भारत में सोने की कीमतें आसमान पर, 2026 में निवेशकों को क्या मिलेगा?
साल 2025 सोने और चांदी के निवेशकों के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ। सोने ने इस साल कई बार नया ऑल-टाइम हाई बनाया और निवेशकों को करीब 65% का शानदार रिटर्न दिया। वहीं चांदी ने 1971 के बाद का अपना सबसे बेहतरीन साल दर्ज किया। भारतीय बाजार में सोने और चांदी की कीमतों में उछाल रुपये की कमजोरी और अंतरराष्ट्रीय...

Gold Prices: 2025 में रिकॉर्ड तोड़ उछाल के बाद अब 2026 में क्या सोना देगा रिटर्न या थमेगी रफ्तार?
साल 2025 निवेशकों के लिए कई मायनों में यादगार रहा लेकिन अगर किसी एक एसेट ने इस साल इतिहास रचा है तो वह है सोना। बीते कई दशकों में ऐसा बहुत कम देखने को मिला है जब सोने ने एक ही साल में दर्जनों बार नया ऑल-टाइम हाई बनाया हो। 2025 में सोने ने न सिर्फ निवेशकों को महंगाई और अनिश्चितता से सुरक्षा दी बल्कि करीब 65 फीसदी का शानदार रिटर्न देकर पोर्टफोलियो की चमक भी बढ़ा दी। वहीं चांदी ने तो सोने से भी आगे निकलते हुए 1971 के बाद का अपना सबसे बेहतरीन प्रदर्शन दर्ज किया। अब जब साल खत्म होने को है तो निवेशकों के मन में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या 2026 में भी यह चमक बरकरार रहेगी या अब मुनाफावसूली का दौर आएगा?
सोने में देखने को मिली एकतरफा तेजी
अंतरराष्ट्रीय बाजार की बात करें तो 1 जनवरी 2025 को सोने की कीमत करीब 2,600 डॉलर प्रति औंस थी। इसके बाद पूरे साल सोने में एकतरफा तेजी देखने को मिली। 200-दिन, 100-दिन, 50-दिन और 20-दिन के सभी प्रमुख एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज के ऊपर टिके रहते हुए सोने ने मजबूती दिखाई। 13 दिसंबर 2025 तक सोना बढ़कर करीब 4,300 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गया जो साल भर में लगभग 65 फीसदी की तेजी को दर्शाता है। यह तेजी केवल तकनीकी कारणों तक सीमित नहीं रही बल्कि इसके पीछे वैश्विक स्तर पर कई मजबूत बुनियादी कारक भी सक्रिय रहे।
अंतरराष्ट्रीय बाजार से भी ज्यादा तेज सोने की चाल
भारतीय बाजार में सोने की चाल अंतरराष्ट्रीय बाजार से भी ज्यादा तेज रही। मुंबई में 1 जनवरी 2025 को सोना करीब 78,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास था जो दिसंबर के मध्य तक बढ़कर लगभग 1,34,000 रुपये प्रति 10 ग्राम पहुंच गया। यानी घरेलू बाजार में सोने ने करीब 72 फीसदी का उछाल दर्ज किया। इसकी एक बड़ी वजह डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी रही। रुपया 90.5 के रिकॉर्ड निचले स्तर तक फिसल गया और चूंकि भारत अपनी ज्यादातर सोने की जरूरत आयात से पूरी करता है, इसलिए कमजोर रुपये ने घरेलू कीमतों को और ऊपर धकेल दिया।
चांदी ने भी निवेशकों को चौंकाया
सोने के साथ-साथ चांदी ने भी 2025 में निवेशकों को चौंका दिया। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी की कीमतें साल की शुरुआत में करीब 28 डॉलर प्रति औंस थीं जो 13 दिसंबर 2025 तक बढ़कर लगभग 62 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गईं। इस तरह चांदी ने एक ही साल में करीब 121 फीसदी की छलांग लगाई और 1971 के बाद का अपना सबसे शानदार साल दर्ज किया। औद्योगिक मांग, ग्रीन एनर्जी ट्रांजिशन और निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी ने चांदी को जबरदस्त सपोर्ट दिया।
क्या है एक्सपर्ट का कहना?
