Share Market Crash Today: 5 वजहें जिन्होंने एक झटके में तोड़ दिया बाजार

भारतीय शेयर बाजार में आज भारी गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स 500 अंक तक टूटा और निफ्टी 25,900 के नीचे फिसल गया। रुपये की रिकॉर्ड कमजोरी, विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली, कमजोर ग्लोबल संकेत और अमेरिका के जॉब्स डेटा को लेकर बढ़ी अनिश्चितता ने बाजार पर दबाव बनाया।

Stock Market
शेयर बाजार में गिरावट
locationभारत
userअसमीना
calendar16 Dec 2025 11:43 AM
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भारतीय शेयर बाजार में मंगलवार (16 दिसंबर) को लगातार दूसरे दिन तेज गिरावट देखने को मिली। कारोबार की शुरुआत से ही बाजार पर दबाव बना रहा और देखते ही देखते सेंसेक्स करीब 500 अंकों तक टूट गया। वहीं निफ्टी भी अहम सपोर्ट लेवल 25,900 के नीचे फिसल गया। विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली, रुपये की रिकॉर्ड कमजोरी और कमजोर ग्लोबल संकेतों ने निवेशकों के सेंटीमेंट को बुरी तरह प्रभावित किया।

कहां देखने को मिला सबसे ज्यादा दबाव?

सुबह करीब 10 बजे बीएसई सेंसेक्स 490.80 अंक यानी 0.58 फीसदी की गिरावट के साथ 84,722.56 के स्तर पर कारोबार कर रहा था। वहीं एनएसई निफ्टी 145.90 अंक या 0.56 फीसदी टूटकर 25,881.40 पर पहुंच गया। बाजार की इस गिरावट का असर मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों पर भी दिखा और बीएसई मिडकैप व स्मॉलकैप इंडेक्स करीब 0.62 फीसदी तक लुढ़क गए। सबसे ज्यादा दबाव आईटी, बैंकिंग और मेटल सेक्टर में देखने को मिला।

क्या है गिरावट की वजह?

आज की गिरावट की सबसे बड़ी वजह रुपये की कमजोरी रही। शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 9 पैसे टूटकर 90.87 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। विदेशी संस्थागत निवेशकों की लगातार बिकवाली और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर किसी ठोस प्रगति के संकेत न मिलने से रुपये पर दबाव बना हुआ है। हालांकि डॉलर में थोड़ी नरमी और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के चलते रुपये में बड़ी गिरावट फिलहाल थमती नजर आई।

विदेशी निवेशकों की बिकवाली का असर

शेयर बाजार पर विदेशी निवेशकों की बिकवाली का असर साफ दिखा। सोमवार को विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारतीय बाजार से 1,468.32 करोड़ रुपये निकाल लिए। यह लगातार 12वां कारोबारी दिन रहा, जब एफआईआई शुद्ध रूप से बिकवाल बने रहे। दिसंबर महीने में अब तक विदेशी निवेशक करीब 21,073 करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं जिससे बाजार की मजबूती पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

आज नहीं मिला कोई खास सपोर्ट

ग्लोबल बाजारों से भी आज भारतीय शेयर बाजार को कोई खास सपोर्ट नहीं मिला। वॉल स्ट्रीट फ्यूचर्स भारतीय समयानुसार सुबह साढ़े नौ बजे तक करीब 1 फीसदी की गिरावट के साथ कारोबार कर रहे थे जिससे अमेरिकी बाजारों में कमजोर शुरुआत के संकेत मिले। इससे पहले सोमवार को भी अमेरिकी बाजार गिरावट के साथ बंद हुए थे। वहीं एशियाई बाजारों में जापान का निक्केई, साउथ कोरिया का कोस्पी, चीन का शंघाई कंपोजिट और हांगकांग का हैंग सेंग इंडेक्स भी लाल निशान में नजर आए।

जॉब्स डेटा को लेकर भी सतर्क

निवेशक अमेरिका के अहम जॉब्स डेटा को लेकर भी सतर्क दिखे। नवंबर महीने के रोजगार आंकड़े अमेरिकी ब्याज दरों की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। ब्याज दरों में किसी भी तरह का बदलाव उभरते बाजारों जैसे भारत में विदेशी निवेश के फ्लो को प्रभावित करता है। इसी अनिश्चितता के चलते निवेशक फिलहाल जोखिम लेने से बचते नजर आए।

बाजार में बढ़ा उतार-चढ़ाव

इसके अलावा निफ्टी डेरिवेटिव्स की वीकली एक्सपायरी ने भी बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ा दिया। एक्सपायरी के दिन ट्रेडर्स पोजीशन एडजस्टमेंट करते हैं, जिससे बाजार में अचानक तेज मूवमेंट देखने को मिलती है। मंगलवार को भी इसी वजह से बाजार में अस्थिरता बनी रही।

(Disclaimer: चेतना मंच यूजर्स को सलाह देता है कि वह कोई भी निवेश निर्णय लेने के पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह लें।)

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UTI के दौर से SIP के युग तक: 25 साल में म्यूचुअल फंड ने कैसे रचा इतिहास?

