Mohammed Rafi Birthday Special- सबके दिलों की धड़कन मोहम्मद रफी साहब ने हिंदी सिनेमा जगत में बहुत बड़ा योगदान दिया है। उनकी आवाज़ ने हर किसी के दिल पर राज किया है। भले ही आज रफी साहब इस दुनिया में हम सबके बीच नहीं है मगर उनकी आवाज़ का जादू आज भी कायम है। इन्होंने हर तरह के गीत गाये हैं और 7 हज़ार से भी ज्यादा गीतों को इन्होंने आवाज़ दी है। आज मोहम्मद रफी की 98वीं जयंती है। इस खास मौके पर चलिए इन्हें याद करते हुए जानते हैं इनसे जुड़ी कुछ खास बातें
मोहम्मद रफी (Mohammed Rafi) का जन्म 24 दिसंबर, 1924 में अमृतसर के पास एक जगह है कोटला सुल्तान वहां पर हुआ था। इनका जन्म एक मिडिल क्लास फैमिली में हुआ था। जब ये 7 साल के थे तब इन्हें गायिकी से इश्क़ हो गया था और तभी से इन्होंने गाना गाया शुरू कर दिया था। बचपन में ये जब अपने बड़े भाई की दुकान पर जाते थे तो इन्हें एक फकीर रास्ते में मिलता था। वो फकीर गाना गाते हुए जाता था। रफी को उसकी आवाज़ बहुत पसंद थी। इसीलिए ये रोज़ उसका पीछा करते थे। फिर एक दिन फकीर ने रफी साहब से गाने के लिए कहा तो इनकी आवाज़ सुनकर वो बहुत खुश हुआ। फकीर ने इन्हें बहुत बड़े सिंगर बनने का आशीर्वाद भी प्रदान किया।
पहली बार पंजाबी फिल्म में गाना गाने का मिला अवसर-
मोहम्मद रफी तब 20 साल के थे जब मुंबई शहर गए थे। इन्हें सबसे पहले एक पंजाबी फिल्म में गाना गाने का अवसर मिला था। इससे इन्हें पहचान तो नहीं मिली। फिर बाद में इन्हें नौशाद के साथ काम करने का मौका मिला। इन्होंने ‘तेरा खिलौना टूटा’ गाना गाया था। इस गीत को रफी ने गाया भी नहीं था, उसके पहले ही नौशाद साहब ने यह भविष्यवाणी कर दी थी ये गाना रिलीज होते ही छा जाएगा और रफी साहब को पहचान दिलाएगा।
मात्र 1 रुपये के लिए भी गाया गाना-
मोहम्मद रफी (Mohammed Rafi) के बारे में ये कहा जाता है कि उनका दिल एकदम साफ था और उनके अंदर दयाभाव बहुत था। वो कभी भी संगीतकार से ये सवाल नहीं करते थे कि उन्हें गाना गाने के लिए कितने पैसे दिए जाएंगे। उनका काम होता था बस आना और गीत गाना। कई बार तो उनको गीत गाने के लिए महज 1 रुपए भी संगीतकार पकड़ा दिया करते थे। हालांकि रफी साहब इसमें भी बड़े खुश रहा करते थे। इन्होंने हिंदी के साथ- साथ अन्य भाषाओं में भी गाने गाए हैं। 1967 में मोहम्मद रफी को भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।
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