बिना दुकान-बिना खर्च शुरू करें ये बिजनेस, रोज की कमाई पक्की

कम लागत, बिना दुकान और बिना मार्केटिंग के शुरू किया जा सकने वाला यह बिजनेस मॉडल आज कई युवाओं के लिए प्रेरणा है। सही रणनीति, ईमानदारी और मेहनत के साथ छोटे स्तर पर शुरू किया गया बिजनेस भी बड़ी कमाई दे सकता है—यह बात मैराजुद्दीन की सफलता साफ साबित करती है।

New employment model
रोजगार का नया मॉडल (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar05 Dec 2025 06:26 PM
bookmark

आज के समय में जब बिजनेस शुरू करने के लिए दुकान, मार्केटिंग और भारी-भरकम निवेश की जरूरत मानी जाती है, वहीं छतरपुर और महोबा जिले में एक ऐसा बिजनेस मॉडल तेजी से लोकप्रिय हो रहा है जिसमें इन सबकी कोई जरूरत नहीं है। बता दें कि बिजनेस शुरू करने के लिए दुकान, मार्केटिंग और भारी-भरकम निवेश की जरूरत नहीं बल्कि एक मोटरसाइकिल और कुछ मेहनत की जरुरत है। यह बिजनेस है—घर-घर जाकर साड़ी बेचने का मॉडल, जो बिना दुकान और बिना प्रचार के भी तगड़ी कमाई दे रहा है।

कैसे चलता है यह बिजनेस मॉडल?

बता दें कि महोबा जिले के रहने वाले मैराजुद्दीन ने बताया कि वह पिछले 10 साल से महोबा और छतरपुर जिले में घर-घर जाकर साड़ी बेचते हैं। पहले वे टेलरिंग का काम करते थे, लेकिन कमाई कम होने के कारण उन्होंने साड़ी बेचने का काम शुरू किया और आज उनका यह मॉडल बेहद सफल रहा है। मैराजुद्दीन बताते हैं कि वे सूरत (गुजरात) से थोक में साड़ियां खरीदकर लाते हैं। एक साड़ी उन पर 60 से 80 रुपये तक का खर्च आता है, जबकि वह इसे 100 रुपये में बेचते हैं। इस तरह एक साड़ी पर उन्हें 20 रुपये तक का मुनाफा मिल जाता है।

गांव हो या शहर, हर जगह मांग

बता दें कि यह बिजनेस उनकी यह किफायती और मजबूत साड़ियां गांव और शहर दोनों जगह की महिलाओं में काफी लोकप्रिय हैं और वह बताते हैं कि हम दिनभर बाइक से घूमते हैं और एक दिन में 40–50 साड़ियां आसानी से बेच लेते हैं। सस्ती कीमत, अच्छी क्वालिटी और घर तक पहुंचकर सामान मिलने की सुविधा—तीनों वजहों से इन साड़ियों की डिमांड लगातार बढ़ रही है।

ग्राहकों का विश्वास है सबसे बड़ी पूंजी

बता दें कि वे किसी भी तरह की धोखाधड़ी नहीं करते और एक ही गांव में कई-कई बार जाकर महिलाओं से सीधे संपर्क बनाते हैं। धीरे-धीरे भरोसा इतना बढ़ गया कि लोग उन्हें पहचानने लगे और बार-बार उनसे साड़ियां खरीदते हैं। हमारी साड़ियां सस्ती भी हैं और टिकाऊ भी, इसलिए ग्राहक हमें खुद बुलाते हैं।

6 महीने की गारंटी—100 रुपये में बेहतर सौदा नहीं

बता दें कि मैराजुद्दीन की सबसे खास बात यह है कि मैराजुद्दीन अपनी साड़ियों पर 6 महीने की गारंटी देते हैं और वह जिसने भी यह साड़ियां खरीदी हैं, सभी कहते हैं कि ये बहुत मजबूत होती हैं। सिर्फ 100 रुपए में 6 महीने की गारंटी, इससे अच्छा और क्या मिलेगा? इस गारंटी ने भी ग्राहकों का भरोसा और बिक्री दोनों बढ़ाई है।

संबंधित खबरें

अगली खबर पढ़ें

Google Gemini 3 Deep Think लॉन्च, क्यों है AI में गेम‑चेंजर?