एक्सपर्ट्स के मुताबिक 2025 में सोने की इस ऐतिहासिक तेजी के पीछे कई बड़े कारण रहे। भू-राजनीतिक तनाव, ग्लोबल आर्थिक अनिश्चितता, दुनिया भर के सेंट्रल बैंकों द्वारा लगातार सोने की खरीद, ETF के जरिए बढ़ता निवेश, कमजोर डॉलर और कई देशों में ब्याज दरों में कटौती इन सभी फैक्टर्स ने मिलकर सोने को मजबूत सहारा दिया। गोल्ड रिटर्न एट्रिब्यूशन मॉडल के अनुसार, सिर्फ जोखिम और अनिश्चितता ने ही इस साल सोने के रिटर्न में करीब 11.5 प्रतिशत अंकों का योगदान दिया, जबकि डॉलर की कमजोरी और ब्याज दरों में कटौती से जुड़े ऑपर्च्युनिटी कॉस्ट फैक्टर ने लगभग 10 प्रतिशत अंकों का योगदान दिया। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल का भी मानना है कि 2025 में सोने की तेजी किसी एक वजह पर नहीं बल्कि कई संतुलित कारकों पर आधारित रही।
बाजार पर बढ़ सकता है दबाव
2026 में सोना और चांदी किस दिशा में जा सकते हैं? एनालिस्ट्स का मानना है कि 2026 में सोने की चाल पूरी तरह से ग्लोबल मैक्रोइकोनॉमिक हालात, भू-राजनीतिक घटनाओं, सेंट्रल बैंकों की खरीद और गोल्ड रीसाइक्लिंग सप्लाई पर निर्भर करेगी। दिल्ली स्थित एक बुलियन मार्केट एक्सपर्ट के मुताबिक हाल के महीनों में गोल्ड रीसाइक्लिंग असामान्य रूप से कमजोर रही है। इसकी एक बड़ी वजह भारत में गोल्ड लोन का बढ़ता चलन है जहां 2025 में 200 टन से ज्यादा पुराने आभूषण गिरवी रखे गए हैं। सीमित रीसाइक्लिंग सप्लाई फिलहाल कीमतों को सहारा दे रही है लेकिन अगर भविष्य में मजबूरी में इन आभूषणों की बिकवाली बढ़ती है तो सेकेंडरी सप्लाई बढ़ने से बाजार पर दबाव भी बन सकता है।
Gold Prices: 2025 में रिकॉर्ड तोड़ उछाल के बाद अब 2026 में क्या सोना देगा रिटर्न या थमेगी रफ्तार?
साल 2025 निवेशकों के लिए कई मायनों में यादगार रहा लेकिन अगर किसी एक एसेट ने इस साल इतिहास रचा है तो वह है सोना। बीते कई दशकों में ऐसा बहुत कम देखने को मिला है जब सोने ने एक ही साल में दर्जनों बार नया ऑल-टाइम हाई बनाया हो। 2025 में सोने ने न सिर्फ निवेशकों को महंगाई और अनिश्चितता से सुरक्षा दी बल्कि करीब 65 फीसदी का शानदार रिटर्न देकर पोर्टफोलियो की चमक भी बढ़ा दी। वहीं चांदी ने तो सोने से भी आगे निकलते हुए 1971 के बाद का अपना सबसे बेहतरीन प्रदर्शन दर्ज किया। अब जब साल खत्म होने को है तो निवेशकों के मन में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या 2026 में भी यह चमक बरकरार रहेगी या अब मुनाफावसूली का दौर आएगा?