ताजा उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक नवंबर 2025 तक म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का AUM ₹80.80 ट्रिलियन (करीब ₹80.80 लाख करोड़) के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। हैरानी की बात यह है कि महज 2020 के आसपास यह आंकड़ा करीब ₹30 लाख करोड़ के करीब था यानी सिर्फ 5 सालों में इंडस्ट्री ने लगभग तीन गुना उछाल दर्ज किया।

भारत की निवेश क्रांति
भारत की निवेश क्रांति
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar15 Dec 2025 12:29 PM
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Mutual Funds : भारतीय निवेश जगत की सबसे बड़ी कहानियों में अगर किसी एक बदलाव का नाम लिया जाए, तो वह है म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का “जन-आंदोलन” बन जाना। साल 2000 में जहां यह सेक्टर करीब ₹1 लाख करोड़ के आसपास सिमटा हुआ था, वहीं 2025 आते-आते तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है अब इंडस्ट्री का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) ₹80 लाख करोड़ के पार निकल चुका है। यह सिर्फ नंबरों की छलांग नहीं, बल्कि उस भरोसे की जीत है जो आम निवेशक ने धीरे-धीरे बाजार पर बनाया। ताजा उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक नवंबर 2025 तक म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का AUM ₹80.80 ट्रिलियन (करीब ₹80.80 लाख करोड़) के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। हैरानी की बात यह है कि महज 2020 के आसपास यह आंकड़ा करीब ₹30 लाख करोड़ के करीब था यानी सिर्फ 5 सालों में इंडस्ट्री ने लगभग तीन गुना उछाल दर्ज किया।

कैसे बदला पूरा खेल?

साल 2000 में म्यूचुअल फंड बाजार पर यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया (UTI) का लगभग एकतरफा दबदबा था। तब कुल AUM करीब ₹1,03,452 करोड़ था, जिसमें UTI की हिस्सेदारी 66% (करीब ₹68,524 करोड़) बताई जाती है। उस समय निवेश का मतलब कुछ चुनिंदा शहरों और सीमित निवेशकों तक सिमटा हुआ था और जोखिम का डर सबसे बड़ा ब्रेक। लेकिन समय बदला निवेशक बदला और निवेश का तरीका भी बदला। कोरोना काल के बाद बाजार में आई तेजी, डिजिटल ऑनबोर्डिंग, और निवेश को “हर महीने की आदत” में बदल देने वाली SIP ने इंडस्ट्री को नई रफ्तार दी। आज भारतीय बाजार पहले से ज्यादा गहरा, ज्यादा भागीदारी वाला और तुलनात्मक रूप से अधिक संगठित दिखता है।

SIP बना भरोसे का इंजन

इस ऐतिहासिक ग्रोथ के पीछे सबसे मजबूत कड़ी है आम निवेशक और सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP)। अब निवेश सिर्फ मेट्रो शहरों की चीज नहीं रहा। छोटे शहरों, कस्बों और उभरते भारत से आए नए निवेशकों ने म्यूचुअल फंड को असल मायनों में “मास प्रोडक्ट” बना दिया। इस बदलाव की झलक फोलियो डेटा में साफ दिखती है। मई 2021 में जहां म्यूचुअल फंड फोलियो की संख्या 10 करोड़ थी, वहीं नवंबर 2025 तक यह बढ़कर 25.86 करोड़ (258.6 मिलियन) हो गई। इक्विटी और हाइब्रिड स्कीम्स में हिस्सेदारी बढ़ना इस बात का संकेत है कि निवेशक अब पारंपरिक बचत विकल्पों से आगे बढ़कर लंबी अवधि के लिए इक्विटी में भरोसा जता रहा है।

निवेशकों का भरोसा क्यों बढ़ा?

इस तेजी के पीछे सिर्फ बाजार का मूड नहीं, बल्कि कई ठोस कारण हैं:

  1. वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion): निवेश अब पहले से ज्यादा आसान, डिजिटल और पहुंच के भीतर है—मोबाइल से फोलियो बन रहा है, KYC मिनटों में हो रही है।
  2. बाजार का प्रदर्शन: जब रिटर्न बेहतर दिखता है, निवेशक का आत्मविश्वास बढ़ता है—और वही भरोसा निवेश को टिकाऊ बनाता है।
  3. अनुशासित निवेश की आदत: SIP ने “एकमुश्त जोखिम” की मानसिकता तोड़ी और निवेश को नियमित प्रक्रिया बनाया, जिससे बाजार में स्थिर फंड फ्लो बना। Mutual Funds

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सोने ने फिर दिखाई चमक:10 ग्राम के दाम बढ़े,कौन-सा शहर कितना महंगा?

