आगरा कांड के खुलासों से हड़कंप : धर्मांतरण की सुनियोजित साजिश

Agra dharmantaran
UP News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 02:18 AM
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UP News : उत्तर प्रदेश के आगरा में सामने आया दो बहनों के कथित धर्मांतरण का मामला। अब महज लव जिहाद या व्यक्तिगत स्वतंत्रता का विवाद नहीं रह गया है, बल्कि एक बहुस्तरीय साजिश की परतें खोल रहा है। जिसके तार न केवल भारत के छह राज्यों, बल्कि पांच अलग-अलग देशों से भी जुड़े बताए जा रहे हैं। कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया है लेकिन मुख्य साजिशकर्ता अभी फरार है।

ब्रेनवॉश से निकाह तक, एक सिलसिलेवार प्रक्रिया?

पीड़ित पिता के बयान ने इस पूरे घटनाक्रम को एक नई दिशा दी है। उनका आरोप है कि उनकी बेटियों को पहले मानसिक रूप से ब्रेनवॉश किया गया। सोच, धर्म, और पहचान तक को बदलने की लंबी योजना के तहत। इसके बाद बड़ी बेटी, जो दयालबाग में एम.फिल कर रही थी, वहीं रहने के दौरान सायमा नाम की युवती से मिली, जो कश्मीर की निवासी बताई जा रही है। पिता के अनुसार, सायमा ने इस्लाम धर्म की अच्छाइयों का जिÞक्र करते हुए पहले बेटी की सोच बदली, फिर उसे घर की धार्मिक परंपराओं से विमुख किया। इसके बाद छोटी बहन भी बड़ी बहन के संपर्क से प्रभावित हुई और दोनों ही इस साजिश का हिस्सा बनती चली गईं।

सोशल मीडिया के जरिए संपर्क और साजिश

बड़ी बहन के मोबाइल प्रतिबंध के बाद छोटी बहन का फोन इस पूरी प्रक्रिया का नया जरिया बना। इसी दौरान रीत बनिक उर्फ मोहम्मद इब्राहिम नामक शख्स का नाम सामने आता है। जो इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर धर्मांतरण से जुड़ी सामग्री पोस्ट करता था और ऐसे ही संभावित टारगेट्स की तलाश में रहता था। छोटी बेटी अभी नाबालिग थी, इसलिए कथित साजिशकतार्ओं ने 18 वर्ष की आयु पूरी होने का इंतजार किया। 24 मार्च 2025 को जब परिजन दिल्ली गए थे, उसी दिन दोनों बहनों ने घर छोड़ा और फिर शुरू हुई धार्मिक परिवर्तन और पहचान बदलने की योजना की क्रियान्विति।

कोलकाता में कलमा, नया नाम और निकाह की तैयारी

दिल्ली, बिहार होते हुए दोनों बहनें कोलकाता पहुंची, जहां उन्होंने मौलवी के समक्ष शहादा (इस्लाम में आस्था की घोषणा) के साथ विधिवत धर्म परिवर्तन किया। बड़ी बहन का नाम अमीना, और छोटी का जोया रखा गया। रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें मुस्लिम इलाकों में शिफ्ट किया गया और मुस्लिम युवकों से निकाह की योजना बनाई गई, ताकि वे कभी वापसी न कर सकें।

41 दिन बाद दर्ज हुई एफआईआर, 6 राज्यों में छापे

पीड़ित पिता की शिकायत पर शुरुआत में पुलिस ने ठोस कदम नहीं उठाए। 41 दिन बाद, 4 मई 2025 को मामला दर्ज हुआ और फिर तेजी से जांच बढ़ी। 6 राज्यों में छापे (उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, राजस्थान, दिल्ली, गोवा) से 10 गिरफ्तारियां, जिनमें कई वो लोग थे जो पहले स्वयं धर्म बदल चुके थे और अब अन्य युवाओं को "प्रेरित" कर रहे थे। इनमें से कई हिंदू नाम वाले युवक हैं, जोे इस्लाम स्वीकार करने के बाद इस धर्मांतरण नेटवर्क में शामिल हो गए।

पांच देशों से फंडिंग?

