उत्तर प्रदेश में रेलवे नेटवर्क को नई गति : ट्रेनों की संख्या बढ़ेगी, नई लाइनें होंगी तैयार

ट्रेन संचालन की क्षमता बढ़ाने के लिए अतिरिक्त प्लेटफॉर्म बनाए जाएंगे, नई रेल पटरियां बिछाई जाएंगी और पिट लाइनों का विस्तार किया जाएगा। शहरी क्षेत्रों में भीड़ को कम करने के उद्देश्य से नए टर्मिनल स्टेशनों के निर्माण का प्रस्ताव रखा गया है।

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रेलवे नेटवर्क
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar28 Dec 2025 03:55 PM
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UP News : आने वाले पांच वर्षों में उत्तर प्रदेश और पूर्वोत्तर भारत के रेलवे नेटवर्क में बड़े स्तर पर विस्तार किया जाएगा। पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ, इज्जतनगर, वाराणसी और गोरखपुर से संचालित ट्रेनों की संख्या को दोगुना करने की योजना बनाई गई है। इसके साथ ही उत्तर रेलवे के अंतर्गत आने वाले कई प्रमुख स्टेशनों को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा। रेलवे बोर्ड द्वारा दिशा-निर्देश जारी किए जाने के बाद संबंधित जोनल रेलवे ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। ट्रेन संचालन की क्षमता बढ़ाने के लिए अतिरिक्त प्लेटफॉर्म बनाए जाएंगे, नई रेल पटरियां बिछाई जाएंगी और पिट लाइनों का विस्तार किया जाएगा। शहरी क्षेत्रों में भीड़ को कम करने के उद्देश्य से नए टर्मिनल स्टेशनों के निर्माण का प्रस्ताव रखा गया है।

2029 तक पूरी होंगी नई रेल परियोजनाएं

गोमतीनगर रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास का दूसरा चरण लगभग पूरा हो चुका है और इसे जल्द ही शुरू किया जाएगा। इसके अलावा ऐशबाग, बादशाह नगर और गोरखपुर स्टेशनों पर भी विकास कार्य तेजी से चल रहा है। खलीलाबाद-श्रावस्ती-बहराइच के बीच प्रस्तावित नई रेल लाइन को वर्ष 2029 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसी क्रम में गोरखपुर रूट पर बाराबंकी से छपरा तक लगभग 425 किलोमीटर लंबी तीसरी रेल लाइन बिछाने की योजना है। भविष्य में चौथी लाइन के निर्माण की तैयारी भी की जा रही है। कई हिस्सों में सर्वेक्षण और निर्माण कार्य प्रगति पर है। घाघरा घाट बुढ़वल खंड पर तीसरी लाइन का कार्य पहले ही पूरा किया जा चुका है, जिसमें घाघरा नदी पर बना पुल भी शामिल है।

चारबाग समेत देश के दस बड़े स्टेशन होंगे अपग्रेड

रेलवे बोर्ड ने उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के चारबाग, वाराणसी और अयोध्या सहित देश के दस प्रमुख स्टेशनों के उन्नयन के निर्देश दिए हैं। इनमें दिल्ली, चंडीगढ़, लुधियाना, अमृतसर, जम्मू, हरिद्वार और बरेली जैसे बड़े स्टेशन शामिल हैं। इन स्टेशनों पर अगले पांच वर्षों में ट्रेन संचालन की क्षमता को दोगुना किया जाएगा। साथ ही स्टेशन परिसरों का विस्तार कर यात्रियों को आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। बढ़ती यात्री संख्या और भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है।

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इस एक्सप्रेसवे से बदलेगा पश्चिमी व मध्य उत्तर प्रदेश का भविष्य, बढ़ी जमीन की कीमतें

शाहजहांपुर और मुरादाबाद मंडल के 200 से अधिक गांवों में जमीन के दाम रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचने लगे हैं। एक्सप्रेसवे के अलाइनमेंट और भूमि चिन्हांकन की प्रक्रिया शुरू होते ही निवेशकों और स्थानीय लोगों की नजरें इन इलाकों पर टिक गई हैं।

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एक्सप्रेसवे
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar28 Dec 2025 02:49 PM
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UP News : भारतमाला परियोजना के अंतर्गत प्रस्तावित गोरखपुर-पानीपत एक्सप्रेसवे ने निर्माण शुरू होने से पहले ही उत्तर प्रदेश के कई जिलों में विकास की लहर पैदा कर दी है। शाहजहांपुर और मुरादाबाद मंडल के 200 से अधिक गांवों में जमीन के दाम रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचने लगे हैं। एक्सप्रेसवे के अलाइनमेंट और भूमि चिन्हांकन की प्रक्रिया शुरू होते ही निवेशकों और स्थानीय लोगों की नजरें इन इलाकों पर टिक गई हैं।

विकास की नई धुरी बनेगा यह एक्सप्रेसवे

यह आधुनिक एक्सेस कंट्रोल्ड एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश को हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर से तेज और सुगम संपर्क प्रदान करेगा। अधिकारियों का मानना है कि यह परियोजना केवल यातायात सुविधा तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि औद्योगिक विकास, लॉजिस्टिक्स, रियल एस्टेट और रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगी।

दो चरणों में होगा निर्माण

भारतमाला योजना के तहत यह कॉरिडोर जम्मू-कश्मीर से पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी तक प्रस्तावित है। जम्मू से पानीपत तक 6 लेन हाईवे पहले ही तैयार हो चुका है। पानीपत से शाहजहांपुर और शाहजहांपुर से गोरखपुर तक एक्सप्रेसवे का निर्माण दो चरणों में किया जाएगा।