सोने में देखने को मिली एकतरफा तेजी
अंतरराष्ट्रीय बाजार की बात करें तो 1 जनवरी 2025 को सोने की कीमत करीब 2,600 डॉलर प्रति औंस थी। इसके बाद पूरे साल सोने में एकतरफा तेजी देखने को मिली। 200-दिन, 100-दिन, 50-दिन और 20-दिन के सभी प्रमुख एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज के ऊपर टिके रहते हुए सोने ने मजबूती दिखाई। 13 दिसंबर 2025 तक सोना बढ़कर करीब 4,300 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गया जो साल भर में लगभग 65 फीसदी की तेजी को दर्शाता है। यह तेजी केवल तकनीकी कारणों तक सीमित नहीं रही बल्कि इसके पीछे वैश्विक स्तर पर कई मजबूत बुनियादी कारक भी सक्रिय रहे।
अंतरराष्ट्रीय बाजार से भी ज्यादा तेज सोने की चाल
भारतीय बाजार में सोने की चाल अंतरराष्ट्रीय बाजार से भी ज्यादा तेज रही। मुंबई में 1 जनवरी 2025 को सोना करीब 78,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास था जो दिसंबर के मध्य तक बढ़कर लगभग 1,34,000 रुपये प्रति 10 ग्राम पहुंच गया। यानी घरेलू बाजार में सोने ने करीब 72 फीसदी का उछाल दर्ज किया। इसकी एक बड़ी वजह डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी रही। रुपया 90.5 के रिकॉर्ड निचले स्तर तक फिसल गया और चूंकि भारत अपनी ज्यादातर सोने की जरूरत आयात से पूरी करता है, इसलिए कमजोर रुपये ने घरेलू कीमतों को और ऊपर धकेल दिया।
चांदी ने भी निवेशकों को चौंकाया
सोने के साथ-साथ चांदी ने भी 2025 में निवेशकों को चौंका दिया। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी की कीमतें साल की शुरुआत में करीब 28 डॉलर प्रति औंस थीं जो 13 दिसंबर 2025 तक बढ़कर लगभग 62 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गईं। इस तरह चांदी ने एक ही साल में करीब 121 फीसदी की छलांग लगाई और 1971 के बाद का अपना सबसे शानदार साल दर्ज किया। औद्योगिक मांग, ग्रीन एनर्जी ट्रांजिशन और निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी ने चांदी को जबरदस्त सपोर्ट दिया।
क्या है एक्सपर्ट का कहना?
एक्सपर्ट्स के मुताबिक 2025 में सोने की इस ऐतिहासिक तेजी के पीछे कई बड़े कारण रहे। भू-राजनीतिक तनाव, ग्लोबल आर्थिक अनिश्चितता, दुनिया भर के सेंट्रल बैंकों द्वारा लगातार सोने की खरीद, ETF के जरिए बढ़ता निवेश, कमजोर डॉलर और कई देशों में ब्याज दरों में कटौती इन सभी फैक्टर्स ने मिलकर सोने को मजबूत सहारा दिया। गोल्ड रिटर्न एट्रिब्यूशन मॉडल के अनुसार, सिर्फ जोखिम और अनिश्चितता ने ही इस साल सोने के रिटर्न में करीब 11.5 प्रतिशत अंकों का योगदान दिया, जबकि डॉलर की कमजोरी और ब्याज दरों में कटौती से जुड़े ऑपर्च्युनिटी कॉस्ट फैक्टर ने लगभग 10 प्रतिशत अंकों का योगदान दिया। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल का भी मानना है कि 2025 में सोने की तेजी किसी एक वजह पर नहीं बल्कि कई संतुलित कारकों पर आधारित रही।
बाजार पर बढ़ सकता है दबाव
2026 में सोना और चांदी किस दिशा में जा सकते हैं? एनालिस्ट्स का मानना है कि 2026 में सोने की चाल पूरी तरह से ग्लोबल मैक्रोइकोनॉमिक हालात, भू-राजनीतिक घटनाओं, सेंट्रल बैंकों की खरीद और गोल्ड रीसाइक्लिंग सप्लाई पर निर्भर करेगी। दिल्ली स्थित एक बुलियन मार्केट एक्सपर्ट के मुताबिक हाल के महीनों में गोल्ड रीसाइक्लिंग असामान्य रूप से कमजोर रही है। इसकी एक बड़ी वजह भारत में गोल्ड लोन का बढ़ता चलन है जहां 2025 में 200 टन से ज्यादा पुराने आभूषण गिरवी रखे गए हैं। सीमित रीसाइक्लिंग सप्लाई फिलहाल कीमतों को सहारा दे रही है लेकिन अगर भविष्य में मजबूरी में इन आभूषणों की बिकवाली बढ़ती है तो सेकेंडरी सप्लाई बढ़ने से बाजार पर दबाव भी बन सकता है।












