आगरा कांड के खुलासों से हड़कंप : धर्मांतरण की सुनियोजित साजिश

ब्रेनवॉश से निकाह तक, एक सिलसिलेवार प्रक्रिया?
पीड़ित पिता के बयान ने इस पूरे घटनाक्रम को एक नई दिशा दी है। उनका आरोप है कि उनकी बेटियों को पहले मानसिक रूप से ब्रेनवॉश किया गया। सोच, धर्म, और पहचान तक को बदलने की लंबी योजना के तहत। इसके बाद बड़ी बेटी, जो दयालबाग में एम.फिल कर रही थी, वहीं रहने के दौरान सायमा नाम की युवती से मिली, जो कश्मीर की निवासी बताई जा रही है। पिता के अनुसार, सायमा ने इस्लाम धर्म की अच्छाइयों का जिÞक्र करते हुए पहले बेटी की सोच बदली, फिर उसे घर की धार्मिक परंपराओं से विमुख किया। इसके बाद छोटी बहन भी बड़ी बहन के संपर्क से प्रभावित हुई और दोनों ही इस साजिश का हिस्सा बनती चली गईं।सोशल मीडिया के जरिए संपर्क और साजिश
बड़ी बहन के मोबाइल प्रतिबंध के बाद छोटी बहन का फोन इस पूरी प्रक्रिया का नया जरिया बना। इसी दौरान रीत बनिक उर्फ मोहम्मद इब्राहिम नामक शख्स का नाम सामने आता है। जो इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर धर्मांतरण से जुड़ी सामग्री पोस्ट करता था और ऐसे ही संभावित टारगेट्स की तलाश में रहता था। छोटी बेटी अभी नाबालिग थी, इसलिए कथित साजिशकतार्ओं ने 18 वर्ष की आयु पूरी होने का इंतजार किया। 24 मार्च 2025 को जब परिजन दिल्ली गए थे, उसी दिन दोनों बहनों ने घर छोड़ा और फिर शुरू हुई धार्मिक परिवर्तन और पहचान बदलने की योजना की क्रियान्विति।कोलकाता में कलमा, नया नाम और निकाह की तैयारी
दिल्ली, बिहार होते हुए दोनों बहनें कोलकाता पहुंची, जहां उन्होंने मौलवी के समक्ष शहादा (इस्लाम में आस्था की घोषणा) के साथ विधिवत धर्म परिवर्तन किया। बड़ी बहन का नाम अमीना, और छोटी का जोया रखा गया। रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें मुस्लिम इलाकों में शिफ्ट किया गया और मुस्लिम युवकों से निकाह की योजना बनाई गई, ताकि वे कभी वापसी न कर सकें।41 दिन बाद दर्ज हुई एफआईआर, 6 राज्यों में छापे
पीड़ित पिता की शिकायत पर शुरुआत में पुलिस ने ठोस कदम नहीं उठाए। 41 दिन बाद, 4 मई 2025 को मामला दर्ज हुआ और फिर तेजी से जांच बढ़ी। 6 राज्यों में छापे (उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, राजस्थान, दिल्ली, गोवा) से 10 गिरफ्तारियां, जिनमें कई वो लोग थे जो पहले स्वयं धर्म बदल चुके थे और अब अन्य युवाओं को "प्रेरित" कर रहे थे। इनमें से कई हिंदू नाम वाले युवक हैं, जोे इस्लाम स्वीकार करने के बाद इस धर्मांतरण नेटवर्क में शामिल हो गए।पांच देशों से फंडिंग?
इस पूरे मामले की सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि धर्मांतरण गिरोह के तार पांच विदेशी देशों से जुड़े बताए जा रहे हैं, जो भारत में इस्लामिक प्रचार और कथित जबरन धर्मांतरण के लिए फंडिंग कर रहे हैं। हालांकि इन दावों की स्वतंत्र पुष्टि अभी पुलिस जांच पर निर्भर है। इस पूरे प्रकरण का मास्टरमाइंड अब भी फरार है। अभी तक गिरफ्तार आरोपियों में कोलकाता से शेखर रॉय उर्फ हसन अली, आगरा से रहमान कुरैशी, मुजफ्फरनगर, देहरादून, जयपुर, गोवा से अन्य सहयोगी शामिल हैं। लेकिन मुख्य मास्टरमाइंड अब भी फरार है, और पुलिस की टीमें उसकी तलाश में हैं। इन सब को देखते हुए सवाल यह उठता है कि क्या यह सुनियोजित धर्मांतरण रैकेट है जैसा द केरल स्टोरी जैसी फिल्मों में दिखाया गया? क्या सोशल मीडिया अब धार्मिक पहचान बदलने का नया मैदान बन गया है? क्या राज्य सरकारें और सुरक्षा एजेंसियां इस चुनौती के लिए तैयार हैं?अगली खबर पढ़ें
ब्रेनवॉश से निकाह तक, एक सिलसिलेवार प्रक्रिया?
