जाने विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बनी अन्ना मणि

अन्ना मणि ने उस दौर में उच्च शिक्षा और शोध किए, जब भारत में महिलाओं की साक्षरता दर मात्र 1% थी। लेकिन उनका साहस, दृढ़ता और वैज्ञानिक सोच ने न सिर्फ मौसम विज्ञान को नई दिशा दी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा भी बन गईं।

India's 'weather woman' Anna Mani
भारत की ‘मौसम महिला’ अन्ना मणि (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar26 Nov 2025 05:38 PM
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भारत में महिला वैज्ञानिकों की बात आती है तो अक्सर हम मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM) की टीम की प्रतिभाशाली महिलाओं को याद करते हैं। लेकिन इससे दशकों पहले ही भारत की एक विलक्षण महिला वैज्ञानिक ऐसे खोज कर चुकी थीं, जिनकी वजह से आज मौसम का अनुमान लगाना कहीं अधिक सटीक और वैज्ञानिक हो पाया है। यह नाम है अन्ना मणि, जिन्हें पूरे विश्व में ‘द वेदर वुमन ऑफ इंडिया’ के नाम से जाना जाता है। उनके जन्म की 104वीं जयंती पर गूगल ने उन्हें समर्पित एक विशेष डूडल बनाकर सम्मान दिया था—यह दिखाता है कि उनका योगदान सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के लिए कितना महत्वपूर्ण है।

विज्ञान की दुनिया में एक अग्रणी नाम

अन्ना मणि भारतीय मौसम विभाग की पूर्व उप महानिदेशक थीं। सौर विकिरण (Solar Radiation), ओज़ोन मापन और पवन ऊर्जा उपकरणों के विकास में उनका योगदान अतुलनीय है। मौसम पर नज़र रखने और सटीक पूर्वानुमान लगाने वाले कई महत्वपूर्ण उपकरणों के डिज़ाइन में उनकी अहम भूमिका रही। आज मौसम विज्ञान की जो आधुनिक प्रणाली हमें दिखाई देती है, उसकी नींव में अन्ना मणि का अथक शोध और निष्ठा शामिल है।

23 अगस्त 1918 – एक असाधारण प्रतिभा का जन्म

केरल के पीरूमेडू में एक संपन्न परिवार में जन्मीं अन्ना मणि के पिता सिविल इंजीनियर थे। बचपन में उनका सपना एक डांसर बनने का था, लेकिन परिवार ने पढ़ाई को प्राथमिकता दी। यही कारण रहा कि उन्होंने विज्ञान की राह चुनी और भौतिकी (Physics) में अपना करियर बनाने का फैसला किया। 1939 में उन्होंने मद्रास प्रेसिडेंसी कॉलेज से भौतिकी और रसायन विज्ञान में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद 1940 में वह भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बैंगलोर में रिसर्च स्कॉलर बनीं और प्रो. सी.वी. रमन के मार्गदर्शन में रूबी और हीरे के ऑप्टिकल गुणों पर रिसर्च किया। 1945 में आगे की पढ़ाई के लिए वह लंदन के इंपीरियल कॉलेज चली गईं, जहां उनकी रुचि मौसम संबंधी उपकरणों की ओर और गहरी होती गई।

ग्रेजुएशन, रिसर्च और फिर भी नहीं मिली पीएचडी

अन्ना मणि ने पांच शोध पत्र लिखे और अपना पीएचडी रिसर्च तैयार किया, लेकिन उन्हें पीएचडी की डिग्री नहीं मिल सकी क्योंकि उनके पास भौतिकी में पोस्टग्रेजुएशन की डिग्री नहीं थी। देश की आज़ादी के बाद 1948 में वह भारत लौटीं और पुणे स्थित मौसम विभाग में काम शुरू किया।

गांधीवादी विचारधारा और सरल जीवन

भारत लौटने के बाद वह गांधीवादी विचारों से प्रभावित हो गईं। वह जीवनभर खादी पहनती रहीं और सादगी का रास्ता चुना। 1969 में उन्हें भारतीय मौसम विभाग का उप महानिदेशक नियुक्त किया गया। बंगलुरु में उन्होंने अपनी एक वर्कशॉप स्थापित की, जहां वह हवा की गति और सौर ऊर्जा मापन के उपकरण विकसित करती थीं।1976 में वह इसी पद से सेवानिवृत्त हुईं।

