Share Market Crash Today: 5 वजहें जिन्होंने एक झटके में तोड़ दिया बाजार
भारतीय शेयर बाजार में आज भारी गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स 500 अंक तक टूटा और निफ्टी 25,900 के नीचे फिसल गया। रुपये की रिकॉर्ड कमजोरी, विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली, कमजोर ग्लोबल संकेत और अमेरिका के जॉब्स डेटा को लेकर बढ़ी अनिश्चितता ने बाजार पर दबाव बनाया।

भारतीय शेयर बाजार में मंगलवार (16 दिसंबर) को लगातार दूसरे दिन तेज गिरावट देखने को मिली। कारोबार की शुरुआत से ही बाजार पर दबाव बना रहा और देखते ही देखते सेंसेक्स करीब 500 अंकों तक टूट गया। वहीं निफ्टी भी अहम सपोर्ट लेवल 25,900 के नीचे फिसल गया। विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली, रुपये की रिकॉर्ड कमजोरी और कमजोर ग्लोबल संकेतों ने निवेशकों के सेंटीमेंट को बुरी तरह प्रभावित किया।
कहां देखने को मिला सबसे ज्यादा दबाव?
सुबह करीब 10 बजे बीएसई सेंसेक्स 490.80 अंक यानी 0.58 फीसदी की गिरावट के साथ 84,722.56 के स्तर पर कारोबार कर रहा था। वहीं एनएसई निफ्टी 145.90 अंक या 0.56 फीसदी टूटकर 25,881.40 पर पहुंच गया। बाजार की इस गिरावट का असर मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों पर भी दिखा और बीएसई मिडकैप व स्मॉलकैप इंडेक्स करीब 0.62 फीसदी तक लुढ़क गए। सबसे ज्यादा दबाव आईटी, बैंकिंग और मेटल सेक्टर में देखने को मिला।
क्या है गिरावट की वजह?
आज की गिरावट की सबसे बड़ी वजह रुपये की कमजोरी रही। शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 9 पैसे टूटकर 90.87 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। विदेशी संस्थागत निवेशकों की लगातार बिकवाली और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर किसी ठोस प्रगति के संकेत न मिलने से रुपये पर दबाव बना हुआ है। हालांकि डॉलर में थोड़ी नरमी और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के चलते रुपये में बड़ी गिरावट फिलहाल थमती नजर आई।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली का असर
शेयर बाजार पर विदेशी निवेशकों की बिकवाली का असर साफ दिखा। सोमवार को विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारतीय बाजार से 1,468.32 करोड़ रुपये निकाल लिए। यह लगातार 12वां कारोबारी दिन रहा, जब एफआईआई शुद्ध रूप से बिकवाल बने रहे। दिसंबर महीने में अब तक विदेशी निवेशक करीब 21,073 करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं जिससे बाजार की मजबूती पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
आज नहीं मिला कोई खास सपोर्ट
ग्लोबल बाजारों से भी आज भारतीय शेयर बाजार को कोई खास सपोर्ट नहीं मिला। वॉल स्ट्रीट फ्यूचर्स भारतीय समयानुसार सुबह साढ़े नौ बजे तक करीब 1 फीसदी की गिरावट के साथ कारोबार कर रहे थे जिससे अमेरिकी बाजारों में कमजोर शुरुआत के संकेत मिले। इससे पहले सोमवार को भी अमेरिकी बाजार गिरावट के साथ बंद हुए थे। वहीं एशियाई बाजारों में जापान का निक्केई, साउथ कोरिया का कोस्पी, चीन का शंघाई कंपोजिट और हांगकांग का हैंग सेंग इंडेक्स भी लाल निशान में नजर आए।
जॉब्स डेटा को लेकर भी सतर्क
निवेशक अमेरिका के अहम जॉब्स डेटा को लेकर भी सतर्क दिखे। नवंबर महीने के रोजगार आंकड़े अमेरिकी ब्याज दरों की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। ब्याज दरों में किसी भी तरह का बदलाव उभरते बाजारों जैसे भारत में विदेशी निवेश के फ्लो को प्रभावित करता है। इसी अनिश्चितता के चलते निवेशक फिलहाल जोखिम लेने से बचते नजर आए।
बाजार में बढ़ा उतार-चढ़ाव
इसके अलावा निफ्टी डेरिवेटिव्स की वीकली एक्सपायरी ने भी बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ा दिया। एक्सपायरी के दिन ट्रेडर्स पोजीशन एडजस्टमेंट करते हैं, जिससे बाजार में अचानक तेज मूवमेंट देखने को मिलती है। मंगलवार को भी इसी वजह से बाजार में अस्थिरता बनी रही।
(Disclaimer: चेतना मंच यूजर्स को सलाह देता है कि वह कोई भी निवेश निर्णय लेने के पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह लें।)
भारतीय शेयर बाजार में मंगलवार (16 दिसंबर) को लगातार दूसरे दिन तेज गिरावट देखने को मिली। कारोबार की शुरुआत से ही बाजार पर दबाव बना रहा और देखते ही देखते सेंसेक्स करीब 500 अंकों तक टूट गया। वहीं निफ्टी भी अहम सपोर्ट लेवल 25,900 के नीचे फिसल गया। विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली, रुपये की रिकॉर्ड कमजोरी और कमजोर ग्लोबल संकेतों ने निवेशकों के सेंटीमेंट को बुरी तरह प्रभावित किया।
कहां देखने को मिला सबसे ज्यादा दबाव?