पीड़ित पिता के बयान ने इस पूरे घटनाक्रम को एक नई दिशा दी है। उनका आरोप है कि उनकी बेटियों को पहले मानसिक रूप से ब्रेनवॉश किया गया। सोच, धर्म, और पहचान तक को बदलने की लंबी योजना के तहत। इसके बाद बड़ी बेटी, जो दयालबाग में एम.फिल कर रही थी, वहीं रहने के दौरान सायमा नाम की युवती से मिली, जो कश्मीर की निवासी बताई जा रही है। पिता के अनुसार, सायमा ने इस्लाम धर्म की अच्छाइयों का जिÞक्र करते हुए पहले बेटी की सोच बदली, फिर उसे घर की धार्मिक परंपराओं से विमुख किया। इसके बाद छोटी बहन भी बड़ी बहन के संपर्क से प्रभावित हुई और दोनों ही इस साजिश का हिस्सा बनती चली गईं।सोशल मीडिया के जरिए संपर्क और साजिश
बड़ी बहन के मोबाइल प्रतिबंध के बाद छोटी बहन का फोन इस पूरी प्रक्रिया का नया जरिया बना। इसी दौरान रीत बनिक उर्फ मोहम्मद इब्राहिम नामक शख्स का नाम सामने आता है। जो इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर धर्मांतरण से जुड़ी सामग्री पोस्ट करता था और ऐसे ही संभावित टारगेट्स की तलाश में रहता था। छोटी बेटी अभी नाबालिग थी, इसलिए कथित साजिशकतार्ओं ने 18 वर्ष की आयु पूरी होने का इंतजार किया। 24 मार्च 2025 को जब परिजन दिल्ली गए थे, उसी दिन दोनों बहनों ने घर छोड़ा और फिर शुरू हुई धार्मिक परिवर्तन और पहचान बदलने की योजना की क्रियान्विति।कोलकाता में कलमा, नया नाम और निकाह की तैयारी
दिल्ली, बिहार होते हुए दोनों बहनें कोलकाता पहुंची, जहां उन्होंने मौलवी के समक्ष शहादा (इस्लाम में आस्था की घोषणा) के साथ विधिवत धर्म परिवर्तन किया। बड़ी बहन का नाम अमीना, और छोटी का जोया रखा गया। रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें मुस्लिम इलाकों में शिफ्ट किया गया और मुस्लिम युवकों से निकाह की योजना बनाई गई, ताकि वे कभी वापसी न कर सकें।41 दिन बाद दर्ज हुई एफआईआर, 6 राज्यों में छापे
पीड़ित पिता की शिकायत पर शुरुआत में पुलिस ने ठोस कदम नहीं उठाए। 41 दिन बाद, 4 मई 2025 को मामला दर्ज हुआ और फिर तेजी से जांच बढ़ी। 6 राज्यों में छापे (उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, राजस्थान, दिल्ली, गोवा) से 10 गिरफ्तारियां, जिनमें कई वो लोग थे जो पहले स्वयं धर्म बदल चुके थे और अब अन्य युवाओं को "प्रेरित" कर रहे थे। इनमें से कई हिंदू नाम वाले युवक हैं, जोे इस्लाम स्वीकार करने के बाद इस धर्मांतरण नेटवर्क में शामिल हो गए।पांच देशों से फंडिंग?
इस पूरे मामले की सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि धर्मांतरण गिरोह के तार पांच विदेशी देशों से जुड़े बताए जा रहे हैं, जो भारत में इस्लामिक प्रचार और कथित जबरन धर्मांतरण के लिए फंडिंग कर रहे हैं। हालांकि इन दावों की स्वतंत्र पुष्टि अभी पुलिस जांच पर निर्भर है। इस पूरे प्रकरण का मास्टरमाइंड अब भी फरार है। अभी तक गिरफ्तार आरोपियों में कोलकाता से शेखर रॉय उर्फ हसन अली, आगरा से रहमान कुरैशी, मुजफ्फरनगर, देहरादून, जयपुर, गोवा से अन्य सहयोगी शामिल हैं। लेकिन मुख्य मास्टरमाइंड अब भी फरार है, और पुलिस की टीमें उसकी तलाश में हैं। इन सब को देखते हुए सवाल यह उठता है कि क्या यह सुनियोजित धर्मांतरण रैकेट है जैसा द केरल स्टोरी जैसी फिल्मों में दिखाया गया? क्या सोशल मीडिया अब धार्मिक पहचान बदलने का नया मैदान बन गया है? क्या राज्य सरकारें और सुरक्षा एजेंसियां इस चुनौती के लिए तैयार हैं?संबंधित खबरें
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