Google ने Gemini 3 Deep Think लॉन्च किया है। अब AI Ultra सब्सक्राइबर्स को सबसे एडवांस रीजनिंग मोड मिलेगा। जानिए कैसे यह मोड जटिल मैथ, साइंस और लॉजिक समस्याओं को आसानी से हल कर सकता है और इसे AI की दुनिया में गेम‑चेंजर क्यों माना जा रहा है।

Google Gemini 3 Deep Think
AI Ultra सब्सक्राइबर का सबसे एडवांस टूल
locationभारत
userअसमीना
calendar05 Dec 2025 03:55 PM
bookmark

AI की दुनिया में Google हमेशा नए इनोवेशन के लिए चर्चा में रहता है और अब गूगल ने Gemini ऐप में Gemini 3 Deep Think लॉन्च करके फिर से सबका ध्यान खींच लिया है। यह नया फीचर Google AI Ultra सब्सक्राइबर्स के लिए पेश किया गया है और इसे कंपनी का अब तक का सबसे एडवांस रीजनिंग मोड बताया जा रहा है। उन लोगों के लिए Deep Think मोड खास है जो मैथ, साइंस और लॉजिक से जुड़े जटिल काम करते हैं और अपने काम में जल्दी और सटीक हल चाहते हैं।

Gemini 3 Deep Think कितना पावरफुल है

Google के अनुसार, Gemini 3 Deep Think पिछले वर्जन की तुलना में काफी बड़ा अपग्रेड है। यह मोड एक साथ कई तर्कों और सोच की लाइनें प्रोसेस कर सकता है जिससे यह आम AI मॉडल्स के लिए मुश्किल सवालों का भी सही हल निकालने में सक्षम है। कंपनी ने बताया कि Gemini 3 Deep Think ने Humanity’s Last Exam में 41.0% और ARC-AGI-2 टेस्ट में 45.1% स्कोर हासिल किया जो किसी AI के लिए अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड माना जा रहा है।

AI reasoning में मील का पत्थर

यह प्रगति Gemini 2.5 Deep Think पर आधारित है जिसने पहले ही इंटरनेशनल मैथेमैटिकल ओलंपियाड और ICPC वर्ल्ड फाइनल जैसी प्रतियोगिताओं में बेहतरीन प्रदर्शन किया था। आसान भाषा में कहें तो Google का यह नया मोड सच में AI reasoning में एक नया मील का पत्थर है।

यूजर्स नए मोड का इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं?

अगर आप Ultra सब्सक्राइबर हैं तो Gemini 3 Deep Think का इस्तेमाल करना बहुत आसान है। बस Gemini ऐप खोलें, प्रॉम्प्ट बार में Deep Think चुनें और मॉडल ऑप्शन में Gemini 3 Pro सिलेक्ट करें। मोड ऑन होते ही आप बड़ी से बड़ी समस्याओं के लिए भी बेहतरीन और समझदार जवाब पा सकते हैं। Google ने अपने ऑफिशियल X अकाउंट पर भी इस अपडेट की जानकारी दी और इसे अपनी सबसे एडवांस रीजनिंग तकनीक बताया। यह मोड खासकर उन लोगों के लिए मददगार है जो पढ़ाई, टेक्निकल काम या किसी भी तरह की डीप एनालिसिस वाले प्रोजेक्ट्स पर काम करते हैं।

AI परफॉर्मेंस की अगली पीढ़ी

Gemini 3 Deep Think के साथ Google ने AI में एडवांस कम्प्यूटेशनल रीजनिंग के नए मुकाम को छू लिया है। पिछले महीने ही Gemini 3 लॉन्च हुआ था और इसे AI की दुनिया में सबसे नया और एडवांस सिस्टम कहा गया। अब Deep Think के साथ Ultra सब्सक्राइबर्स को अद्भुत क्षमता वाला रिजनिंग मोड मिल गया है जो उनके काम को और भी आसान और तेज बना देगा।

 

संबंधित खबरें

अगली खबर पढ़ें

हर पांच में से चार फ्लाइट लेट, इंडिगो में इतनी बड़ी गड़बड़ी कैसे हुई?