सम्मान और अंतिम यात्रा 

विज्ञान में उल्लेखनीय योगदान के चलते 1987 में उन्हें INSA के.आर. रामनाथन मेडल से सम्मानित किया गया। 16 अगस्त 2001 को तिरुवनंतपुरम में इस महान वैज्ञानिक का निधन हो गया।

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कौन बनेगा करोड़पति से बड़ा सवाल बन गया भाजपा के अध्यक्ष का सवाल

भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का नाम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की सहमति से तय होना है। सूत्रों का दावा है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का नाम तय कर लियाा गया है। जल्दी ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम की अधिकारिक घोषणा कर दी जाएगी।

मोदी–शाह किसे सौंपेंगे भाजपा की कुर्सी
मोदी–शाह किसे सौंपेंगे भाजपा की कुर्सी?
locationभारत
userआरपी रघुवंशी
calendar26 Nov 2025 05:37 PM
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Who will become the national president of BJP? :कौन बनेगा करोड़पति? यह सवाल एक टीवी शो का शीर्षक है। इन दिनों भारत की राजनीति में कौन बनेगा करोड़पति से बड़ा सवाल भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का सवाल बन गया है। देश की राजनीति में हर कोई सवाल पूछ रहा है कि कौन बनेगा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का राष्ट्रीय अध्यक्ष? भाजपा का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन बनेगा? इस सवाल के सैकड़ों उत्तर दिए जा रहे हैं। भाजपा के अंतरंग सूत्रों ने दावा किया है कि भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का नाम लगभग तय हो गया है।

जल्दी ही घोषित हो जाएगा भाजपा के नए अध्यक्ष का नाम

भारतीय जनता पार्टी के सूत्रों ने दावा किया है कि भाजपा के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष का नाम जल्दी ही घोषित कर दिया जाएगा। राजनीतिक विश्लेषकों का दावा है कि भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का नाम सभी को चौंकाने वाला नाम होगा। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर तैनात होने वालों के जो नाम मीडिया में प्रकाशित किए जा रहे हैं उनमें से कोई नेता भाजपा का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेगा इस बात की संभावना बहुत कम है। भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का नाम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की सहमति से तय होना है। सूत्रों का दावा है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का नाम तय कर लियाा गया है। जल्दी ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम की अधिकारिक घोषणा कर दी जाएगी।

भाजपा के एक दर्जन नेता हैं अध्यक्ष बनने की लाइन में

आपको बता दें कि भाजपा भारत की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है। भाजपा के एक दर्जन नेता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की लाइन में लगे हुए हैं। भाजपा नेताओं में से राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए जिन नामों की चर्चा हो रही है उनमें भाजपा नेता तथा केन्द्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव, शिवराज सिंह चौहान, सुनील बंसल और मनोहर लाल खट्टर जैसे नामों की खूब चर्चा हो रही है। आपको बता दें कि 20 से 30 नवंबर तक भारत की DPP की रायपुर में बैठक होगी। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह दोनों होंगे। मोदी और शाह हमेशा तीनों दिनों तक आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे अहम बैठक में ह्स्सिा लेते रहे हैं। उसके बाद एक दिसंबर से 19 दिसंबर तक संसद का शीतकालीन सत्र चलेगा। उसके बाद नई घोषणा के लिए भाजपा मकर संक्राति का इंतजार करेगी। मकर संक्रांति के अवसर पर भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का नाम घोषित कर दिया जाएगा। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की माने तो नए अध्यक्ष की घोषणा के लिए अगले 30 दिन अति महत्वपूर्ण हैं। 

राष्ट्रीय अध्यक्ष पर बैठकों का दौर जारी

भाजपा के सूत्रों के अनुसार केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह, जेपी नड्डा और राष्ट्रीय महासचिव संगठन बीएल संतोष के बीच नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ-साथ पार्टी पदाधिकारियों को लेकर लंबी चर्चा हुई है। उसके बाद अमित शाह विभिन्न नेताओं के साथ लगातार संपर्क कर रहे हैं। माना जा रहा है कि केन्द्रीय गृह मंत्री पार्टी के सभी नेताओं को यह जता रहे हैं कि सबकी सहमति से ही अध्यक्ष बनेगा। सच यह है कि भाजपा के अध्यक्ष पद के नाम का फैसला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा अमित शाह ने या तो कर लिया है या अगले एक या दो दिन में वें फैला कर लेंगे। उसके बाद फैसले को घोषित करने की बारी आएगी। Who will become the national president of BJP?