इस पूरे मामले की सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि धर्मांतरण गिरोह के तार पांच विदेशी देशों से जुड़े बताए जा रहे हैं, जो भारत में इस्लामिक प्रचार और कथित जबरन धर्मांतरण के लिए फंडिंग कर रहे हैं। हालांकि इन दावों की स्वतंत्र पुष्टि अभी पुलिस जांच पर निर्भर है। इस पूरे प्रकरण का मास्टरमाइंड अब भी फरार है। अभी तक गिरफ्तार आरोपियों में कोलकाता से शेखर रॉय उर्फ हसन अली, आगरा से रहमान कुरैशी, मुजफ्फरनगर, देहरादून, जयपुर, गोवा से अन्य सहयोगी शामिल हैं। लेकिन मुख्य मास्टरमाइंड अब भी फरार है, और पुलिस की टीमें उसकी तलाश में हैं। इन सब को देखते हुए सवाल यह उठता है कि क्या यह सुनियोजित धर्मांतरण रैकेट है जैसा द केरल स्टोरी जैसी फिल्मों में दिखाया गया? क्या सोशल मीडिया अब धार्मिक पहचान बदलने का नया मैदान बन गया है? क्या राज्य सरकारें और सुरक्षा एजेंसियां इस चुनौती के लिए तैयार हैं?

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मुख्यमंत्री झूठ बोल रहे हैं : कांवड़ यात्रा पर योगी और राम गोपाल आमने-सामने

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UP News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar20 Jul 2025 05:04 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर श्रद्धा बनाम सियासत की लकीर खिंच गई है। कांवड़ यात्रा को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सांसद राम गोपाल यादव आमने-सामने आ गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांवड़ यात्रा को "बदनाम करने की साजिश" करार देते हुए कहा कि "कांवड़ियों को मीडिया ट्रायल के जरिए अपराधी और आतंकवादी तक कहा जा रहा है।" योगी ने इसे भारत की सांस्कृतिक विरासत को कलंकित करने वाली मानसिकता का हिस्सा बताया। लेकिन इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए राम गोपाल यादव ने रविवार को कहा कि "मुख्यमंत्री झूठ बोल रहे हैं। कांवड़ियों को आतंकवादी कहने वाला कोई नहीं है।" "असल में कांवड़ियों में हमारे समर्थक ज्यादा हैं, उनके कौन से समर्थक हैं?"

मिजार्पुर की घटना बनी बहस की वजह

राम गोपाल यादव ने मिजार्पुर रेलवे स्टेशन की उस घटना का हवाला भी दिया जिसमें टिकट खरीदने को लेकर सीआरपीएफ के जवान पर कांवड़ यात्रियों ने हमला कर दिया था। उन्होंने सवाल किया कि योगी आदित्यनाथ उस हिंसा की निंदा क्यों नहीं कर रहे? राम गोपाल ने कहा "कांवड़ियों ने जिस तरह जवान के साथ उद्दंडता की, वो शर्मनाक है। मुख्यमंत्री को उसकी आलोचना करनी चाहिए,"।

योगी का जवाब, "कांवड़ यात्रा एकता का प्रतीक"

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो दिन पहले वाराणसी में कांवड़ यात्रा को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए कहा था कि "मजदूर से लेकर उच्च वर्ग तक, हर तबके के लोग इसमें भाग लेते हैं। इसमें कोई भेदभाव नहीं दिखता।" हालांकि, उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा कि कुछ लोग इस यात्रा को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं और इसे "उपद्रवी" व "आतंकवादी गतिविधियों" से जोड़ रहे हैं।

