज भी जिंदा है और लोगों की आस्था नए रंगों से सजती रहती है। UP Newsसंबंधित खबरें
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