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जाने पपीते की खेती में लागत और मुनाफे का अनुमान

किसानों के बीच पपीते की बागवानी का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है। उचित प्रबंधन के साथ यह फसल अच्छी आमदनी देकर किसानों का भविष्य बदल सकती है। लेकिन लाभकारी खेती के लिए इसकी कुछ जरूरी बातों को जानना बेहद आवश्यक है।

Papaya cultivation among farmers
किसानों के बीच पपीते की बागवानी (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar26 Nov 2025 04:13 PM
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भारत में बागवानी फसलों की ओर बढ़ते रुझान के बीच पपीता किसानों के लिए लाभ का नया साधन बनता जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि पपीता ऐसी फसल है, जिसे वर्षभर उगाया जा सकता है और कम समय में अधिक मुनाफा भी देती है। इसकी खेती के लिए 10 से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान और जल-निकास युक्त दोमट मिट्टी सबसे बेहतर मानी जाती है।

बेहतर उत्पादन के लिए किस्मों का सही चुनाव अहम

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, व्यवसायिक खेती के लिए रेड लेडी-786, ताइवान हाइब्रिड, पूसा डिलीशियस, पूसा जायंट, पूसा ड्वार्फ, कोयंबटूर-1, पंजाब स्वीट जैसी किस्में किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। वहीं पपेन उत्पादन के लिए पूसा मैजेस्टी, CO-2 और CO-5 श्रेष्ठ मानी जाती हैं। छोटे स्थानों और गमलों में खेती के लिए पूसा नन्हा और पूसा ड्वार्फ जैसी किस्में खासतौर पर सुझाई गई हैं।

किस्मों की विशेषताएँ

  • रेड लेडी-786: मीठे स्वाद, 1.5–2 किलो वजन और वायरस सहनशीलता के कारण किसानों की पहली पसंद।
  • पूसा डेलिशियस: कम ऊंचाई, ज्यादा उपज और गहरे नारंगी गूदे के लिए प्रसिद्ध।
  • पूसा ड्वार्फ: छोटे पौधे, अंडाकार फल और सघन बागवानी के लिए उपयुक्त।
  • पूसा जायंट: तेज हवा सहन करने वाला पौधा, बड़े फल और प्रोसेसिंग के लिए उपयुक्त।
  • पूसा नन्हा: केवल 15–20 सेंटीमीटर ऊंचाई से फल लगना शुरू, छत-बागवानी के लिए सर्वश्रेष्ठ।

कब और कैसे करें बुवाई

विशेषज्ञ बताते हैं कि पपीते की बुवाई का सबसे उपयुक्त समय जुलाई से सितंबर तथा फरवरी-म मार्च माना जाता है। बेहतर अंकुरण के लिए बीजों को कॉपपर ऑक्सीक्लोराइड के घोल से उपचारित करने और क्यारियों में गोबर की खाद या वर्मीकंपोस्ट मिलाने की सलाह दी जाती है। बीज 8–10 सेंटीमीटर के पौधे बनने पर पॉलिथीन बैग में और करीब 15 सेंटीमीटर होने पर खेत में प्रतिरोपित कर दिए जाते हैं। पौध रोपण के लिए 45×45×45 सेमी के गड्ढों में गोबर खाद, जिप्सम और कीटनाशक पाउडर मिलाकर भरना आवश्यक होता है।

सिंचाई और प्रबंधन

कृषि विभाग के अनुसार, पौध लगाने के तुरंत बाद सिंचाई जरूरी है, लेकिन ध्यान रहे कि पौधे की जड़ के पास पानी इकट्ठा न हो। गर्मियों में — हर 5–7 दिन, सर्दियों में — हर 10 दिन की दूरी पर सिंचाई पर्याप्त होती है।

10–13 महीने में तैयार हो जाता है फल

खेती शुरू करने के लगभग 10 से 13 महीने बाद पपीते की तुड़ाई शुरू हो जाती है। फल जब गहरे हरे रंग से हल्के पीले होने लगें और दूध की जगह पानी जैसा तरल निकले, तो समझना चाहिए कि फल तोड़ने लायक हो गया है। औसतन एक पौधा 40 से 70 किलो फल देता है, जबकि पपेन उत्पादन के लिए प्रति पौधा 150–200 ग्राम पपेन भी प्राप्त किया जा सकता है।