शाहजहांपुर में तेजी से बदला माहौल

शाहजहांपुर जिले की पुवायां तहसील इस परियोजना से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में शामिल है। यहां एक्सप्रेसवे के लिए जमीन की मार्किंग शुरू हो चुकी है। प्रस्तावित मार्ग पीलीभीत जिले से प्रवेश कर दर्जनों गांवों से होता हुआ आगे गोरखपुर की दिशा में जाएगा। इस क्षेत्र को पहले से ही कृषि और व्यापार के लिए जाना जाता है, लेकिन अब इसे औद्योगिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

मुरादाबाद मंडल के 148 गांव होंगे शामिल

मुरादाबाद मंडल में यह एक्सप्रेसवे कुल 148 गांवों से होकर गुजरेगा। मुरादाबाद जिले के लगभग 60 गांव तथा रामपुर जिले के 67 गांव

और अमरोहा जिले के 21 गांव से होकर गुजरेगा यह एक्सप्रेसवे। इन क्षेत्रों में करीब 1232 हेक्टेयर भूमि का चयन किया गया है। संबंधित विभागों द्वारा भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया तेज कर दी गई है, जिसका लक्ष्य मार्च 2026 तक पूरा करना है।

मार्च 2026 तक फाइनल होगी डीपीआर

एनएचएआई के अनुसार, इस समय परियोजना की डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जा रही है। इसे मार्च 2026 तक अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है। इसके बाद किसानों को निर्धारित मुआवजा देकर जमीन अधिग्रहण की अंतिम प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

यह एक्सप्रेसवे प्रदेश और देश के कई प्रमुख मार्गों से जुड़ेगा, जिनमें शामिल हैं, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे, ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे, प्रस्तावित सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे। इस नेटवर्क के जरिए उत्तर प्रदेश का पूर्वी और पश्चिमी हिस्सा एक मजबूत सड़क ढांचे से जुड़ जाएगा।

किसानों और युवाओं को मिलेगा सीधा लाभ

बेहतर सड़क संपर्क से किसानों को अपने उत्पाद सीधे बड़े बाजारों तक पहुंचाने में आसानी होगी, जिससे उन्हें बेहतर कीमत मिल सकेगी। वहीं एक्सप्रेसवे के आसपास औद्योगिक पार्क, वेयरहाउस और लॉजिस्टिक्स हब विकसित होने से स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर खुलेंगे।

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उत्तर प्रदेश के पहले राज्यपाल कौन थे? जिनके नाम पर है यूनिवर्सिटी

उत्तर प्रदेश (तत्कालीन संयुक्त प्रांत) के पहले राज्यपाल सर स्पेंसर हार्कोर्ट बटलर थे। वे ब्रिटिश शासन के दौरान इस पद पर नियुक्त किए गए थे। उनका कार्यकाल वर्ष 1921 से 1922 तक था। उनका जन्म 1 अगस्त 1869, लंदन (इंग्लैंड) में हुआ था। सर हार्कोर्ट बटलर ने प्रारंभिक शिक्षा इंग्लैंड के प्रतिष्ठित हैरो

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सर हार्कोर्ट बटलर
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar28 Dec 2025 01:57 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश भारत का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है और इसका प्रशासनिक इतिहास भी बेहद महत्वपूर्ण रहा है। राज्य का संवैधानिक प्रमुख राज्यपाल होता है, जो केंद्र और राज्य सरकार के बीच समन्वय की भूमिका निभाता है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यूपी के पहले राज्यपाल कौन थे?

यूपी के पहले राज्यपाल : सर स्पेंसर हार्कोर्ट बटलर

उत्तर प्रदेश (तत्कालीन संयुक्त प्रांत) के पहले राज्यपाल सर स्पेंसर हार्कोर्ट बटलर थे। वे ब्रिटिश शासन के दौरान इस पद पर नियुक्त किए गए थे। उनका कार्यकाल वर्ष 1921 से 1922 तक था। उनका जन्म 1 अगस्त 1869, लंदन (इंग्लैंड) में हुआ था। सर हार्कोर्ट बटलर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा इंग्लैंड के प्रतिष्ठित हैरो स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने आॅक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के बालियोल कॉलेज से उच्च शिक्षा हासिल की। साल 1890 में उनका चयन भारतीय सिविल सेवा में हुआ, जो उस समय ब्रिटिश भारत की सर्वोच्च प्रशासनिक सेवा मानी जाती थी।

लखनऊ विश्वविद्यालय से जुड़ा अहम योगदान

भारतीय उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सर हार्कोर्ट बटलर का योगदान उल्लेखनीय रहा। लखनऊ विश्वविद्यालय की स्थापना वर्ष 1920 में हुई

इस विश्वविद्यालय की स्थापना प्रक्रिया में उनकी भूमिका इतनी महत्वपूर्ण रही कि उन्हें इसका संस्थापक कुलाधिपति माना जाता है। उनका मानना था कि प्रशासन के साथ-साथ शिक्षा का विकास भी समाज की प्रगति के लिए आवश्यक है। कानपुर स्थित हार्कोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी भी उन्हीं के नाम पर स्थापित की गई। आज यह संस्थान उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश में इंजीनियरिंग शिक्षा के लिए प्रसिद्ध है। सर स्पेंसर हार्कोर्ट बटलर केवल उत्तर प्रदेश के पहले राज्यपाल ही नहीं थे, बल्कि उन्होंने राज्य में आधुनिक उच्च शिक्षा की नींव रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

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