इंडिगो जो कभी समय पर उड़ान भरने और भरोसेमंद सेवा के लिए जानी जाती थी अचानक देश की सबसे बड़ी एविएशन पहेली बन गई है। कुछ ही हफ्तों में इसकी ऑन-टाइम परफॉर्मेंस 80% से गिरकर सिर्फ 19.7% पर पहुंच गई इतनी तेज गिरावट किसी बड़े भारतीय एयरलाइन में पहले कभी दर्ज नहीं हुई।

IndiGo delay crisis exposed
इंडिगो फ्लाइट देरी का सच!
locationभारत
userअसमीना
calendar05 Dec 2025 03:08 PM
bookmark

इंडिगो पिछले कुछ सालों में भारत की सबसे भरोसेमंद एयरलाइन बनकर उभरी थी। ऑन-टाइम परफॉर्मेंस हो या कम कैंसिलेशन हर मामले में इंडिगो एयरलाइन यात्रियों की पहली पसंद रही लेकिन नवंबर के बाद अचानक हालात ऐसे बदले कि वही इंडिगो आज कई यात्रियों के लिए "सबसे बुरा सपना" बन गई। जिस एयरलाइन ने अपनी समयबद्धता पर हमेशा गर्व किया उसी का ऑन-टाइम परफॉर्मेंस 3 दिसंबर तक गिरकर सिर्फ 19.7% रह गया। यानी हर पांच में से चार उड़ानें देरी से थीं। इतनी भारी गिरावट किसी भी बड़े भारतीय एयरलाइन में शायद ही पहले देखी गई हो।

सवालों के घेरे में इंडिगो

अक्टूबर में जहां इंडिगो का OTP शानदार 84.1% था वहीं नवंबर में गिरकर यह 67.7% हो गया और दिसंबर की शुरुआत में सीधे 20% के नीचे पहुंच गया। यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं बल्कि एक ऐसी स्थिति है जिसने यात्रियों को परेशान करने के साथ एयरलाइन को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है। एयर इंडिया एक्सप्रेस का OTP 69.9%, स्पाइसजेट का 68.7% और एयर इंडिया का 66.8% रहा। यहां तक कि नई एयरलाइन आकासा एयर ने भी 67.5% का OTP बनाए रखा। ऐसे में साफ है कि समस्या उद्योग-स्तर की नहीं बल्कि केवल इंडिगो की आंतरिक असंगति की देन है।

किस वजह से हो रही है इतनी बड़ी गड़बड़ी?

बताया जा रहा है कि, ये देरी सिर्फ किसी एक कारण की वजह से नहीं हुई। रिपोर्टों और यात्रियों की शिकायतों के मुताबिक, स्टाफ की कमी, तकनीकी परेशानियां, शेड्यूलिंग का अत्यधिक दबाव और ग्राउंड ऑपरेशन्स में गिरावट होने के कारण हालात को बद से बदतर बना दिया। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और कोलकाता जैसे बड़े शहरों से यात्रियों ने एयरपोर्ट की स्थिति को अव्यवस्थित, अनिश्चित और अनमैनेज्ड बताया। तमाम शिकायतें आने के बाद DGCA ने इंडिगो अधिकारियों के साथ एक आपात बैठक बुलाई है।

एक महीने के भीतर इतनी गिरावट

जनवरी से अक्टूबर तक एयरलाइन ने पूरे देश में सबसे कम कैंसिलेशन किए औसतन सिर्फ 0.73%, जो राष्ट्रीय औसत से भी कम है। साल भर एयरलाइन ने 80-90% के बीच OTP बनाए रखा था। लेकिन अब उसी इंडिगो में एक महीने के भीतर इतनी तेज गिरावट होना उसके आंतरिक ढांचे में आई किसी गंभीर समस्या का संकेत देता है। यात्रियों की नजर में यह बदलाव सिर्फ एक आंकड़ा नहीं बल्कि भरोसा टूटने जैसा है।

 

संबंधित खबरें