विशेषज्ञों के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर की कमजोरी और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की संभावित ब्याज दर कटौती की उम्मीदों ने सोने को सपोर्ट दिया। इसका असर सीधे घरेलू कीमतों पर दिखा और आज 10 ग्राम पर करीब 820 रुपये तक की बढ़त सामने आई।

महंगा हुआ गोल्ड
महंगा हुआ गोल्ड
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar15 Dec 2025 12:09 PM
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Gold Price Today: देशभर में सोमवार, 15 दिसंबर को सोना-चांदी दोनों की कीमतों में उछाल दर्ज किया गया। सुबह के कारोबार में 10 ग्राम सोने के दाम कई शहरों में 1.34 लाख रुपये के स्तर से ऊपर पहुंच गए, जिससे खरीदार और निवेशक दोनों की नजरें फिर बाजार पर टिक गई हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर की कमजोरी और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की संभावित ब्याज दर कटौती की उम्मीदों ने सोने को सपोर्ट दिया। इसका असर सीधे घरेलू कीमतों पर दिखा और आज 10 ग्राम पर करीब 820 रुपये तक की बढ़त सामने आई। नोट: ये रेट GST और मेकिंग चार्ज के बिना हैं ज्वेलरी खरीदते समय कुल भुगतान इससे अधिक हो सकता है।

देश के बड़े शहरों में आज सोने के रेट (प्रति 10 ग्राम)

देश के प्रमुख शहरों में आज सोने के भाव लगभग एक जैसे ट्रेंड पर रहे। दिल्ली और जयपुर में 10 ग्राम 22 कैरेट सोना ₹1,23,650 और 24 कैरेट ₹1,34,880 पर पहुंच गया। अहमदाबाद और पुणे में यह थोड़ा नीचे रहा—22 कैरेट ₹1,23,550 और 24 कैरेट ₹1,34,780। वहीं मुंबई, हैदराबाद, चेन्नई, बेंगलुरु और कोलकाता जैसे बड़े बाजारों में 10 ग्राम 22 कैरेट ₹1,23,500 जबकि 24 कैरेट ₹1,34,730 दर्ज किया गया।

चांदी भी पीछे नहीं

सोने के साथ-साथ चांदी में भी मजबूती देखी गई। घरेलू स्पॉट मार्केट में चांदी के भाव बढ़कर करीब ₹1,97,900 प्रति किलो तक पहुंच गए। ग्लोबल मार्केट में भी चांदी में 1% से ज्यादा की तेजी दर्ज होने से कीमती धातुओं में निवेशकों की दिलचस्पी फिर बढ़ती दिख रही है।सोने की तेजी के साथ चांदी ने भी रफ्तार पकड़ ली है। घरेलू स्पॉट बाजार में चांदी के दाम चढ़कर करीब ₹1,97,900 प्रति किलो तक पहुंच गए, यानी सफेद धातु ने भी निवेशकों को साफ संकेत दे दिया कि ट्रेंड फिलहाल ऊपर की ओर है। उधर ग्लोबल मार्केट में चांदी 1% से ज्यादा उछली, जिससे यह साफ होता है कि निवेशक एक बार फिर महंगाई और अनिश्चितता के दौर में कीमती धातुओं को “सेफ हेवन” मानकर अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रहे हैं।

अंतरराष्ट्रीय बाजार से क्यों मिला सपोर्ट?

वैश्विक बाजार में सोना करीब 0.74% चढ़कर 4,326 डॉलर प्रति औंस के आसपास ट्रेड करता नजर आया। आमतौर पर डॉलर कमजोर होता है तो सोना निवेश के लिए ज्यादा आकर्षक बनता है। वहीं ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद भी गोल्ड को सपोर्ट देती है—क्योंकि कम दरों के माहौल में निवेशक सुरक्षित विकल्पों की तरफ बढ़ते हैं।

शादी के सीजन में भी मांग सुस्त क्यों?

भारत में शादी-विवाह का सीजन होने के बावजूद मांग उम्मीद के मुताबिक नहीं दिख रही। ऊंचे भाव और रोज़ बदलते रेट की वजह से आम खरीदार सतर्क हैं। इसी कारण कुछ जगहों पर डीलर अंतरराष्ट्रीय कीमतों की तुलना में डिस्काउंट पर सोना बेचते नजर आ रहे हैं।

भारत में सोने की कीमत किन बातों पर तय होती है?

भारत में गोल्ड रेट रोजाना कई कारकों से प्रभावित होते हैं, जैसे

  • अंतरराष्ट्रीय बाजार के भाव
  • डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल
  • इंपोर्ट ड्यूटी
  • टैक्स/अन्य सरकारी शुल्क Gold Price Today

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