सवाल कई, जवाब अधूरे

राम गोपाल यादव का पलटवार साफ संकेत देता है कि सपा इस मुद्दे पर योगी सरकार को "धार्मिक भावनाओं की आड़ में झूठ फैलाने" का आरोप लगा रही है। वहीं योगी सरकार इसे बदनाम करने की राजनीतिक मुहिम बता रही है। लेकिन असली सवाल यह है कि क्या वाकई कोई बड़ा वर्ग कांवड़ियों को "आतंकवादी" कह रहा है, जैसा योगी दावा कर रहे हैं? या यह बयान राजनीतिक लाभ के लिए भावनात्मक ध्रुवीकरण का प्रयास है? और अगर कानून-व्यवस्था की घटनाएं सामने आती हैं, तो क्या सरकार उन्हें धार्मिक चश्मे से देखेगी या नियम-संविधान के आधार पर?

श्रद्धालु और उपद्रवी में फर्क करना जरूरी

कांवड़ यात्रा करोड़ों लोगों की आस्था का विषय है, लेकिन अगर कोई व्यक्ति या समूह इस आस्था के नाम पर कानून हाथ में लेता है, तो कार्रवाई होनी ही चाहिए, चाहे वो किसी भी दल का समर्थक क्यों न हो। राजनीतिज्ञों को इस पर विचार करना होगा कि "यात्रा की गरिमा बचानी है या उसे सियासी हथियार बनाना है?"

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उत्तर प्रदेश का एक ऐसा अनोखा गांव, जहां जाने के लिए कटानी पड़ती है टिकट

Khurpi Village
UP News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 06:00 AM
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UP News : भारत की आत्मा गांवों में बसती है यह बात यूं ही नहीं कही जाती। हर गांव की अपनी एक खासियत होती है जहां फ्री में जाकर आप पूरे गांव की सैर कर सकते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उत्तर प्रदेश में एक ऐसा गांव भी है जिसकी सैर करने के लिए आपको पहले टिकट खरीदनी पड़ती है। जी हां आपने बिल्कुल सही सुना। उत्तर प्रदेश का ये गांव इतना अनोखा है कि उत्तर प्रदेश के इस गांव को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं और टिकट खरीदकर उत्तर प्रदेश के इस गांव की सैर करते हैं।

उत्तर प्रदेश में बसा है पेइंग टूरिस्ट स्पॉट

आप सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसा कौन सा गांव है जिसका दीदार करने के लिए टिकट की जरूरत पड़ती है। दरअसल उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में एक गांव बसा हुआ है जिसका नाम ‘खुरपी नेचर विलेज’ है। यह गांव बाकी गांवों से काफी अलग और खूबसूरत है। गाजीपुर मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर स्थित खुरपी नेचर विलेज एक ऐसा गांव है, जहां आमतौर पर मिलने वाली ग्रामीण सादगी के साथ-साथ एक आकर्षक पर्यटन अनुभव भी जुड़ा है। गांव में प्रवेश करने के लिए पर्यटकों को 20 रुपये का टिकट लेना पड़ता है।

क्या है इस गांव की खास बात?

यह गांव सिर्फ दिखने में ही खूबसूरत नहीं है बल्कि इसके उद्देश्य भी उतने ही सराहनीय हैं। चलिए जानते हैं क्या है उत्तर प्रदेश के इस गांव की खासियत?

युवाओं के लिए फ्री जिम और लाइब्रेरी

गांव में स्थानीय युवाओं के लिए बिना किसी शुल्क के व्यायामशाला और पुस्तकालय की सुविधा दी गई है।

गरीबों को हर दिन मुफ्त भोजन

रोजाना खुरपी नेचर विलेज 100 से 150 जरूरतमंद लोगों को बिना किसी भेदभाव के भोजन कराया जाता है।

पुराने भारत की झलक

खुरपी नेचर विलेज को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यहां आने वाला हर व्यक्ति खुद को किसी ऐतिहासिक ग्रामीण भारत के समय में महसूस करता है।

स्थानीय रोजगार का साधन

गांव में मुर्गी पालन, मछली पालन और एक छोटा चिड़ियाघर भी है जिससे ग्रामीणों को रोजगार और आगंतुकों को एक अतिरिक्त अनुभव भी मिल रहा है।

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