सुबह करीब 10 बजे बीएसई सेंसेक्स 490.80 अंक यानी 0.58 फीसदी की गिरावट के साथ 84,722.56 के स्तर पर कारोबार कर रहा था। वहीं एनएसई निफ्टी 145.90 अंक या 0.56 फीसदी टूटकर 25,881.40 पर पहुंच गया। बाजार की इस गिरावट का असर मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों पर भी दिखा और बीएसई मिडकैप व स्मॉलकैप इंडेक्स करीब 0.62 फीसदी तक लुढ़क गए। सबसे ज्यादा दबाव आईटी, बैंकिंग और मेटल सेक्टर में देखने को मिला।
क्या है गिरावट की वजह?
आज की गिरावट की सबसे बड़ी वजह रुपये की कमजोरी रही। शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 9 पैसे टूटकर 90.87 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। विदेशी संस्थागत निवेशकों की लगातार बिकवाली और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर किसी ठोस प्रगति के संकेत न मिलने से रुपये पर दबाव बना हुआ है। हालांकि डॉलर में थोड़ी नरमी और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के चलते रुपये में बड़ी गिरावट फिलहाल थमती नजर आई।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली का असर
शेयर बाजार पर विदेशी निवेशकों की बिकवाली का असर साफ दिखा। सोमवार को विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारतीय बाजार से 1,468.32 करोड़ रुपये निकाल लिए। यह लगातार 12वां कारोबारी दिन रहा, जब एफआईआई शुद्ध रूप से बिकवाल बने रहे। दिसंबर महीने में अब तक विदेशी निवेशक करीब 21,073 करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं जिससे बाजार की मजबूती पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
आज नहीं मिला कोई खास सपोर्ट
ग्लोबल बाजारों से भी आज भारतीय शेयर बाजार को कोई खास सपोर्ट नहीं मिला। वॉल स्ट्रीट फ्यूचर्स भारतीय समयानुसार सुबह साढ़े नौ बजे तक करीब 1 फीसदी की गिरावट के साथ कारोबार कर रहे थे जिससे अमेरिकी बाजारों में कमजोर शुरुआत के संकेत मिले। इससे पहले सोमवार को भी अमेरिकी बाजार गिरावट के साथ बंद हुए थे। वहीं एशियाई बाजारों में जापान का निक्केई, साउथ कोरिया का कोस्पी, चीन का शंघाई कंपोजिट और हांगकांग का हैंग सेंग इंडेक्स भी लाल निशान में नजर आए।
जॉब्स डेटा को लेकर भी सतर्क
निवेशक अमेरिका के अहम जॉब्स डेटा को लेकर भी सतर्क दिखे। नवंबर महीने के रोजगार आंकड़े अमेरिकी ब्याज दरों की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। ब्याज दरों में किसी भी तरह का बदलाव उभरते बाजारों जैसे भारत में विदेशी निवेश के फ्लो को प्रभावित करता है। इसी अनिश्चितता के चलते निवेशक फिलहाल जोखिम लेने से बचते नजर आए।
बाजार में बढ़ा उतार-चढ़ाव
इसके अलावा निफ्टी डेरिवेटिव्स की वीकली एक्सपायरी ने भी बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ा दिया। एक्सपायरी के दिन ट्रेडर्स पोजीशन एडजस्टमेंट करते हैं, जिससे बाजार में अचानक तेज मूवमेंट देखने को मिलती है। मंगलवार को भी इसी वजह से बाजार में अस्थिरता बनी रही।
(Disclaimer: चेतना मंच यूजर्स को सलाह देता है कि वह कोई भी निवेश निर्णय लेने के पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह लें।)












